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एसएंडपी 500

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अमरीका में महंगाई बढ़ने से US मार्केट में बड़ी गिरावट, भारतीय शेयर मार्केट में भी दिख सकता है असर

अमरीका में महंगाई बढ़ने से पिछले टेडिंग डे यानी कल US मार्केट में बड़ी गिरावट देखी गई, जिसका असर आज भारतीय शेयर मार्केट में भी दिख सकता है। एसएंडपी 500 मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अमरीकी मार्केट में कल पिछले 2 साल में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई।

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ग्लोबल आर्थिक मंदी के खबरों के बीच कल अमरीका में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आकड़े जारी किए गए। आकड़ो के अनुसार अगस्त में महंगाई दर 6.3% रिकार्ड की गई, जो जुलाई में 5.9% थी। इसके कारण अमरीकी मार्केट डाओ जोन्स, नैस्डैक और एसएंडपी में बड़ी गिरावट देखने को मिली। अमरीका का डाओ जोन्स कल 1276 पॉइंट यानी 3.94% की बड़ी गिरावट के साथ 31,104.97 पर बंद हुआ। वहीं एसएंडपी 500 में 4.32% की गिरावट देखी हई, जो 3,932.69 पर बंद हुआ। इसके अलावा नैस्डैक में 632.84 अंक यानी 5.16% की गिरावट दर्ज की गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2020 के बाद तीनों प्रमुख इंडेक्स में एक दिन में यह सबसे बड़ी गिरावट थी।

कल अमरीकी मार्केट के गिरावट का असर आज सभी एशियाई मार्केट के साथ भारतीय मार्केट में भी पड़ सकता है, जिसके कारण भारतीय शेयर मार्केट में भी बड़ी गिरावट आ सकती है। दरअसल एशियाई मार्केट के साथ ही भारतीय शेयर मार्केट भी अमरीकी शेयर मार्केट को काफी हद तक फॉलो करता है, जिसके कारण अमरीकी शेयर मार्केट में होने वाली हलचल का असर भारतीय शेयर मार्केट में भी पड़ता है।

कल भारतीय शेयर मार्केट में थी तेजी
कल भारतीय शेयर मार्केट के कारोबार में BSE के सेंसेक्स में 451 अंकों की तेजी के साथ 60,566 अंकों पर बंद हुआ। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 130 अंकों की तेजी के साथ 18,070 अंकों पर बंद हुआ। हालांकि आज कई मार्केट एक्सपर्ट बड़ी गिरावट की आशंका जता रहे हैं।

भारतीय और एशियाई मार्केट के लिए गिरावट के संकेत
अमरीका मार्केट में गिरावट के कारण आज लगभग सभी एशियाई मार्केट में इसका असर देखने को मिलने लगा है। आज अभी सिंगापुर के SGX Nifty 1.58% की एसएंडपी 500 कमजोरी देखी जा रही है। वहीं जापान का निक्केई 2.09%, हॉन्गकॉन्ग के हैंगसेंग 0.18%, कोरिया का कोस्पी 1.7% गिरावट देखी जा रही है। इसके साथ ही भारतीय शेयर मार्केट की प्री ओपनिंग में भी गिरावट देखी जा रही है।

बाजार में मंदी बरकरार, सेंसेक्स 300 अंकों तक फिसला

मुंबईः ग्लोबल मार्केट के असर से भारतीय बाजार पर मंदी का साया हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन भी बरकरार है। शुक्रवार को बाजार खुलते समय सेंसेंक्स में लगभग 300 अंकों की गिरावट दिखी। यह फिलहाल 58,834.50 के लेवल पर कारोबार कर रहा है। वहीं, निफ्टी भी 62 अंक टूटकर 17,547.10 के स्तर पर ट्रेड कर रहा है। बाजार में रुपए में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। रुपया डॉलर के मुकाबले 81 के लेवल को पार कर गया है।

बाजार में मंदी के डर से अमेरिकी बाजार में लगातार तीसरे दिन कमजोरी नजर आई। डाऊ जोंस इस दौरान 107 अंक गिरकर 30,077 अंक तो नेस्डैक 153 अंक फिसलकर 11,067 अंकों के स्तर पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 में भी 0.84 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, एशिया के बाजार में भी कमजोरी दिख रही है। एसजीएक्स निफ्टी 70 अंक टूटकर 17,575 अंकों के लेवल पर कारोबार कर रहा है। डाऊ फ्येचर्स में करीब 50 अंकों की मजबूती है। एफआईआई में लॉन्ग पॉजिशन 34% से घटकर 29% हो गया है। इंडिया VIX में 3% घटकर 18.82 के लेवल पर है।

वहीं इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार महंगाई को चार प्रतिशत के भीतर रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

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US Stock Market ने बनाया पांच दशकों का सबसे शर्मनाक रिकॉर्ड, निक्सन ऐरा के बाद देखने एसएंडपी 500 को मिली ऐसी स्थिति

US Stock Market ने बनाया पांच दशकों का सबसे शर्मनाक रिकॉर्ड, निक्सन ऐरा के बाद देखने को मिली ऐसी स्थिति

डीएनए हिंदी: भले ही भले ही भारत का शेयर बाजार (Indian Share Market) का प्रदर्शन वित्त वर्ष की पहली तिमाही में साल 2019-20 चौथी तिमाही के बाद सबसे खराब रहा हो, लेकिन अमेरिकी शेयर बाजार (US Stock Market) के खराब प्रदर्शन ने पांच दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. साल 1970 के बाद पहली बार साल के पहले हाफ में अमेरिकी बाजारों का सबसे खराब प्रदर्शन देखने को मिला है. 1970 के उस ऐरा हो निक्सन के नाम से जाना जाता है, जब अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन थे. अमेरिकी एसएंडपी 500 (S&P 500) का प्रदर्शन साल के पहले 6 महीनों में साल 1970 के बाद के बाद सबसे खराब देखने को मिला है. ​इसका कारण बढ़ती महंगाई और उसके बाद केंद्रीय बैंकों एसएंडपी 500 एसएंडपी 500 की ओर ब्याज दरों में बढ़ोतरी को माना जा रहा है.

डाउ जोंस से लेकर नैस्डैक तक सभी में गिरावट
फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने बुधवार को अमेरिकी अर्थव्यवस्था को महंगाई के गड्डे में ना गिरने देने की कसम खाई है, भले ही ब्याज दरों को उस लेवल तक क्यों ना बढ़ाना पड़े जिसकी वजह से इकोनॉमिक ग्रोथ को नुकसान ही क्यों ना पहुंच जाए. नैस्डैक कंपोजिट ने पहली छमाही में इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट देखी एसएंडपी 500 है. जबकि डॉओ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज भी बड़ी गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है. साल 2015 के बाद अमेरिका के तीनों प्रमुख सूचकांकों में लगातार दूसरी ​तिमाही में गिरावट देखने को मिली है.

फिर बढ़ सकती है फेड की दरें
हाल के दिनों में फेड नीति निर्माताओं ने जुलाई में दूसरी बार 75 आधार अंकों की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद की है, जबकि आर्थिक आंकड़ें अमेरिकी कंज्यूमर्स की एक निराशाजनक तस्वीर पेश कर रहे हैं. Microsoft Corp, Apple Inc, Amazon.com Inc और Tesla Inc सहित लार्ज-कैप ग्रोथ स्टॉक 2.6 फीसदी से लेकर 5.2 फीसदी के बीच की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं.

अमेरिकी बाजारों में गिरावट
अमेरिकी समय के अनुसार सुबह 10 बजकर 22 मिनट पर डॉओ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 527.89 अंक या 1.70 फीसदी की गिरावट के साथ 30,501.42 पर कारोबार कर रहा था, जबकि एसएंडपी 500 73.94 अंक या 1.94 फीसदी की गिरावट एसएंडपी 500 के साथ 3,744.89 पर था, और नैस्डैक कंपोजिट 304.66 अंक या 2.73 फीसदी अंकों के साथ 10,873.23 अंकों पर कारोबार कर रहा था.

शेयर बाजारों के लिए मुफीद रहा है डेमोक्रेट्स के दौर
खास बात तो ये है कि 1945 के बाद जब जब भी डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता ने अमेरिका की सत्ता संभाली है, तब—तब अमेरिकी शेयर बाजारों में तेजी देखने को मिली है. पांच साल के कार्यकाल में बिल क्लिंटन के समय एसएंडपी 500 ने 200 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया, जबकि बराक ओबामा के कार्यकाल में 180 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखने को मिली थी. डेमोक्रेटिक प्रेसीडेंट में जॉन एफ केनेडी ही ऐसे थे जिनके कार्यकाल में मात्र 16 फीसदी का ही रिटर्न आयाख्, लेकिन उनका कार्यकाल सिर्फ दो सालों का था क्योंकि उनकी बीच में ही हत्या कर दी गई थी. जो बाइडन पहले ऐसे डेमोक्रेट प्रेसीडेंट हैं जिनके कार्यकाल में एसएंडपी 500 करीब 3 फीसदी नेगेटिव रिटर्न ​दे रहा है.

क्या बाइडन दोहराएंगे निक्सन का इतिहास
मौजूदा बाजार की तुलना निक्सन दौर के बाजार के साथ हो रही है. इसका कारण भी है साल 1970 में अमेरिकी बाजारों में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. खास बात तो ये है कि उनके पांच साल के कार्यकाल में अमेरिकी शेयर 20 फीसदी तक टूटा था. जोकि किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति दौर में दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन है. सबसे खराब प्रदर्शन जॉर्ज डब्ल्यू बुश के दौर में देखने को मिला था. उनके दो टेन्योर यानी 2001 से लेकर 2009 बाजार 40 फीसदी से ज्यादा टूटा था.

भारतीय बाजारों पर पड़ सकता है असर
वैसे भारतीय बाजारों के लिए भी वित्त वर्ष की पहली तिमाही कुछ खास नहीं रही है. अप्रैल से लेकर जून के महीने तक शेयर बाजार 9 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है. साल 2020 की मार्च तिमाही के बाद यह किसी तिमाही में सबसे बड़ी गिरावट है. अब अमेरिकी बाजारों की यह गिरावट भारतीय शेयर बाजार के लिए शुभ संकेत नहीं है. सप्ताह के आखिरी जुलाई के पहले कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजारों में भी अमेरिकी बाजारों का असर साफ देखने को मिल सकता है. जानकारों की मानें तो अमेरिकी ग्रोथ के आंकड़ों और उनके बाजारों की स्थिति को देखते हुए भारतीय शेयर दो फीसदी गिर सकते हैं.

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वॉल स्ट्रीट धराशायी, एसएंडपी 500 अप्रैल के बाद से सबसे निचले स्तर पर बंद

Stock Market Live (फाइल फोटो)

Stock Market Live : वैश्विक अर्थव्यवस्था में संभावित मंदी को लेकर निवेशकों की चिंता के बीच अमेरिकी शेयर बाजारों में शुक्रवार को तेज गिरावट दर्ज की गई. शेयर बाजार के तीनों प्रमुख सूचकांकों में गिरावट रही. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, डॉव जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज 496.87 अंकों यानी 2.02 फीसदी की गिरावट के साथ 24,100.51 पर रहा. एसएंडपी 500 सूचकांक 50.59 अंकों यानी 1.91 फीसदी की कमजोरी के साथ 2,599.95 पर रहा. वहीं नैस्डैक कंपोजिट सूचकांक 159.67 अंकों यानी 2.26 फीसदी की कमजोरी के साथ 6,910.66 पर रहा.

सबसे निचले स्‍तर पर
एसएंडपी 500 सूचकांक अप्रैल के बाद से अब तक के अपने सबसे निचले स्तर पर गिरकर बंद हुआ. सभी प्रमुख एसएंडपी 500 सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई. स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी सेक्टरों में सर्वाधिक गिरावट रही. स्वास्थ्य सेक्टर में 3.37 फीसदी और प्रौद्योगिकी में 2.48 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.

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