भारतीय निवेशक

४. एफपीआई की गतिविधियों के उतार-चढ़ाव से भरपूर रहने भारतीय निवेशक की ही स्थिति दिख रही है.
विदेशी निवेशक ने मई में भारतीय पूंजी बाजार में 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार किया
विदेशी निवेशकों ने अधिक व्यवसाय-अनुकूल उपायों की अपेक्षाओं पर पिछले महीने में भारतीय पूंजी बाजारों में 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार किया.
नवीनतम डिपॉजिटरी के आंकड़ों के भारतीय निवेशक भारतीय निवेशक अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 2 मई से 31 मई के दौरान 7,920 करोड़ रुपये इक्विटी और 1,111 करोड़ रुपये के ऋण बाजार में खर्च किए, जिससे संचयी निवेश लगभग 4,031 करोड़ रुपये हो गया.इससे पहले, इसके भारतीय निवेशक द्वारा अप्रैल में शुद्ध 16,093 करोड़ रुपये, मार्च में 45,981 करोड़ रुपये और फरवरी में 11,182 करोड़ रुपये पूंजी बाजार (इक्विटी और ऋण दोनों) में निवेश किए थे.
FPI ने नवंबर में अबतक भारतीय शेयरों में 30,385 करोड़ रुपये डाले, आगे कैसा रहेगा निवेशकों का रुझान?
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का भारतीय शेयर बाजारों में आक्रामक लिवाली का सिलसिला जारी है.
FPI Investment in November: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का भारतीय शेयर बाजारों में आक्रामक लिवाली का सिलसिला जारी है. नवंबर में अबतक उन्होंने शेयरों में 30,385 करोड़ रुपये का निवेश किया है. भारतीय रुपये के स्थिर होने और दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत होने की वजह से विदेशी निवेशक एक बार फिर भारत पर दांव लगा रहे हैं. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एक से 18 नवंबर के दौरान एफपीआई ने शेयरों में शुद्ध रूप से 30,385 करोड़ रुपये डाले हैं.
एक्सपर्ट्स की राय
- जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि आगे चलकर एफपीआई का रुख बहुत आक्रामक नहीं रहेगा, क्योंकि हाई वैल्यूएशन की वजह से वे अधिक लिवाली से बचेंगे. उन्होंने कहा कि इस समय चीन, दक्षिण कोरिया और ताइवान के बाजारों में मूल्यांकन काफी आकर्षक है और एफपीआई का पैसा उन बाजारों की ओर जा भारतीय निवेशक सकता है.
- मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई के हालिया निवेश की वजह भारतीय शेयर बाजारों में तेजी, अर्थव्यवस्था में स्थिरता और अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये की स्थिति बेहतर रहना है.
- उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक मोर्चे पर बात की जाए, तो अमेरिका में महंगाई अनुमान से कम बढ़ी है, जिससे यह संभावना बनी है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में आक्रामक तरीके से बढ़ोतरी नहीं करेगा. इससे सेंटीमेंट में सुधार हुआ है और भारतीय बाजार में एफपीआई का निवेश बढ़ा है. हालांकि, समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार से 422 करोड़ रुपये निकाले हैं.
- इस महीने में भारत के अलावा फिलिपीन, दक्षिण कोरिया, ताइवान और थाइलैंड के बाजारों में भी एफपीआई का प्रवाह सकारात्मक रहा है.
क्या शेयर बाजार में निवेश बेहतर: क्या करें निवेशक
बढ़ती मंहगाई, बेरोज़गारी और कमजोर विकास की दर के बीच बढ़ता शेयर बाजार सोचने पर मजबूर करता है कि क्या शेयर निवेश अभी भी बेहतर है. खासकर ऐसे वक्त जब वैश्विक स्थिति डांवाडोल है, बाजार मंदी का संकेत दे रहे हैं और विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं. भारी उथल पुथल चारों तरफ व्याप्त है.
दूसरी तरफ भारतीय शेयर बाजार में देशी निवेशक भरपूर पैसा लगाते जा रहें हैं जिससे शेयर बाजार मजबूत दिख रहा है. जहां विदेशी निवेशक पैसा निकाल रहे हैं और सुरक्षित भारतीय निवेशक जगह अमेरिका में पैसा लगा रहे हैं क्योंकि अमेरिका ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी है.
बढ़ती ब्याज दरों के कारण अमेरिका में ज्यादा निवेश होना न केवल डालर को मजबूत कर रहा है अपितु पूरे विश्व में ब्याज दरों को बढ़ाने के संकेत दे रहा है.
दीर्घ काल में अमेरिका को ही इसका नुकसान भुगतना पड़ेगा तब डालर कमजोर भी होगा और अमेरिकन कंपनियों का प्राफिट भी कम होगा, लेकिन फिलहाल भारतीय शेयर बाजार की स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती.
विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में दिखाया भरोसा, अगस्त में 51,200 करोड़ किया निवेश
LagatarDesk : विदेशी निवेशकों का भरोसा एक बार फिर भारतीय शेयर बाजार में देखने को मिल रहा है. अगस्त माह में फॉरेन इन्वेस्टर्स ने मार्केट में भारी निवेश किया है. एनएसडीएल (NSDL) के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी निवेशकों ने एक माह में 51,200 करोड़ से अधिक निवेश किया है. यह आकंड़ा 20 महीनों में सबसे अधिक है. इससे पहले विदेशी निवेशकों ने 1 से 19 अगस्त के बीच भारतीय बाजार से 44,481 करोड़ के शेयर खरीदे थे. इस तरह 10 दिनों में निवेशकों ने मार्केट में 6719 करोड़ लगाये. (पढ़ें, रांची: बड़गाई जमीन घोटाले की जांच अब CID करेगी, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिया निर्देश)
जियोपॉलिटिकल फैक्टर्स पर निर्भर करता है विदेशी निवेशकों का भरोसा
बता दें भारतीय निवेशक कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में स्थिरता और अन्य जियोपॉलिटिकल फैक्टर्स के कारण एफपीआई का रुझान भारत की ओर बढ़ा है. इससे पहले जुलाई में एफपीआई ने 5000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था. वहीं अगस्त में फॉरेन इन्वेस्टर्स ने 51,200 करोड़ लगाये थे. हालांकि सितंबर माह में निवेशक भारतीय बाजारों में कम पैसे लगायेंगे. भारत की तरफ विदेशी निवेशकों का भरोसा इन्फ्लेशन, डॉलर का रुख और ब्याज दर पर निर्भर करेगा.
एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2021 से जून 2022 के बीच विदेशी निवेशकों ने 2.46 लाख करोड़ निकाले थे. जबकि जनवरी से जून के दौरान विदेशी निवेशकों ने इंडियन मार्केट में 2,17,358 करोड़ की निकासी की थी.फॉरेन इन्वेस्टर्स ने जून माह में सबसे अधिक 50,203 करोड़ की बिकवाली की थी. इस भारतीय निवेशक साल अब तक विदेशी निवेशकों की कुल बिकवाली घटकर 1,67,888 करोड़ रह गयी है. हालांकि जुलाई से फॉरेन इन्वेस्टर्स ने खरीदारी शुरू की. जुलाई में निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 4,989 करोड़ डाले. वहीं अगस्त में भी निवेशकों भारतीय निवेशक ने जमकर खरीदारी की है.
सिर्फ 13 फीसदी भारतीय निवेशकों को पसंद है शेयर बाजार, जानिए दुनिया का हाल
नई दिल्ली। कोरोना काल में दुनियाभर के शेयर बाजारों ने जबरदस्त गिरावट देखी हैं। मार्च और अप्रैल के महीने में तो हालत काफी खराब थी। कुछेक कंपनियों को छोड़ दिया जाए तो सभी को काफी नुकसान झेलना पड़ा। जिसकी निवेशकों को भी काफी नुकसान हुआ। अमेजन, एप्पल, टेस्ला, रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियों को फायदा भी हुआ। रिलायंस तो कोरोना काल में ही अपने सबसे अच्छे दौर से गुजर रही है। जिसका फायदा निवेशकों को भी मिला है। क्या प जानते हैं आखिर भारत में कितने इंवेस्टर हैं, जोकि शेयर बाजार में अपना रुपया लगाते हैं? आखिर पूरी दुनिया के मुकाबले भारतीय निवेशकों का शेयर बाजार पर कितना विश्वास है? भारतीय निवेशक किस सेगमेंट में निवेश करना पसंद करते हैं? आइए आपको भी बताते हैं।