ट्रेडिंग फॉरेक्स पंजाब

शेयर मार्केट में कौन से फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट (वित्तीय साधनों) का कारोबार होता है?
जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप वास्तव में उस कंपनी में आंशिक हिस्सेदारी ले रहे होते हैं और कंपनी के शेयरधारक (शेयर होल्डर) बन जाते हैं. शेयर की कीमतों में हर पल उतार-चढ़ाव होता है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: मनीष रंजन
Updated on: Oct 20, 2022 | 11:39 AM
स्टॉक मार्केट केवल शेयरों तक ही सीमित नहीं है इसमें कई और फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट भी शामिल हैं . ये इंस्ट्रूमेंट एक बड़ा रिटर्न भी देते हैं . निवेशक अपना पैसा शेयर मार्केट में पूंजी बनाने के लिए लगाते हैं . कुछ निवेशक लंबी अवधि ( लॉन्ग टर्म ) के लिए और कुछ छोटी अवधि ( शॉर्ट टर्म ) के लिए पैसा लगाते हैं . आमतौर पर लोगों को लगता हैं कि शेयर मार्केट में सिर्फ शेयरों का ही कारोबार होता है लेकिन ऐसा नहीं है . शेयरों के अलावा और भी कई फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट ( वित्तीय साधन ) हैं , जिनका शेयर मार्केट में कारोबार होता है . इस आर्टिकल ( लेख ) में हम उनके बारे में बात करेंगे .
शेयर शेयर , स्टॉक एक्सचेंज का सबसे पॉपुलर ( लोकप्रिय ) फाइनेंशियल प्रोडक्ट ( वित्तीय उत्पाद ) है . जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप वास्तव में उस कंपनी में आंशिक हिस्सेदारी ले रहे होते हैं और कंपनी के शेयरधारक ( शेयर होल्डर ) बन जाते हैं . शेयर की कीमतों में हर पल उतार – चढ़ाव होता है . इस उतार – चढ़ाव से फायदा और नुकसान निर्धारित होता है .
डेरिवेटिव्स एक डेरिवेटिव दो पार्टियों के बीच एक कॉन्ट्रैक्ट है . डेरिवेटिव्स में निवेशक एक खास दिन और एक खास दर पर एसेट खरीदने या बेचने का कॉन्ट्रैक्ट ( अनुबंध ) करता है . इस एसेट में शेयर , करेंसी , कमोडिटी आदि शामिल हो सकते हैं . डेरिवेटिव्स को सोने ( गोल्ड ) और तेल ( ऑयल ) में निवेश के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है . मूल रूप से चार तरह के डेरिवेटिव्स होते हैं – फ्यूचर्स ( वायदा कारोबार ), ऑप्शंस , फॉरवर्ड्स और स्वैप . डेरिवेटिव ट्रेड के बारे में ज्यादा जानने के लिए 5paisa.com https://bit.ly/3RreGqO पर जाएं , जहां आपको डेरिवेटिव ट्रेडिंग के लिए कई प्रोडक्ट मिलेंगे .
म्यूचुअल फंड (Mutual fund ) म्यूचुअल फंड कई निवेशकों से पैसा जुटाकर विभिन्न एसेट में जैसे इक्विटी , मनी मार्केट , बॉन्ड और दूसरे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स ( वित्तीय साधनों ) में पैसा लगाते हैं . इसमें आपके पोर्टफोलियो को फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है , जिनका काम निवेशकों को हाई रिटर्न दिलाना होता है . नए निवेशकों और शेयर मार्केट की कम जानकारी रखने वालों के लिए म्यूचुअल फंड एक अच्छा विकल्प ( ऑप्शन ) हो सकता है .
बॉन्ड (Bonds) सरकार या कंपनियां पैसा जुटाने के लिए बॉन्ड जारी करती हैं . वास्तव में बांड खरीदकर आप एक तरह से इसे जारी करने वाले को उधार दे रहे होते हैं . जारीकर्ता आपको इस ऋण ( लोन ) के लिए ब्याज ( इंटरेस्ट ) का भुगतान करता है . बॉन्ड को निवेश का एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है क्योंकि वे निवेशकों को एक निश्चित ब्याज दर देते हैं . बॉन्ड को उनकी निश्चित आय ( फिक्स्ड इनकम ) की वजह से फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज ( निश्चित आय प्रतिभूतियां ) भी कहा जाता है .
मुद्रा (Currency) करेंसी को करेंसी मार्केट में खरीदा और बेचा जाता है जैसे फॉरेक्स मार्केट . करेंसी ट्रेडिंग में बैंक , कंपनियां , केंद्रीय बैंक ( जैसे भारत में आरबीआई बैंक ), इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट फर्म , ब्रोकर और सामान्य निवेशक शामिल होते हैं . करेंसी ट्रेडिंग में लेनदेन हमेशा जोड़ों में होता है . उदाहरण के लिए , USD/INR रेट का मतलब है कि एक अमेरिकी डॉलर को खरीदने में कितने रुपये लगेंगे . आप BSE, NSE, या MCX-SX जैसे एक्सचेंजों के जरिए करेंसी ट्रेड कर सकते हैं .
विदेशी मुद्रा व्यापार में करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश
सरगना मध्यप्रदेश के देवास से गिरफ्तार, 500 लोगों से कर चुका है धोखाधड़ी
नोएडा, वरिष्ठ संवाददाता। साइबर थाना पुलिस ने फॉरेक्स ट्रेडिंग (विदेशी मुद्रा के व्यापार) में निवेश कर मोटी कमाई का झांसा देकर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का मंगलवार को पर्दाफाश किया है। गिरोह के सरगना को मध्यप्रदेश के देवास से गिरफ्तार किया गया। गिरोह देश के कई राज्यों में करीब 500 लोगों के साथ धोखाधड़ी कर चुका है। पुलिस को अबतक 15 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी का रिकॉर्ड मिल चुका है। गाजियाबाद के जीएसटी विभाग से सेवानिवृत्त कमिश्नर से भी इस गिरोह ने 15 लाख रुपये ठगे थे।
सेवानिवृत्त कमिश्नर ने फॉरेक्स ट्रेडिंग में पैसा निवेश करने का झांसा देकर रुपये ठगने का मुकदमा दर्ज कराया था। साइबर क्राइम थाना प्रभारी रीता यादव ने बताया कि इसकी जांच शुरू की गई तो इस गिरोह का पता चला। सरगना शोएब मंसूरी को देवास की शिमला कॉलोनी से गिरफ्तार किया गया। शोएब ने गिरोह के अन्य साथियों के साथ मिलकर पीड़ित से 15 लाख रुपये ठगे थे। आरोपी के बैंक खाते में जमा करीब सात लाख रुपये फ्रीज कर दिया गया है। पुलिस ने उससे दो मोबाइल फोन जब्त किया है।
डीमैट खाता खुलवाकर करते थे फर्जीवाड़ा
गिरोह ने मध्यप्रदेश के इंदौर और देवास में वर्ष 2020 में दफ्तर खोला था। उसने फर्जी कॉल सेंटर बनाया और इसमें काम करने के लिए कुछ युवक-युवतियों को वेतन के आधार पर रखा। गिरोह अलग-अलग ब्रोकिंग कंपनी से ट्रेडिंग करने वाले लोगों का डाटा लेता था। युवक-युवतियां लोगों को कॉल कर फर्जी कंपनी के माध्यम से ट्रेडिंग के लिए राजी करते थे। वह ग्राहकों को फॉरेक्स ट्रेडिंग में मोटा पैसा कमाने का लालच देते थे। इसके लिए 10 से 20 हजार रुपये में उनका डीमैट खाता खुलवाते थे। जालसाज ग्राहक ट्रेडिंग फॉरेक्स पंजाब की आईडी और पासवर्ड अपने पास रखते थे, ताकि वह उनके खाते को संचालित कर सकें।
प्ले स्टोर पर डाली थी फर्जी ऐप
गिरोह ने ट्रेडिंग के लिए फर्जी ऐप मेटा ट्रेडर्स-05 नाम से बनाकर प्ले स्टोर पर अपलोड कर दिया था। इसी ऐप के माध्यम से ग्राहकों को उनके खाते में धनराशि की बढ़ती संख्या नजर आती थी।
खातों में सिर्फ संख्या में बढ़ती थी धनराशि
आरोपी अलग-अलग ग्राहकों से डीमैट खातों में पैसा मंगवाते थे। फर्जी ऐप के जरिए डीमैट खातों में दिखाई देने वाली धनराशि डिजिटल रूप में केवल संख्या के रूप में ग्राहक को बढ़ती हुई दिखाई देती थी, जबकि असल में वह धनराशि बढ़ती नहीं थी। इस रकम को देखकर ग्राहक और ज्यादा पैसे का निवेश करता था।
जीएसटी सहित कई चार्ज के नाम पर भी ठगी
ग्राहक को मुनाफा देने की आड़ में गिरोह उनसे जीएसटी सहित विभिन्न चार्ज के रूप में भी लाखों रुपये ठगता था। जब ग्राहक खातों में दिख रही धनराशि का मुनाफा लेना चाहता था तो उससे जीएसटी, कन्वर्जन चार्ज और सेटलमेंट चार्ज के नाम पर विभिन्न बैंकों खातों में और पैसे ट्रेडिंग फॉरेक्स पंजाब ट्रांसफर करवा लिए जाते थे। पीड़ितों के खातों का एक्सेस गिरोह के पास होने के चलते वह निवेश की रकम नहीं निकाल पाते थे।
12वीं पास सरगना ने बड़े-बड़ों को ठगा
गिरोह में 16 लोग शामिल हैं। इनमें तीन सरगना है, जो अपनी टीम के सदस्यों के साथ ठगी को अंजाम देता है। इस गिरोह के ठगों की तलाश महाराष्ट्र सहित विभिन्न प्रदेशों की पुलिस को है। पुलिस की गिरफ्त में आया आरोपी शोएब 12 वीं पास है। वह अभी तक सरकारी अधिकारियों से लेकर इंजीनियर और अन्य बड़े ट्रेडिंग फॉरेक्स पंजाब पदों पर कार्यरत लोगों को ठगी का शिकार बना चुका है। कुछ दिन बाद ही आरोपी की शादी भी होने वाली है।
क्या है फॉरेक्स ट्रेडिंग
सामान्य शब्दों में फॉरेक्स ट्रेडिंग का अर्थ एक दूसरे के बीच विभिन्न विदेशी मुद्राओं का व्यापार करना है। यानि इस प्रक्रिया के तहत विभिन्न देशों की मुद्राओं में उनके मूल्य के घटते बढ़ते रहने के कारण व्यापार होता है। इसमें एक करेंसी को दूसरी करेंसी से बदला जाता है। ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा जरूरी बात होती है एक्सचेंज रेट। मतलब एक करेंसी को दूसरी करेंसी से एक्सचेंज करने की दर क्या होगी।
फॉरेक्स करेंसी के नाम पर करोड़ों रुपये ठग चुकी मोनिका बिष्ट हैदराबाद में गिरफ्तार, फरारी में भाग गयी थी विदेश
Indore Cyber Crime : मोनिका फरारी के दौरान विदेश भाग गई थी. उसका पति अनिल बिष्ट जेल में बंद था. कुछ समय पहले अनिल को जमानत पर छोड़ दिया गया. लेकिन उसके विदेश जाने पर पाबंदी लगा दी. इसी बीच मोनिका विदेश से आकर हैदराबाद में किराये के फ्लेट में नाम बदलकर रहने लगी. पुलिस ने अनिल को तकनीकी तौर पर सर्विलांस पर रखा था. इसी बीच उसकी पत्नी मोनिका और अनिल की फोन पर लगातार बातचीत होने से पुलिस के हाथ लोकेशन लगी और पुलिस ने मोनिका के घर पर छापा मारकर उसे हिरासत में ले लिया
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated : August 17, 2022, 20:06 IST
इंदौर. फर्जी एडवाइजरी कम्पनी मामले में फरार चल रही मोनिका बिष्ट को इंदौर पुलिस ने हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया है. मोनिका, अंतर्राष्ट्रीय ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर डमी सर्वर से फॉरेक्स करेंसी की ट्रेडिंग के नाम पर करोड़ों रुपये ठग चुकी थी. अब तक की जांच में उसके विभिन्न खातों से एक करोड़ से अधिक के लेनदेन का पता चला है.
इंदौर की विजयनगर पुलिस ने ठगी की एक शिकायत के आधार पर शहर के कई ठिकानों पर छापा मारा था. रजिस्टर्ड एडवाइजरी कम्पनी के नाम पर विदेश में बैठे लोगों को ठगा जा रहा था. आरोपी इंटरनेशल प्लेटफॉर्म का हवाला देकर फोरेक्स करंसी में ट्रेडिंग कराने का दवा करते हुए मुनाफे का भरोसा दिलाते थे. भरोसा जीतने के लिए आरोपियों ने डमी सर्वर भी तैयार किया था. आरोपी क्रिप्टो करंसी और फोरेक्स ट्रेडिंग कराने के लिए इश्तिहार भी देते थे.
मोनिका के पति की पहले ही गिरफ्तारी
इस मामले में पुलिस ने मौके पर दबिश देकर कई लोगों को हिरासत में लिया था. इसमें मुख्य आरोपी हरदीप और अनिल बिष्ट थे. अनिल बिष्ट की पत्नी मोनिका भी इसी गिरोह में शामिल थी. लेकिन उस वक्त वो भाग निकली थी. अब पुलिस ने उसे हैदराबाद में गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने इस मामले में एक प्रधान आरक्षक को इस फर्जी कम्पनी के कर्ताधर्ताओं को फायदा पहुंचाने के आरोप में लाइन अटैच कर दिया था. साथ ही मामले के जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया.
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विदेश भाग गयी थी मोनिका
मोनिका फरारी के दौरान विदेश भाग गई थी. उसका पति अनिल बिष्ट जेल में बंद था. कुछ समय पहले अनिल को जमानत पर छोड़ दिया गया. लेकिन उसके विदेश जाने पर पाबंदी लगा दी. इसी बीच मोनिका विदेश से आकर हैदराबाद में किराये के फ्लेट में नाम बदलकर रहने लगी. पुलिस ने अनिल को तकनीकी तौर पर सर्विलांस पर रखा था. इसी बीच उसकी पत्नी मोनिका और अनिल की फोन पर लगातार बातचीत होने से पुलिस के हाथ लोकेशन लगी और पुलिस ने मोनिका के घर पर छापा मारकर उसे हिरासत में ले लिया .
करोड़ों रुपये का लेन देन
मोनिका को रिमांड पर लेकर पुलिस ने अहम जानकारी जुटाई लेकिन वह बरगलाती रही. उसने पुलिस को बताया कि वो खुद ही कर्मचारी थी और सर्वर का काम देखती थी. आरोप है कि फर्जी कम्पनी बनाकर आरोपियों ने करोड़ों का ट्रांजेक्शन किया था. इस गिरोह में आधा दर्जन से अधिक लोग शामिल थे. जो देश और विदेश में बैठे लोगो को ठग रहे थे.
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विदेशी मुद्रा व्यापार में करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश
सरगना मध्यप्रदेश के देवास से गिरफ्तार, 500 लोगों से कर चुका है धोखाधड़ी
नोएडा, वरिष्ठ संवाददाता। साइबर थाना पुलिस ने फॉरेक्स ट्रेडिंग (विदेशी मुद्रा के व्यापार) में निवेश कर मोटी कमाई का झांसा देकर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का मंगलवार को पर्दाफाश किया है। गिरोह के सरगना को मध्यप्रदेश के देवास से गिरफ्तार किया गया। गिरोह देश के कई राज्यों में करीब 500 लोगों के साथ धोखाधड़ी कर चुका है। पुलिस को अबतक 15 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी का रिकॉर्ड मिल चुका है। गाजियाबाद के जीएसटी विभाग से सेवानिवृत्त कमिश्नर से भी इस गिरोह ने 15 लाख रुपये ठगे थे।
सेवानिवृत्त कमिश्नर ने फॉरेक्स ट्रेडिंग में पैसा निवेश करने का झांसा देकर रुपये ठगने का मुकदमा दर्ज कराया था। साइबर क्राइम थाना प्रभारी रीता यादव ने बताया कि इसकी जांच शुरू की गई तो इस गिरोह का पता चला। सरगना शोएब मंसूरी को देवास की शिमला कॉलोनी से गिरफ्तार किया गया। शोएब ने गिरोह के अन्य साथियों के साथ मिलकर पीड़ित से 15 लाख रुपये ठगे थे। आरोपी के बैंक खाते में जमा करीब सात लाख रुपये फ्रीज कर दिया गया है। पुलिस ने उससे दो मोबाइल फोन जब्त किया है।
डीमैट खाता खुलवाकर करते थे फर्जीवाड़ा
गिरोह ने मध्यप्रदेश के इंदौर और देवास में वर्ष 2020 में दफ्तर खोला था। उसने फर्जी कॉल सेंटर बनाया और इसमें काम करने के लिए कुछ युवक-युवतियों को वेतन के आधार पर रखा। गिरोह अलग-अलग ब्रोकिंग कंपनी से ट्रेडिंग करने वाले लोगों का डाटा लेता था। युवक-युवतियां लोगों को कॉल कर फर्जी कंपनी के माध्यम से ट्रेडिंग के लिए राजी करते थे। वह ग्राहकों को फॉरेक्स ट्रेडिंग में मोटा पैसा कमाने का लालच देते थे। इसके लिए 10 से 20 हजार रुपये में उनका डीमैट खाता खुलवाते थे। जालसाज ग्राहक की आईडी और पासवर्ड अपने पास रखते थे, ताकि वह उनके खाते को संचालित कर सकें।
प्ले स्टोर पर डाली थी फर्जी ऐप
गिरोह ने ट्रेडिंग के लिए फर्जी ऐप मेटा ट्रेडर्स-05 नाम से बनाकर प्ले स्टोर पर अपलोड कर दिया था। इसी ऐप के माध्यम से ग्राहकों को उनके खाते में धनराशि की बढ़ती संख्या नजर आती थी।
खातों में सिर्फ संख्या में बढ़ती थी धनराशि
आरोपी अलग-अलग ग्राहकों से डीमैट खातों में पैसा मंगवाते थे। फर्जी ऐप के जरिए डीमैट खातों में दिखाई देने वाली धनराशि डिजिटल रूप में केवल संख्या के रूप में ग्राहक को बढ़ती हुई दिखाई देती थी, जबकि असल में वह धनराशि बढ़ती नहीं थी। इस रकम को देखकर ग्राहक और ज्यादा पैसे का निवेश करता था।
जीएसटी सहित कई चार्ज के नाम पर भी ठगी
ग्राहक को मुनाफा देने की आड़ में गिरोह उनसे जीएसटी सहित विभिन्न चार्ज के रूप में भी लाखों रुपये ठगता था। जब ग्राहक खातों में दिख रही धनराशि का मुनाफा लेना चाहता था तो उससे जीएसटी, कन्वर्जन चार्ज और सेटलमेंट चार्ज के नाम पर विभिन्न बैंकों खातों में और पैसे ट्रांसफर करवा लिए जाते थे। पीड़ितों के खातों का एक्सेस गिरोह के पास होने के चलते वह निवेश की रकम नहीं निकाल पाते थे।
12वीं पास सरगना ने बड़े-बड़ों को ठगा
गिरोह में 16 लोग शामिल हैं। इनमें तीन सरगना है, जो अपनी टीम के सदस्यों के साथ ठगी को अंजाम देता है। इस गिरोह के ठगों की तलाश महाराष्ट्र सहित विभिन्न प्रदेशों की पुलिस को है। पुलिस की गिरफ्त में आया आरोपी शोएब 12 वीं पास है। वह अभी तक सरकारी अधिकारियों से लेकर इंजीनियर और अन्य बड़े पदों पर कार्यरत लोगों को ठगी का शिकार बना चुका है। कुछ दिन बाद ही आरोपी की शादी भी होने वाली है।
क्या है फॉरेक्स ट्रेडिंग
सामान्य शब्दों में फॉरेक्स ट्रेडिंग का अर्थ एक दूसरे के बीच विभिन्न विदेशी मुद्राओं का व्यापार करना है। यानि इस प्रक्रिया के तहत विभिन्न देशों की मुद्राओं में उनके मूल्य के घटते बढ़ते रहने के कारण व्यापार होता है। इसमें एक करेंसी को दूसरी करेंसी से बदला जाता है। ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा जरूरी बात होती है एक्सचेंज रेट। मतलब एक करेंसी को दूसरी करेंसी से एक्सचेंज करने की दर क्या होगी।
500 करोड़ फॉरेक्स ट्रेडिंग मामले में फरार आरोपी को पुलिस ने जबलपुर से किया गिरफ्तार
500 करोड़ फॉरेक्स ट्रेडिंग मामले में पुलिस ने फरार एक आरोपी को जबलपुर से किया गिरफ्तार। फर्जी एप्लीकेशन वेबसाइट बनाकर फॉरेक्स ट्रेडिंग ने कई लोगों को अपना शिकार बना कर दिया सर ठगी की वारदात को अंजाम। पकड़े गए आरोपी से एक करोड रुपए कीमत की लग्जरी कार बरामद हुई। ठगी के पैसे से बदमाश महंगी लग्जरी कार में घूम रहा था।
दरअसल पिछले दिनों विजय नगर पुलिस ने फॉरेक्स ट्रेडिंग 500 करोड़ की धोखाधड़ी मामले में प्रकरण दर्ज किया था। मामले में पूर्व में मुख्य आरोपी अतुल नेतनराव और उसकी पत्नी पारुल नेतन राव मुंबई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। आरोपी के भाई अतुल की तलाश में पुलिस जुटी थी जहां अतुल को जबलपुर से आज पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी ठगी किए गए पैसे से लग्जरी कार में ऐसो आराम की जिंदगी बिता रहा था।
पुलिस ने एक करोड रुपए की बीएमडब्ल्यू लग्जरी कार बरामद की है। वहीं गिरोह का एक अन्य साथी दिल्ली में रहने वाला अरविंद सेट फिलहाल फरार है जिसकी तलाश में पुलिस जुटी है। आरोपियों द्वारा फर्जी वेबसाइट एप्लीकेशन बनाकर फॉरेस्ट ट्रेडिंग कर कई विदेशी नागरिकों को अपनी ठगी का शिकार बनाया था। लगभग 500 करोड़ से भी ज्यादा के घोटाले की पुलिस को जानकारी मिली थी। पुलिस ने पकड़े गए आरोपियों के बैंक खातो की भी जांच की की जा रही है बड़ी संख्या में आरोपियों के बैंक खातों में ट्रांजैक्शन की जानकारी पुलिस को लगी है।