क्रिप्टो बैन

क्या भारत सरकार क्रिप्टो को करेगी बैन? निर्मला सीतारमण ने संसद में दिया जवाब
Cryptocurrency News: सरकार ने बजट 2022 में क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली इनकम पर टैक्स लगाने के प्रपोजल की घोषणा की. इसके बाद से देश में क्रिप्टो के फ्यूचर को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में क्रिप्टो को लेकर सरकार का वर्तमान रुख स्पष्ट किया
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 12 फरवरी 2022,
- (अपडेटेड 12 फरवरी 2022, 10:52 AM IST)
- वित्त मंत्री ने राज्यसभा में बजट पर चर्चा में लिया हिस्सा
- बजट 2022 में क्रिप्टो पर टैक्स का किया गया है प्रस्ताव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 (Budget 2022) में डिजिटल एसेट्स से होने वाली इनकम पर 30 फीसदी टैक्स (Income Tax on Income from Digital Assets) का प्रस्ताव दिया है. इसके बाद से सभी हलकों में इस बात को लेकर अटकलों का दौर जारी है कि टैक्स लगाए जाने के बाद क्या सरकार क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को Legalize कर देगी या फिर इस पर बैन (Ban on Cryptocurrency in India) लगाया जाएगा.
सीतारमण ने संसद में दिया जवाब
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि सरकार विचार-विमर्श के बाद क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने या नहीं करने का फैसला करेगी. संसद के मौजूदा बजट सत्र में उन्होंने कहा कि वर्चुअल करेंसीज पर 30 फीसदी का टैक्स लगाए जाने के फैसले का मार्केट में प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी की Legality से कोई लेना-देना नहीं है.
सरकार के पास प्रॉफिट पर टैक्स लगाने का अधिकार
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार को क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन से होने वाले फायदे पर टैक्स लगाने का सॉवरेन अधिकार है. बजट परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए वित्त मंत्री ने राज्यसभा में कहा, "क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने या नहीं करने का फैसला विचार-विमर्श के बाद किया जाएगा."
उन्होंने कहा, "इस स्टेज में क्रिप्टो को लीगल दर्जा देने या बैन करने जैसा कुछ भी नहीं किया जा रहा है."
अपने बजट भाषण (Budget Speech) के दौरान वित्त मंत्री सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग से होने वाले फायदे पर 30 फीसदी का टैक्स लगाने के प्रस्ताव का ऐलान किया था. इस टैक्स (Tax) में इस बात से कोई लेनादेना नहीं है कि क्रिप्टोकरेंसी से फायदा कमाने वाला Individual Taxpayer किस टैक्स स्लैब (Income Tax Slab) में आता है. इसके साथ ही एक खास सीमा से अधिक डिजिटल एसेट्स को ट्रांसफर किए जाने पर एक फीसदी की दर से टीडीएस (TDS) लगाए जाने का प्रस्ताव भी रखा गया है.
क्रिप्टो इंडस्ट्री ने दी यह प्रतिक्रिया
क्रिप्टोकरेंसी इंडस्ट्री से जुड़ी कंपनियों ने फैसले का यह कहते हुए स्वागत किया कि इस प्रस्ताव से उनकी ट्रेडिंग वैध हो जाएगी.
आरबीआई का रुख है ये
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को मौद्रिक नीति की घोषणा की. इस दौरान अपने पॉलिसी स्टेटमेंट में उन्होंने कहा कि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी मैक्रोइकोनॉमी के साथ फाइनेंशियल स्टेबिलिटी के लिए एक तरह का खतरा है. बजट 2022 के बाद फाइनेंस सेक्रेटरी टी वी सोमनाथन ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी को कभी भी लीगल टेंडर नहीं बनाया जाएगा.
Cryptocurrency Bill: भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर लगा बैन, तो देश की आठ फीसदी आबादी को लगेगा तगड़ा झटका
Cryptocurrency Bill In India: एक रिपोर्ट के मुताबकि, देश की लगभग आठ फीसदी आबाद ने कई तरह की डिजिटल मुद्राओं में निवेश किया हुआ है। ऐसे में अगर सरकार डिजिटल मुद्रा पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाती है तो इन निवेशकों को तगड़ा झटका लगेगा।
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले भारतीय निवेशकों में मंगलवार को क्रिप्टो बिल की खबर ने चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि अगर भारत में क्रिप्टोकरेंसी को बैन कर दिया गया, तो उन लोगों का क्या होगा, जो इसमें भारी-भरकम निवेश कर चुके हैं। एक रिपोर्ट के मुताबकि, देश की लगभग आठ फीसदी आबाद ने कई तरह की डिजिटल मुद्राओं में निवेश किया हुआ है।
70 हजार करोड़ रुपये दांव पर लगे
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जितने लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया है, वो भारत की आबादी का लगभग 8 प्रतिशत हैं। इन निवेशकों ने करीब 70 हजार करोड़ रुपये वर्तमान में दुनियाभर में प्रचलित कई तरह की डिजिटल करेंसी में लगाए हुए है। ऐसे में अगर सरकार भारत में क्रिप्टो पर बैन लगाने का फैसला करती है तो दांव 70 हजार करोड़ रुपये लगा चुके भारतीय निवेशकों के लिए तगड़ा झटका होगा। बता दें कि 2009 में लॉन्च किए जाने के बाद साल 2013 तक सिर्फ बिटक्वाइन ही एकमात्र डिजिटल करेंसी चलन में थी। लेकिन अब दुनियाभर में सात हजार से ज्यादा अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी चलन में हैं। हालांकि दुनिया की सबसे लोकप्रिय डिजिटल मुद्रा अभी भी बिटक्वाइन बनी हुई है और इसके बाद इथेरियम का नंबर आता है।
क्रिप्टाकरेंसी बिल का मसौदा तैयार
गौरतलब है कि भारत सरकार ने शीतकालीन सत्र में पेश करने के लिए क्रिप्टोकरेंसी बिल का मसौदा तैयार कर लिया है। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि जल्द ही सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने वाली है। केंद्र सरकार इस शीतकालीन सत्र में 26 नए बिल को पेश करेगी, जिसमें तीन अध्यादेश भी शामिल है। मंगलवार शाम को शीतकालीन सत्र के लिए जारी लेजिस्लेटिव एजेंडा से यह जानकारी मिली है। इसमें सबसे ज्यादा नजरें क्रिप्टोकरेंसी बिल पर टिकी हुई हैं। हालांकि, सरकार क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह से प्रतिबंधित करेगी या फिर कुछ शर्तों के साथ इसकी ट्रेडिंग की इजाजत मिलती है ये तो बिल बाने के बाद ही साफ हो सकेगा।
बैन लगने के फैसले का ये होगा असर
जेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत ने अपने आधिकारित ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर कहा है कि अगर सरकार क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े बिल ‘द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ के तहत भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का फैसला करती है तो बिटक्वाइन समेत दूसरी सभी डिजिटल मुद्राओं निवेश करने वालों के लिए बड़ी परेशानी हो सकता है। अगर सरकार क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया जाता है तो इसके बाद बैंक और आपके क्रिप्टो एक्सचेंजों के बीच लेनदेन बंद हो जाएगा। आप क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए अपनी स्थानीय मुद्रा को परिवर्तित नहीं कर पाएंगे और न ही उन्हें भुना पाएंगे।
विस्तार
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले भारतीय निवेशकों में मंगलवार को क्रिप्टो बिल की खबर ने चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि अगर भारत में क्रिप्टोकरेंसी को बैन कर दिया गया, तो उन लोगों का क्या होगा, जो इसमें भारी-भरकम निवेश कर चुके हैं। एक रिपोर्ट के मुताबकि, देश की लगभग आठ फीसदी आबाद ने कई तरह की डिजिटल मुद्राओं में निवेश किया हुआ है।
70 हजार करोड़ रुपये दांव पर लगे
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जितने लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया है, वो भारत की आबादी का लगभग 8 प्रतिशत हैं। इन निवेशकों ने करीब 70 हजार करोड़ रुपये वर्तमान में दुनियाभर में प्रचलित कई तरह की डिजिटल करेंसी में लगाए हुए है। ऐसे में अगर सरकार भारत में क्रिप्टो पर बैन लगाने का फैसला करती है तो दांव 70 हजार करोड़ रुपये लगा चुके भारतीय निवेशकों के लिए तगड़ा झटका होगा। बता दें कि 2009 में लॉन्च किए जाने के बाद साल 2013 तक सिर्फ बिटक्वाइन ही एकमात्र डिजिटल करेंसी चलन में थी। लेकिन अब दुनियाभर में सात हजार से ज्यादा अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी चलन में हैं। हालांकि दुनिया की सबसे लोकप्रिय डिजिटल मुद्रा अभी भी बिटक्वाइन बनी हुई है और इसके बाद इथेरियम का नंबर आता है।
क्रिप्टाकरेंसी बिल का मसौदा तैयार
गौरतलब है कि भारत सरकार ने शीतकालीन सत्र में पेश करने के लिए क्रिप्टोकरेंसी बिल का मसौदा तैयार कर लिया है। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि जल्द ही सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने वाली है। केंद्र सरकार इस शीतकालीन सत्र में 26 नए बिल को पेश करेगी, जिसमें तीन अध्यादेश भी शामिल है। मंगलवार शाम को शीतकालीन सत्र के लिए जारी लेजिस्लेटिव एजेंडा से यह जानकारी मिली है। इसमें सबसे ज्यादा नजरें क्रिप्टोकरेंसी बिल पर टिकी हुई हैं। हालांकि, सरकार क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह से प्रतिबंधित करेगी या फिर कुछ शर्तों के साथ इसकी ट्रेडिंग की इजाजत मिलती है ये तो बिल बाने के बाद ही साफ हो सकेगा।
बैन लगने के फैसले का ये होगा असर
जेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत ने अपने आधिकारित ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर कहा है कि अगर सरकार क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े बिल ‘द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ के तहत भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का फैसला करती है तो बिटक्वाइन समेत दूसरी सभी डिजिटल मुद्राओं निवेश करने वालों के लिए बड़ी परेशानी हो सकता है। अगर सरकार क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया जाता है तो इसके बाद बैंक और आपके क्रिप्टो एक्सचेंजों के बीच लेनदेन बंद हो जाएगा। आप क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए अपनी स्थानीय मुद्रा को परिवर्तित नहीं कर पाएंगे और न ही उन्हें भुना पाएंगे।
Cryptocurrencies ban: बैन लगा तो आपकी क्रिप्टोकरेंसी का क्या होगा? यहां जानिए सबकुछ
भारत में लगभग डेढ़ करोड़ लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसी होने का अनुमान है। इसकी वैल्यू अरबों डॉलर में बताई जाती है। बैन लगने पर इस होल्डिंग का क्या होगा? जानिए क्या कहते हैं जानकार..
भारत में लगभग डेढ़ करोड़ लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसी होने का अनुमान है।
हाइलाइट्स
- सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर संसद के शीत सत्र में बिल पेश करने वाली है
- भारत में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है
- देश में करीब डेढ़ करोड़ लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसी होने का अनुमान है
- बैन लगने से लोग इंटरनैशनल एक्सचेंज पर क्रिप्टो में ट्रेड नहीं कर सकेंगे
एजेंडे में कहा गया कि यह बिल आरबीआई की ओर से जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल करंसी की रूपरेखा बनाने में मदद करेगा। प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की बात भी इसमें की गई। इस बारे में ज़ेब पे के पूर्व सीईओ अजीत खुराना ने कहा, 'सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज पर बैन लगाने की जो शब्दावली इस्तेमाल की गई है, उसका मतलब यह है कि बिटकॉइन सहित वे सभी क्रिप्टो इसके दायरे में आएंगी, जिन्हें किसी सरकार ने जारी नहीं किया है। बैन लगने पर भारत में इनकी खरीद-फरोख्त नहीं हो सकेगी।'
कितने लोगों के पास है क्रिप्टोकरेंसी
भारत में लगभग डेढ़ करोड़ लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसी होने का अनुमान है। इसकी वैल्यू अरबों डॉलर में बताई जाती है। बैन लगने पर इस होल्डिंग का क्या होगा? इस सवाल पर खुराना ने कहा, 'इससे पहले 2019 में प्रस्तावित बिल में कहा गया था कि लोगों के पास पहले से जो क्रिप्टोकरेंसी हैं, उनके बारे में सरकार बताएगी कि उन्हें कहां भेजना है और कैसे डिस्पोज करना है। यह बात बिल के अंदर नहीं थी, लेकिन कहा गया था कि इसकी जानकारी दी जाएगी।'
प्रतिबंध लगने पर भारत के लोग इंटरनैशनल एक्सचेंज पर भी क्रिप्टो में ट्रेड नहीं कर सकेंगे। खुराना के मुताबिक, 'यह बात विधेयक के 2019 के मसौदे में साफ की गई थी। इसे फॉरेन असेट के रूप में भी अपने पास नहीं रखा जा सकेगा।' बिल के अजेंडा में प्रतिबंध के साथ कुछ छूट देने की बात भी की गई है। खुराना के मुताबिक, इससे लग रहा है कि अगर कोई कंपनी क्रिप्टो टेक्नोलॉजी से जुड़ा सॉफ्टवेयर डेवेलप कर रही है तो उसे नहीं रोका जाएगा।
निवेशकों में हड़कंप
क्रिप्टोकरेंसी से क्रिप्टो बैन जुड़े विधेयक के बारे में मंगलवार देर शाम जानकारी आने के साथ इसमें पैसा लगाने वालों में अफरातफरी मच गई और कइयों ने बिकवाली शुरू कर दी। इससे बिटकॉइन और दूसरी क्रिप्टो के भाव नीचे आ गए। भारत में कई क्रिप्टो एक्सचेंजों का कामकाज भी कुछ देर तक प्रभावित रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को तस्वीर साफ होने का इंतजार करना चाहिए।
खुराना ने कहा, 'बजट सेशन वाले बिल के एजेंडा में भी ठीक यही बात थी, जो इस बार कही गई है। इस बीच, लेकिन सरकारी स्तर पर काफी चर्चा हुई है। वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री ने इस पर चर्चा की है। तो एजेंडा भले ही एक जैसा हो, यह मान लेना ठीक नहीं होगा कि विधेयक की बातें भी एकसमान होंगी।'
किप्टो पर बैन चाहता है RBI: वित्त मंत्री बोलीं- क्रिप्टो का बॉर्डरलेस नेचर, इसके रेगुलेशन के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सरकार से सिफारिश की है कि उसे क्रिप्टोकरेंसी के लिए नियम बनाने चाहिए और उन्हें प्रतिबंधित करना चाहिए। हालांकि, सरकार का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी के बॉर्डरलेस नेचर को देखते हुए किसी भी इफेक्टिव रेगुलेशन या बैन के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 18 जुलाई को संसद में ये बात कही।
सीतारमण का ये बयान उन अटकलों के बीच आया है जिसमें कहा जा रहा हैं कि क्रिप्टो बैन सरकार संसद के मानसून सत्र में क्रिप्टो सेक्टर को विनियमित करने के लिए कानून पेश कर सकती है। हालांकि, ऐसा कोई बिल पेश करने के लिए लिस्ट नहीं किया गया है। सरकार ने अब तक क्रिप्टो पर अपना रुख पब्लिक नहीं किया है। यहां तक कि उनके क्लासिफिकेशन पर भी भ्रम है कि वे फाइनेंशियल एसेट है या कमोडिटीज जैसे किसी और कैटेगरी में आते हैं।
बजट में हुआ था 30% टैक्स का ऐलान
इस साल फरवरी में बजट के दौरान क्रिप्टोकरेंसी पर TDS और 30% टैक्स का ऐलान किया गया था। जुलाई से इसे लागू कर दिया गया है। अगर क्रिप्टोकरेंसी के लिए किया गया लेन-देन एक साल में 10,000 रुपए से ज्यादा है तो उस पर 1% का चार्ज किया जाएगा। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने वर्चुअल क्रिप्टो बैन डिजिटल एसेट्स (VDA) के लिए TDS के डिस्क्लोजर मानदंडों की अधिसूचना में ये जानकारी दी थी।
इस साल आ सकती है RBI की डिजिटल करेंसी
एक तरफ जहां क्रिप्टो पर कानून का इंतजार है, तो दूसरी तरफ RBI अपनी डिजिटल करेंसी पर काम कर रही है। डिजिटल करेंसी के इस साल पेश करने की उम्मीद है। RBI के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर के अनुसार, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के अस्तित्व के कारणों को खत्म कर सकती है। डिजिटल करेंसी भी ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी।
क्रिप्टो बैन: सही कदम या भूल
भारत में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चर्चा हरेक की जुबान पर है भले ही उसने इसमें कभी निवेश किया हो या नहीं. अब सरकार इस पर कानून लाने वाली है, लेकिन यह काम भी बड़ा उलझन भरा है. जाानिए.
भारत में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चर्चा हरेक की जुबान पर है भले ही उसने इसमें कभी निवेश किया हो या नहीं. अब सरकार इस पर कानून लाने वाली है, लेकिन यह काम भी बड़ा उलझन भरा है. जाानिए क्यों?भारतीय संसद के इस हफ्ते शुरू हुए शीतकालीन सत्र की खास बात कृषि या विकास संबंधी परियोजनाएं न होकर एक ऐसी करेंसी या मुद्रा रही जो न देखी जा सकती है, न छुई जा सकती है और जिसकी कीमत तेजी से घटती-बढ़ती रहती है. इसे क्रिप्टोकरेंसी या डिजिटल करेंसी कहते हैं, जिस पर सरकार या बैंक का नियंत्रण नहीं होता है. यह करेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर बनी होती है, जो किसी डेटा को डिजिटली सहेजता है. अब जो करेंसी किसी के नियंत्रण में नहीं है, उस पर सरकार कानून कैसे ला सकती है? इसका जवाब हां और ना दोनों है. भले ही सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई कानून न बनाया हो, लेकिन भारत का आयकर विभाग क्रिप्टो निवेश पर होने वाली इनकम पर टैक्स लेता है. हालांकि क्रिप्टो टैक्स के नियम ज्यादा साफ नहीं हैं, लेकिन अगर किसी निवेश पर टैक्स लिया जा रहा है तो इसका मतलब है कि सरकार उसे आय का स्रोत मान रही है. दूसरा पक्ष यह है कि सरकार इसे पेमेंट का माध्यम मानने से इनकार कर रही है. हाल ही में संसद की ओर से जारी एक बुलेटिन में कहा गया कि बिटकॉइन या इथेरियम जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी का दर्जा नहीं दिया जा सकता है. यानि इनसे कोई भी दूसरा सामान नहीं खरीदा जा सकेगा.
नुकसानदेह हो सकता है सरकार का रवैया सरकार की यह हिचक लंबे अर्से में नुकसान ही कराएगी क्योंकि कई छोटे-बड़े देशों ने क्रिप्टोकरेंसी को पेमेंट का माध्यम मान लिया है. मसलन, अमेरिका स्थित दुनिया के सबसे बड़े मूवी थिएटर चेन एएमसी ने कुछ क्रिप्टोकरेंसी से पेमेंट किए जाने को मंजूरी दे दी है. वहीं, कोरोना महामारी से बुरी तरह तबाह हो चुके टूरिज्म बिजनेस को दोबारा खड़ा करने के लिए थाइलैंड ने क्रिप्टो निवेशकों का स्वागत करते हुए कहा है कि वे उनके यहां आकर क्रिप्टो के जरिए सामान खरीद सकते हैं. हालांकि, भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को एसेट क्लास यानि स्टॉक, बॉन्ड जैसा मानने को तैयार दिख रही है. इसका मतलब है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी न मानकर निवेश का माध्यम मानने को तैयार है. संसद की ओर से जारी बुलेटिन की एक अन्य टिप्पणी भी भ्रम पैदा करने वाली है. सरकार ने कहा है कि वह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा देगी. यह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी आखिर है क्या? सरकार ने इसे लेकर कोई व्याख्या नहीं दी है. क्रिप्टो जगत में प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी जैसी कोई चीज होती ही नहीं है क्योंकि सारी क्रिप्टोकरेंसी ‘प्राइवेट' ही हैं, ‘पब्लिक' या सरकार के नियंत्रण में तो हैं नहीं. ब्लॉकचेन तकनीक से परहेज नहीं एक अन्य मुद्दा जिस पर सरकार का रुख कन्फ्यूज कर रहा है वह है डिजिटल रुपये.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को ब्लॉकचेन तकनीक भा गई है क्योंकि इसकी वजह से रिकॉर्ड को सहेजना और करेंसी को जारी करना आसान है. सरकार को भले क्रिप्टोकरेंसी से दिक्कत हो, लेकिन वह खुद रुपये को डिजिटली जारी करना चाहती है. यानि हो सकता है कि भारतीय रुपया जल्द ही बिटकॉइन या डॉजकॉइन की तरह डिजिटल हो जाए. हाल के दिनों में सरकार के रवैये ने आम भारतीय क्रिप्टो निवेशकों को खूब छकाया. भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे वजीरएक्स और कॉइनडीटीएक्स पर निवेशकों ने जल्दबाजी में अपनी करेंसी बेच डाली. पुराने और मंझे हुए क्रिप्टो निवेशकों ने इसका फायदा उठाया और गिरे हुए भाव पर दाव लगाकर क्रिप्टोकरेंसी को अपनी झोली में डाल लिया. ऐसा ही होता है क्रिप्टोकरेंसी बाजार में, जहां कीमत के गिरने का इंतजार कर रहे निवेशक झट से पैसे लगाकर प्रॉफिट लेकर चले जाते हैं. कंपनियों को सरकार के फैसले का इंतजार भारत में स्थित क्रिप्टो कंपनियां फिलहाल सरकार के बिल लाने का इंतजार कर रही हैं. वह कई वर्षों से सरकार के साथ बातचीत कर रही थीं क्योंकि उन्हें मालूम है कि रेगुलेशन और कानून आने से उन्हीं का फायदा होगा और क्रिप्टो को लेकर आम लोगों में विश्वास जगेगा. यही वजह है कि क्रिप्टो बिल को लेकर तमाम अटकलों के बावजूद अरबों की संपत्ति वाला क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनडीसीएक्स अब अपना आईपीओ शेयर बाजार में लाने वाला है.
आईपीओ के जरिए उसे विस्तार मिलेगा और वह आम लोगों में अपने शेयर बेचकर धन की उगाही कर सकेगा. भारत को लेकर बड़ी कंपनिया आश्वस्त हैं कि यहां चीन की तरह क्रिप्टो पर बैन लगाकर तानाशाही नहीं चलेगी. एनालिटिक फर्म चेनएनालिसिस ने भी भारत को क्रिप्टो का हब करार दिया है, जो बिना किसी गाइडलाइंस के देश ने हासिल किया है. यह बड़ी उपलब्धि है और सरकार को इसे गंवाना नहीं चाहिए. फिलहाल सरकार को ब्लॉकचेन तकनीक से कोई दिक्कत नहीं, न ही क्रिप्टोकरेंसी इनकम पर मिलने वाले टैक्स से. लेकिन विडंबना यह है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने को भी आतुर है. यह वही बात हो गई है कि कमरे में हाथी रखा है और सबने उसकी अपनी तरह से व्याख्या की है. भारत सरकार को क्रिप्टोकरेंसी पर व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. एक ऐसा देश जो आईटी सेक्टर का हब हो, जहां 500 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हो और जिसने डिजिटल इंडिया का ख्बाव देखा हो, वह ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी के उदय के दौर में पिछड़ कर रह जाएगा. ये भी देखिए: बिटकॉइन कैसे काम करता है और यह किस काम आता है.