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नये एम आरएनए टीके मलेरिया संक्रमण और प्रसार को घटाने में हैं बड़े कारगर

जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के जनस्वास्थ्य मिल्केन विद्यालय संस्थान के प्रोफेसर निर्भय कुमार ने कहा, ‘‘ मलेरिया का सफाया रातोंरात तो होगा नहीं, बल्कि ऐसे टीके दुनिया के कई हिस्सों से काफी हद तक मलेरिया को खत्म कर देंगे। प्रसार कम है ’’

कुमार ने एक बयान में कहा, ‘‘एम आरएनए टीका प्रौद्योगिकी वाकई पासा पलटने वाला हो सकता है। हमने देखा है कि कोविड का मुकाबला करने में यह प्रौद्योगिकी कितनी सफल रही है और इस अध्ययन के लिए हमने जरूरी तब्दीली की तथा मलेरिया का मुकाबला करने के वास्ते उपाय विकसित करने के लिए उसका इस्तेमाल किया।’’

पत्रिका एनपीजे वैक्सीसंस में बृहस्पतिवार को प्रकाशित यह अध्ययन परजीवी प्लाजमोडियम फाल्सिपारूम पर केंद्रित है । उन उन चार परजीवी प्रजातियों में एक है जिनसे मलेरिया बीमारी होती है और वे मानव के बहुत घातक हैं।

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि एनाफिलीज मच्छरों के काटने से यह बीमारी फैलती है जिसमें पी फाल्सिपारूम और प्रसार कम है पी विवाक्स दुनियाभर में 90 प्रतिशत मलेरिया मामलों के लिए तथा इस बीमारी से होने वाली 95 प्रतिशत मौतों के लिए जवाबदेह हैं।

अनुसंधानकर्ताओं ने परजीवी के जीवनचक्र के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करने के लिए दो प्रसार कम है प्रसार कम है एम आरएनए टीके विकसित किये हैं।

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विदेश की खबरें | नये एम आरएनए टीके मलेरिया संक्रमण और प्रसार को घटाने में हैं बड़े कारगर

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. वैज्ञानिकों ने दो एम आरएनए टीके विकसित किये हैं जो मलेरिया संक्रमण को कम करने तथा पशुओ में उसके फैलने को रोकने के अध्ययनों में बहुत कारगर हैं।

विदेश की खबरें | नये एम आरएनए टीके मलेरिया संक्रमण और प्रसार को घटाने में हैं बड़े कारगर

वाशिंगटन, एक दिसंबर वैज्ञानिकों ने दो एम आरएनए टीके विकसित किये हैं जो मलेरिया संक्रमण को कम करने तथा पशुओ में उसके फैलने को रोकने के अध्ययनों में बहुत कारगर हैं।

अमेरिका के जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय की टीम ने यह भी पाया कि दोनों टीकों ने सशक्त प्रतिरोधी क्षमता विकसित की, भले ही उन्हें अकेले -अकेले दिया गया या मिलाकर दिया गया।

एम आरएनए टीके मेसेंजर आरएनए (एम आरएनए) की एक ऐसी प्रति बनाकर काम करता है जो विषाणु प्रोटीन के समकक्ष होता है। आरएनए प्रोटीन निर्माण के लिए आवश्यक तत्व है।

जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के जनस्वास्थ्य मिल्केन विद्यालय संस्थान के प्रोफेसर निर्भय कुमार ने कहा, ‘‘ मलेरिया का सफाया रातोंरात तो होगा नहीं, बल्कि ऐसे टीके दुनिया के कई हिस्सों से काफी हद तक मलेरिया को खत्म कर देंगे। ’’

कुमार ने एक बयान में कहा, ‘‘एम आरएनए टीका प्रौद्योगिकी वाकई पासा पलटने वाला हो सकता है। हमने देखा है कि कोविड का मुकाबला करने में यह प्रौद्योगिकी कितनी सफल रही है और इस अध्ययन के लिए हमने जरूरी तब्दीली की तथा मलेरिया का मुकाबला करने के वास्ते उपाय विकसित करने के लिए उसका इस्तेमाल किया।’’

पत्रिका एनपीजे वैक्सीसंस में बृहस्पतिवार को प्रकाशित यह अध्ययन परजीवी प्लाजमोडियम फाल्सिपारूम पर केंद्रित है । उन उन चार परजीवी प्रजातियों में एक है जिनसे मलेरिया बीमारी होती है और वे मानव के बहुत घातक हैं।

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि एनाफिलीज मच्छरों के काटने से यह बीमारी फैलती है जिसमें पी फाल्सिपारूम और पी विवाक्स दुनियाभर में 90 प्रतिशत मलेरिया मामलों के लिए तथा इस बीमारी से होने वाली 95 प्रतिशत मौतों के लिए जवाबदेह हैं।

अनुसंधानकर्ताओं ने परजीवी के जीवनचक्र के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करने के लिए दो एम आरएनए टीके विकसित किये हैं।

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Bhanupratappur By-election: बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर, जानें दोनों पार्टियों के लिए क्यों अहम है ये चुनाव

By-election 2022: भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए कुल 256 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं. इनमें से 82 मतदान केंद्र नक्सल संवेदनशील और 17 मतदान केंद्र अति नक्सल संवेदनशील हैं.

By: रवि मिरी, रायपुर | Updated at : 05 Dec 2022 11:00 AM (IST)

Bhanupratappur News: प्रसार कम है छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए सोमवार सुबह 7 बजे से मतदान शुरू हो गया है. नक्सल प्रभावित जिला होने के कारण मतदान 3 बजे तक समाप्त हो जाएगा. इस चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी की सीधी टक्कर है. कांग्रेस की तरफ से सावित्री मंडावी चुनावी मैदान में हैं और बीजेपी की तरफ से ब्रम्हानंद नेताम हैं. दोनों पार्टी ने सत्ता के सेमीफाइनल में जीतने के लिए जमकर प्रचार प्रसार किया है.

दरअसल, इस आदिवासी सीट पर 7 प्रत्याशी मैदान में है. लेकिन सीधी टक्कर कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही है. निर्वाचन आयोग की तरफ से बताया गया है कि भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए 5 दिसम्बर को होने वाले मतदान में क्षेत्र के एक लाख 95 हजार 822 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. इनमें 95 हजार 266 पुरूष मतदाता, एक लाख 555 महिला मतदाता और एक थर्ड जेंडर मतदाता शामिल है.

82 मतदान केंद्र में है नक्सलियों का प्रभाव

भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए कुल 256 मतदान केन्द्र बनाए गए है. इनमें से 82 मतदान केन्द्र नक्सल संवेदनशील और 17 मतदान केंद्र अति नक्सल संवेदनशील है. राजनीतिक रूप से संवेदनशील मतदान केंद्रों की संख्या 23 है. आसानी से मतदान संपन्न कराने के लिए 256 मतदान दल गठित किए गए हैं. प्रत्येक मतदान दल में एक पीठासीन अधिकारी और तीन मतदान अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है. साथ ही रिजर्व दल भी बनाए गए है. मतदान के लिए 30 सेक्टर अधिकारी भी बनाए गए हैं जो अपने क्षेत्र के मतदान केन्द्रों का लगातार भ्रमण कर रिपोर्टिंग करेंग.

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इस उपचुनाव में खास क्या है?

वहीं आपको बता दें कि इस उपचुनाव में कांग्रेस की तरफ से प्रत्याशी स्वर्गीय मनोज मंडावी की पत्नी- सावित्री मंडावी है. विधानसभा उपाध्यक्ष रह चुके मनोज मंडावी के निधन के बाद ये सीट खाली हुई है. बीजेपी प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम चुनाव के लिए नामंकन भरने के साथ ही नेता विवादों में घिर गए थे. कांग्रेस ने नेताम को रेप का आरोपी बताया है. इस मामले में झारखंड पुलिस भानुप्रतापुर पहुंची थी. वहीं देखना ये भी जरूरी है कि आदिवासी समाज आरक्षण को लेकर नाराज हो गए है. उसे मानने में कांग्रेस कितनी सफल होती है. हालांकि कांग्रेस ने चुनाव से पहले विधानसभा में आरक्षण बढ़ाने के लिए विधेयक पारित कर दिया है.

सत्ता का सेमीफाइनल क्यों?

गौरतलब है कि 2023 में विधानसभा चुनाव होने वाले है. छत्तीसगढ़ में ये आखिरी विधानसभा उपचुनाव है. इससे पहले प्रसार कम है 4 उपचुनाव में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली और बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा. इस बार भी दोनों पार्टी पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान पर उतरे है. सत्ता के सेमीफाइनल में जीत के साथ 2023 चुनाव में कदम रखना चाहते हैं. इसलिए ये चुनाव दोनों ही पार्टी के लिए अहम है.

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Published at : 05 Dec 2022 10:59 AM (IST) Tags: Chhattisgarh News Bhanupratappur Bhanupratappur By-election 2022 हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

प्राकृतिक खेती में लागत कम और उपज की कीमत अधिक- नरेंद्र सिंह तोमर

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केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि प्राकृतिक खेती वर्तमान समय की मांग है, जिसमें लागत कम लगती है और उपज की कीमत अधिक मिलती है। प्राकृतिक खेती अब कृषि शिक्षा में भी आएगी। प्राकृतिक खेती पद्धति कृषि शिक्षा पाठ्यक्रम में शीघ्र जुड़े, इस दिशा में सरकार प्रयास कर रही है। श्री तोमर ने यह बात कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनसुंधान संस्थान (अटारी), जबलपुर और राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा ग्वालियर में प्राकृतिक खेती पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में कही।

श्री तोमर ने कहा कि एक समय था जब देश में आबादी के हिसाब से खाद्यान्न की कमी थी। तब केमिकल-फर्टिलाइजर की ओर जाकर उत्पादन केंद्रित नीति बनी, जिसके कारण उत्पादन बढ़ा व आज खाद्यान्न सरप्लस हैं, लेकिन अब एक बार फिर से खुद को संवारने की जरूरत है, ताकि आगे का जीवन ठीक से चले और प्रकृति से तालमेल ठीक से बन सके, यह सिर्फ हमारी नहीं बल्कि पूरी दुनिया की चिंता है। श्री तोमर ने कहा कि आज जरूरत स्वस्थ मन, स्वस्थ खाना, स्वस्थ कृषि और स्वस्थ इंसान के सिद्धांत पर चलने की है। इसके लिए प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर होना चाहिए। प्राकृतिक खेती पूर्णता की खेती है। इसमें पशुधन का महत्वपूर्ण योगदान है। एक देशी गाय का गोबर व गौमूत्र एक सामान्य किसान के लिए प्राकृतिक खेती में काम करने को पर्याप्त है। देश प्राकृतिक खेती अपनाएगा तो गायें सड़कों पर नहीं दिखेगी, बल्कि इनका सही उपयोग होगा। अब देश इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। गुजरात के डांग जिले में शत-प्रतिशत प्राकृतिक खेती हो रही है। हिमाचल में भी तेजी से किसान इस ओर बढ़ रहे हैं। म.प्र. में 5 हजार गांवों में इसकी योजना बनाई गई है।

श्री तोमर ने कहा कि हमारे देश में कृषि का महत्वपूर्ण स्थान है। यह सिर्फ आजीविका के लिए ही नहीं, बल्कि सबकी जरूरत भी है। किसान खेती से सिर्फ आजीविका प्राप्त करने के लिए काम नहीं करता, बल्कि वह देश के 130 करोड़ से ज्यादा लोगों की भूख मिटाने के लिए खेती करता है। उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया को खाद्यान्न देने वाला देश बन गया है। दुनिया के बहुत-से मित्र देश आज भारत की तरफ देखते हैं कि अगर भारत में खाद्यान्न उत्पादन की स्थिति ठीक है तो बुरे वक्त में भारत हमारी मदद करेगा। किसानों के सामने देश व दुनिया की भी जिम्मेदारी है। श्री तोमर ने कहा कि रासायनिक खेती के कारण माटी की उर्वरा शक्ति कमजोर हो रही है। मित्र बैक्टीरिया मारे जा रहे हैं। हम हर साल धरती की खाद की प्यास बढ़ाते जा रहे हैं। जिस संकट से देश 25 साल बाद जूझने वाला है उससे बचाना हमारी जिम्मेदारी है, इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक खेती पद्धति को फिर से लांच किया व इसे जनांदोलन का स्वरूप दिया जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसके साथ ही किसानों की आय बढ़ाने के लिए भारत सरकार प्रयत्नशील है। एमएसपी प्रसार कम है डेढ़ गुना की गई, वहीं प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से करोड़ों किसानों को हर साल छह-छह हजार रुपये दिए जा रहे हैं। अब तक 2.16 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा कराई जा चुकी हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों को फसलों के नुकसान के बदले 1.24 लाख करोड़ रु. दिए गए हैं। किसान क्रेडिट कार्डों द्वारा 18 लाख करोड़ रु. किसानों को मिलते हैं। किसानों की ताकत बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।

कार्यक्रम में म.प्र. के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण तथा नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री श्री भारत सिंह कुशवाह, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ. वेद प्रकाश चहल, राजमाता विजयाराजे कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति डॉ. अरविंद शुक्ला, अटारी जबलपुर के निदेशक डॉ. श्यामरंजन सिंह, सहित जनप्रतिनिधि व वैज्ञानिकगण-अधिकारी उपस्थित थे।

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