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नवभारत टाइम्स 1 दिन पहले

चीन की आक्रामकता और उसके बढ़ते सैन्य प्रभुत्व को चुनौती देने के संकेत, एक्सपर्ट व्यू

ताइवान को आंखें दिखाने के बाद लद्दाख को पाने के लिए चीन युद्ध की स्थिति खड़ा कर सकता है। इससे निपटने के लिए चीन से लगने वाली वास्‍तविक नियंत्रण रेखा के पास भारत और अमेरिका युद्धाभ्यास कारगर साबित होंगे।

डा. नवीन कुमार मिश्र। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस में शी चिनफिंग के तीसरे कार्यकाल के बढ़ने के साथ सेना को और आधुनिक बनाने के लिए ठोस कार्रवाई का निर्देश देना तथा गलवन घाटी में हुए भारतीय सैनिकों के साथ झड़प की वीडियो दिखाकर भारत के प्रति अपनी आक्रामक नियति का प्रदर्शन करना, यह स्पष्ट करता है कि भारत चीन के विस्तारवादी मंसूबों का बाधक है।

जनवरी 2022 से चीन ने भूमि सीमा कानून को लागू कर चीन के कब्जे वाली संपूर्ण भूमि की सीमाओं को अपनी अखंडता से जोड़ चुका है और उन सीमाओं का अतिक्रमण का मतलब चीन से युद्ध है। सैनिकों को लड़ने व जीतने के लिए युद्ध की तैयारियों के लिए प्रशिक्षण के माध्यम से सेना को अपनी सारी ऊर्जा लगा देने तथा सेना की क्षमता व संसाधनों को विकसित करने की योजना बना चुका है। इसके लिए 20वीं सीपीसी राष्ट्रीय कांग्रेस के मार्गदर्शक सिद्धांतों का पूरी तरह से अध्ययन, उनका प्रचार और क्रियान्वयन करने तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ संप्रभुता और विकास हितों की रक्षा करने का निर्देश दिया गया है, जो भारत सहित लोकतांत्रिक देशों के लिए चिंतनीय है। क्योंकि चीन की दीवार ही चीन की वास्तविक सीमा है, इसके अतिरिक्त शेष सभी विस्तारवाद का ही परिणाम है।

20वीं कांग्रेस के पूर्व चीन में सेंटर फार इंटरनेशनल सिक्योरिटी एंड स्ट्रेटजी के एक विशेषज्ञ ने चीन की आक्रामक नियति को प्रदर्शित करते हुए कहा कि भारत यदि हिंद महासागर को महान समुद्र मानते हुए उसकी सुरक्षा की भूमिका में आने का प्रयास करता है तो चीन के साथ तकनीकी विश्लेषण रणनीति टकराव से युद्ध की परिस्थिति भी पैदा हो सकती है। इसके साथ ही स्पष्ट हो जाता है कि हिमालय से लेकर हिंद महासागर तक चीन की साजिश को कामयाब होने में सबसे बड़ा अवरोधक भारत को ही मानता है।

चूंकि भारत की स्थिति हिंद महासागर के शीर्ष पर होने के कारण यह आर्थिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, परंतु चीन अपनी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव जैसी महत्वाकांक्षाओं के माध्यम से तकनीकी विश्लेषण रणनीति स्थलीय व समुद्री मार्गों पर नियंत्रण के आवेश में भारत की संप्रभुता व अखंडता को चोट पहुंचा कर विश्व की महाशक्ति बनने के सपने देख रहा है। जबकि भारत की तट रेखा समस्त हिंद महासागर द्वारा निर्मित होती है तथा तट रेखा का 14 प्रतिशत भाग भारत के अधिकार में है। इसी प्रकार लगभग 1250 द्वीपों के साथ हिंद महासागरीय क्षेत्र की लगभग आधी जनसंख्या भारत में रहती है, जो हजारों वर्षों से भारतीय संस्कृति का संवाहक रहा है। भारत का 90 प्रतिशत समुद्री व्यापार तथा आयातित खनिज तेल का संपूर्ण भाग हिंद महासागर के माध्यम तकनीकी विश्लेषण रणनीति से प्राप्त होता है। भविष्य में ऊर्जा जरूरतों तथा स्वच्छ ईंधन के लिए आवश्यक विकल्पों के रूप में तरंग ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, मीथेन क्लैथरेट्स, ड्यूटीरियम एवं ट्रिटियम के भंडार भी हिंद महासागर से प्राप्त होने की संभावना है।

हिंद महासागरीय क्षेत्र, जो भारत के लिए भू-सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है, वह चीन के विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं की कुंजी है। इसके लिए कर्ज जाल की नीति से लेकर आक्रामक धमकियों तक की रणनीति अपनाता रहा है। श्रीलंका से हंबनटोटा बंदरगाह, कोको द्वीप व क्यौकप्यू द्वीप (म्यांमार) पर कब्जे में वह सफल भी हो चुका है। परंतु चटगांव बंदरगाह में बांग्लादेश ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया तथा ग्वादर बंदरगाह में बलूचियों के विरोध ने चीन को रोक रखा है, जिसका रास्ता गुलाम कश्मीर से होकर गुजरता है। यह चीन के शिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र में काशगर से ग्वादर तक का तीन हजार किमी की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना है, जो चीन को सीधे हिंद महासागर तक जोड़ सकती है। इसके लिए ही चीन ने गलवन घाटी में मई 2020 में गतिरोध भी पैदा कर दिया था।

अभी 10 नवंबर को जारी की गई रिपोर्ट ‘हिमालय में बढ़ते तनाव : भारतीय सीमा पर चीनी घुसपैठ का भू-स्थानिक विश्लेषण’ विषय पर नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, नीदरलैंड्स के डेल्फ्ट के तकनीकी विवि और नीदरलैंड्स डिफेंस एकेडमी के विशेषज्ञों ने मूल डाटासेट का उपयोग करते हुए पिछले 15 वर्षों के दौरान हुए चीनी घुसपैठ घटनाक्रम का भू-स्थानिक विश्लेषण कर घुसपैठ को चीन की सोची समझी रणनीति का हिस्सा बताया है।

इसी प्रकार आक्रामक, गैर-पारदर्शी तरीके से अपने विस्तारवादी नीति के तहत चीन वैश्विक महाशक्ति के शीर्ष पर पहुंचने के लिए प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में अमेरिका के सुरक्षा कवच को भी तोड़ना चाहता है, जिसकी एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में ताइवान की अवस्थिति है। चीन प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में अपना विस्तार करने के साथ ही हिंद- प्रशांत क्षेत्र में समुद्री मार्गों पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहता है। चीन ने ताइवान तकनीकी विश्लेषण रणनीति व अन्य देशों के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए सेना को आदेश दे चुका है कि युद्ध की स्थिति कभी भी बन सकती तकनीकी विश्लेषण रणनीति है। चीन की आक्रामक सैन्य गतिविधियों के बीच इस प्रकार का बयान आना नए अंतरराष्ट्रीय संकट को दर्शाता है।

चीन को सीमित करने के लिए क्वाड, आकस, हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचा जैसे संगठन बनाने गए हैं, परंतु चीन की सैन्य तैयारियों और उसकी चुनौतियों से निपटने के लिए एक प्रभावशाली सैन्य संगठन की आवश्यकता प्रतीत हो रही है। इसलिए आवश्यक हो गया है कि हिमालय-हिंद महासागर क्षेत्र के परंपरावादी, सांस्कृतिक व आर्थिक गतिविधियों से जुड़े कुल 46 देशों को संगठित कर प्रशांत महासागरीय क्षेत्र तक अपनी क्षेत्रीय ताकत को मजबूत बनाने की जरूरत है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देश चीन की विस्तारवादी प्रवृत्ति से डरे हुए हैं और भारत की ओर उम्मीद की नजर से देख रहे हैं।

UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 11 November, 2022 UPSC CNA in Hindi

2. भारत ने COP-27 में वर्ष 2024 तक एक उच्च लक्ष्य निर्धारण पर पर जोर दिया:

  • मिस्र के शर्म अल शेख में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन COP-27 (COP-27) में,भारत ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि विकासशील देशों को अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता से परे जलवायु वित्त में वृद्धि की आवश्यकता है इसके साथ विकसित देशों को संसाधनों की गतिशीलता का नेतृत्व करना चाहिए।
  • वर्ष 2009 में कोपेनहेगन में आयोजित COP-15 में, विकसित/समृद्ध देशों ने संयुक्त रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और विकासशील देशों की मदद करने के लिए वर्ष 2020 तक सालाना 100 अरब डॉलर जुटाने के लिए प्रतिबद्ध किया था।
  • हालाँकि यह कहा जाता है कि विकसित देश इस वित्त को प्रदान करने में विफल रहे हैं, और भारत जैसे विकासशील देश विकसित देशों को एक नए वैश्विक जलवायु वित्त लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध कर रहे हैं, जिसे जलवायु वित्त पर नए सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य ( New Collective Quantified Goal on Climate finance (NCQG)) के रूप में भी जाना जाता है।
  • COP27 में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जलवायु कार्यों को विकसित देशों से वित्तीय, तकनीकी और क्षमता निर्माण समर्थन की आवश्यकता है।
  • इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (Intergovernmental Panel on Climate Change (IPCC)) के काम पर प्रकाश तकनीकी विश्लेषण रणनीति डालते हुए भारत ने कहा है कि विकसित देश वातावरण में कार्बन स्टॉक के प्रमुख योगदानकर्ता हैं और यह तथ्य और इसका पेरिस समझौता (Paris Agreement ) जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के फ्रेमवर्क कन्वेंशन के मूल सिद्धांतों के महत्व को रेखांकित करता है,अर्थात् यह समानता और “सामान्य लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियां और संबंधित क्षमताएं” दर्शाता हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारत के राज्यों में राज्यपाल के पद के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)

  1. यदि किसी व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त तकनीकी विश्लेषण रणनीति किया जाता है, तो उसके वेतन और भत्तों को संसद द्वारा निर्धारित अनुपात में सम्बंधित राज्यों द्वारा साझा किया जाता है।
  2. राज्यपाल को उनके पद की शपथ भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिलाई जाती है।
  3. राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल को उसके पद से हटाने की प्रक्रिया संविधान द्वारा निर्धारित नहीं की गई है।

सही कूट का चयन कीजिए:

(c) सभी कथन सही हैं

(d) इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही नहीं है: संविधान के अनुच्छेद 158(3)(3A) के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया जाता है, तो उसे देय वेतन और भत्ते राज्यों द्वारा उस अनुपात में बांटे जाते हैं जो राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किये गए हैं।
  • कथन 2 सही नहीं है: संविधान के अनुच्छेद 159 के अनुसार, राज्यपाल को उनके पद की शपथ संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा दिलाई जाती है और उनकी अनुपस्थिति में उस न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश शपथ दिलाते हैं।
  • कथन 3 सही है: राज्यपाल “राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत” पद धारण करता है और संविधान ने राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल को हटाने के लिए कोई आधार निर्धारित नहीं किया है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन सा/से राष्ट्र आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन दोनों समूहों के सदस्य है/हैं ? (स्तर – मध्यम)

  1. इंडोनेशिया
  2. लाओस
  3. दक्षिण कोरिया
  4. ब्रुनेई

सही कूट का चयन कीजिए:

(c) केवल 1, 2 और 4

उत्तर: c

व्याख्या:

  • आसियान के सदस्य: ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम।
  • पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के सदस्य: दस आसियान देश, ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, तकनीकी विश्लेषण रणनीति जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य (दक्षिण कोरिया), रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका।
  • दक्षिण कोरिया दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान-Association of Southeast Asian Nations (ASEAN) का सदस्य नहीं है, इसलिए विकल्प c सही उत्तर है।

प्रश्न 3. क्रायोजेनिक्स को सबसे सटीक तरह से परिभाषित किया जा सकता है ? (स्तर – सरल)

(a) अत्यंत कम तापमान पर सामग्री के उत्पादन और व्यवहार का अध्ययन।

(b) पृथ्वी की विभिन्न कक्षाओं का अध्ययन।

(c) सूर्य की तकनीकी विश्लेषण रणनीति बाहरी सतह का अध्ययन।

(d) चंद्रमा की सतह का अध्ययन।

उत्तर: a

व्याख्या:

  • क्रायोजेनिक्स भौतिकी की शाखा है जो बहुत कम तापमान के उत्पादन और प्रभावों से संबंधित है।
  • अत: विकल्प a सही उत्तर है।

प्रश्न 4. भारत में “चाय बोर्ड” (Tea Board) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)

1. चाय बोर्ड एक सांविधिक निकाय (statutory body) है।

2. यह कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय से जुड़ी एक नियामक संस्था है।

3. चाय बोर्ड का प्रधान कार्यालय बेंगलुरु में स्थित है।

ऊपर दिए गए कथनों में से कौन-से सही हैं?

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: चाय अधिनियम, 1953 की धारा (4) के प्रावधानों के तहत चाय बोर्ड की स्थापना वर्ष 1954 में एक सांविधिक/वैधानिक निकाय (statutory body) के रूप में की गई थी।
  • कथन 2 सही नहीं है: चाय बोर्ड केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तत्वावधान में काम करता है।
  • कथन 3 सही नहीं है: इस बोर्ड का मुख्यालय कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित युग्मों पर विचार तकनीकी विश्लेषण रणनीति कीजिए: PYQ (2019) (स्तर – कठिन)

वन्य प्राणी प्राकृतिक रूप से कहाँ पाए जाते हैं

  1. नीले मीनपक्ष वाली महाशीर कावेरी नदी
  2. इरावदी डॉल्फिन चंबल नदी
  3. मोरचाभ (रस्टी)- चित्तीदार बिल्ली पूर्वी घाट

उपर्युक्त में से कौन-से युग्म सही सुमेलित हैं?

उत्तर: c

व्याख्या:

  • युग्म 1 सही सुमेलित है: नीले मीनपक्ष वाली महाशीर कावेरी नदी में प्राकृतिक रूप से पायी जाती है।
  • युग्म 1 सही सुमेलित नहीं है: चंबल नदी में तकनीकी विश्लेषण रणनीति गंगा नदी की डॉल्फ़िन (प्लैटनिस्टा गैंगेटिका-Platanista gangetica) पाई जाती है।
    • हालांकि, इरावदी डॉल्फ़िन (ओर्केला ब्रेविरोस्ट्रिस- Orcaella brevirostris) एक अलग प्रजाति हैं और ओडिशा के चिल्का लैगून और अन्य खारे पानी के मुहानो (estuaries) में देखी/पायी जाती हैं।

    UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

    प्रश्न 1. विश्व युद्धों के दौरान भारतीय सैनिकों के योगदान का परीक्षण कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस1 – विश्व इतिहास)

    प्रश्न 2. रूस-यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में, सामरिक रूप से महत्वपूर्ण खेरसॉन क्षेत्र से रूस के पीछे हटने के कारणों का मूल्यांकन कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (GS2 – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

    Multibagger stock: इस स्टॉक ने निवेशकों को किया मालामाल! तीन साल में दिया 473 फीसदी का रिटर्न

    नवभारत टाइम्स लोगो

    नवभारत टाइम्स 1 दिन पहले

    नई दिल्ली:

    शेयर बाजार में अगर सही स्टॉक में पैसा लगया जाए तो बंपर रिटर्न मिलना तय है। कई ऐसे स्टॉक हैं जिन्होंने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। आज हम आपको ऐसे ही एक स्टॉक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने निवेशकों को बंपर रिटर्न दिया है। इस स्टॉक में अभी भी तेजी बनी हुई है। तकनीकी चार्ट पर भी स्टॉक मजबूत नजर आ रहा है। आईए आपको बताते हैं इस स्टॉक के बारे में।

    निवेशकों को मिला शानदार रिटर्न

    देव इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी लिमिटेड के शेयरों में जिन निवेशकों ने भी पैसा लगाया उन्हें शानदार रिटर्न मिला है। देव इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी लिमिटेड 239.15 करोड़ के बाजार मूल्यांकन वाली कंपनी है। कंपनी सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग में काम करती है। कंपनी दुनिया भर में मौजूद है। साल 1997 में इसकी स्थापना के बाद से, कंपनी देश में आईटी-सक्षम सेवाओं के शीर्ष प्रदाताओं में से एक बन गई है। कंपनी के निदेशक मंडल ने 11 नवंबर, 2022 को अपनी बैठक के दौरान स्टॉक विभाजन के लिए रिकॉर्ड तिथि निर्धारित की है।

    तेजी से बढ़े शेयर के भाव

    देव इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी लिमिटेड के शेयर बीते शुक्रवार को 215.00 रुपये के स्तर पर बंद हुए। ये अपने पिछले बंद 222.05 से 3.17% कम है। देव सूचना प्रौद्योगिकी 17 अप्रैल 2017 को स्टॉक एक्सचेंजों में 42 रुपये प्रति शेयर के निर्गम मूल्य के साथ सूचीबद्ध हुई, तब से यह आज के समापन मूल्य तक बढ़ गई है जो पिछले 5 वर्षों में लगभग 600 फीसदी तक का रिटर्न दिया है। वहीं पिछले 3 सालों में स्टॉक ने 473% का मल्टीबैगर रिटर्न दिया है और पिछले 1 साल में स्टॉक ने 194.72% का मल्टीबैगर रिटर्न दिया है।

    अभी भी तेजी के संकेत

    YTD आधार पर, साल 2022 में अब तक स्टॉक में 61.47% की वृद्धि हुई है। NSE पर स्टॉक ने (13-अक्टूबर-2022) को 254.60 रुपये के 52-सप्ताह के उच्च स्तर और 102.50 रुपये के 52-सप्ताह के निचले स्तर को छुआ था। बीते शुक्रवार को बंद भाव पर स्टॉक को 5 दिन, 10 दिन, 20 दिन और 50 दिनों के एसएमए से नीचे, लेकिन 100 दिनों और 200 दिनों के सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए) से ऊपर कारोबार करते देखा गया।

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    Content on this website is published and managed by Uttar Pradesh Employment Department. Designed, Developed and Hosted by National Informatics Centre( NIC ) Last Updated: 28 Feb 2016

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