बाजार तरलता क्या है

नारेडको की बजट में बाजार में तरलता बढ़ाने की मांग
अत: इनकी समस्यायें प्राथमिकता के आधार पर दूर करने की जरुरत है तभी विकास दर दो अंकों तक पहुंच सकती है और भारत 50 खरब अर्थव्यवस्था वाला देश बन सकता है। उन्होंने कहा कि इसी के साथ ही पर्यटन, टेक्सटाइल, सड़क और बंदरगाह क्षेत्र के विकास पर महती जोर देना होगा। युवाओं को रोजगार मिलने से ही हर क्षेत्र का विकास होगा।
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हर हाथ में जब पैसा होगा और लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी तो मकानों सहित अन्य चीजें फटाफट बिकेंगी और देश तरक्की की राह पर सरपट दौड़ेगा। उन्होंने कहा कि नारेडको ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अपना मांग पत्र सौंपा है जिसमें हाउसिंग सेक्टर को कर्ज मुहैया कराने, मकान कर्ज की ब्याज दर सात प्रतिशत करने, मकानों की रजिस्ट्री पर स्टैम्प शुल्क कम करने, किराया नीति घोषित करने, पूंजी तरलता बढ़ाने और व्यक्तिगत कर्ज पर ब्याज दर कम करने की मांग की है।
इसके साथ ही आयकर अधिनियम की धारा 23(5) को समाप्त करने की मांग की है। नारेडको ने अपनी मांगों से प्रधानमंत्री कार्यालय को भी अवगत करा दिया है। हीरानंदानी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम बहुत सफल रही है। इसी योजनाओं की तरह सरकार हाउसिंग क्षेत्र की अन्य योजनाओं को सफल बनाने के प्रयास किये जाने चाहिए।
उन्होंने जोखिम में फंसी संपत्तियों को उबारने के लिए सरकार के प्रयासों की सराहना की और कहा कि इसके परिणाम आने लगे हैं और भारतीय स्टेट बैंक ने इसके लिए पहल शुरू कर दी है। नोएडा और गुड़गांव जैसे शहरों में मकान खरीदने वालों को इससे बहुत लाभ होगा और लोगों के अपना घर के सपने को पूरा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि उनकी ओर से पेश की मांगों को पूरा करने से श्री मोदी के 2022 तक ‘सभी के लिए आवास’ का आह्वान पूरा होता दिखेगा।
सेंसेक्स, निफ्टी Life Time High पर, पिछले साल के मुकाबले कैसे अलग है ये ट्रेंड? अब आगे क्या होगा
Share Market Analysis : शेयर बाजार काफी तेजी से बढ़ रहा है, मगर यह तेजी पिछले साल की तेजी से कैसे अलग है? क्या यह तेजी . अधिक पढ़ें
- News18 हिंदी
- Last Updated : December 01, 2022, 11:15 IST
हाइलाइट्स
2021 के हाई में और इस बार के हाई में काफी फर्क है.
इस बार 2021 वाली चिंताओं में कमी आई है, मुद्रास्फीति कम हो रही है.
टेक्निकल्स के आधार पर भी बाजार में तेजी की संभावना दिखती है.
आशा मेनन (मनीकंट्रोल)
नई दिल्ली. सेंसेक्स और निफ्टी इन दिनों पूरे जोश में है. बुल्स के हक में मार्केट एकतरफा दिख रही है. बुल्स (Bulls) बेयर्स (Bears) को कोई मौका नहीं दे रहे हैं. यह पिछले साल अक्टूबर 2021 की याद दिलाता है. तब बाजार ने इसी तरह का शार्प अपमूव दिखाया और बाद में यह साइडवेज़ हो गया. इसके अगले 6 महीनों में बाजार में अच्छी खासी गिरावट देखने को मिली.
शेयर बाजार काफी तेजी से बढ़ रहा है, मगर यह तेजी पिछले साल की तेजी से कैसे अलग है? क्या यह तेजी जारी रहने वाली है या फिर 2021 की तरह यहां से गिरावट देखने को मिलेगी. निवेशकों के मन में कई प्रश्न हैं. उन्हीं तमाम प्रश्नों के उत्तर यहां हैं. बता दें कि आज (गुरुवार, 1 दिसंबर 2022) खबर लिखे जाने तक सेंसेक्स ने 63,583.07 का लाइफ टाइम हाई बनाया है तो निफ्टी ने 18,887.60 का स्तर छुआ है.
फिलहाल मोटे तौर पर माना जा रहा है कि इस बार यह रैली जारी रह सकती है. ऐसा कहने का आधार ये है कि इस समय की आर्थिक परिस्थितियां पिछले साल से मुकालबे बेहतर हैं. पिछले साल महंगाई दरें बेलगाम बढ़ रही थीं और ब्याज दरों में बड़ी वृद्धि की चिंताएं थीं. आज के शेयर बाजार के हालात का जायजा लेने के लिए दूसरा विकल्प टेक्निकल इंडिकेटर्स हैं. टेक्निकल इंडिकेटर्स इस समय मिक्सड अथवा मिला-जुला रुझान दिखा रहे हैं. इनके अनुसार सावधानी पूर्वक आगे बढ़ना चाहिए. इस बारे में बाद में बताते हैं, पहले मुख्य चीजों पर प्रकाश डालते हैं.
2021 में बदतर थे हालात
अक्टूबर 2021 में, कोविड-19 का डेल्टा वेरिएंट से दुनिया भयभीत थी और इसकी वजह से सप्लाई चेन बाधित हो रही थी. इसका परिणाम था कि मुद्रास्फीति में उछाल देखा गया. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) ने कैलेंडर वर्ष 2021 के लिए अपने वैश्विक विकास के अनुमान को घटाकर 5.9 प्रतिशत और 2022 के लिए अनुमानित 4.9 प्रतिशत कर दिया था.
2021 में, हमारे लिए संतोषजनक यह था कि भारतीय कंपनियों की कमाई में वृद्धि देखी गई. हालांकि उस सितंबर तिमाही की आय ऊर्जा और कमोडिटी की बढ़ती कीमतों से प्रभावित हुई थी, लेकिन इसकी आशंका पहले से ही थी. परंतु ग्लोबल मैक्रो अनिश्चितताओं को लेकर बाजार घबराया हुआ था.
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कार्नेलियन एसेट एडवाइजर्स के संस्थापक विकास खेमानी ने बताया, “(अक्टूबर 2021 में) सवाल तरलता के आसपास अधिक था, क्योंकि ब्याज दरें बढ़ रही थीं, मुद्रास्फीति बढ़ रही थी और (निवेशक चिंतित थे). अमेरिकी मंदी का भारतीय आय वृद्धि पर प्रभाव को लेकर एक बड़ी चिंता थी.”
ये चिंताएं तो थी हीं, इसी बीच ओले और गिरने लगे. यहां ओलों से मतलब रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण है. इसके बाद दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट आई. खेमानी कहते हैं कि इस वर्ष ये सारी चिंताएं कम हुई हैं.
उन्होंने कहा, “पिछले साल, हमारे पास भारत से बहुत सारे FIIs पैसा निकाल रहे थे. अब यह रुक गया है और सकारात्मक हो गया है.” 9 महीने की बिकवाली के बाद अगस्त 2022 में FII शुद्ध खरीदार बने. यह बदलाव बेहतर तरलता के साथ मदद करेगा. खेमानी को भारत का भविष्य बेहतर नजर आता है.
टेक्निकल इंडिकेटर्स का इशारा
ओपन इंट्रेस्ट के जरिए बाजार की स्थिति को भांपने का 20 वर्षों से अधिक अनुभव रखने वाले राजेश श्रीवास्तव कहते हैं, “ट्रेडिंग वॉल्यूम पिछले वर्ष के लाइफ टाइम हाई से जरूर आधी हैं, लेकिन इस बार बाजार का दायरा काफी व्यापक दिख रहा है.” उन्होंने कहा कि निफ्टी के 40 स्टॉक (मतलब 80 फीसदी) 200 SMA (सिंपल मूविंग एवरेज) से ऊपर चल रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले साल मासिक आधार पर निफ्टी50 के 21 शेयर बढ़ रहे थे, जबकि 29 नेगेटिव थे. इस बार सीन अलग है. अब 32 बढ़ रहे हैं और केवल 18 स्टॉक नीचे हैं.
कमजोर वॉल्यूम चिंता का विषय इसलिए नहीं है, क्योंकि बड़ी सेलिंग अथवा बिकवाली देखने को नहीं मिल रही है. रिटेल निवेशक थोड़े कमजोर दिख रहे हैं, लेकिन यह ट्रेंड भी जल्दी ही बदलेगा. चूंकि वॉलिटिलिटी भी कम है तो बाजार में अनिश्चितता भी नहीं है. राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि उन्हें यह अपट्रेंड जारी रहने की संभावना नजर आती है.
(Disclaimer: यह लेख स्टॉक्स ब्रोकरेज हाउसेज की सलाह पर आधारित हैं. यदि आप शेयर बाजार में पैसा लगाना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्टमेंट एडवायजर से परामर्श कर लें. आपके किसी भी तरह के लाभ या हानि के लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)
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आर्थिक तरलता के अभाव में परेशान कपड़ा व्यापारी
सूरत
सूरत के कपड़़ा व्यापारियों के लिए अभी तक तो कमजोर व्यापार चिंता का कारण बना था, लेकिन अब समय पर पेमेन्ट नहीं आने के कारण व्यापारियों की परेशानी बढ़ गई है। पांच-छह महीने पहले बेचे माल के रुपए अभी तक मिले। दूसरी ओर पेमेन्ट मांगने पर व्यापारी दूसरे व्यापारी से माल खरीदने लगते हैं।
कपड़ा बाजार के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जीएसटी लागू होने के बाजार तरलता क्या है बाद सूरत का व्यापार
25 प्रतिशत कम हो गया है। ऐसे में व्यापारी अपना व्यापार और बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं लेकिन उनके सामने समय पर पेमेन्ट नहीं मिलने की समस्या गंभीर होते जा रही है। अन्य राज्यों के व्यापारी कई कारणों से समय पर पेमेन्ट नहीं कर रहे हैं। सूरत के व्यापारी उनसे पेमेन्ट मांगते हैं तो केरल के व्यापारी बाढ़ का कारण बताकर पेमेन्ट में असमर्थता बताते हैं। वैसे ही अन्य राज्यों के व्यापारी रिटेल में खरीद नहीं होने का और कुछ व्यापारी तो बिक्री नहीं होने से माल ही वापिस भेज दे रहे हैं। सूरत के व्यापारियों के करोड़ो रुपए का पेमेन्ट अन्य मंडियों में फंस गया है। बताया जा रहा है कि उत्तर भारत के व्यापारियों ने ठंडी के कपड़ो की खरीद के लिए सूरत के व्यापारियों का पेमेन्ट रोककर गर्म कपड़ों में निवेश कर दिया है। इसलिए यहां के बाजार तरलता क्या है व्यापारियों का पेमेन्ट फंस गया है। व्यापारियों का कहना है कि एक तो पहले से ही व्यापार कमजोर हैं ऐसे में यदि दूसरे राज्य के व्यापारी से जबरदस्ती पेमेन्ट के लिए कहो तो बिना पेमेन्ट किए दूसरे व्यापारी से माल खरीदने लगते हैं। कपड़ा व्यापारी अशोक लीलवाणी ने बताया कि जिन व्यापारियों के पेमेन्ट 30 दिन में आते थे अब की वह 120 दिन में भी पेमेन्ट नहीं कर पा रहे। वह रिटेल बाजार तरलता क्या है में खरीद नहीं होने का कारण बताते हैं। अन्य एक व्यापारी अशोक अडवाणी ने बताया कि कपड़ा व्यापार में धारा धोरण ही नहीं बचा। अन्य राज्यों के व्यापारी 60 दिन के स्थान पर तार महीने तक पेमेन्ट नहीं कर रहे। सूरत के व्यापारियों की हालत पतली होते जा रही है।
पूंजी बाजार
एक कैपिटल मार्केट एक ऐसी जगह है जहां खरीदार और विक्रेता शेयरों, डिबेंचर, डेट इंस्ट्रूमेंट्स, बॉन्ड, डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स जैसे वायदा, विकल्प, स्वैप, ईटीएफ जैसे वित्तीय प्रतिभूतियों का आदान-प्रदान और लेन-देन कर सकते हैं।
- यहां उल्लिखित प्रतिभूतियों का सामान्य रूप से दीर्घकालिक निवेश होगा, अर्थात, ऐसे निवेश जिनमें एक वर्ष से अधिक लॉक-इन अवधि होती है।
- अल्पकालिक निवेश का व्यापार मुद्रा-बाजार के माध्यम से किया जाता है।
कैपिटल मार्केट के कार्य क्या हैं?
- यह निवेशकों और कंपनियों के लिए प्रतिभूतियों के व्यापार को आसान बनाता है।
- यह समय में लेनदेन निपटान का समर्थन करता है।
- यह लेनदेन लागत और सूचना लागत को कम करने में मदद करता है।
- यह नकदी और अन्य रूपों से वित्तीय बाजारों में पार्टियों की बचत को जुटाता है।
- यह बाजार जोखिम के खिलाफ बीमा प्रदान करता है।
कैपिटल मार्केट के प्रकार
# 1 - प्राथमिक बाजार
प्राथमिक बाजार एक ऐसा बाजार है जहां पहली बार जारी की गई प्रतिभूतियों का कारोबार किया जाता है, अर्थात। इसे नए मुद्दों के बाजार के रूप में भी जाना जाता है। यह बाजार प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश और आगे की सार्वजनिक पेशकश दोनों को सक्षम बनाता है। इस बाजार में, प्रॉस्पेक्टस, अधिमान्य मुद्दे, राइट्स इश्यू, ई-आईपीओ, और बाजार तरलता क्या है प्रतिभूतियों के निजी प्लेसमेंट के माध्यम से धन की मदद से तैनात किया जाएगा।
# 2 - द्वितीयक बाजार
यह एक प्रकार है, पुरानी प्रतिभूतियों का कारोबार होता है, यानी प्राथमिक बाजार में पहले लेनदेन के बाद किया जाने वाला व्यापार। हम इस बाजार को शेयर बाजार या आफ्टरमार्केट भी कहते हैं। स्टॉक मार्केट और ओवर-द-काउंटर ट्रेड दोनों द्वितीयक बाजार के अंतर्गत आते हैं। द्वितीयक बाजारों के उदाहरण लंदन स्टॉक एक्सचेंज, न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज, NASDAQ, आदि हैं।
- यह लेनदेन की दक्षता में सुधार करता है।
- वे निवेशकों के बीच पैसा लगाते हैं, यानी, वे लोग जो पूंजी की आपूर्ति करते हैं और पूंजी की जरूरत है।
- द्वितीयक बाजार बाजार में तरलता पैदा करते हैं।
- बॉन्ड जैसी प्रतिभूतियां निवेशकों को ब्याज का भुगतान करती हैं, और ज्यादातर समय, ब्याज का भुगतान बैंक ब्याज दरों से अधिक होता है।
- शेयर जैसे प्रतिभूतियां लाभांश आय का भुगतान करती हैं।
- समय बीतने के साथ निवेश के मूल्य में वृद्धि की अधिक गुंजाइश है।
- पूंजी बाजार के साधनों में तरलता होती है, यानी, जब हम कम लेनदेन लागत के साथ तुरंत धन की आवश्यकता होती है, तो हम उन्हें नकद और नकद समकक्ष में बदल सकते हैं।
- शेयरों में निवेश निवेशकों को स्वामित्व अधिकार प्रदान करता है, जो उन्हें कंपनी के प्रबंधन निर्णय में एक कहने की अनुमति देता है।
- यह निवेश प्रकारों की एक विस्तृत श्रृंखला की पेशकश करके विविधीकरण को बढ़ावा देता है।
- आमतौर पर, पूंजी बाजार की प्रतिभूतियों का उपयोग बैंकों और वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने के लिए संपार्श्विक के रूप में किया जा सकता है।
- शेयर बाजार में निवेश करने के दौरान कुछ कर लाभ होंगे।
- कुछ प्रतिभूतियों पर पकड़ बेहतर दीर्घकालिक प्रदर्शन सुनिश्चित कर सकती है।
नुकसान
- पूंजी बाजार में निवेश करना बहुत जोखिम भरा माना जाता है क्योंकि मूल्य के लिए निवेश अत्यधिक अस्थिर होता है, अर्थात, ये प्रतिभूतियां बाजार में उतार-चढ़ाव के अधीन होती हैं।
- इस तरह के उतार-चढ़ाव एक निश्चित आय प्रदान करने के लिए इस प्रकार के निवेश को अनुपयुक्त बनाते हैं, विशेष रूप से सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जो आमतौर पर नियमित आय पसंद करेंगे।
- पूंजी बाजार बाजार तरलता क्या है में मौजूद निवेश विकल्पों की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ, एक निवेशक यह तय करने में सक्षम नहीं हो सकता है कि किस प्रकार के निवेश का पीछा किया जाए, इस प्रकार एक निवेशक के लिए पेशेवर सलाह के बिना निवेश करना मुश्किल हो जाता है।
- अगर कोई निवेशक किसी कंपनी के शेयरों में निवेश करता है, तो उसे मालिकाना हक माना जाएगा। यह, प्रथम दृष्टया, लाभ की तरह लग सकता है, लेकिन इसका मतलब यह है कि निवेशक कंपनी का मालिक होने के नाते, कंपनी को परिसमापन में लाने या दिवालिया होने की स्थिति में कोई भी कार्यवाही प्राप्त करने वाली अंतिम पार्टी होगी।
- प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री में ब्रोकरेज शुल्क, कमीशन आदि शामिल हो सकते हैं, जिससे लेनदेन बाजार तरलता क्या है की लागत बढ़ जाती है।
महत्वपूर्ण बिंदु
- पूंजी बाजार दीर्घकालिक ऋण और ऋण, शेयर, डिबेंचर, बॉन्ड, सरकारी प्रतिभूतियों, आदि से निपटते हैं।
- यह मुख्य रूप से स्टॉक एक्सचेंजों की मदद से संचालित होता है।
- वे निवेशकों को विभाजित ब्याज जैसे प्रोत्साहन की पेशकश करके अपने उपकरणों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जिससे पूंजी निर्माण होता है।
- वे बैंकों, वित्तीय संस्थानों, अचल संपत्ति और सोने से बचत जुटाने के लिए जाने जाते बाजार तरलता क्या है हैं, इस प्रकार अनुत्पादक चैनलों से उत्पादक क्षेत्रों में बचत को बदलते हैं।
- पूंजी बाजार में धन रखने वाले निवेशकों को अधिशेष इकाइयाँ कहा जाता है, और धन उधार लेने वालों को घाटे की इकाई कहा जाता है।
- फंड सरप्लस यूनिट्स से घाटे वाली यूनिट्स में चले जाते हैं।
- वे धन और तरलता निर्माण के उचित विनियमन में मदद करते हैं।
- पूंजी बाजार में वाणिज्यिक बैंक, वित्तीय संस्थान, बीमा कंपनियां, व्यवसाय निगम और सेवानिवृत्ति कोष फंड के प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं।
निष्कर्ष
यह एक ऐसा बाजार है, जहां खरीदार और विक्रेता आपस में बातचीत करते हैं और लेन-देन करते हैं। यद्यपि यह मुद्रा बाजार के समान कार्य करता है, यह इस मायने में अलग है कि यह आमतौर पर दीर्घकालिक प्रतिभूतियों से संबंधित होता है। यह एक संगठित और अच्छी तरह से विनियमित बाजार है और इसमें कम उत्पादक साधनों से बचत को एक ऐसे मार्ग पर ले जाने की शक्ति है जहां पूंजी की आवश्यकता होती है और जहां पूंजी को पुरस्कृत भी किया जाता है। हालांकि यह समय-समय पर महत्वपूर्ण निश्चित रिटर्न प्रदान करने के मामले में बहुत जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन दीर्घकालिक भविष्यनिष्ठ प्रदर्शन की प्रत्याशा के कारण इसे बहुत पसंद किया जाता है।