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बाज़ार बेचना

बाज़ार बेचना
मप्र सरकार ने किसानों से खरीदा प्याज खुले बाजार में बेचना किया शुरू, 90% स्‍टॉक बिकेगा दो हफ्ते में

शहरी क्षेत्रों में सब्जी बेचने वालों को बाजार शुल्क से राहत

बाजार शुल्क समाप्त होने के बाद राहत की सांस लेती एक सब्जी विक्रेता

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने सब्जी व्यवसायी और घूम घूमकर सब्जी बेचने वालों को बड़ी राहत दी है.शहरी क्षेत्रों में सब् . अधिक पढ़ें

  • News18 Chhattisgarh
  • Last Updated : September 12, 2018, 17:23 IST

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने सब्जी व्यवसायी और घूम घूमकर सब्जी बेचने वालों को बड़ी राहत दी है.अब बालोद के शहरी क्षेत्रों में सब्जी बेचने वालों को बाजार शुल्क नहीं देना होगा.छत्तीस प्रदेश के नगरीय प्रशासन विभाग के इस आदेश के बाद प्रदेश भर के नगरीय निकाय क्षेत्रो में दूर दराज व ग्रामीण इलाकों से आकर साग सब्जी के ठेला-पटरी लगाने वालों के चेहरे पर खुशी साफ़ देखने को मिल रही है.खुशी न केवल इनको शुल्क माफ़ी की है बल्कि इस बात की भी है कि इन्हें साप्ताहिक बाजार में अपने साग सब्जी बेचने के दौरान बाजार के ठेकेदारों के आतंक का भी सामना करना पड़ता था, उससे छुटकारा मिला है.हर साल एक फुटकर व्यवसायी को अपने सामन बेचने के लिए ठेकेदारों को 2 से 3 हजार रूपये टैक्स देने पड़ते थे वो पैसे भी इनके बचेंगे.इससे इन गरीब तबके के लोगों की आर्थिक स्थिति में भी कुछ हद तक सुदृढ़ता बाज़ार बेचना आने की बात कही जा रही है.

यह आदेश एक तारीख से शहरी क्षेत्रों में लागू हो बाज़ार बेचना गया है.इसका सीधा लाभ सैकड़ों छोटे सब्जी किसानों को होगा.दरअसल शासन के इस आदेश से बड़े व्यापारियों को तो ज्यादा राहत नहीं है लेकिन ग्रामीण इलाकों से ऐसे छोटे छोटे किसान जो थोड़े मात्रा में अपने खेतों में लगाए सब्जी को बाजार लाते थे लेकिन कभी-कभी इन्हें अपने कमाई से ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ जाता था, उनको राहत मिलेगी.कभी-कभी शुल्क के पैसे ना होने पर ठेकेदारों के आतंक को भी सहना पड़ता था.इसके बाद अब सब्जी के दामों में भी थोड़ी कमी आएगी क्योंकि विक्रेताओं को पसरा के हिसाब से बाजार शुल्क देना होता था.यह शुल्क व्यवसायी सब्जी पर जोड़ देते थे. बाजार शुल्क समाप्त हो जाने के बाद छोटे सब्जी किसानों के महीने में 200-300 रुपयों की बचत होगी.

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सैनिकों की कैंसर दवाएं खुले बाज़ार में बेचने वाले गैंग का पर्दाफाश, 2 अरेस्ट

मुनाफे के लिए कोई कितना भी गिर सकता है. यहां तक कि सैनिकों के लिए महंगी कैंसर दवाइयों को खुले बाजार में भी बेच सकता है. दिल्ली पुलिस के एंटी-ऑटो थेफ्ट स्क्वॉड ने ऐसे ही एक गैंग का पर्दाफाश किया है.

पुलिस की गिरफ्त में कैंसर दवाइयों का गैंग (फोटो-अरविंद ओझा)

अरविंद ओझा/चिराग गोठी

  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2019,
  • (अपडेटेड 23 सितंबर 2019, 7:12 PM IST)
  • अभियुक्त के दफ्तर से बड़ी मात्रा में कैंसर की दवाइयां ज़ब्त की गई हैं
  • दाम में भारी अंतर से कमाया जा रहा था मोटा मुनाफ़ा, 2 भाई गिरफ्तार

मुनाफ़े के लिए कोई कितना भी गिर सकता है. यहां तक कि सैनिकों के लिए महंगी कैंसर दवाइयों को खुले बाज़ार में भी बेच सकता है. दिल्ली पुलिस के एंटी-ऑटो थेफ्ट स्क्वॉड (AATS) ने ऐसे ही एक गैंग का पर्दाफाश किया है.

AATS- East को 20 सितंबर को इस गैंग के बारे में सूचना मिली. इसके मुताबिक एक गैंग कैंसर की ऐसी महंगी दवाओं को खुले बाज़ार में बेच रहा है जो सिर्फ ‘डिफेंस और ESI डिस्पेन्सरीज़’ के इस्तेमाल के लिए बनी हैं. इस सूचना को गंभीरता से लिया गया और जांच के लिए AATS इंस्पेक्टर दिनेश आर्य के नेतृत्व में टीम बनाई गई. टीम ने सुराग मिलने के बाद विकास मार्ग स्थित भारत पेट्रोल पम्प पर घेरा डाला. सुबह करीब 11.50 बजे एक संदिग्ध शख्स बाज़ार बेचना एक बैग के साथ स्कूटी पर आया.

टीम ने संदिग्ध के बैग की तलाशी ली तो उसमें महंगी दवाओं के पांच पैकेट मिले. इन पैकेटों पर लिखा था- “Sale in Defence and ESI only”. संदिग्ध की पहचान ध्रुवनाथ झा के तौर पर हुई. ध्रुवनाथ विजय घाट के पास कृषि फार्म का रहने वाला है.

प्रीत विहार पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 409, 380, 411, 120बी के तहत केस दर्ज किया गया है. पूछताछ के दौरान ओम नाथ झा का नाम भी सामने आया. ओम नाथ को दिल्ली में लक्ष्मीनगर स्थित उसके दफ्तर से पकड़ा गया. ध्रुवनाथ और ओमनाथ सगे भाई हैं.

अभियुक्त के दफ्तर से बड़ी मात्रा में दवा ज़ब्त की गई है. यहां से ऐसा केमिकल भी ज़ब्त किया गया जिसका इस्तेमाल ईएसआई और डिफेन्स की मुहर को दवाओं के पैकेट से मिटाने के काम आता था.

पूछताछ के दौरान दोनों अभियुक्तों ने स्वीकार किया कि इसी तरह बाज़ार बेचना की दवाओं की आपूर्ति करने का काम बड़ा गैंग कर रहा है. इसके तार ग्वालियर, मुंबई, गाज़ियाबाद और नोएडा से जुड़े हैं. वहीं से उसे ये दवाएं बड़े सस्ते दाम में मिलीं.

पकड़े गए अभियुक्त ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए मरीजों को सस्ते दामों पर ये दवाएं बेचते थे. AATS के मुताबिक ज़ब्त की गई दवाओं का बाज़ार मूल्य करीब 30 लाख रुपये है. पुलिस इस मामले में आगे जांच कर रही है.

मप्र सरकार ने किसानों से खरीदा प्याज खुले बाजार में बेचना शुरु किया

किसानों से खरीदे गए करीब 9.5 लाख टन प्याज को आज से बेचना शुरु करते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने उम्मीद जताई कि इसमें से 90 फीसदी खेप अगले दो हफ्ते में बिक जाएगी।

Abhishek Shrivastava
Published on: July 23, 2016 17:57 IST

मप्र सरकार ने किसानों से खरीदा प्याज खुले बाजार में बेचना किया शुरू, 90% स्‍टॉक बिकेगा दो हफ्ते में- India TV Hindi

मप्र सरकार ने किसानों से खरीदा प्याज खुले बाजार में बेचना किया शुरू, 90% स्‍टॉक बिकेगा दो हफ्ते में

इंदौर। किसानों से खरीदे गए करीब 9.5 लाख टन प्याज को आज से बेचना शुरू करते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने उम्मीद जताई कि इसमें से 90 फीसदी खेप अगले दो हफ्ते में बिक जाएगी। प्रदेश के मुख्य सचिव एंटोनी डीसा ने कहा, हमने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर किसानों से खरीदे गए प्याज की आज से चार रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिक्री शुरू कर दी है। हमें उम्मीद है कि इसमें से 90 फीसदी प्याज अगले दो हफ्ते में बिक जाएगी।

एंटोनी ने बताया, अच्छी गुणवत्त्ता की जो प्याज बचेगी, हम उसे भंडारित कर लेंगे। इस प्याज की बिक्री सितंबर में की जाएगी। प्याज की कीमतें थोक बाजार में लुढ़कने के बाद किसानों को घाटे से बचाने के लिए प्रदेश सरकार ने चार जून से 30 जून के बीच किसानों से छह रुपए प्रति किलोग्राम की दर पर 1,04,000 बाज़ार बेचना टन प्याज की खरीद की थी। यह खरीद मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) के जरिए कराई गई थी और इस प्याज की बिक्री का जिम्मा भी इसी एजेंसी को दिया गया है।

मार्कफेड के महाप्रबंधक (खरीद) योगेश जोशी ने बताया कि खराब प्याज की छंटाई के बाद प्रदेश सरकार के पास बाज़ार बेचना करीब 9.5 लाख टन प्याज खुले बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध है। छह अगस्त तक चलने वाली इस बिक्री के लिए राज्य भर में 659 केंद्र बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि किसानों से खरीदे गए प्याज की नीलामी के लिए प्रदेश सरकार ने दो बार टेंडर जारी किए थे। दोनों दफा नीलामी प्रक्रिया में 60 पैसे से लेकर तीन रुपए 16 पैसे तक की बोलियां लगाई बाज़ार बेचना गई थीं।

जोशी ने बताया, हमने तय किया है कि जिन लोगों ने तीन रुपए या इससे ज्यादा कीमत की बोली लगायी, उन्हें प्याज बेच दिया जाए। हालांकि, इस मूल्य वर्ग की बोली लगाने वालों ने कुल 100 टन प्याज ही खरीदने की इच्छा जताई है।

यह भी पढ़ें- मध्यप्रदेश में प्याज भंडारण के लिए पांच लाख टन क्षमता के नए गोदाम बनेंगे, किसानों को होगा फायदा

खुले में लगती है मीट बाजार, अन्य दुकानदारों का व्यापार हो रहा प्रभावित

तहसील मुख्यालय में रविवार को लगने वाले हाट बाजार में मांस की बिक्री जिस तरह हो रही है उससे सभी प्रभावित हैं।गंदगी के साथ ही अन्य दुकानदार और खरीदारी करने आए लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।ग्राम पंचायत से मीट बाजार दूसरे जगह लगाए जाने कई बार लोगों ने मांग रखी इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

खुले में लगती है मीट बाजार, अन्य दुकानदारों का व्यापार हो रहा प्रभावित

तहसील मुख्यालय में रविवार को लगने वाले हाट बाजार में मांस की बिक्री जिस तरह हो रही है उससे सभी प्रभावित हैं।गंदगी के साथ ही अन्य दुकानदार और खरीदारी करने आए लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।ग्राम पंचायत से मीट बाजार दूसरे जगह लगाए जाने कई बार लोगों ने मांग रखी इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

ग्राम पंचायत के द्वारा सप्ताहिक हाट बाजार का ठेका देकर बकायदा दुकानदारों से बैठ की के रूप में 50 से 100 रुपये वसूल बाज़ार बेचना करते हैं जिसका लगभग सालाना सात से आठ लाख की वसूली की जाती है। ग्राम पंचायत के द्वारा स्थाई तौर पर मांस बेचने वालों को स्थाई दुकान ना देने के कारण मांस बेचने वाले खुले में दुकान लगाते हैं।मीट दुकानदारों ने कहा कि हम मजबूरी में खुले में मांस बेचना पड़ता है हमें कोई सुविधा नहीं दी जाती है।पंचायत साप्ताहिक हाट बाजार को ठेके पर देकर राशि वसूली का कार्य किया जा रहा है और मांस बेचने वाले 100 से 200 रुपये हर हफ्ते ठेकेदार वसूल करता है पर सुविधा देने के नाम पर कोई काम नहीं हो रहा है जबकि वहीं पर हैंड पंप भी स्थापित होने के कारण लोगों को अपनी गर्मी में प्यास बुझाने के लिए हैंडपंप का सहारा लेना पड़ता है। मगर मजबूरी में आसपास में बिक रही मांस मछलियों की दुकान की बदबू को देखते हुए मजबूरी में लोगों को पानी पीना पड़ता है। मांस विक्रय स्थल के आसपास मांस के टुकड़े भेज दिए जाते हैं जिससे श्वानों का झुंड लगा रहता है।आसपास जो अन्य दुकानें बाज़ार बेचना लगती है उसमें जब लोग खरीदी करने आते हैं तो बदबूदार एवं खून से लथपथ मांस को देखकर असहजता का सामना करना पड़ता है। बाजार में एक ही परिसर पर सब्जी, मनिहारी के साथ बाज़ार बेचना मीट की बिक्री होने से अगल बगल के दुकानदारों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है इसके अलावा बिक्री में भी असर पड़ता है।कई बार पंचायत में भी कहा गया कि मांस विक्रय स्थल किसी अन्य जगह पर स्थानांतरित कराने पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।जब लोग सब्जी लेने या बर्तन या अन्य दुकाने जो आसपास लगती हैं उससे लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। दुकानदारों एवं ग्राहकों ने मांग की है कि मांस दुकान को स्थाई तौर पर बाउंड्री बनाकर उस बाउंड्री के अंदर मांस बेचने की व्यवस्था की जाए जिससे लोगों को राहत मिल सके।

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