व्यापारियों की राय

विदेशी मुद्रा बैंकों का उपयोग कौन करता है

विदेशी मुद्रा बैंकों का उपयोग कौन करता है
RBI ने जारी की अवैध फॉरेक्‍स ट्रेडिंग ऐप की अलर्ट लिस्‍ट (फाइल फोटो)

वित्तीय उत्पाद विदेशी निवेश वित्त कार्यक्रम

हम बीते तीन दशकों से अधिक समय से देश में निर्यात अवसर बढ़ा रहे हैं और देश की आर्थिक तरक्की में हमारा अहम योगदान रहा है| हमने विदेश व्यापार और निवेश अवसरों को जोड़ने का प्रयास किया है, ताकि लंबी अवधि में उसके बेहतर परिणाम मिलें| ऐसे समय में जब भारत वैश्विक फलक पर विनिर्माण केंद्र के रूप में छाप छोड़ने को तैयार है, हम भारतीय कंपनियों को विदेशों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और उनका रास्ता सुगम बनाते हैं|

प्रमुख विशेषताएं

हम निम्नलिखित के जरिए विदेशी बाजारों तक आपकी पहुंच आसान बना सकते हैं:

भारतीय कंपनियों को मियादी ऋण देकरः

भारतीय कंपनियों के विदेशी संयुक्त उपक्रमों / पूर्ण स्वाधिकार वाली सहायक संस्थाओं में इक्विटी निवेश|

भारतीय कंपनियों के संयुक्त उपक्रमों / पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगियों को ऋण|

भारतीय कंपनियों के विदेशी संयुक्त उपक्रमों / पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगियों को आंशिक वित्तपोषण के लिए मियादी ऋणः

आस्तियों के अधिग्रहण के लिए किया गया पूंजी खर्च

कार्यशील पूंजी जरूरतें

दूसरी कंपनी में इक्विटी निवेश

ब्रांड /पेटेंट /अधिकार/ अन्य बौद्धिक संपदा अधिकारों का अधिग्रहण

किसी दूसरी कंपनी का अधिग्रहण

कोई अन्य गतिविधि जिसके लिए वह कंपनी तब एक्ज़िम बैंक से वित्तपोषण हासिल करने के लिए पात्र होती जब वह भारतीय होती

विदेशी संयुक्त उपक्रमों/ पूर्ण स्वामित्व वाली सहयोगी संस्थाओं को मियादी ऋण / कार्यशील पूंजी जुटाने के लिए गारंटी की सुविधा|

पात्रता

हम भारतीय प्रमोटर कंपनी को निधिक/ गैर-निधिक सहायता प्रदान करते हैं|

हमारा वित्तपोषण भारतीयों के लिए भारतीय रुपए में और विदेशी इकाई के लिए विदेशी मुद्रा में उपलब्ध है| (भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार)

मियादी वित्तपोषण पर वाणिज्यिक ब्याज दरें लागू होती हैं|

हमारे ऋण की अवधि सुविधानुसार आम तौर पर 5-7 साल तक होती है|

सिक्योरिटी में विदेशी इकाई की आस्तियों पर समुचित प्रभार, भारतीय प्रमोटर की कॉर्पोरेट गारंटी, जोखिम कवर और विदेशी उपक्रम में भारतीय प्रमोटर की हिस्सेदारी की गिरवी शामिल हैं|

एक्ज़िम से
फायदे

निर्यातकों की जरूरतों की जानकारी|

विशाल अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का लाभ उठाने की क्षमता|

भारतीय रुपए और विदेशी मुद्रा दोनों में ऋण सुविधा|

प्रतिस्पर्द्धी ब्याज दरें और चुकौती में लचीलापन|

Project Exports

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RBI ने जारी की अवैध फॉरेक्‍स ट्रेडिंग ऐप की अलर्ट लिस्‍ट

अवैध ऐप्स की लंबी सूची में OctaFX शामिल है, जो इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) टीम दिल्ली कैपिटल्स का आधिकारिक ट्रेडिंग स्‍पॉन्‍सर है। आरबीआई ने इन ऐप को लेकर लोगों को चेताया है और उपयोग नहीं करने की सलाह दी है।

RBI ने जारी की अवैध फॉरेक्‍स ट्रेडिंग ऐप की अलर्ट लिस्‍ट

RBI ने जारी की अवैध फॉरेक्‍स ट्रेडिंग ऐप की अलर्ट लिस्‍ट (फाइल फोटो)

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस सप्ताह अवैध इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर विदेशी मुद्रा लेनदेन में शामिल संस्थाओं की एक अलर्ट सूची जारी की। इसमें एक ऐप ऐसा भी है, जो IPL टीम दिल्‍ली कैपिटल को स्‍पॉन्‍सर करता है। यह अवैध संस्‍था या ऐप लोगों से हाई रिटर्न का वादा करके लुभाते हैं। आरबीआई ने कहा कि इन अवैध प्‍लेटफॉर्म के यूजर्स पर मुकदमा चलाया जा सकता है।

अवैध ऐप्स की लंबी सूची में OctaFX शामिल है, जो इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) टीम दिल्ली कैपिटल्स का आधिकारिक ट्रेडिंग स्‍पॉन्‍सर है। आरबीआई ने इन ऐप को लेकर लोगों को चेताया है और उपयोग नहीं करने की सलाह दी है, वरना यूजर्स पर कार्रवाई भी की जा सकती है। यहां अवैध फॉरेक्स ट्रेडिंग ऐप्स और वेबसाइटों की पूरी सूची है।

अवैध फॉरेक्‍स ट्रेडिंग ऐप

Alpari, AnyFX, Ava Trade, Binomo, e Toro, Exness, Expert Option, FBS, FinFxPro, Forex.com, Forex4money, Foxorex, FTMO, FVP Trade, FXPrimus, FXStreet, FXCm, FxNice, FXTM, HotFores, ibell Markets, IC Markets, iFOREX, IG Market, IQ Option, NTS Forex Trading, Octa FX, Olymp Trade, TD Ameritrade, TP Global FX, Trade Sight FX, Urban Forex, Xm और XTB है।

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आरबीआई ने यह भी कहा कि इस लिस्‍ट में नहीं आने वाले यूनिट को केंद्रीय बैंक की ओर से रजिस्‍टर्ड नहीं माना जाना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के मानदंडों के अनुसार, लोगों को (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999) के अनुसार केवल रजिस्‍टर्ड संस्‍थाओं के साथ विदेशी मुद्रा लेनदेन करना चाहिए।

आरबीआई ने क्‍या कहा

आरबीआई के अनुसार, जबकि अनुमत विदेशी मुद्रा लेनदेन इलेक्ट्रॉनिक रूप से किए जा सकते हैं, उन्हें केवल आरबीआई या मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों जैसे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड, बीएसई लिमिटेड और मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा इस उद्देश्य के लिए अधिकृत ईटीपी पर ही किया जाना चाहिए।

विदेशी मुद्रा बैंकों का उपयोग कौन करता है

असंतुष्ट कॉरपोरेट और बैंक प्रबंधकों ने देखा कि किस तरह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले पखवाड़े रुपये की कीमतों में तेज विदेशी मुद्रा बैंकों का उपयोग कौन करता है गिरावट के बावजूद इसे थामने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार रूपी अपने तरकश के सारे तीर इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही किसी केंद्रीय बैंक के सक्रिय हस्तक्षेप और अपेक्षाकृत संयत कदम में से कौन सा बेहतर है, यह बहस दोबारा चर्चा के केंद्र में आ गई। इस संबंध में कुछ स्पष्टीकरण भी हैं। आरबीआई ने टुकड़ों में हस्तक्षेप किया लेकिन अगर बाजार में फैली अफवाहों पर भरोसा किया जाए तो उन दिनों में आरबीआई ने 40-50 करोड़ डॉलर बेचे। अगर बैंक ऑफ कोरिया से तुलना की जाए तो दक्षिण कोरियाई मुद्रा वॉन के रुपये जैसे दबाव में आने पर उसने अफवाहों के मुताबिक तकरीबन 3 अरब डॉलर की रकम खर्च की थी।
अगर रुपये पर यह दबाव बना रहता है तो क्या आरबीआई को और अधिक आक्रामक ढंग से हस्तक्षेप करना चाहिए। खासतौर पर इस बात को ध्यान में रखते हुए कि उसके पास 300 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है? निष्पक्ष होकर बात की जाए तो आरबीआई ने जो अपेक्षाकृत अक्रिय रुख अपनाया, वह कई मौकों पर अपनाए गए उसके रुख के मुताबिक ही है। वह मुद्रा को एक व्यापक दायरे में कारोबार करने देता है। वह उसकी दो तरफा गति से इत्तेफाक रखता है और उसे एक खास विनिमय दर विदेशी मुद्रा बैंकों का उपयोग कौन करता है के दायरे में बांध कर नहीं रखना चाहता। उसका अंतर्निहित संदेश यही है कि कंपनियां, निर्यातक, आयातक और वे लोग जो विदेशी मुद्रा में कर्ज लेते हैं, उन्हें अपने जोखिम की हेजिंग खुद करनी चाहिए और उन्हें अपने रिटर्न की गारंटी के लिए केंद्रीय बैंक की बाट नहीं जोहनी चाहिए।
क्या मौजूदा परिस्थितियों में आरबीआई के मुद्रा बाजार हस्तक्षेप से जुड़े कदमों को लेकर पुनर्विचार की गुंजाइश बनती है? इस बात में संदेह की कोई गुंजाइश ही नहीं है कि मुद्रा कीमतों में तेज गिरावट ने उस अर्थव्यवस्था में और अस्थिरता पैदा की जो पहले से ही वैश्विक वातावरण में हलचल और घरेलू स्तर पर अनिश्चित वातावरण से जूझ रही थी।
इसके अलावा मुद्रा का तेजी से होने वाला अवमूल्यन खुद ही एक ऐसा दुष्चक्र रचता है जिसमें पूंजी का बहिर्गमन होता है और इस तरह मुद्रा में और अधिक गिरावट आती है। अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की बात करें तो बीते पखवाड़े रुपये के मूल्य में आई गिरावट निश्चित तौर पर उनके लिए एक संकेत थी जिसकी वजह से उन्होंने भारतीय कंपनियों के शेयर बेचे और सुरक्षित ठिकानों की ओर कूच किया। अब बात आती है मुद्रास्फीति पर इसके असर की। मुद्रा अवमूल्यन को मुद्रास्फीति का कारक माना जाता है क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरने से आयात महंगा होता है। ऐसे में पेट्रोल अथवा उर्वरक जैसे उत्पाद जिनकी कीमतों पर नियंत्रण है, उनमें अवमूल्यन अंडर रिकवरी के रूप में सामने आता है और आखिरकार यह सब्सिडी बोझ के रूप में नजर आता है। उदाहरण के लिए रुपये की कीमत में हर एक रुपये की गिरावट का मतलब है तेल विपणन कंपनियों की अंडर रिकवरी में 9,000 करोड़ रुपये का इजाफा।
ये सारी बातें मिलकर रुपये की कीमत में और अधिक गिरावट की भूमिका तैयार कर सकती हैं। बहरहाल, यह मामला इतना आसान भी नहीं है। इस संबंध में शायद पहला सवाल यह उठना चाहिए कि रुपये का अवमूल्यन कारगर साबित होगा अथवा नहीं? पिछले पखवाड़े का उदाहरण लेते विदेशी मुद्रा बैंकों का उपयोग कौन करता है हैं। हो सकता है बैंक ऑफ कोरिया ने वॉन के बचाव में बहुत अधिक राशि खर्च की हो जबकि आरबीआई ने रुपये के लिए उतनी राशि खर्च नहीं की। लेकिन यह ध्यान में रखना होगा कि कोरियाई मुद्रा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और उसमें 9 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली जबकि इसकी तुलना में रुपये के मूल्य में 6.5 फीसदी तक की गिरावट आई।
इंडोनेशियाई केंद्रीय बैंक ने भी बहुत कम खर्च किया और वह खासा सफल भी रहा। हस्तक्षेप की सफलता की संभावना बहुत हद तक मुद्रा पर पडऩे वाले दबाव पर भी निर्भर करती है या फिर निवेशक की बाह्य अर्थव्यवस्था की बुनियाद को लेकर बनी धारणा आदि पर। ऐसे समय में जबकि किसी मुद्रा के प्रति बाजार का रुझान सुसुप्तावस्था में हो उस समय हस्तक्षेप करना बेहतर साबित नहीं होता। विदेशी मुद्रा भंडार को इस्तेमाल करने की कीमत चुकानी होती है और केंद्रीय बैंक बाजार में किसी भी तरह के हस्तक्षेप के पहले पूरा आकलन
करता है।
एक और बात यह कि 300 अरब डॉलर की संपत्ति हालांकि काफी अधिक प्रतीत होती है लेकिन अगर हम अपने बाह्य संतुलन को ध्यान में रखें तो यह शायद पर्याप्त प्रतीत न हो। मार्च 2011 के अंत में देश का बाह्य कर्ज 305 अरब डॉलर था और जून में यह बढ़कर 317 अरब डॉलर हो गया। ऐसे में हमारा बाह्य कर्ज कुल विदेशी मुद्रा भंडार 312 अरब डॉलर से अधिक होने की आशंका है। चेतावनी भरा तथ्य यह है कि इस राशि में 43.3 फीसदी अल्पावधि की परिपक्वता वाली है, लगभग 137 अरब डॉलर की इस राशि को अगले 12 महीनों के दौरान चुकता करना होगा। इतना ही नहीं बीएसई-200 की कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण लगभग 950 अरब डॉलर का है। मान लीजिए कि इस राशि में 20 से 25 फीसदी हिस्सेदारी यानी 200 से 250 अरब की हिस्सेदारी विदेशी संस्थागत निवेशकों की है जो ज्यादा दबाव की स्थिति में घरेलू बाजार से किनारा कर सकते हैं। इसके अलावा ऋण के पुनर्भुगतान की प्रतिबद्घताएं भी हैं जिनके चलते 312 अरब डॉलर की राशि एक झटके में अपर्याप्त दिखने लगेगी। केंद्रीय बैंक को इन सब स्थितियों की भी तैयारी रखनी होती है। इस तरह पूंजी प्रवाह में अचानक अवरोध आ सकता है। अगर ऐसा होता तो आरबीआई को अपने विदेशी मुद्रा भंडार का एक बड़ा हिस्सा मुद्रा बाजार में लगाना पड़ता। ऐसे में उसका विदेशी मुद्रा भंडार को सावधानीपूर्वक इस्तेमाल में लाना समझ में आता है।
इसके अलावा कुछ अन्य वैकल्पिक तरीके भी हैं जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है। मुद्रा का मूल्य बढऩे और घटने दोनों ही स्थितियों में इसका प्रबंधन किया जाना चाहिए। संक्षेप में कहा जाए आरबीआई विदेशी मुद्रा बैंकों का उपयोग कौन करता है को मुद्रा की कीमत बढऩे के दौरान अच्छा भंडार तैयार करना चाहिए ताकि विपरीत परिस्थितियों में उसका समुचित इस्तेमाल किया जा सके। एक अन्य तरीका है अधिक रणनीतिक हस्तक्षेप करना, एक खास स्तर पर रुपये की सुरक्षा करने का विचार बुरा नहीं है। यद्यपि जरूरी नहीं कि हस्तक्षेप हमेशा आरबीआई के लिए एक व्यावहारिक विकल्प हो लेकिन जब वह हस्तक्षेप का निर्णय लेता है तो वह यह काम बेहतर तरीके से करना सुनिश्चित कर सकता है।

एनआईए ने शुरू की मंगलुरु धमाके की जांच

-आरोपी शारिक ने डार्क वेब के जरिये खोला था बैंक खाता -विदेशी मुद्रा को

एनआईए ने शुरू की मंगलुरु धमाके की जांच

-आरोपी शारिक ने डार्क वेब के जरिये खोला था बैंक खाता

-विदेशी मुद्रा को रुपयों में बदलवाकर अन्य लोगों को भेजता था

मंगलुरु, एजेंसी। कर्नाटक के मंगलुरु में 19 नवंबर को एक ऑटो रिक्शा में हुए धमाके की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने शुरू विदेशी मुद्रा बैंकों का उपयोग कौन करता है कर दी है। इसके लिए एजेंसी की तीन टीम शहर आईं हैं। संदिग्ध आतंकवादी कृत्य से संबधित सभी दस्तावेज एनआईए को सौंपे जा रहे हैं। एनआईए की टीम ने औपचारिक रूप से गुरुवार को मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी।

मंगलुरु के पुलिस आयुक्त एन.शशि कुमार ने बताया कि राज्य के पुलिस महानिदेशक प्रवीण सूद के निर्देश पर मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई है। मामले का आरोपी और संदिग्ध मोहम्मद शारिक का स्वास्थ्य डॉक्टरों द्वारा स्थिर बताए जाने के बाद पुलिस ने उससे पूछताछ की थी। शारिक ऑटोरिक्शा में रखकर कुकर बम लेकर जा रहा था।

ऑटोरिक्शा शहर के बाहरी इलाके नागोरी से गुजर रहा था कि कुकर बम में विस्फोट हो गया और शारिक करीब 40 प्रतिशत जल गया था। पूछताछ के दौरान शारिक ने खुलासा किया कि उसे विदेश से पैसे मिलते थे। उसने 'डार्क वेब' के जरिये खाता खोला था और विदेशी मुद्रा को भारतीय मुद्रा में बदलवाता था। वह इन रुपयों को विभिन्न खातों में स्थानांतरित करता था।

सूत्रों ने बताया कि पुलिस को जानकारी मिली थी कि उसने मैसुरु में कई लोगों के बैंक खातों में रुपये भेजे थे। इसके आधार पर पुलिस ने मैसुरु में करीब 40 लोगों से पूछताछ की। इस बीच, उडुपी जिले के पुलिस अधीक्षक एच अक्षय मछिंद्र ने पुष्टि की है कि आरोपी शारिक अक्टूबर महीने में जिला स्थित मशहूर श्री कृष्ण मठ गया था।

उन्होंने उडुपी में मीडिया को बताया कि पुलिस को पूछताछ के दौरान यह जानकारी मिली और मंगलुरु पुलिस आगे की जांच के लिए उडुपी आई थी। मछिंद्र ने बताया कि उन्होंने मंगलुरु की घटना के बाद उडुपी जिले के विभिन्न मंदिरों को सुरक्षा देने के लिए जिला उपायुक्त से चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर समन्वय समिति बनाई जाएगी जो समय-समय पर मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण करेगी।

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