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विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण

विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण
हिन्दुस्तान 4 दिन पहले लाइव हिन्दुस्तान

आईएमएफ बांग्लादेश को $4.5 बिलियन का सहायता पैकेज प्रदान करेगा

ढाका: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने बुधवार को कहा कि वह ऊर्जा और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों से निपटने में मदद के लिए बांग्लादेश को 4.5 अरब डॉलर का सहायता पैकेज देने के लिए एक प्रारंभिक समझौते पर पहुंच गया है।

अन्य एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के साथ आम तौर पर बांग्लादेश को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के मद्देनजर कीमतों में तेज वृद्धि से कड़ी चोट लगी है, जिससे सड़क पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।

लगभग 170 मिलियन लोगों के दक्षिण एशियाई राष्ट्र ने इस वर्ष की शुरुआत में समर्थन के लिए आईएमएफ से संपर्क किया।

एक आईएमएफ प्रतिनिधिमंडल और ढाका के प्रतिनिधियों ने विभिन्न सुविधाओं के तहत कुल 4.5 अरब डॉलर के साथ "बांग्लादेश की आर्थिक नीतियों का समर्थन करने के लिए एक कर्मचारी-स्तर के समझौते पर पहुंच गया", संस्थान ने एक बयान में कहा, यह सौदा आईएमएफ प्रबंधन अनुमोदन के अधीन था।

बांग्लादेश अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए आईएमएफ ऋण का उपयोग करने की योजना बना रहा है, जो 46 अरब डॉलर से घटकर 34 अरब डॉलर हो गया है।

बांग्लादेशी टका ने हाल के महीनों में ग्रीनबैक के मुकाबले लगभग 25 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है, जबकि आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मुद्रास्फीति 10 प्रतिशत तक पहुंच गई है - लेकिन स्वतंत्र अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सही आंकड़ा 20 प्रतिशत के करीब है।

घरेलू बजट पर भारी असर पड़ा है और सरकार ने जनता के असंतोष को शांत करने के लिए चावल सहित कई मुख्य खाद्य पदार्थों की कीमत को सीमित करने का संकल्प लिया है।

आईएमएफ टीम के नेता राहुल आनंद ने कहा, "महामारी से बांग्लादेश की मजबूत आर्थिक सुधार यूक्रेन में रूस के युद्ध से बाधित हुई है, जिससे चालू खाता घाटा तेजी से बढ़ रहा है, विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट आई है, मुद्रास्फीति बढ़ रही है और विकास धीमा हो गया है।"

उन्होंने कहा, "हालांकि बांग्लादेश इन तात्कालिक चुनौतियों से निपटता है, लंबे समय से चले आ रहे संरचनात्मक मुद्दों को संबोधित करना महत्वपूर्ण है, जिसमें जलवायु परिवर्तन से व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए खतरे भी शामिल हैं।"

मूल्यह्रास मुद्रा और घटते विदेशी मुद्रा भंडार ने बांग्लादेश को पर्याप्त जीवाश्म ईंधन आयात करने में असमर्थ बना दिया है।

प्रधान मंत्री शेख हसीना की सरकार को डीजल संयंत्रों को बंद करने, कुछ गैस से चलने वाले बिजली स्टेशनों को बेकार छोड़ने और मौजूदा स्टॉक को बचाने के लिए प्रतिदिन 13 घंटे तक की लंबी बिजली कटौती करने के लिए मजबूर किया गया है।

पिछले महीने कम से कम 130 मिलियन लोगों को बिजली के बिना छोड़ दिया गया था क्योंकि ग्रिड की विफलता के कारण व्यापक ब्लैकआउट हुआ था।

और मुस्लिम बहुल देश की हजारों मस्जिदों को बिजली ग्रिड पर दबाव कम करने के लिए एयर कंडीशनर के उपयोग को कम करने के लिए कहा गया है।

ब्लैकआउट ने व्यापक जनता के विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण गुस्से को भड़काया और ढाका की सड़कों पर बड़े प्रदर्शनों को संगठित करने में मदद की।

पुलिस की कार्रवाई में एक प्रदर्शन में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई और दूसरे में लगभग 100 अन्य घायल हो गए।

सरकारी अनुमानों के विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण अनुसार, बांग्लादेश की अनिश्चित वित्तीय स्थिति इस साल पूर्वोत्तर में अभूतपूर्व बाढ़, सात मिलियन से अधिक लोगों के घरों में जलमग्न होने और लगभग 10 बिलियन डॉलर की क्षति के कारण बढ़ गई थी।

विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने इस संकट के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है, और उस पर अरबों डॉलर की वैनिटी परियोजनाओं पर नकदी बर्बाद करने का आरोप लगाया है।

इसने शेख हसीना के इस्तीफे और एक कार्यवाहक सरकार के तहत आम चुनाव की मांग को लेकर कई रैलियों का आयोजन किया है।

बांग्लादेश को उम्मीद है कि वह कम से कम विकसित देश का दर्जा हासिल करेगा और 2031 तक "मध्यम आय" वाला देश बन जाएगा।

शेख हसीना की सरकार ने एक कार्यक्रम तैयार किया है, जिसका आईएमएफ ने समर्थन किया है, लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, साथ ही मुद्रास्फीति को रोकने के उपायों, अपनी मौद्रिक नीति ढांचे को बदलने और वित्तीय क्षेत्र को मजबूत करने के लिए।

बांग्लादेश बड़े पैमाने पर जलवायु निवेश का भी समर्थन करेगा और अतिरिक्त जलवायु वित्तपोषण की मांग करेगा।

इस क्षेत्र में कहीं और, श्रीलंका ने आईएमएफ से एक खैरात की मांग की है, इसका आर्थिक संकट - जिसने अपने अध्यक्ष को सड़क पर विरोध प्रदर्शनों से हटा दिया - ऊर्जा और खाद्य कीमतों में वैश्विक वृद्धि से तेज हो गया।

अमेरिका ने भारत को मुद्रा निगरानी सूची से हटाया, चीन को झटका; जानिए क्या हैं इसके मायने

हिन्दुस्तान लोगो

हिन्दुस्तान 4 दिन पहले लाइव हिन्दुस्तान

अमेरिका ने शुक्रवार को भारत समेत चार अन्य देशों को अपनी मुद्रा निगरानी सूची से हटा दिया। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कांग्रेस (संसद) को सौंपी अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट में कहा कि भारत, इटली, मैक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम को सूची से हटा दिया गया है। इसमें कहा गया है कि जिन देशों को सूची से हटा दिया गया है, वे लगातार दो बार तीन मानदंडों में से केवल एक को पूरा कर पाए हैं। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने इस साल जून में अपने महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष के कारण भारत को करेंसी मैनिपुलेटर की निगरानी सूची में रखा था। महामारी की शुरुआत के बाद से यह तीसरी बार था जब भारत सूची में आया था।

क्या है मुद्रा निगरानी सूची?

भारत पिछले दो साल से अमेरिकी मुद्रा निगरानी सूची में था। अमेरिका अपने प्रमुख भागीदारों की मुद्रा पर निगरानी के लिए यह लिस्ट तैयार करता है। इस व्यवस्था के तहत प्रमुख व्यापार भागीदारों की मुद्रा को लेकर गतिविधियों तथा वृहत आर्थिक नीतियों पर करीबी नजर रखी जाती है।

भारत यात्रा पर हैं अमेरिकी वित्त मंत्री

बता दें कि अमेरिका ने भारत को अपनी मुद्रा निगरानी सूची से ऐसे समय में हटाया है जब उसकी वित्त मंत्री भारत के दौरे पर हैं। अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने अपनी भारत यात्रा के साथ शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक की। इसी दिन अमेरिका के वित्त विभाग ने यह कदम उठाया है।

चीन को झटका

वित्त विभाग ने संसद को अपनी छमाही रिपोर्ट में कहा कि चीन, जापान, विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण दक्षिण कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान सात देश हैं जो मौजूदा निगरानी सूची में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन देशों को सूची से हटाया गया है उन्होंने लगातार दो रिपोर्ट में तीन में से सिर्फ एक मानदंड पूरा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अपने विदेशी विनिमय हस्तक्षेप को प्रकाशित करने में विफल रहा है। इसके अलावा चीन अपनी विनिमय दर तंत्र में पारदर्शिता की कमी के चलते वित्त विभाग की नजदीकी निगरानी में है।

अमेरिका ने भारत को अपनी मुद्रा नगरानी सूची से हटाया, आखिर क्यों, यहां पढ़ें

अमेरिका ने भारत को अपनी मुद्रा नगरानी सूची से हटाया, आखिर क्यों, यहां पढ़ें

विभाग ने गुरुवार को कांग्रेस को एक रिपोर्ट में निर्णय से अवगत कराया जिसमें कहा गया था कि भारत सूची में बने रहने की कसौटी पर खरा नहीं उतरा। सूची जो निगरानी करती है कि क्या देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अनुचित प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त करने या भुगतान संतुलन समायोजन का फायदा उठाने के लिए अपनी मुद्रा और अमेरिकी डॉलर के बीच विनिमय दर में हेरफेर करते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इटली, मैक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम को भी निगरानी सूची से हटा दिया गया है, जबकि चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान इस पर बने हुए हैं। भारत ने दो रिपोटिर्ंग अवधियों में तीन मानदंडों में से एक को पूरा किया, जिससे यह हटाने के योग्य हो गया, जैसा कि चार अन्य देशों ने किया था।

रिपोर्ट का विमोचन येलन की भारत यात्रा के दौरान व्यापार बंधनों को मजबूत करने के लिए किया गया था क्योंकि चीन पर अधिक निर्भरता से समस्याओं का सामना करने के बाद अमेरिका वैश्विक आर्थिक और विनिर्माण पुनर्गठन चाहता है। येलेन ने फ्रेंडशोरिंग की अवधारणा की बात की - मित्र देशों में आपूर्ति श्रृंखला लाना।

उन्होंने कहा- ऐसी दुनिया में जहां आपूर्ति श्रृंखला कमजोरियां भारी लागत लगा सकती हैं, हमारा मानना है कि भारत के साथ अपने व्यापार संबंधों को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। भारत हमारे भरोसेमंद व्यापारिक साझेदारों में से एक है। किसी देश को निगरानी सूची में रखने के लिए जिन तीन कारकों पर विचार किया गया है, वह हैं अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष का आकार, चालू खाता अधिशेष और विदेशी मुद्रा बाजार में लगातार एकतरफा हस्तक्षेप। इसके अलावा, यह मुद्रा विकास, विनिमय दर प्रथाओं, विदेशी मुद्रा आरक्षित कवरेज, पूंजी नियंत्रण और मौद्रिक नीति पर भी विचार करता है।

रिपोर्ट में विशेष रूप से यह नहीं बताया गया है कि भारत किन मानदंडों को पूरा करता या नहीं करता है, लेकिन इसमें संबंधित क्षेत्रों में नई दिल्ली के प्रदर्शन का उल्लेख है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जून के अंत में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 526.5 अरब डॉलर था, जो सकल घरेलू उत्पाद का 16 फीसदी है। भारत, रिपोर्ट में शामिल अन्य देशों की तरह, मानक पर्याप्तता बेंचमार्क के आधार पर पर्याप्त - या पर्याप्त से अधिक - विदेशी मुद्रा भंडार को बनाए रखना जारी रखता है।

रिपोर्ट के अनुसार, इसका अमेरिका के साथ 48 बिलियन डॉलर का व्यापार अधिशेष भी था। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने आर्थिक नीति में पारदर्शिता सुनिश्चित की। एकतरफा मुद्रा हस्तक्षेप के लिए विभाग का मानदंड 12 महीनों में से कम से कम आठ में विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद है, जो सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम दो प्रतिशत है। इसने कहा कि चौथी तिमाही में भारत की विदेशी मुद्रा की शुद्ध खरीद पिछली अवधि की तुलना में नकारात्मक 0.9 थी, या 30 बिलियन डॉलर कम थी।

पतंजलि की पांच दवाओं पर लगाई गई रोक का आदेश दो ही दिन बाद वापस: रिपोर्ट

उत्तराखंड आयुर्वेद एवं यूनानी लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने बीते 9 नवंबर को रामदेव की कंपनी पतंजलि की पांच दवाओं के उत्पादन और उनके विज्ञापनों पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था और कंपनी से एक सप्ताह में जवाब मांगा था, लेकिन शनिवार को उक्त आदेश को एक ‘त्रुटि’ बताते हुए वापस ले लिया गया. The post पतंजलि की पांच दवाओं पर लगाई गई रोक का आदेश दो ही दिन बाद वापस: रिपोर्ट appeared first on The Wire - Hindi.

उत्तराखंड आयुर्वेद एवं यूनानी लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने बीते 9 नवंबर को रामदेव की कंपनी पतंजलि की पांच दवाओं के उत्पादन और उनके विज्ञापनों पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था और कंपनी से एक सप्ताह में जवाब मांगा था, लेकिन शनिवार को उक्त आदेश को एक ‘त्रुटि’ बताते हुए वापस ले लिया गया.

देहरादून: उत्तराखंड आयुर्वेद एवं यूनानी लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने बुधवार (9 नवंबर) को बाबा रामदेव के पतंजलि उत्पादों का निर्माण करने वाली दिव्य फार्मेसी द्वारा बनाई जाने वाली पांच दवाओं के उत्पादन पर एक नोटिस जारी करके रोक लगा दी थी.

दिव्य फार्मेसी को पांच दवाओं का उत्पादन रोकने के निर्देश देते हुए उसे उनकी मंजूरी लेने के लिए अपनी संशोधित फार्मूलेशन शीट प्रस्तुत करने को कहा गया था.

राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के संयुक्त निदेशक और राज्य के औषधि नियंत्रक जीसीएन जंगपांगी द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस में दिव्य फार्मेसी से एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा गया था.

इसके अलावा, नोटिस में दिव्य फार्मेसी से अपने सभी ‘भ्रामक’ और ‘आपत्तिजनक’ विज्ञापन मीडिया से तत्काल हटाने को कहा गया था, जिसका विरोध जताते हुए पतंजलि ने अगले ही दिन एक बयान जारी करके इस कार्रवाई को ‘आयुर्वेद विरोधी दवा माफिया’ की करतूत बताया था.

लेकिन, अब रोक लगाने के दो ही दिन बाद शनिवार (12 नवंबर) को उत्तराखंड आयुर्वेद एवं यूनानी लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने अपना आदेश वापस ले लिया है और इसे एक ‘त्रुटि’ बताया है.

इस संबंध में हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, औषधि नियामक डॉ. जंगपांगी द्वारा शनिवार को जारी पत्र में कहा गया है, ‘हम इस निदेशालय द्वारा जारी 9 नवंबर के पिछले आदेश में संशोधन करके दवाओं (पांच उत्पादों) के उत्पादन को पहले की तरह जारी रखने की अनुमति देते हैं.’

जंगपांगी ने अखबार से कहा है, ‘हमने पिछला आदेश जल्दबाजी में जारी कर दिया था और वह विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण एक त्रुटि थी. हमने एक ताजा आदेश जारी करके दिव्य फार्मेसी को पांच पांच दवाओं (उत्पादों) का उत्पादन जारी रखने की अनुमति दे दी है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हमें उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने का आदेश देने से पहले कंपनी को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए समय देना चाहिए था.’

गौरतलब है कि प्राधिकरण द्वारा बुधवार को कंपनी को जारी नोटिस के अनुसार, वह (कंपनी) रोक लगाए गए पांच उत्पादों को ब्लड प्रेशर, शुगर, घेंघा, काला मोतिया और उच्च कोलेस्ट्रॉल की दवाइयों के रूप में प्रचारित करती है. इन पांच उत्पादों के नाम दिव्य मधुग्रित, दिव्य आईग्रिट गोल्ड, दिव्य थायरोग्रिट, दिव्य बीपीग्रिट और दिव्य लिपिडोम हैं.

उक्त नोटिस में कहा गया था कि प्राधिकरण से अपने संशोधित फार्मूलेशन शीट की मंजूरी लेने के बाद ही कंपनी इनका उत्पादन फिर से शुरू कर सकती है.

प्राधिकरण द्वारा गठित एक समिति कंपनी के मूल फार्मूलेशन शीट और उत्पादों के लेबल का परीक्षण कर चुकी थी.

दिव्य फार्मेसी के विरूद्ध उक्त कार्रवाई केरल के एक चिकित्सक केवी बाबू की शिकायत पर की गई थी, जिसमें उन्होंने कंपनी पर औषधि और चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम तथा औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम के उल्लंघन का आरोप लगाया था.

एनडीटीवी के मुताबिक, दवाओं पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद पतंजलि समूह ने गुरुवार (10 नवंबर) को एक बयान जारी किया था, जिसमें इस कार्रवाई को ‘आयुर्वेद विरोधी दवा माफियाओं की साजिश करार दिया था.’

कंपनी ने प्राधिकरण को चेतावनी देते हुए कहा था, ‘या तो विभाग अपनी गलती को सुधारे और इस साजिश में शामिल व्यक्ति के खिलाफ उचित कार्रवाई करे, अन्यथा इस साजिश के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को दंडित करने के साथ-साथ पतंजलि को हुए संस्थागत नुकसान के मुआवजे के लिए संगठन कानूनी कार्रवाई करेगा.’

प्रतिबंध हटाने के आदेश के बाद पतंजलि के प्रवक्ता एसके तिजारीवाला ने शनिवार को कहा, ‘हम आयुर्वेद को बदनाम करने के इस विवेकहीन कृत्य का संज्ञान लेने और त्रुटि को समय पर ठीक करने के लिए उत्तराखंड सरकार के आभारी हैं.’

कंपनी ने आगे कहा, ‘30 वर्षों के निरंतर प्रयास और शोध के माध्यम से पतंजलि संस्थानों ने दुनिया में पहली बार अनुसंधान और साक्ष्य-आधारित दवा के रूप में आयुर्वेदिक दवाओं के लिए स्वीकृति पैदा की है.’

बयान में कहा गया है, ‘दुर्भाग्यवश उत्तराखंड के आयुर्वेद लाइसेंसिंग प्राधिकरण के कुछ अज्ञानी, असंवेदनशील और अयोग्य अधिकारी आयुर्वेद की पूरी ऋषि परंपरा को कलंकित कर रहे हैं.’

पतंजलि का कहना है, ‘एक अधिकारी की यह अविवेकपूर्ण त्रुटि, (जो) आयुर्वेद की परंपरा और प्रामाणिक शोध पर एक प्रश्न चिह्न लगाती है, आयुर्वेद को पूरी तरह कलंकित करने के लिए की गई है. जान-बूझकर पतंजलि को बदनाम करने का निंदनीय कृत्य किया गया.’

पतंजलि अपनी दवाओं को लेकर पहले भी रहा है विवादों में

इससे पहले जुलाई 2022 में पतंजलि योगपीठ की इकाई दिव्य फार्मेसी कपंनी पर इसके आयुर्वेदिक उत्पादों के भ्रामक विज्ञापन जारी करने के चलते आयुर्वेद एवं यूनानी सेवा (उत्तराखंड) के लाइसेंसिंग अधिकारी ने हरिद्वार के ड्रग इंस्पेक्टर को दिव्य फार्मेसी के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे.

उल्लेखनीय है कि बीते साल रामदेव और उनकी कंपनी पतंजलि ने अपनी दवा ‘कोरोनिल’ के कोविड-19 के इलाज में कारगर होने संबंधी दावे किए थे. साथ ही एलोपैथी और विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण एलोपैथी डॉक्टरों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की थीं, जिसके खिलाफ डॉक्टरों के विभिन्न संघों ने अदालत का रुख किया था.

जुलाई 2022 में रामदेव की कंपनी ने अदालत को बताया था कि वह कोरोनिल के इम्युनिटी बूस्टर, न कि बीमारी का इलाज होने को लेकर सार्वजनिक स्पष्टीकरण जारी करने के लिए तैयार है. हालांकि, अगस्त की सुनवाई में उसने जो स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया, उसमें लिखा था:

‘यह स्पष्ट किया जाता है कि कोरोनिल एक इम्युनिटी बूस्टर होने के अलावा विशेष रूप से श्वांस नली से संबंधित और सभी प्रकार के बुखार के लिए, कोविड-19 के प्रबंधन में एक साक्ष्य-आधारित सहायक है.’

इसमें यह भी कहा गया था, ‘कोरोनिल का परीक्षण कोविड-19 के लक्षण वाले रोगियों पर किया गया, जिसका नतीजा सफल रहा. इसे उस पृष्ठभूमि में देखें कि कोरोनिल को इलाज कहा गया था. हालांकि, बाद में यह स्पष्ट किया गया कि कोरोनिल कोविड-19 के लिए केवल एक पूरक उपाय है.’

अदालत ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा था कि यह ‘स्पष्टीकरण के बजाय अपनी पीठ थपथपाने जैसा है.’

इसके आगे की सुनवाइयों में अदालत ने कंपनी को फटकारते हुए कहा था कि वह अपने उत्पाद को कोविड का इलाज बताकर गुमराह कर रही है.

इसके बाद अगस्त 2022 के आखिरी सप्ताह में एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एलोपैथी और एलोपैथिक डॉक्टरों की आलोचना करने के लिए रामदेव से अप्रसन्नता जताते हुए कहा था कि उन्हें डॉक्टरों के लिए अपशब्द बोलने से परहेज करना चाहिए.

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार को रामदेव को झूठे दावे और एलोपैथी डॉक्टरों की आलोचना करने से रोकना चाहिए.

उल्लेखनीय है कि मई 2021 में सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो का हवाला देते हुए आईएमए ने कहा था कि रामदेव कह रहे हैं कि ‘एलोपैथी एक स्टुपिड और दिवालिया साइंस है’.

रामदेव ने यह भी कहा विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण था कि एलोपैथी की दवाएं लेने के बाद लाखों लोगों की मौत हो गई. इसके साथ ही आईएमए ने रामदेव पर यह कहने का भी आरोप लगाया था कि भारत के औषधि महानियंत्रक द्वारा कोविड-19 के इलाज के लिए मंजूर की गई रेमडेसिविर, फैबीफ्लू तथा ऐसी अन्य दवाएं कोविड-19 मरीजों का इलाज करने में असफल रही हैं.

एलोपैथी को स्टुपिड और दिवालिया साइंस बताने पर रामदेव के खिलाफ महामारी रोग कानून के तहत कार्रवाई करने की डॉक्टरों की शीर्ष संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) व डॉक्टरों के अन्य संस्थाओं की मांग के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने रामदेव को एक पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया था कि वे अपने शब्द वापस ले लें.

24 घंटे के दौरान कोविड-19 संक्रमण के 734 नए मामले और 2 मरीज़ों की मौत

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 4,46,66,377 मामले सामने आए हैं और मृतक संख्या 5,30,531 है. विश्व में संक्रमण के 63.49 करोड़ से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं और अब तक इस महामारी की चपेट में आकर 66.09 लाख से ज़्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. The post 24 घंटे के दौरान कोविड-19 संक्रमण के 734 नए मामले और 2 मरीज़ों की मौत appeared first on The Wire - Hindi.

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 4,46,66,377 मामले सामने आए हैं और मृतक संख्या 5,30,531 है. विश्व में संक्रमण के 63.49 करोड़ से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं और अब तक इस महामारी की चपेट में आकर 66.09 लाख से ज़्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.

नई दिल्ली: भारत में कोविड-19 के 734 नए मामले सामने आने के साथ ही संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 4,46,66,377 हो गई. वहीं, उपचाराधीन मरीजों यानी सक्रिय मामलों की संख्या कम होकर 12,307 रह गई है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रविवार सुबह आठ बजे तक जारी अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटे के दौरान संक्रमण से तीन और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 5,30,531 हो गई है.

इनमें से मौत का एक मामला केरल द्वारा संक्रमण से मौत के आंकड़ों का पुनर्मिलान करने के बाद मृतकों की सूची में जोड़ा गया है.

इस तरह केरल के एक व्यक्ति के अलावा पिछले 24 घंटे में संक्रमण से मौत के जो 2 मामले सामने आए हैं, उनमें से एक मामला कर्नाटक, जबकि एक पश्चिम बंगाल से सामने आया है.

अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक, पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 63,49,83,244 हो गए हैं और इस संक्रमण के चलते दुनियाभर में अब तक 66,09,692 लोगों की मौत हो चुकी है.

आंकड़ों के अनुसार, भारत में उपचाराधीन मरीजों की संख्या संक्रमण के कुल मामलों का 0.03 प्रतिशत है, जबकि कोविड-19 से उबरने की दर बढ़कर 98.78 प्रतिशत हो गई है.

कोविड-19 से उबरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 4,41,22,562 हो गई है, जबकि मृत्यु दर 1.19 प्रतिशत है. देशव्यापी कोविड-19 रोधी टीकाकरण अभियान के तहत अभी तक 219.80 करोड़ खुराकें दी जा चुकी है.

आंकड़ों के मुताबिक, देश में 110 दिन में कोविड-19 के मामले एक लाख हुए थे और 59 दिनों में वह 10 लाख के पार चले गए थे.

भारत में कोविड-19 संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 10 लाख से 20 लाख (7 अगस्त 2020 को) तक पहुंचने में 21 दिनों का समय लगा था, जबकि 20 से 30 लाख (23 अगस्त 2020) की संख्या होने में 16 और दिन लगे. हालांकि 30 लाख से 40 लाख (5 सितंबर 2020) तक पहुंचने में मात्र 13 दिनों का समय लगा.

वहीं, 40 लाख के बाद 50 लाख (16 सितंबर 2020) की संख्या को पार करने में केवल 11 दिन लगे. मामलों की संख्या 50 लाख से 60 लाख (28 सितंबर 2020 को) होने में 12 दिन लगे थे. इसे 60 से 70 लाख (11 अक्टूबर 2020) होने में 13 दिन लगे. 70 से 80 लाख (29 अक्टूबर को 2020) होने में 19 दिन लगे और 80 से 90 लाख (20 नवंबर 2020 को) होने में 13 दिन लगे. 90 लाख से एक करोड़ (19 दिसंबर 2020 को) होने में 29 दिन लगे थे.

इसके 107 दिन बाद यानी पांच अप्रैल 2021 को मामले सवा करोड़ से अधिक हो गए, लेकिन संक्रमण के मामले डेढ़ करोड़ से अधिक होने में महज 15 दिन (19 अप्रैल 2021) का वक्त लगा और फिर सिर्फ 15 दिनों बाद चार मई 2021 को गंभीर स्थिति में पहुंचते हुए आंकड़ा 1.5 करोड़ से दो करोड़ के पार चला गया.

चार मई 2021 के बाद करीब 50 दिनों में 23 विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण जून 2021 को संक्रमण के मामले तीन करोड़ से पार चले गए थे. इसके बाद तकरीबन नौ महीने बाद 26 जनवरी 2022 को कुल मामलों की संख्या चार करोड़ के पार हो गए थे.

वायरस के मामले और मौतें

नवंबर महीने की बात करें विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण तो कोविड-19 संक्रमण के एक दिन या 24 घंटे के दौरान बीते 12 नवंबर को 833, 11 नवंबर को 842, 10 नवंबर को 1,016, नौ नवंबर को 811, आठ नवंबर 625, सात नवंबर को 937, छह नवंबर को 1,132, पांच नवंबर को 1,082, चार नवंबर को 1,216, तीन नवंबर को 1,321, दो नवंबर को 1,190 और एक नवंबर को 1,046 नए मामले सामने आए थे.

इस अवधि में बीते 12 नवंबर को 5, 11 नवंबर को 1, 10 नवंबर को 03, नौ नवंबर को 02, आठ नवंबर को कोई मौत नहीं, सात नवंबर को 02, छह नवंबर को 14, पांच नवंबर को 5, चार नवंबर को 3, तीन नवंबर को 4, दो नवंबर को 4 और एक नवंबर को 4 लोगों की मौत हुई थी.

अक्टूबर महीने में 24 घंटे के दौरान संक्रमण के सर्वाधिक 3,805 मामले एक अक्टूबर को सामने आए थे और केरल में आंकड़ों के पुनर्मिलान के साथ सबसे अधिक 28 लोगों की मौत तीन अक्टूबर को हुई थी.

सितंबर महीने की बात करें तो बीते एक दिन या 24 घंटे में संक्रमण के सर्वाधिक 7,946 मामले एक सितंबर को सामने आए थे और (केरल के आंकड़ों के पुनर्मिलान के बाद) सर्वाधिक 35 लोगों की जान 18 सितंबर को गई थी.

अगस्त में बीते एक दिन या 24 घंटे में संक्रमण के सर्वाधिक 20,551 मामले पांच अगस्त को सामने आए थे और (केरल के आंकड़ों के पुनर्मिलान के बाद) सर्वाधिक 72 लोगों की जान 18 अगस्त को गई थी.

जुलाई महीने में एक दिन या 24 घंटे में कोविड-19 संक्रमण के सबसे ज्यादा 21,880 मामले बीते 22 जुलाई को सामने आए थे और सबसे अधिक 67 मौतें बीते 23 जुलाई को दर्ज की गई थीं.

जून में कोविड-19 संक्रमण की बात करें तो एक दिन या 24 घंटे में बीते 24 जून को सर्वाधिक 17,336 नए मामले दर्ज किए गए थे. और इस दौरान सर्वाधिक 38 लोगों की मौत 23 जून को हुई थी.

मई महीने में एक दिन या 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के सर्वाधिक 3,805 नए मामले सात मई को दर्ज किए गए थे और इस दौरान सबसे अधिक 65 मौतें 22 मई को दर्ज की गई थीं.

अप्रैल महीने में एक दिन या 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के सर्वाधिक 3,688 नए मामले 30 अप्रैल को दर्ज किए गए थे और इस दौरान सबसे अधिक 1,399 (असम और केरल में आंकड़ों में संशोधन के बाद) मौतें 26 अप्रैल को दर्ज की गई थीं.

मार्च के महीने में एक दिन या 24 घंटे में कोविड-19 संक्रमण के सर्वाधिक 7,554 नए मामले दो मार्च को आए थे और इस दौरान सबसे अधिक 4,100 (महाराष्ट्र और केरल के आंकड़ों में संशोधन के साथ) मौतें 26 मार्च को दर्ज की गई थीं.

फरवरी महीने में कोविड-19 संक्रमण के एक दिन विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण या 24 घंटे में सर्वाधिक 1,72,433 मामले तीन फरवरी को रिकॉर्ड किए गए और इस अवधि में सबसे अधिक 1,733 लोगों की मौत दो फरवरी को हुई थीं.

इस साल जनवरी महीने की बात करें तो बीते एक दिन या 24 घंटे के दौरान कोविड-19 संक्रमण के सर्वाधिक 3,89,03,731 मामले 22 जनवरी को दर्ज किए गए थे और इस अवधि सबसे अधिक 959 मौतें 30 जनवरी को हुई थीं.

मई 2021 रहा है सबसे घातक महीना

भारत में अकेले मई 2021 में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान कोरोना वायरस के 92,87,158 से अधिक मामले सामने आए थे, जो एक महीने में दर्ज किए गए संक्रमण के सर्वाधिक मामले हैं.

इसके अलावा मई 2021 इस बीमारी के चलते 1,20,833 लोगों की जान भी गई थी. इतने मामले और इतनी संख्या में मौतें किसी अन्य महीने में नहीं दर्ज की गई हैं. इस तरह यह महीना इस महामारी के दौरान सबसे खराब और घातक महीना रहा था.

सात मई 2021 को 24 घंटे में अब तक कोविड-19 के सर्वाधिक 4,14,188 मामले सामने आए थे और 19 मई 2021 को सबसे अधिक 4,529 मरीजों ने अपनी जान गंवाई थी.

रोजाना नए मामले 17 मई से 24 मई 2021 तक तीन लाख से नीचे रहे और फिर 25 मई से 31 मई 2021 तक दो लाख से नीचे रहे थे. देश में 10 मई 2021 को सर्वाधिक 3,745,237 मरीज उपचाररत थे.

कोविड-19: साल 2021 में किस महीने-कितने केस दर्ज हुए जानने के लिए यहां क्लिक करें.

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