निवेशकों के लिए अवसर

कॉल ऑप्शन का उदाहरण

कॉल ऑप्शन का उदाहरण
फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है Basics of Future and Option trading for Beginners in Hindi

निवेशकों को भाया ऑप्शन कारोबार

इस साल एक्सचेंज पर विकल्प खंड (ऑप्शन) में कारोबार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। इसके पीछे नए खुदरा ट्रेडरों के बाजार में आने, वायदा खंड में मार्जिन बढऩे, एल्गो ट्रेडरों की गतिविधियां बढऩे तथा साप्ताहिक सौदा निपटान चक्र जैसे विभिन्न कारकों का योगदान रहा।

ऑप्शन खंड में कुल अनुंबधों की संख्या वित्त वर्ष 2022 में वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) अनुबंधों का 97 फीसदी रही। इनमें से ज्यादातर कारोबार निफ्टी और बैंक निफ्टी सूचकांक के ऑप्शन तक केंद्रित है। पांच साल पहले यह आंकड़ा करीब 83 फीसदी था। बाजार के जानकारों का मानना है कि इस तरह की ट्रेडिंग पर अधिकांश पैसे अनुमानों पर लगाए जाते हैं और निफ्टी के किसी खास हफ्ते में चढऩे या उतरने पर दांव लगाया जाता है। 90 फीसदी से अधिक खुदरा या छोटे ट्रेडर इसी तरह निवेश करते हैं और वे अपने पैसे गंवा रहे हैं, जो देश में दीर्घावधि की इक्विटी संस्कृति के लिए अनुकूल नहीं है।

एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज के रिटेल प्रमुख राहुल रेगे ने कहा, 'ऑप्शन ट्रेडिंग रिकॉर्ड ऊंचाई पर है और इसमें आगे भी इजाफा होगा।' उन्होंने कहा कि कई सारे खुदरा निवेशक वायदा की तुलना में अब विकल्प (ऑप्शन) को पसंद कर रहे हैं। धनाढ्य निवेशक अपने परिवार उद्यम या चुनिंदा एल्गो ट्रेडरों के माध्यम से एल्गो आधारित रणनीति के कॉल ऑप्शन का उदाहरण तहत इस खंड में निवेश कर रहे हैं।

पिछले साल उच्चतम मार्जिन नियमों को लागू करने के बाद से वायदा खंड में मार्जिन की जरूरत काफी बढ़ गई है। नकद खंड में भी इंट्राडे कारोबार के लिए ब्रोकर द्वारा दी जाने वाली मार्जिन सुविधा 8 से 10 गुना से घटाकर 2 से 3 गुना कर दी गई है। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में डेरिवेटिव विश्लेषक चंदन तापडिय़ा ने कहा, 'वायदा में कारोबार करने के लिए शुरुआती मार्जिन की जरूरत होती है और पोजिशन अनुकूल नहीं रही तो मार्क टू मार्केट मार्जिन देना होता है। ऑप्शन खरीदार को केवल प्रीमियम चुकाना होता है और ऑप्शन विक्रेता अपने निवेश पोर्टफोलियो को मार्जिन की जरूरत के लिए जमानत के तौर पर रख सकते हैं। यही वजह है कि नए चतुर ट्रेडर वायदा की तुलना में विकल्प को ज्यादा पसंद कर रहे हैं।'

उदाहरण के लिए निफ्टी के 16,300 के स्तर पर अगर 10 फीसदी मार्जिन की जरूरत हो तो निफ्टी फ्यूचर का एक लॉट खरीदने के लिए निवेशकों को 8,15,000 रुपये के आकार के सौदे के लिए 81,500 रुपये देने होंगे। दूसरी ओर निफ्टी ट्रेडिंग के 2 रुपये पर कॉल या पुट ऑप्शन के लिए निवेशकों के केवल 100 रुपये देने होंगे। अनुबंध के साप्ताहिक निपटान की व्यवस्था 2019 में शुरू की गई थी। इससे भी निवेशक आसानी से मुनाफा कमाने की उम्मीद में इस खंड में आए। ऐक्सिस सिक्योरिटीज के मुख्य कार्याधिकारी बी गोपकुमार ने कहा, 'छोटे ट्रेडरों के लिए ऑप्शन खंड किसी खेल की तरह हो गया है, जो इस खंड में 15,000 से 20,000 रुपये की छोटी राशि का दांव लगाते हैं।' उन्होंने कहा कि गुरुवार को सौदे के निपटान खत्म होने के दिन अपराह्नï 2 बजे के बाद अधिकांश पैसा निफ्टी और बैंक निफ्टी के ऑप्शन में लगाया जाता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस पैसे को म्युचुअल फंड में एसआईपी के जरिये या बेहतर शेयरों में सीधे लगाया जाना चाहिए। अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट्स ऐंड रिसर्च इनक्रेड इक्विटीज में निदेशक सिद्घार्थ भामरे ने कहा, 'बाजार के कुल वॉल्यूम का करीब 90 फीसदी हिस्सेदारी एक खंड में होना परिपक्व बाजार का संकेत नहीं है।' उन्होंने कहा, 'वॉल्यूम में इजाफा मुख्य रूप से अटकलों की वजह से है, न कि हेजिंग या वास्तविक रणनीति के कारण। ट्रेडर दो से तीन दिन या महीने भर में दोगुना प्रतिफल चाहते हैं लेकिन अधिकांश मामलों में वे अपनी पूंजी गंवा देते हैं।'

मान लें कि निफ्टी के 16,300 के स्तर पर अगर अनुबंध का आकार 50 है। यदि आप 100 रुपये में 16,500 कॉल ऑप्शन खरीदते हैं और निफ्टी 16,600 से ऊपर पहुंच जाता है तो आपको 5,000 रुपये का मुनाफा होगा। इसका मतलब हुआ कि आपने 100 रुपये के निवेश पर 5,000 रुपये कमा लिए। टर्नओवर की गणना अनुबंध के मूल्य के आधार पर की जाती है न कि प्रीमियम मूल्य पर, ऐसे में आप प्रभावी रूप से 100 रुपये का प्रीमियम चुकाकर 8,25,000 रुपये का कारोबार करते हैं।

हालांकि बाजार के जानकार इस खंड में गंभीर भागीदारों के आने से उत्साहित हैं। इनमें से कुछ लोग बाजार की बारीकियों को सीखने के लिए पेशेवरों की मदद ले रहे हैं।

फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है | Basics of Future and Option trading for Beginners in Hindi

शेयर मार्केट में आप अलग अलग प्रकार से शेयर खरीद और बेच सकते है जैसे इंट्राडे (Intraday ), डिलीवरी (Delivery) अदि। इसी प्रकार से शेयर मार्केट में हम इसमें फ्यूचर एंड ऑप्शन (Future And Option Trading) ट्रेडिंग भी कर सकते है। फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है

अगर आप फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग करना चाहते है और इसके बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो इस लेख को अंतिम तक जरूर पढ़े क्योकि इसमें आपको शेयर मार्केट के बारे में और फ्यूचर एंड ऑप्शन (Future and Option) के बारे में सभी प्रकार की जानकारी उपलब्ध कराई है।

Future and Option Trading

फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है Basics of Future and Option trading for Beginners in Hindi

Derivative Market क्या है ? (What is Derivative Market?)

सिम्पल शब्दो में बोले तो, डेरीवेटिव मार्केट (Derivative Market) एक प्रकार का कांटेक्ट (Contract) होता है जिसका वैल्यू कोई भी एक तारीख तक सिमित होता है उसके बाद कॉन्ट्रैक्ट (contact) का वैल्यू जीरो हो जाता है जिसे हम डेरीवेटिव मार्केट (Derivative Market) कहते है।

डेरीवेटिव मार्केट, दो संस्थाओ के बिच एक कॉन्ट्रैक्ट को दर्शाता है इसमें दरअसल शेयरों का आदान प्रदान करके पैसा कमाया जाता है। what are Future and Option

Derivative Market के प्रकार (Types of Derivative Markets)

  1. Forward
  2. Future
  3. Option
  4. Swap

फ्यूचर्स ट्रेडिंग क्या है ? (What is Futures Trading?)

स्टॉक मार्केट (Stock Market) में फ्यूचर्स ट्रेडिंग (Futures Trading) का अहम रोल होता है फ्यूचर्स ट्रेडिंग (Future trading) डेरीवेटिव मार्केट (Derivative Market) का एक अहम हिस्सा है जिसका एक अपना ट्रेडिंग Base होता है इसमें लोग फ्यूचर को को आधार मानकर ट्रेडिंग करते है। इसे हम उदाहरण से समझते है –

माना एक लड़का है जिसे फ्यूचर में आईपीएल के एक मैच का टिकट खरीदना है लेकिन मैच के दिनांक के समय उस टिकट का प्राइस बढ़ने वाला है तो वह लड़का अभी के प्राइस में उस टिकट को न खरीद कर उसके बदले एक डील या कॉन्ट्रैक्ट करता है कि आने वाले समय में उस टिकट का भाव बढ़े या घटे उसे अभी के प्राइस पर वह टिकट मिल जायगा लेकिन उस टिकट की समय अवधि उस मैच के दिनांक पर निर्धारित करेगा।

इस लेख में हम फ्यूचर्स ट्रेडिंग की सारी जानकारी आपको देंगे कि फ्यूचर्स ट्रेडिंग कैसे किया जाता है ?, इसमें कितना प्रॉफिट और लॉस हो सकता है ?

फ्यूचर्स ट्रेडिंग कैसे किया जाता है ? (How is future trading done?)

फ्यूचर ट्रेडिंग में हमे फ्यूचर के हिसाब से शेयर खरीदना और फिर बेचना होता है इसमें समय सिमा निर्धारित होता है जिसमे आपको अपने खरीदे गए शेयर को समय से पहले बेचना होता है इसका समय निर्धारित महीने के अंतिम सप्ताह में होता है। फ्यूचर एंड ऑप्शन के बारे में जाने।

ऑप्शंस ट्रेडिंग क्या है ? (What is Options Trading?)

जिस प्रकार स्टॉक मार्केट (Stock Market) में फ्यूचर्स ट्रेडिंग (Futures Trading) का अहम रोल है उसी प्रकार ऑप्शंस ट्रेडिंग (Options Trading) का भी महत्व पूर्ण भूमिका होता है ऑप्शंस ट्रेडिंग का अर्थ विकल्प होता है जो अपने अर्थ के अनुसार ही स्टॉक मार्केट में कार्य करता है।

ऑप्शंस ट्रेडिंग में आपको शेयर खरीदने के लिए बहोत सारे विकल्प मिल जायेंगे जिसमे आप अपने बजट के अनुसार शेयर को खरीद और बेच सकते है। इसमें कम लागत में अधिक लाभ कमा सकते है वो भी कम जोखिम में।

कॉल ऑप्शन क्या है ? (What is Call Option?)

कॉल ऑप्शन, ऑप्शंस ट्रेडिंग का ही एक हिस्सा होता है जिसमे मार्केट के इंडेक्स के माध्यम से देख कर सावधानी पूर्वक शेयर या लोट को उसके प्रीमियम के कीमत के आधार पर खरीदना होता है।

इसमें एक समय सिमा निर्धारित होती है जिसके अनुसार मार्केट में उतार चढ़ाओ बना रहता है और इसमें आप अपने अनुसार समय सिमा चुन सकते है।

कॉल ऑप्शन में स्ट्राइक प्राइस के ऊपर के खरीद को कॉल ऑप्शन कहते है इसका सही मतलब मार्केट के वृद्धि से होता है अगर मार्केट स्ट्राइक प्राइस से ऊपर चली जाती है जो मार्केट की तेजी को दर्शाता है उस समय हमे कॉल ऑप्शन को खरीदना होता है।

पुट ऑप्शंस क्या है ? (What are put options?)

पुट ऑप्शन में स्ट्राइक प्राइस के नीचे के खरीद को पुट ऑप्शन कहते है पुट ऑप्शन कॉल ऑप्शन की तरह ही काम करता है इसमें भी सारे कॉल ऑप्शन के तरह ही शेयर को खरीदा और बेचा जाता है बस फर्क इतना है कि इसमें स्ट्राइक प्राइस के नीचे या कॉल ऑप्शन के विपरीत शेयर खरीदा जाता है जिसका मतलब मार्केट में मंदी से है अगर मार्केट में गिरावट हो तब हमे पुट ऑप्शन को खरीदना चाहिए।

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फ्यूचर्स ट्रेडिंग क्या है ?

स्टॉक मार्केट (Stock Market) में फ्यूचर्स ट्रेडिंग (Futures Trading) का अहम रोल होता है फ्यूचर्स ट्रेडिंग (Future trading) डेरीवेटिव मार्केट (Derivative Market) का एक अहम हिस्सा है जिसका एक अपना ट्रेडिंग Base होता है इसमें लोग फ्यूचर को को आधार मानकर ट्रेडिंग करते है। इसे हम उदाहरण से समझते है –

ऑप्शंस ट्रेडिंग क्या है ?

जिस प्रकार स्टॉक मार्केट (Stock Market) में फ्यूचर्स ट्रेडिंग (Futures Trading) का अहम रोल है उसी प्रकार ऑप्शंस ट्रेडिंग (Options Trading) का भी महत्व पूर्ण भूमिका होता है ऑप्शंस ट्रेडिंग का अर्थ विकल्प होता है जो अपने अर्थ के अनुसार ही स्टॉक मार्केट में कार्य करता है।

कॉल ऑप्शन क्या है ?

कॉल ऑप्शन, ऑप्शंस ट्रेडिंग का ही एक हिस्सा होता है जिसमे मार्केट के इंडेक्स के माध्यम से देख कर सावधानी पूर्वक शेयर या लोट को उसके प्रीमियम के कीमत के आधार पर खरीदना होता है।

पुट ऑप्शंस क्या है ?

पुट ऑप्शन में स्ट्राइक प्राइस के नीचे के खरीद को पुट ऑप्शन कहते है पुट ऑप्शन कॉल ऑप्शन की तरह ही काम करता है इसमें भी सारे कॉल ऑप्शन के तरह ही शेयर को खरीदा और बेचा जाता है बस फर्क इतना है कि इसमें स्ट्राइक प्राइस के नीचे या कॉल ऑप्शन के विपरीत शेयर खरीदा जाता है जिसका मतलब मार्केट में मंदी से है अगर मार्केट में गिरावट हो तब हमे पुट ऑप्शन को खरीदना चाहिए।

कॉल ऑप्शन के ब्रेक-इवन पॉइंट को कैसे निर्धारित करें

जब आप कॉल विकल्प खरीदते हैं, तो यह जानना महत्वपूर्ण है कि आपका ब्रेक-ईवन बिंदु कहां है ताकि आप यह जान सकें कि आप संभावित रूप से कैश रजिस्टर, या व्यापार से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। कॉल विकल्प एक वित्तीय साधन है जो आपको विकल्प समाप्त होने से पहले एक पूर्व निर्धारित कीमत पर स्टॉक जैसे किसी विशेष संपत्ति को खरीदने का अधिकार देता है। ब्रेक-ईवन बिंदु अंतर्निहित परिसंपत्ति की कीमत है जिस पर आप शून्य डॉलर बनाते हैं; आप न तो हारते हैं और न ही धन प्राप्त करते हैं। जब अंतर्निहित परिसंपत्ति की कीमत ब्रेक प्वाइंट से अधिक हो जाती है तो आप व्यापार से लाभ प्राप्त करना शुरू करते हैं।

किसी भी वित्तीय वेबसाइट पर जाएँ जो कॉल ऑप्शन का उदाहरण विकल्प उद्धरण प्रदान करती है। विकल्प उद्धरण टेक्स्ट बॉक्स में स्टॉक का टिकर प्रतीक टाइप करें और उस स्टॉक के लिए उपलब्ध विकल्पों पर जानकारी की तालिका देखने के लिए "विकल्प प्राप्त करें" पर क्लिक करें। वैकल्पिक रूप से, अपने ब्रोकर के ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर स्टॉक या अन्य प्रकार के निवेश पर विकल्पों के लिए जानकारी को खींचें।

अपने इच्छित कॉल विकल्प के स्ट्राइक मूल्य का पता लगाएं। स्ट्राइक मूल्य वह कीमत है जिसके लिए विकल्प आपको अंतर्निहित संपत्ति खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं। उदाहरण के लिए, यदि किसी स्टॉक पर कॉल विकल्प में $ 25 का स्ट्राइक मूल्य है, तो विकल्प समाप्त होने से पहले आपके पास $ 25 के लिए स्टॉक खरीदने का अधिकार है।

कॉल विकल्प की कीमत पूछें, या प्रीमियम, विकल्प खरीदने के लिए आवश्यक राशि है। इस उदाहरण में, मान लें कि विकल्प का मूल्य $ 3 है।

कॉल विकल्प के विराम-बिंदु को निर्धारित करने के लिए स्ट्राइक मूल्य और पूछ मूल्य जोड़ें। उदाहरण को छोड़कर, $ 25 का विराम-बिंदु प्राप्त करने के लिए $ 3 और $ 28 जोड़ें। इसका मतलब है कि जब स्टॉक की कीमत $ 28 से अधिक हो जाती है तो विकल्प लाभदायक होगा।

  • स्टॉक विकल्प अनुबंध प्रति शेयर के आधार पर उद्धृत किए जाते हैं। एक अनुबंध आपको स्टॉक के 100 शेयर खरीदने का अधिकार देता है। एक अनुबंध की कुल लागत का पता लगाने के लिए, 100 द्वारा पूछ मूल्य गुणा करें। पिछले उदाहरण में, एक अनुबंध की लागत $ 300, या $ 3 बार 100 है, और आपको $ 100 के लिए 2,500 शेयर खरीदने का अधिकार देता है।

लेखक: Kate Phillips

केट फिलिप्स 37 वर्षीय पत्रकार हैं। व्यवस्था करनेवाला। वास्तव में विनम्र समस्या सॉल्वर। ईविल ज़ोंबी उत्साही। ट्विटर फैन। फ्रीलांस पॉप कल्चर कट्टरपंथी।

इनकम टैक्स ने कैसे पकड़ा शेयर ब्रोकर्स के बड़े नेटवर्क का काला कारोबार

मुंबई के इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन टीम ने पूरे देश में फैले शेयर ब्रोकर्स के ऐसे नेटवर्क का पर्दाफाश किया है. शेयर बाजार में ब्रोकर्स कई कंपनियों के घाटे और लाभ को फर्जी वायदा कारोबार के जरिए एडजस्ट कराते थे. ऐसे फर्जी कारोबार को रिवर्सल ट्रेड भी कहते हैं.

इनकम टैक्स विभाग ने की छापेमारी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

दीपू राय

  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2019,
  • (अपडेटेड 09 दिसंबर 2019, 12:47 PM IST)

मुंबई की इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन टीम ने पूरे देश में फैले शेयर ब्रोकर्स के ऐसे नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जो फर्जी ट्रेड करके अपने कस्टमर के घाटे और लाभ के साथ कालेधन को भी साफ करते थे. टैक्स विभाग ने देशभर में ब्रोकर्स के कई ठिकानों पर छापे मारकर करीब 6,000 करोड़ रुपये की फर्जी ट्रेडिंग को पकड़ा है.

टैक्स अधिकारी ने कहा, ''अभी तो यह शुरुआत भर है, हम जल्द ही बड़ी मछलियों तक पहुंचने वाले हैं. शेयर बाजार को पारदर्शी बनाने के लिए जरूरी है कि ऐसे लोगों को इससे बाहर किया जाए.'' टैक्स अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर इंडिया टुडे से कहा कि इसमें बुलियन कारोबार से जड़ी कंपनियों के अलावा कई बड़े ब्रोकरेज हाउस भी हैं. इस ऑपरेशन के बाद हमें कई बड़े सुराग मिले हैं.

दिल्ली-एनसीआर में छापेमारी

टैक्स विभाग ने दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, मुंबई, कानपुर, कोलकाता जैसे शहरों में ब्रोकर्स और ट्रेडिंग मेंबर्स के कुल 39 ठिकानों पर छापेमारी की. छापेमारी की कार्रवाई मंगलवार सुबह से शुरू होकर शनिवार को खत्म हुई. वित्त मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी का कहना है कि ये ब्रोकर्स टैक्स चुराने वालों को मदद करते हैं.'' ब्रोकर्स खुद और दूसरे अन्य ब्रोकर्स के साथ साजिश करके खुद ही सौदा काट लेते थे. सबकुछ पहले से तय होता था कि किस क्लाइंट के ट्रेड को घाटा दिखाना है किसे फायदा. ज्यादातर ये जालसाजी का ट्रेड वायदा कारोबार के तहत ईलिक्विड ऑप्संस में हो रहा था.''

ट्रडिंग को किया मॉनिटर

छापेमारी से पहले छह महीने तक इन ब्रोकर्स के ट्रेडिंग को मॉनिटर किया. उसके बाद संदेहास्पद ट्रेडिंग से जुड़े आंकड़ों को लेकर मुंबई टैक्स इन्वेस्टिगेशन टीम के नेतृत्व में करीब 90 टैक्स अधिकारियों ने पूरे देश में ऐसे ब्रोकर्स के ठिकानों पर कॉल ऑप्शन का उदाहरण धावा बोल दिया. टैक्स अधिकारी ने कहा कि जिन ब्रोकर्स के यहां छापेमारी हुई है उनमें से करीब 80 फीसदी ब्रोकर्स ने अपने शुरुआती बयान में ये मान लिया कि क्लाइंट के लिए ये गलत काम कर रहे थे.

शेयर बाजार के रेगुलेटर सेबी ने भी समय-समय पर वादी करोबार से जुड़े सिंक्रोनाइज्ड ट्रेडिंग के जरिए गलत काम करने वालों पर सवाल उठाया है.

कैसे काम करता है डेरिवेटिव मार्केट?

आम लोग यही समझते हैं कि पैसे देकर शेयर खरीद लिए जाते हैं और बेचने वालों को पैसा मिल जाता है. लेकिन बड़ा कारोबार इससे अलग होता है, जिसे वायदा कारोबार या डेरिवेटिव कहते हैं. इसमें शेयरों की डिलिवरी नहीं होती. यहां शेयर का दाम कहां तक पहुंचेगा इस सपने का कारोबार होता है. इसे अंग्रेजी में 'अंडरलाइंग एसेट वैल्यू' कहते हैं.

शेयर खरीदने-बेचने के लिए कॉन्ट्रैक्ट

खरीदने और बेचने वाले में एक समझौता होता है कि एक तय समय सीमा और कीमत पर दूसरी पार्टी इन शेयर को खरीदेगी. इसे फ्यूचर डेरिवेटिव कहते हैं. मान लीजिए रमेश और सुरेश एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट करते हैं. कॉन्ट्रैक्ट की शर्त ये है कि रमेश XYZ बैंक के 100 शेयर 500 रुपये प्रति शेयर के रेट से अगले दो महीने के भीतर खरीद लेगा. इस बीच शेयर की कीमत 450 रुपये पर आ जाती है. ऐसे में रमेश को कॉन्ट्रैक्ट पर तय कीमत से 50 रुपये का नोशनल घाटा होने लगा. अब रमेश के पास दो विकल्प (ऑप्शन) हैं. या तो वो कॉन्ट्रैक्ट को दो महीने की एक्सपायर तारीख से पहले सेटल कर ले और सुरेश को 50 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से पैसा दे दे.

दूसरा ऑप्शन ये है कि रमेश एक्सपायरी तारीख (दो महीना) तक इंतजार करे. दूसरा- मान लीजिए एक्सापयरी के दिन XYZ की कीमत 475 रुपये पर आ जाती है, यानी तय कॉन्ट्रैक्ट के समय की कीमत से 15 रुपये कम. ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट के एक्सपायर के समय रमेश को (15 रुपये X 100 शेयर) के हिसाब से सुरेश को 1500 रुपये देना होगा. गौर करिए, यहां वास्तव किसी फिजिकल शेयर का लेन-देन नहीं है. इस फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में रमेश ये कह कर कन्नी नहीं काट सकता है कि शेयर की कीमत उसके उम्मीद के मुताबिक नहीं है.

ये भी हैं विकल्प

लेकिन शेयर बाजार ने रमेश जैसे लोगों के लिए दो और विकल्प ढूंढ निकाले, जिसे ऑप्शन डेरिवेटिव कहते हैं. इसमें आपके पास ऑप्शंस होता है कि आप कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों को पूरी तरह नहीं मानें. बस इस न मानने के लिए कॉन्ट्रैक्ट के वक्त सुरेश को थोड़ा पैसा दें दे. इसे घूस नहीं, शेयर बाजार इसे ‘प्रीमियम’ कहते हैं. ये ऑप्शन भी दो तरह के होते हैं अगर आप खरीदने का विकल्प लेते हैं तो इसे 'कॉल ऑप्शन' कहा जाएगा और बेचने के का विकल्प चुनते हैं तो ‘पुट ऑप्शन’. इस प्रीमियम को देकर रमेश XYZ के शेयर की कीमत में होने वाले घाटे के जोखिम को कम कर सकता है और अगर दो महीने में (एक्सपायरी तक ) शेयर की कीमत 500 से ऊपर हो जाती है तो पूरा फायदा रमेश को मिलेगा क्योंकि तय शर्त के मुताबिक उसे केवल हर शेयर के लिए 500 रुपये चुकाने हैं.

आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत सहित शेयर बाजार के कुल टर्नओवर का बड़ा हिस्सा डेरिवेटिव में होता है. उदाहरण के लिए हमने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बांबे स्टॉक एक्सचेंज को पिछले पांच दिनों के मार्केट टर्नओवर को देखा. 97 फीसदी से ज्यादा कारोबार डेरिवेटिव यानी फ्यूचर एंड ऑप्शन जिसे बाजार में एफ एंड ओ भी कहा जाता है. डेरिवेवटिव या वायदा कारोबार आज की तारीख में हर बाजार में होता है चाहे वो शेयर बाजार हो या फिर करेंसी हो या कमोडिटी.

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आखिर शेयर ब्रोकर्स कैसे फायदा पहुंचाते थे?

टैक्स विभाग ने देखा कि कुछ ब्रोकर्स खुद दो पार्टी बनकर या अपने जैसे ब्रोकर्स को पार्टी बनाकर सौदे को अंजाम दे रहे हैं. ये सौदे उन शेयरों हो रहे है जो ईलिक्विड है यानी जहां सौदे बहुत कम हो रहे थे. उदाहरण के लिए रमेश का क्लाइंट Z है जिसे चालू साल में घाटा हुआ है और वो चाहता है कि उसका काला धन इस बाजार के जरिए सफेद हो जाए. दूसरी ओर Y है, जिन्हें बिजनेस गेन यानी मुनाफा हुआ है और वो चाहते हैं कि उन्हे लॉस यानी नुकसान हो जाए ताकी फायदे को एडजस्ट किया जा सके. कुल मिलाकर टैक्स न देना पड़े. तीसरा ऐसा क्लाइंट है जिन्होंने भारी भरकम बैंक लोन लिया है लेकिन उनका बिजनेस ठीक नहीं चल रहा है. उन्हें डर है कि बैंक लोन को वापस ले सकता है या फिर चार्ज बढ़ा देगा. उन्हें फर्जी मुनाफा चाहिए.

ये ब्रोकर्स कमीशन लेकर इन तीनों जरूरतों को डेरिवेटिव मार्केट से पूरा कर रहे थे.

मान लीजिए Z और Y एक ऐसे ही ब्रोकर के क्लाइंट हैं, जिसमें से एक को (Z) नुकसान दिखाना है और दूसरे (Y) को मुनाफा. ब्रोकर ने एक ऐसे शेयर को चुना जहां बहुत ज्यादा ट्रेड नहीं हो रहा है और खुद ही बायर और सेलर बनकर ट्रेड को अंजाम दे गया. रिवर्स बाय एंड सेल यानी खरीद-बिक्री के उल्टे ट्रेड के जरिए दोनों क्लाइंट Y और Z की जरूरत को पूरा कर दिया. यही काम दो से अधिक ब्रोकर ने मिलकर भी किया है. टैक्स विभाग ने पाया कि देश भर में कुछ ब्रोकर्स अपने क्लाइंट को इस तरह की सुविधा दे रहे हैं.

छापेमारी में मिले गोरखधंधे करने वाली कंपनियों के शामिल होने के संकेत

इनकम टैक्स विभाग की सबसे बड़ी बॉडी सीबीडीटी ने कहा कि इस छापेमारी में उनके विभाग को तीन पेनी स्टॉक और कुछ बड़े गोरखधंधे करने वाली कंपनियों के शामिल होने के संकेत मिले हैं. सीबीडीटी ने इस छापेमारी के बाद कहा कि “मुनाफा और नुकसान उठाने वाली कुछ कंपनियों ने इस गलत तरीके का इस्तेमाल किया है. एक अनुमान के मुताबिक इसके जरिए करीब 3500 करोड़ को एडजस्ट किया गया है. हाल के सर्च और सर्वे से गलत तरीके से लबी अवधि वाले यानी लॉग टर्म गेन दिखाने वालों का भी पता चला है, जिन्होंने तीन पेनी स्टॉक्स के जरिए करीब 2000 करोड़ रुपये के मुनाफे में हेराफेरी की है”.

Straddle- स्ट्रैडल

क्या होता है स्ट्रैडल?
स्ट्रैडल (Straddle) एक न्यूट्रल ऑप्शन स्ट्रेटजी है, जिसमें एक ही साथ समान स्ट्राइक प्राइस और समान एक्सपाइरेशन डेट के साथ अंडरलाइंग सिक्योरिटी के लिए पुट ऑप्शन और काॅल ऑप्शन दोनों की खरीद शामिल होती है। ट्रेडर लॉन्ग स्ट्रैडल कॉल ऑप्शन का उदाहरण से लाभ तब प्राप्त करेगा, जब सिक्योरिटी की कीमत भुगतान किए गए प्रीमियम की कुल लागत से अधिक की राशि द्वारा स्ट्राइक प्राइस से बढ़ती या गिरती है। लाभ की संभावित वैल्यू वास्तव में असीमित होती है, जब तक कि अंडरलाइंग सिक्योरिटी की कीमत बहुत तेजी से मूव होती रहे।

मुख्य बातें
- स्ट्रैडल न्यूट्रल ऑप्शन स्ट्रेटजी है जिसमें एक ही साथ समान अंडरलाइंग पर समान एक्सपाइरेशन डेट और स्ट्राइक प्राइस के लिए पुट ऑप्शन व कॉल ऑप्शन दोनों की खरीद शामिल होती है।
- यह स्ट्रेटजी तभी लाभदायक साबित होती है, जब स्टॉक भुगतान किए गए प्रीमियम की कुल लागत से अधिक की राशि द्वारा स्ट्राइक प्राइस से बढ़ता या गिरता है।
- स्ट्रैडल का तात्पर्य है कि एक्सपाइरेशन तिथि तक सिक्योरिटी की अपेक्षित अस्थिरता या ट्रेडिंग रेंज क्या हो सकती है।

स्ट्रैडल को समझना
व्यापक रूप से फाइनेंस में स्ट्रैडल स्ट्रेटजी दो विभिन्न ट्रांजेक्शन को संदर्भित करती है, जिसमें दोनों ही समान अंडरलाइंग सिक्योरिटी से संबंधित होते हैं जिसमें दो कंपोनेंट ट्रांजेक्शन एक दूसरे को ऑफसेट करते हैं। निवेशक तब स्ट्रैडल का उपयोग करने की तरफ प्रवृत्त होते हैं, जब वे किसी स्टॉक की कीमत में उल्लेखनीय मूव का अनुमान लगाते हैं लेकिन इसके बारे में निश्चित नहीं होते कि कीमत ऊपर जाएगी या नीचे जाएगी। स्ट्रैडल, ट्रेडर को इसके बारे में दो उल्लेखनीय सुराग दे सकता है कि ऑप्शन मार्केट किसी स्टॉक के बारे में क्या सोचता है। पहली बात अस्थिरता है जो मार्केट सिक्योरिटी से अपेक्षा करता है। दूसरा एक्सपाइरेशन तिथि तक स्टाॅक की संभावित ट्रेडिंग रेंज है।

स्ट्रैडल को एक साथ रखना
स्ट्रैडल के निर्माण की लागत का निर्धारण करने के लिए पुट और कॉल दोनों की ही कीमत को एक साथ जोड़ा जाना जरूरी है। उदाहरण के लिए अगर ट्रेडर का विश्वास है कि 1 मार्च को आय के बाद स्टॉक 55 डॉलर के अपने वर्तमान मूल्य से बढ़ या घट सकता है तो वह स्ट्रैडल का निर्माण करेगा।

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