विदेशी मुद्रा खाता मुद्रा

Published on: August 20, 2022 16:32 IST
विदेशी मुद्रा खाता मुद्रा
विदेशी मुद्रा (Videshi mudra ) मीनिंग : Meaning of विदेशी मुद्रा in English - Definition and Translation
- ShabdKhoj
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विदेशी मुद्रा MEANING IN ENGLISH - EXACT MATCHES
उदाहरण : रिजर्व बैंक के अनुमोदन के पश्चात बैंक विदेशी मुद्रा कारोबार कर सकते हैं।
Usage : Banks can participate in forex business after obtaining RBI approval.
उदाहरण : विदेशी मुद्रा की दर प्रतिदिन बदलती रहती है।
Usage : The rate of foreign exchange varies daily.
OTHER RELATED WORDS
Usage : 11. However, students studying at UK institutions, who are not nationals of an EEA country, can work subject to certain conditions. 11
Usage : Rumours were afloat about the Persian and Russian armies coming to oust the Ferangis from this land.
उदाहरण : विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम में संशोधन किया जाना है।
Usage : Foreign Exchange Regulation Act to be amended .
Information provided about विदेशी मुद्रा ( Videshi mudra ):
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भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में आई भारी गिरावट, जानिए कितना बचा है देश के पास रिजर्व
एक बार फिर विदेशी मुद्रा खाता मुद्रा भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Reserves) में कमी देखी जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, यह 2.7 अरब डॉलर घटकर 506.994 अरब डॉलर रह गया है।
Edited By: India TV Business Desk
Published on: August 20, 2022 16:32 IST
Photo:INDIA TV भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में आई भारी गिरावट
Indian Foreign Reserves: एक बार फिर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Reserves) में कमी देखी जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, यह 2.7 अरब डॉलर घटकर 506.994 अरब डॉलर रह गया है। इससे पहले 29 जुलाई को भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 2.4 अरब डॉलर का इजाफा हुआ था।
क्या कहता है आरबीआई?
विदेशी मुद्रा भंडार घटने के पीछे विश्व में आर्थिक मंदी आने के संकेत भी है। भारतीय रिजर्व बैंक इसे कंट्रोल करने की लगातार कोशिशें कर रहा है। उसके हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है। आरबीआई अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है। अध्ययन में 2007 से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है। केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है। केंद्रीय बैंक यदि बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है। हालांकि, रिजर्व बैंक मुद्रा को लेकर कभी भी लक्षित स्तर नहीं देता है।
यूक्रेन-रूस युद्ध है इसका कारण
आरबीआई के वित्तीय बाजार संचालन विभाग के सौरभ नाथ, विक्रम राजपूत और गोपालकृष्णन एस के अध्ययन में कहा गया है कि 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भंडार 22 प्रतिशत कम हुआ था। यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद उत्पन्न उतार-चढ़ाव के दौरान इसमें केवल छह प्रतिशत की कमी आई है। अध्ययन में कहा गया है कि इसमें व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह कोई जरूरी नहीं है कि यह केंद्रीय बैंक की सोच से मेल खाए।
रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर अपने हस्तक्षेप उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल रहा है। यह विदेशी मुद्रा भंडार में घटने की कम दर से पता चलता है। अध्ययन के अनुसार, निरपेक्ष रूप से 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के कारण मुद्रा भंडार में 70 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई। जबकि कोविड-19 अवधि के दौरान इसमें 17 अरब डॉलर की ही कमी हुई। वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इस वर्ष 29 जुलाई तक 56 अरब डॉलर की कमी आई है।
अध्ययन में कहा गया है कि उतार-चढ़ाव को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों में ब्याज दर, मुद्रास्फीति, सरकारी कर्ज, चालू खाते का घाटा, जिंसों पर निर्भरता राजनीतिक स्थिरता के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर घटनाक्रम शामिल हैं।
केंद्र को नोटिस : विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए एकसमान बैंकिंग कानून की मांग को लेकर याचिका, कालेधन व बेनामी खरीद-फरोख्त पर रोक के लिए जरूरी
याचिका में कहा है कि रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) और इंस्टेंट मनी पेमेंट सिस्टम (IMPS) का उपयोग भारतीय बैंकों में विदेशी धन जमा करने के लिए नहीं किया जाता है।
दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए एक समान बैंकिंग कानून (uniform banking code) बनाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि कालेधन व बेनामी लेनदेन के लिए एक समान कानून जरूरी है।
याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने प्रतिवादियों से कहा कि वे याचिका में उठाए गए मुद्दों को गंभीरता से लें। भाजपा नेता व वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने यह याचिका दायर की है। उन्होंने याचिका में कहा है कि रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) और इंस्टेंट मनी पेमेंट सिस्टम (IMPS) का उपयोग भारतीय बैंकों में विदेशी धन जमा करने के लिए नहीं किया जाए, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इनके जरिए न केवल देश के विदेशी मुद्रा भंडार को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि अलगाववादियों, कट्टरपंथियों, नक्सलियों, माओवादियों, आतंकियों, देशद्रोहियों, धर्मांतरण माफिया, सिमी व पीएफआई जैसे कट्टरपंथी संगठनों को भी विदेशी धन पहुंच रहा है।
अपनी मांग के समर्थन में उपाध्याय ने याचिका में दलील दी है कि वीसा के लिए आव्रजन नियम एक समान है, भले ही विदेशी व्यक्ति बिजनेस क्लास से सफर करे या इकॉनामी क्लास से। भले वह एयर इंडिया का उपयोग करे या ब्रिटिश एयरवेज का या चाहे वह अमेरिका से आए या यूगांडा से।
इसीलिए उपाध्याय ने कोर्ट से मांग की है कि विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए विदेशी बैंक शाखाओं सहित भारतीय बैंकों में जमा की जाने वाली राशि का विवरण समान प्रारूप में होना चाहिए, चाहे वह चालू खाते में निर्यात भुगतान हो या बचत खाते में वेतन अथवा चैरिटी के चालू खाते या सेवा में दान बतौर YouTuber के खातों में देय शुल्क। इन सब भुगतान के प्रारूप एक समान होना चाहिए। फिर चाहे पैसा पश्चिमी देशों से आ रहा हो या किसी राष्ट्रीय बैंक से अथवा भारत में स्थित किसी विदेशी बैंक से।
भाजपा नेता ने याचिका में कहा है कि फॉरेन इनवर्ड रेमिटेंस सर्टिफिकेट (FIRC) अनिवार्य रूप से जारी होना चाहिए और सभी अंतरराष्ट्रीय व भारतीय बैंकों को उसे भुगतान की लिंक एसएमएस से अवश्य भेजना चाहिए। यदि किसी खाते में विदेशी मुद्रा को रुपये में परिवर्तित कर राशि जमा की जाए तो उसकी सूचना इस तरह से देना चाहिए।
भारत में अंदरुनी रूप से आरटीजीएस, एनईएफटी और आईएमपीएस के जरिए एक खाते से दूसरे खाते में पैसा भेजने की अनुमति सिर्फ किसी व्यक्ति या कंपनी को ही दी जाना चाहिए, किसी अंतरराष्ट्रीय बैंक को इसकी इजाजत नहीं दी जाना चाहिए। इस घरेलू बैंकिंग टूल का इस्तेमाल सिर्फ घरेलू बैंक लेनदेन के लिए ही किया जाना चाहिए।
विस्तार
दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए एक समान बैंकिंग कानून (uniform banking code) बनाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि कालेधन व बेनामी लेनदेन के लिए एक समान कानून जरूरी है।
याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने प्रतिवादियों से कहा कि वे याचिका में उठाए गए मुद्दों को गंभीरता से लें। भाजपा नेता व वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने यह याचिका दायर की है। उन्होंने याचिका में कहा है कि रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) और इंस्टेंट मनी पेमेंट सिस्टम (IMPS) का उपयोग भारतीय बैंकों में विदेशी धन जमा करने के लिए नहीं किया जाए, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इनके जरिए न केवल देश के विदेशी मुद्रा भंडार को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि अलगाववादियों, कट्टरपंथियों, नक्सलियों, माओवादियों, आतंकियों, देशद्रोहियों, धर्मांतरण माफिया, सिमी व पीएफआई जैसे कट्टरपंथी संगठनों को भी विदेशी धन पहुंच रहा है।
अपनी मांग के समर्थन में उपाध्याय ने याचिका में दलील दी है कि वीसा के लिए आव्रजन नियम एक समान है, भले ही विदेशी व्यक्ति बिजनेस क्लास से सफर करे या इकॉनामी क्लास विदेशी मुद्रा खाता मुद्रा विदेशी मुद्रा खाता मुद्रा से। भले वह एयर इंडिया का उपयोग करे या ब्रिटिश एयरवेज का या चाहे वह अमेरिका से आए या यूगांडा से।
इसीलिए उपाध्याय ने कोर्ट से मांग की है कि विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए विदेशी बैंक शाखाओं सहित भारतीय बैंकों में जमा की जाने वाली राशि का विवरण समान प्रारूप में होना चाहिए, चाहे वह चालू खाते में निर्यात भुगतान हो या बचत खाते में वेतन अथवा चैरिटी के चालू खाते या सेवा में दान बतौर YouTuber के खातों में देय शुल्क। इन सब भुगतान के प्रारूप एक समान होना चाहिए। फिर चाहे पैसा पश्चिमी देशों से आ रहा हो या किसी राष्ट्रीय बैंक से अथवा भारत में स्थित किसी विदेशी बैंक से।
भाजपा नेता ने याचिका में कहा है कि फॉरेन इनवर्ड रेमिटेंस सर्टिफिकेट (FIRC) अनिवार्य रूप से जारी होना चाहिए और सभी अंतरराष्ट्रीय व भारतीय बैंकों को उसे भुगतान की लिंक एसएमएस से अवश्य भेजना चाहिए। यदि किसी खाते में विदेशी मुद्रा को रुपये में परिवर्तित कर राशि जमा की जाए तो उसकी सूचना इस तरह से देना चाहिए।
भारत में अंदरुनी रूप से आरटीजीएस, एनईएफटी और आईएमपीएस के जरिए एक खाते से दूसरे खाते में पैसा भेजने की अनुमति सिर्फ किसी व्यक्ति या कंपनी को ही दी जाना चाहिए, किसी अंतरराष्ट्रीय बैंक को इसकी इजाजत नहीं दी जाना चाहिए। इस घरेलू बैंकिंग टूल का इस्तेमाल सिर्फ घरेलू बैंक लेनदेन के लिए ही किया जाना चाहिए।