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भविष्य अनुबंध

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अनुबंध या दैनिक वेतनभोगी कर्मी का देना होगा ईपीएफ

सरकारीमहकमे में दैनिक वेतनभोगी या अनुबंध पर कार्यरत कर्मचारियों को ईपीएफ के दायरे में लाया जाएगा। उनके ईपीएफ की कटौती कर केंद्रीय भविष्य निधि संगठन में भविष्य अनुबंध जमा करना होगा। ऐसा नहीं होता है, तो निकासी और व्ययन पदाधिकारी से कर्मचारियों के ईपीएफ की राशि की वसूली की जाएगी। यदि निकासी या व्ययन पदाधिकारी से वसूली नहीं हुई, तो संबंधित विभाग से राशि लेकर कर्मचारियों के ईपीएफ खाता में जमा किया जाएगा।

केंद्रीय भविष्य निधि संगठन के दिल्ली मुख्यालय से दिशा निर्देश मिलने के बाद क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त जय कुमार ने इस दिशा में कार्यवाही शुरू कर दी है। जिला प्रशासन, वाणिज्य कर विभाग, आयकर विभाग, जमशेदपुर मानगो अक्षेस, केंद्रीय सीमा शुल्क एवं उत्पाद विभाग, जुगसलाई नगरपालिका, कृषि विभाग, बागवानी विभाग समेत सारे सरकारी विभागों को इस बाबत नोटिस भेजा जा रहा है। केंद्रीय भविष्य निधि संगठन को सूचना मिली है कि कई विभागों ने अनुबंध पर कर्मचारी बहाल किए हैं। दैनिक वेतनभोगी के आधार पर चालकों को रखा गया है। इन लोगों का ईपीएफ नहीं कटता है। ईपीएफ जमा करने के मसले पर सिर्फ उन्हीं विभागों को छूट मिलेगी, जिसके लिए सरकार ने विशेष आदेश दिया हुआ है।

^सरकारीविभागों में कई काम आउटसोर्स किए गए हैं। अनुबंध पर काफी संख्या में लोगों को रखा गया है। दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी भी हैं। उनके पेंशन के लिए कोई योजना हैं, तो ईपीएफ से छूट मिलेगी। यदि उनके पेंशन के लिए कोई योजना नहीं है, तो ईपीएफ में राशि जमा करनी होगी। जयकुमार, क्षेत्रीय आयुक्त, क्षेत्रीय भविष्य अनुबंध भविष्य निधि संगठन

अनुबंध को बदलने के लिए शर्तें

हम सभी, हमेशा, हमारे सिर में भ्रम की स्थिति के साथ संपत्ति बाजार में प्रवेश करते हैं। उदाहरण के लिए, एक धोखेबाज़, बेचना और बिक्री के अनुबंध के बीच के अंतर को बताने में सक्षम नहीं होगा। वे जैसे ही एक और एक ही चीजें हैं, वे ध्वनि करते हैं जैसा कि आप एक शोधकर्ता को ग्रीनहॉर्न होने से अपग्रेड करते हैं, आप यह पता लगा सकते हैं कि चीजें एक जैसी थीं। अब आप जानते हैं कि बेचने के लिए एक अनुबंध एक दस्तावेज है जो नियमों और शर्तों को निर्धारित करता है, जिसके आधार पर एक संपत्ति लेनदेन पूरा हो जाएगा। दूसरी ओर बिक्री विक्रय का निर्माण, इसका मतलब है कि खरीद की गई है। हालांकि, अभी भी कुछ विवरण हैं जो कि आपका ध्यान आकर्षित नहीं किया जा सका जहां तक ​​बिक्री समझौते भविष्य अनुबंध जाते हैं ध्यान दें कि भारतीय कानून लिखित बिक्री समझौतों के बारे में विशेष रूप से कुछ भी उल्लेख नहीं करता है। इस दस्तावेज़ को वैध रूप से वैध बनाने के लिए, यह भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 के अंतर्गत पंजीकृत होना चाहिए। यदि आप ऐसा करने में असफल होते हैं और दस्तावेज़ गैर-पंजीकृत रहता है, तो उसकी कोई कानूनी वैधता नहीं है। लेन-देन में शामिल पार्टियों के लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि इस तरह से नियम और शर्तों का पालन करें ताकि भविष्य में विवादों के मामले में दस्तावेज वैध बने और किसी को अदालत में स्थानांतरित करना पड़े। एक अंतर बनाना आमतौर पर, बिक्री के लिए एक अनुबंध संपत्ति के सभी विवरण (स्थान, मालिक, स्वामित्व प्रकार आदि) का उल्लेख करता है ), शामिल पार्टियों (विक्रेता और खरीदार के सभी विवरण), विभिन्न भुगतान, उस समय के भीतर लेनदेन पूरा किया जाना चाहिए, आदि। इस समय, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस खंड पर कोई सीमा नहीं है आप दस्तावेज़ में सम्मिलित कर सकते हैं, और भविष्य की स्पष्टता के लिए, यह केवल सबसे अच्छा है कि आप ऐसा करते हैं। यह एक कारण है कि नए-नए युग की बिक्री समझौतों में ऐसे नियम होते हैं जो पुराने समय में मौजूद नहीं थे। गृह ऋण: बड़े शहरों में, अधिकांश खरीद उधार लेने की सहायता से की जाती हैं अब, जब तक आप उन्हें बेचने का समझौता नहीं करते तब तक बैंक आपके होम लोन के लिए आवेदन नहीं करेंगे। ऐसे परिदृश्य में, आप वास्तव में किसी भी बात के लिए साइन अप कर रहे हैं बिना यह भी भरोसा किया जा रहा है कि बैंक आपको उस धन को उधार देगा जो आप चाहते हैं अगर आपका बाद के स्तर पर आपको पैसा उधार देने से मना कर दिया जाता है तो आपका बयाना पैसा जब्त कर दिया जाएगा। यही कारण है कि खरीददारों ने अपने दिनों के समझौते में एक खंड डाला, जिसमें कहा गया है कि बैंक केवल एक निश्चित ऋण राशि को मंजूरी के बाद ही सौदा होगा। उपयोगिता और सदस्यता: बिक्री समझौतों का अक्सर उल्लेख है कि उपयोगिता बिल (बिजली और पानी के शुल्क) और संपत्ति कर को खरीद को संभव बनाने के लिए मंजूरी देनी होगी। इस के संबंध में दस्तावेज़ में अतिरिक्त खंड हैं। आधुनिक दिवस आवास समाज आपको बहुत सारे विलासिता प्रदान करते हैं उनके पास घर के क्लब, व्यायामशाला आदि हैं, हालांकि, निवासियों को सदस्यों बनने के लिए कुछ शुल्क देना पड़ता है जो लोग आवास सोसायटी में एक पुनर्विक्रय घर खरीदते हैं, वे एक ऐसा खंड शामिल करते हैं, जो कहते हैं कि खरीद में विभिन्न प्रकारों की सदस्यता शुल्क भी शामिल है। यह सुनिश्चित करता है कि विक्रेता सदस्यता के अधिकारों को स्थानांतरित करने के लिए अतिरिक्त पैसे की भविष्य अनुबंध मांग नहीं करता है। स्टांप ड्यूटी: भारत में, खरीदार को स्टाम्प ड्यूटी के रूप में आने वाली लागत को सहन करना पड़ता है, जो लेन-देन मूल्य के 4-10 प्रतिशत के बीच भिन्न होता है। हालांकि, यह भुगतान करने के लिए खरीदारों पर कानूनी तौर पर बाध्यकारी नहीं है। दोनों पार्टियां भी इसे साझा कर सकती हैं। यदि खरीदार और विक्रेता ने ऐसा सौदा किया है, तो इस हिस्से का स्पष्ट रूप से बिक्री अनुबंध में उल्लेख होना चाहिए। यह भी पढ़ें: संपत्ति खरीदने पर आपको स्टाम्प ड्यूटी के बारे में जानना चाहिए 10 चीजें

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अनुबंध के चक्कर में फंसी ऑनलाइन परीक्षा

अनुबंध के चक्कर में फंसी ऑनलाइन परीक्षा

ऑनलाइन परीक्षा को तैयार नहीं एजेंसियां
0 यूपीपीएससी और एजेंसियों के बीच करार में आड़े आ रहीं शर्तें
0 परीक्षा की गोपनीयता को बनाए रखना एजेंसियों के लिए चुनौती
अमर उजाला ब्यूरो
इलाहाबाद।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने भविष्य में कुछ परीक्षाओं के ऑनलाइन आयोजन की तैयारी की है, लेकिन इसके लिए एजेंसियां तैयार नहीं हो रही हैं। परीक्षा की गोपनीयता को बनाए रखना एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और आयोग के एक्ट में कुछ शर्तें ऐसी हैं, जिस पर एजेंसियां काम करने को तैयार नहीं हो रही हैं। फिलहाल, आयोग के अफसर एजेंसियों से लगातार संपर्क में हैं।
केंद्र में तमाम भर्ती संस्थाओं की ओर से ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में यह व्यवस्था लागू नहीं है। ऑनलाइन परीक्षा के आयोजन से परिणाम समय पर आ जाता है और नियुक्तियों की प्रक्रिया भी तय समय पर पूरी हो जाती है। यूपीपीएससी भी इसी तर्ज पर कुछ परीक्षाओं के ऑनलाइन आयोजन की शुरुआत करने जा रहा है। इसके लिए पहले चरण में कुछ छोटी परीक्षाओं का चयन किया जाएगा और अगर इसमें सफलता मिलती है तो ऑनलाइन परीक्षा का दायरा बढ़ाया जाएगा। परीक्षा के आयोजन के लिए यूपीपीएससी के अफसरों की निजी एजेंसियों से बातचीत चल रही है। सूत्रों के मुताबिक बातचीत काफी हद तक सफल भी रही और एजेंसियां परीक्षाएं कराने को तैयार भी हैं, लेकिन वे आयोग के 1985 के एक्ट में शामिल कुछ शर्तों के तहत अनुबंध करने को तैयार नहीं हैं।
सूत्रों का कहना है कि निजी एजेंसी को ऑनलाइन परीक्षा की जिम्मेदारी दिए जाने पर सबसे बड़ी चुनौती परीक्षा से जुड़ी सूचनाओं की गोपनीयता को बनाए रखना है। इसके लिए एक्ट में कुछ शर्तें हैं, लेकिन एजेंसियां इनमें से कुछ शर्तों पर अनुबंध करने से कतरा रहीं हैं और इसी वजह से काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। आयोग के सचिव जगदीश का कहना है कि कई एजेंसियों से बातचीत की गई है। जल्द ही कोई रास्ता निकाल लिया जाएगा और ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी।


0 यूपीपीएससी और एजेंसियों के बीच करार में आड़े आ रहीं शर्तें
0 परीक्षा की गोपनीयता को बनाए रखना एजेंसियों के लिए चुनौती
अमर उजाला ब्यूरो
इलाहाबाद।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने भविष्य में कुछ परीक्षाओं के ऑनलाइन आयोजन की तैयारी की है, लेकिन इसके लिए एजेंसियां भविष्य अनुबंध तैयार नहीं हो रही हैं। परीक्षा की गोपनीयता को बनाए रखना एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और आयोग के एक्ट में कुछ शर्तें ऐसी हैं, जिस पर एजेंसियां काम करने को तैयार नहीं हो रही हैं। फिलहाल, आयोग के अफसर एजेंसियों से लगातार संपर्क में हैं।
केंद्र में तमाम भर्ती संस्थाओं की ओर से ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में यह व्यवस्था लागू नहीं है। ऑनलाइन परीक्षा के आयोजन से परिणाम समय पर आ जाता है और नियुक्तियों की प्रक्रिया भी तय समय पर पूरी हो जाती है। यूपीपीएससी भी इसी तर्ज पर कुछ परीक्षाओं के ऑनलाइन आयोजन की शुरुआत करने जा रहा है। इसके लिए पहले चरण में कुछ छोटी परीक्षाओं का चयन किया जाएगा और अगर इसमें सफलता मिलती है तो ऑनलाइन परीक्षा का दायरा बढ़ाया जाएगा। परीक्षा के आयोजन के लिए यूपीपीएससी के अफसरों की निजी एजेंसियों से बातचीत चल रही है। सूत्रों के मुताबिक बातचीत काफी हद तक सफल भी रही और एजेंसियां परीक्षाएं कराने को तैयार भी हैं, लेकिन वे आयोग के 1985 के एक्ट में शामिल कुछ शर्तों के तहत अनुबंध करने को तैयार नहीं हैं।


सूत्रों का कहना है कि निजी एजेंसी को ऑनलाइन परीक्षा की जिम्मेदारी दिए जाने पर सबसे बड़ी चुनौती परीक्षा से जुड़ी सूचनाओं की गोपनीयता को बनाए रखना है। इसके लिए एक्ट में कुछ शर्तें हैं, लेकिन एजेंसियां इनमें से कुछ शर्तों पर अनुबंध करने से कतरा रहीं हैं और इसी वजह से काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। आयोग के सचिव जगदीश का कहना है कि कई एजेंसियों से बातचीत की गई है। जल्द ही कोई रास्ता निकाल लिया जाएगा और ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी।

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