तकनीकी विश्लेषण के मूल तत्व

मेष CDEF के लिए, KVL है
तकनीकी विश्लेषण के मूल तत्व
आर्थिक भूगोल के मूल तत्व ( Elements of Economic Geography ) | By Dr. Alka Gautam | 2022 Edition | Sharda Pustak Bhawan Publication ( Hindi Medium ).
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SKU, Publisher | Shar-Arthik-bhog-(H) |
Publisher | Sharda Pustak Bhawan |
Author, Edition | D.S. Lal, 2022 Edition, Hindi Medium |
Binding, Type | Paperback, New |
No. of Pages | 632 |
तकनीकी विश्लेषण क्या है वर्णन करें?
इसे सुनेंरोकेंतकनीकी विश्लेषण अथवा टेक्निकल एनालिसिस (अंग्रेज़ी: Technical analysis,) विभिन्न प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज) (जैसे शेयर तकनीकी विश्लेषण के मूल तत्व आदि) का विश्लेषण करने की विधा है। इसकी सहायता से भविष्य में इनके मूल्यों के बढ़ने-घटने के बारे में अनुमान लगाया जाता है।
आधारभूत विश्लेषण से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंआधारभूत विश्लेषण आर्थिक और वित्तीय घटकों के माध्यम से किसी परिसंपत्ति के आंतरिक मूल्य को खोजने का एक तरीका है। कई कारक हैं जिन्हें मौलिक विश्लेषक ध्यान देते हैं, जिसमें अर्थव्यवस्था और उद्योग की स्थिति सहित समष्टि अर्थव्यवस्था और साथ ही साथ कंपनी प्रबंधन संरचनाओं और दर्शन जैसे सूक्ष्म कारकों में भी ध्यान दिया जाता है।
मौलिक विश्लेषण और तकनीकी विश्लेषण क्या है?
इसे सुनेंरोकेंमौलिक विश्लेषण आमतौर पर एक दीर्घकालिक स्थिति व्यापारी के लिए सिफारिश की जाती है, जबकि तकनीकी विश्लेषण स्विंग व्यापारी या अल्पकालिक व्यापारी के लिए उपयुक्त है। जबकि तकनीकी विश्लेषण केवल पिछले आंकड़ों का विश्लेषण करता है, मौलिक विश्लेषण अतीत और भविष्य के विकास की संभावनाओं दोनों पर केंद्रित है ।
तकनीकी विश्लेषण डाउ सिद्धांत की व्याख्या क्या है?
इसे सुनेंरोकेंस्टॉक-मूल्य गतिविधि पर डाउ सिद्धांत एक तकनीकी विश्लेषण है जिसमें सेक्टर रोटेशन के कुछ पहलु शामिल हैं। इस सिद्धांत को चार्ल्स एच. डाउ (1851-1902) द्वारा लिखित वॉल स्ट्रीट जर्नल के 255 संपादकीय से निकाला गया था, वे वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार, संस्थापक और प्रथम सम्पादक थे और डाउ जोन्स एंड कंपनी के सह-संस्थापक थे।
वित्तीय विश्लेषण से क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंवित्तीय विश्लेषण एक फ़र्म की वित्तीय सुदृढ़ता एवं कमजोरियों को पहचानने का एक प्रक्रम है, जिसमें तुलन-पत्र तथा लाभ व हानि विवरण की मदों के बीच उचित संबंधों को देखा जाता है। एक वित्त प्रबंधक को निश्चित रूप से विश्लेषण के विभिन्न साधनों से सुसज्जित होना चाहिए ताकि फ़र्म के लिए विवेकपूर्ण निर्णय लिए जा सकें।
इसे सुनेंरोकेंतकनीकी विश्लेषण का मतलब होता है शेयर के भाव के चार्ट्स की समीक्षा करके भविष्य के उतार-चढ़ाव की जानकारी पता करना। तकनीकी विश्लेषण का मतलब होता है शेयर के भाव के चार्ट्स की समीक्षा करके भविष्य के उतार-चढ़ाव की जानकारी पता करना। यह समझना जरूरी है कि तकनीकी विश्लेषण पूरी तरह से शेयर की कीमतों पर आधारित होता है।
स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण कैसे करें?
मल्टी मेश
सर्किट, जिसमें एक से अधिक जाल होते हैं, के रूप में जाना जाता है बहु जाल सर्किट। सिंगल मेशेड सर्किट की तुलना में मल्टी मेशेड सर्किट का विश्लेषण कुछ कठिन है।
यदि आप एक वीडियो स्पष्टीकरण पसंद करेंगे, तो हम नीचे दिए गए वीडियो में एक उदाहरण पर चलते हैं:
मेष विश्लेषण के लिए कदम
मेष विश्लेषण में निम्नलिखित चरण बहुत सरल हैं, वे इस प्रकार हैं-
- frst हमें यह निर्धारित करना होगा कि सर्किट प्लांटर है या नहीं नॉन प्लानर । यदि यह ए नॉन प्लानर सर्किट, हमें विश्लेषण के अन्य तरीकों का प्रदर्शन करना होगा जैसे नोडल विश्लेषण।
- फिर हमें मेषों की संख्या गिननी होगी। हल किए जाने वाले समीकरणों की संख्या है वही मेषों की संख्या के रूप में।
- फिर हम सुविधा के अनुसार प्रत्येक मेष धाराओं को लेबल करते हैं।
- हम लिखते हैं KVL प्रत्येक मेश के लिए समीकरण। यदि तत्व दो जालों के बीच स्थित है, तो हम दो मेषों पर विचार करके तत्व के माध्यम से बहने वाली कुल धारा की गणना करते हैं। यदि दो जाल धाराओं की दिशा समान है योग धाराओं के तत्व के माध्यम से प्रवाहित कुल धारा के रूप में लिया जाता है और यदि दिशा विपरीत होती है तो मेष धाराओं का अंतर लिया जाता है। में दूसरा मामले में विचार के तहत मेष में वर्तमान सभी मेष धाराओं के बीच सबसे बड़ी के रूप में लिया जाता है और प्रक्रिया का पालन किया जाता है।
मेष विश्लेषण के नुकसान
- हम इस विधि का उपयोग केवल तभी कर सकते हैं जब सर्किट प्लानर हो, अन्यथा विधि उपयोगी नहीं है।
- यदि नेटवर्क बड़ा है, तो मेषों की संख्या बड़ी होगी, इसलिए, समीकरणों की कुल संख्या अधिक होगी, इसलिए उस स्थिति में उपयोग करना असुविधाजनक हो जाता है।
हालांकि, इसके कुछ नुकसान हैं, यह तरीका हैएक बहुत शक्तिशाली उपकरण जो सर्किट विश्लेषण में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह एक छोटे नेटवर्क के मामले में व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली विधि है, जिसमें छोटी संख्या में मेष होते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि विधि सरल है, समझने में आसान है और नेटवर्क छोटा होने पर त्वरित परिणाम देता है।
कथोपकथन या संवाद योजना –
कथोपकथन कहानी का महत्त्वपूर्ण अंग है। यदि किसी कहानी में संवाद न होकर केवल वर्णन ही होंगे तो उस कहानी के पात्र अव्यक्त रह जायेंगे तथा प्रभावशीलता एवं संवेदनशीलता नष्ट हो जायेगी, परन्तु यदि केवल संवाद ही होंगे, तो वह कहानी न रह कर एकांकी नाटक बन जायेगी। अतः कहानी में संवाद वर्णन में उचित समन्वय होना चाहिये।
कहानी में कथोपकथन का कार्य कथा को तकनीकी विश्लेषण के मूल तत्व तकनीकी विश्लेषण के मूल तत्व गति प्रदान करना, पात्रों की चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट करना, भाषा-शैली का निर्माण करना तथा कथा को रस की स्थिति तक पहुँचाना है।
सफल कथोपकथन वे कहे जायेंगे जो स्वाभाविक एवं परिस्थिति के अनुकूल हों, जिनमें जिज्ञासा एवं कुतूहलता उत्पन्न करने की क्षमता हो। संक्षिप्तता एवं ध्वन्यात्मकता भी कथोपकथन के गुण हैं।
भाषा कहानी का पांचवाँ मूल तत्त्व है। भाषा वस्तुतः भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम है। अतः भाषा के लिए यह आवश्यक है कि वह सहज, सरल एवं बोधगम्य हो। कहानी की भाषा ऐसी होनी चाहिए कि उसमें मूल संवेदना को व्यक्त करने तकनीकी विश्लेषण के मूल तत्व की पूरी क्षमता हो। वह ओज एवं माधुर्य गुणों से युक्त तथा विषयानुकूल हो।
शैली –
बाबू गुलाबराय के शब्दों में ’’शैली का सम्बन्ध कहानी के किसी एक तत्त्व से नहीं वरन् सब तत्त्वों से है तथा उसकी अच्छाई एवं बुराई का प्रभाव सम्पूर्ण कहानी पर पङता है।’’ कला की प्रेषणीयता प्रमुख रूप से शैली पर ही निर्भर करती है।
वर्तमान समय में कहानी लिखने की प्रमुख शैलियाँ निम्नलिखित हैं-
(2) आत्मकथात्मक शैली
(8) संस्मरणात्मक शैली
(10) मनोविश्लेषणात्मक शैली।
एक सफल शैली के लिए ये गुण अपेक्षित माने गये हैं – आलंकारिकता, प्रवाहात्मकता, रोचकता, व्यंग्यात्मकता, भावात्मकता, तथा प्रतीकात्मकता।
वातावरण –
कहानी कला का मेरुदण्ड है वास्तविक जीवन। वह वास्तविक जीवन देश, काल, जीवन की विभिन्न सत्-असत् प्रवृत्तियों और परिस्थितियों से निर्मित होता है। इन तत्त्वों को एक साथ एक ही स्थान पर चित्रित करना कहानी में वातावरण उपस्थिति करना है। वातावरण भौतिक तथा मानसिक दोनों प्रकार का हो सकता है। वातावरण कहानी को यथार्थ बनाने में सहायक होता है। अतः कहानी जिस स्थान अथवा समय से सम्बन्धित रहे, उसका यथार्थ चित्रण उसमें होना चाहिए।
यह कहानी का अन्तिम तत्त्व है। कोई भी रचना लिखी जाती है, उसका कोई उद्देश्य अवश्य होता है। वह उद्देश्य पाठकों के मनोरंजन से लेकर गम्भीर समस्या का निरूपण तक हो सकता है।
कहानीकार अपनी कहानियों के उद्देश्य अपनी विचारधारा के अनुसार रखते हैं। कहानी में उद्देश्यों की संख्या सीमित नहीं होती है। कुछ प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं- मनोरंजन, उपदेशात्मकता, हास्योत्पादन, आदर्श स्थापना, यथार्थ-चित्रण, सुधार भावना, समस्या-चित्रण, मनोवैज्ञानिक आदि।
ISO 4611 प्लास्टिक - नम गर्मी के संपर्क में आने के प्रभावों को निर्धारित करने के लिए मानक परीक्षण विधि - पानी का स्प्रे और नमक की धुंध
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