समर्थन रणनीति

जानिए, क्या है गोपाल कांडा की 'बिना शर्त समर्थन' वाली रणनीति
गोपाल कांडा की छवि अभी तक एक आपराधी की है. ऐसे में कांडा भी ये बात समर्थन रणनीति समझते हैं कि अगर वह उस पार्टी के साथ जुड़े, जिसकी सरकार केंद्र में भी है, तभी उनका बेड़ा पार हो सकता है. हालांकि, उमा भारती को ये नागवार गुजरा है.
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हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Election Result 2019) में उस समय एक नया मोड़ आ गया, जब गोपाल कांडा ने बिना किसी शर्त के भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की. वे हरियाणा के सभी नौ निर्दलीय विधायकों के भी समर्थन का भरोसा भाजपा को दिला रहे हैं. इस घोषणा के बाद हरियाणा में सरकार बनाने की भाजपा की कोशिश को तो ताकत मिली, लेकिन उमा भारती को ये बात नागवार गुजरी है. गोपाल कांडा को भाजपा की भावी सरकार में शामिल किए जाने के खिलाफ उन्होंने अपनी सख्त प्रतिक्रिया भी दी. उन्होंने ट्विटर पर एक-दो नहीं, बल्कि 8 ट्वीट किए. जिनमें पहले तो उन्होंने महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए भाजपा को बधाई दी, लेकिन उसके बाद अपनी नाराजगी भी जाहिर कर दी. वैसे जब से कांडा ने भाजपा को समर्थन का फैसला किया था, तब से तमाम सवाल उठ रहे हैं. सबसे अहम सवाल तो यही उठ रहा है कि आखिर बिना शर्त कांडा ने भाजपा को समर्थन क्यों दिया?
2009 में कांडा ने बहुमत से दूर खड़ी कांग्रेस को भी सरकार बनाने के लिए इसी तरह समर्थन दिया था, लेकिन बदले में कांडा को मंत्रीपद से नवाजा गया. और उसके बाद जो हुआ, वह सब कांडा के अपराधों का लंबा चौड़ा इतिहास है. दस साल बाद कांडा फिर हरियाणा की राजनीति में 'किंगमेकर' बनने का दावा कर रहे हैं. वह भी बिना शर्त. लेकिन क्या कांग्रेस की तरह बीजेपी रिस्क उठाने की स्थिति में है.
पहले जानिए उमा भारती ने क्या कहा
उमा भारती ने एक के बाद एक 8 ट्वीट किए. शुरुआती 2-3 ट्वीट तो भाजपा को महाराष्ट्र और हरियाणा में बधाई देने वाले हैं. लेकिन चौथे ट्वीट से उमा भारती ने अपनी नाराजगी व्यक्त करना शुरू कर दिया. उन्होंने लिखा- 'मुझे जानकारी मिली है कि गोपाल कांडा नाम के एक निर्दलीय विधायक का समर्थन भी हमें मिल सकता है. अगर गोपाल कांडा वही व्यक्ति है जिसकी वजह से एक लड़की ने आत्महत्या की थी तथा उसकी माँ ने भी न्याय नहीं मिलने पर आत्महत्या कर ली थी, मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है, तथा यह व्यक्ति ज़मानत पर बाहर है. गोपाल कांडा बेक़सूर है या अपराधी, यह तो क़ानून साक्ष्यों के आधार पर तय करेगा, किंतु उसका चुनाव जीतना उसे अपराधों से बरी नहीं करता. मैं भाजपा से अनुरोध करूँगी कि हम अपने नैतिक अधिष्ठान को न भूलें. हमारे पास तो नरेंद्र मोदी जी जैसी शक्ति मौजूद है, एवं देश क्या पूरे दुनिया की जनता मोदी जी के साथ है तथा मोदी जी ने सतोगुणी ऊर्जा के आधार पर राष्ट्रवाद की शक्ति खड़ी की है. हरियाणा में हमारी सरकार ज़रूर बने, लेकिन यह तय करिए कि जैसे भाजपा के कार्यकर्ता साफ़-सुथरे ज़िंदगी के होते हैं, हमारे साथ वैसे ही लोग हों.'
गोपाल कांडा ने भाजपा को बिना शर्त समर्थन देने के पीछे एक बड़ी शर्त छुपाई है.
कांडा का अतीत करता है खतरनाक इशारे
गोपाल गोयल कांडा ने अपना कारोबारी सफर ज्यूपिटर म्यूजिक होम नाम की एक रेडियो रिपेयरिंग की दुकान से किया. फिर जूते की दुकान शुरू की. जूते का धंधा चल पड़ा और इस धंधे को चलाते-चलाते ही कांडा ने कई राजनीतिक रसूख वाले लोगों से संबंध बना लिए. उनकी जिंदगी को बदलने में एक आईएएस अधिकारी का बड़ा योगदान है, जो उन दिनों सिरसा में नियुक्त हुआ था. बताया जाता है कि सिर्फ उसकी 'सेवा' कर-कर के ही कांडा ने दौलत कमाने का रास्ता अपना लिया. उसी अफसर की मदद से गुड़गांव में जमीनें खरीदने-बेचने की दलाली का काम किया और देखते ही देखते करोड़ों की दौलत जुटा ली. इसके बाद 2007 में एक एयरलाइन शुरू की, लेकिन महज दो साल में ही वह कंपनी भी बैठ गई.
फिर आया 2009, जिसमें कांडा निर्दलीय चुनाव लड़ा और कांग्रेस को समर्थन देकर गृह मंत्री बन बैठे. इस चुनाव में जीतने के लिए कांडा ने लोगों की मदद करना, बाहुबल जुटाना और रॉबिनहुड की इमेज बनाने का काम किया. मदद तो सिर्फ दिखावा था, इसके पीछे का खेल तो अपनी राजनीति चमकाना था. जैसे आईएएस की सेवा कर-कर के गुड़गाव का सिकंदर बने, वैसे ही लोगों को भरमाकर उनके वोटों के हकदार भी बन गए. कांग्रेस को समर्थन देने के बाद कांडा ने दबंगई भी खूब की, लेकिन हुड्डा चाहकर भी कुछ कर नहीं पाए, क्योंकि सरकार गिरने का खतरा था. कांडा जैसे दागी चरित्र वालों का पहले तो जीत जाना ही इस डेमोक्रेसी का दुर्भाग्य है और फिर ऐसे लोगों को भाजपा जैसी पार्टी में शामिल करना और भी समर्थन रणनीति शर्म की बात है, जो पार्टी खुद ही भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ती है.
भाजपा में शामिल होने के पीछे की छुपी शर्त
गोपाल कांडा की छवि अभी तक एक आपराधी की है. उन्हें पाक-साफ नहीं करार दिया गया है. ऐसे में कांडा भी ये बात समझते हैं कि अगर वह उस पार्टी के साथ जुड़ें, जिसकी सरकार केंद्र में भी है, तभी उनका बेड़ा पार हो सकता है. भाजपा में शामिल होने के बाद कांडा सिर्फ अकेले नहीं होंगे जो खुद को बेगुनाह कहेंगे, बल्कि पूरी भाजपा उन्हें बेगुनाह कहेगी. अब जब सब बेगुनाह कहेंगे तो पूरी कायनात को उन्हें बेगुनाह साबित करने में लगना ही पड़ेगा, वरना सवाल यही उठेंगे कि भाजपा ने एक गुनहगार को सत्ता के लिए खुद से जोड़ दिया. अभी तो सिर्फ सोशल मीडिया, मीडिया के अलावा उमा भारती ने इस पर सवाल उठाए हैं, आने वाले वक्त में सवालों की झड़ियां लग जाएंगी.
कांडा के कांडों की लिस्ट लंबी है.
एक शख्स होता है, जिस पर एक-दो मुकदमे चल रहे होते हैं, लेकिन गोपाल कांड़ा ने तो मुकदमों को मेडल समझकर सजाया है. ये रही पूरी लिस्ट-
- आईपीसी की धारा 42 के तहत धोखाधड़ी के 6 केस हैं, जिनमें प्रॉपर्टी की डिलीवरी से जुड़े मामले भी हैं.
- आईपीसी की धारा 468 के तहत 2 चार्ज हैं धोखाधड़ी करन के लिए फर्जी कागज बनाने के.
- आईपीसी की धारा 306 के तहत 2 चार्ज हैं आत्महत्या के लिए उकसाने का. आपको बता दें कि कांडा की वजह से ही गीतिका शर्मा ने आत्महत्या की थी और न्याय ना मिलने पर उसकी मां ने भी मौत को गले लगा लिया था.
- आईपीसी की धारा 409 के तहत पब्लिक सर्वेंट द्वारा भरोसा तोड़ने के अपराध से जुड़ा भी एक चार्ज कांडा पर लगा है.
- आईपीसी की धारा 506 के तहत धमकाने के अपराध को लेकर भी कांडा पर एक चार्ज लगा है.
- आईपीसी की धारा 201 के तहत सबूत गायब करने या गलत जानकारी मुहैया कराने का भी एक मामला कांडा के खिलाफ दर्ज है.
- आईपीसी की धारा 466 के तहत एक चार्ज कोर्ट या पब्लिक रजिस्टर के रिकॉर्ड के फर्जीवाड़े से भी जुड़ा हुआ है.
- आईपीसी की धारा 467 के तहत एक चार्ज कीमती सिक्योरिटी और वसीयत का फर्जीवाड़ा करने से भी जुड़ा हुआ है.
- आईपीसी की धारा 471 के तहत कांडा पर फर्जी दस्तावेजों को असली बताकर इस्तेमाल करने का भी मुकदमा चल रहा है.
- आईपीसी की धारा 120बी के तहत एक मुकदमा आपराधिक षड़यंत्र के लिए सजा से भी जुड़ा हुआ है.
- आईपीसी की धारा 469 के तहत एक चार्ज जाली दस्तावेज बनाकर किसी की इज्जत को क्षति पहुंचाने को लेकर भी कांडा के खिलाफ दर्ज है.
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#गोपाल कांडा, #हरियाणा विधानसभा चुनाव, #हरियाणा, Haryana Election Result 2019, Gopal Kanda, Gopal Goyal Kanda
समर्थन रणनीति
ओंटारियो दक्षिण मध्य क्षेत्र के शोक संतप्त परिवार - माता-पिता का समर्थन समूह
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यह एक बंद संयुक्त समूह है जो आपके जीवनसाथी / साथी के साथ या उसके बिना है। इस समूह को हमारे प्रशिक्षित ग्राईट फैसिलिटेटर्स द्वारा सुविधा प्राप्त है जिन्होंने वयस्क और युवा बच्चे के नुकसान के साथ अनुभव किया है। पैतृक शोक सहायता समूह एक सुरक्षित वातावरण में दूसरों से समर्थन, रणनीति साझा करने और समर्थन प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। एक बंद समूह होने के साथ, इसका मतलब है कि एक बार समूह शुरू हो जाने के बाद, कोई भी अधिक प्रतिभागी शामिल नहीं हो सकता है। यह समूह को एक-दूसरे से परिचित होने, बांड बनाने और उभरते विषयों और विषयों पर चर्चा करने की अनुमति देता है। कार्यक्रम 8 सप्ताह से 12 सप्ताह तक की लंबाई का है। यह समूहों के आधार पर उतार-चढ़ाव करता समर्थन रणनीति है।
कृपया ध्यान दें कि हमारे सभी बंद समूहों को एक सेवन की आवश्यकता होती है, जिसमें 1/2 घंटे तक का समय लग सकता है। यदि आपके पास हमारे समूहों के बारे में कोई अतिरिक्त प्रश्न हैं या प्री-रजिस्टर करना चाहते हैं, तो कृपया हमसे (905) समर्थन रणनीति 318-0070 पर संपर्क करें।
क्यों चीन है रूस के लिए ‘तुरुप का पत्ता’ जिससे कामयाब हो सकती है उसकी यूक्रेन रणनीति
रूस को यूक्रेन पर किसी भी संभावित आक्रमण में चीनी सैन्य की जरूरत नहीं है लेकिन बीजिंग का राजनीतिक और आर्थिक समर्थन पुतिन के लिए उत्साहजनक है.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की फाइल फोटो | Bloomberg
नई दिल्ली: इस साल के बीजिंग विंटर ओलंपिक को याद करने के लिए कई वजह होंगी. इसे मानवाधिकार रिकॉर्ड की आलोचनाओं के साथ-साथ इसलिए भी याद रखा जाएगा कि यह खेल रूस और पश्चिम के बीच रणनीतिक तनाव में आयोजित किया जा रहा है.
यूक्रेन और रूस संकट ने खेल और एकता के अंतर्राष्ट्रीय आयोजन को कई बार प्रभावित किया.
खेलों का अंत पूर्वी यूक्रेन में लड़ाई बढ़ने के साथ हुआ. यूक्रेन के खिलाफ रूस का आक्रमण कुछ हफ़्ते पहले अटकलों और बहस का विषय था, वह अब संघर्ष के जोखिम में बदल चुका है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन संकट को अपने देश के पक्ष में हल करने को लेकर पहले से कही अधिक विश्वास दिखाते रहे हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन के इस विश्वास के पीछे लड़खड़ाती यूक्रेनी अर्थव्यवस्था, रूस की सैन्य शक्ति और एक नया ट्रम्प कार्ड, चीन है.
चार महीने की उत्सुक प्रत्याशा कि रूस आगे क्या कर सकता है और पश्चिमी दूतावासों द्वारा राजधानी कीव से पश्चिमी शहर ल्वीव में ट्रांस्फर होने के फैसले का यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पर हानिकारक प्रभाव पड़ा है.
अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक
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हालांकि, यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने युद्ध को लेकर दहशत फैलाने के लिए बाइडेन प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि यह देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है. इसके समर्थन रणनीति अलावा, रूस अपने गैस निर्यात के लिए पारगमन राज्य के रूप में देश की अहमियत को कम करके यूक्रेन पर अपने आर्थिक दबाव को बढ़ा रहा है.
विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन के जरिए रूसी गैस का प्रवाह जनवरी में ऐतिहासिक स्तर पर गिर गया जिसका मतलब है कि यूक्रेन के लिए पारगमन करों में कम राजस्व.
यहां तक की संकट ने यूक्रेन की करंसी को डॉलर के मुकाबले चार साल के निचले स्तर तक गिरा दिया. इसकी वजह से काला सागर बंदरगाहों समेत यूक्रेनी एयरलाइंस को यूक्रेनी निर्यात के लिए उच्च बीमा दर का सामना करना पड़ा.
एक यूक्रेनी अर्थशास्त्री का कहना है कि संकट ने पिछले कुछ हफ्तों में पहले ही अर्थव्यवस्था को कई अरब डॉलर का नुकसान हुआ है.
पुतिन राजनयिक वार्ता के लिए सहमत हैं इसके बावजूद यह भी साफ है कि रूस पीछे हटने वाला नहीं है.
रूस अपनी सैन्य शक्ति का इस्तेमाल करते हुए पश्चिम के साथ अपने सौदेबाजी के खेल में संघर्ष के खतरे के बावजूद आगे बढ़ने के लिए तैयार है. हालांकि, इसमें वास्तविक युद्ध का खतरा भी है जो रूस की अपनी अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है.
हाल ही में रूस ने ग्रोम (थंडर) नाम से अपना एक वार्षिक रणनीतिक परमाणु बल का अभ्यास किया था. 2022 की दूसरी छमाही से उन्हें आगे लाने का फैसला जानबूझकर किया गया था. इसके समर्थन रणनीति पीछे की मंशा पश्चिमी नेताओं को परमाणु महाशक्ति के रूप में रूस की स्थिति और सैन्य रूप से इसका सामना करने से जुड़े जोखिमों की याद दिलाना था.
साथ ही, यह घोषणा की गई कि रूस और बेलारूस इस पिछले सप्ताहांत के बाद भी अपनी संयुक्त अभ्यास गतिविधियों को जारी रखेंगे. नाटो का अनुमान है कि वर्तमान में लगभग 30,000 रूसी सैनिक बेलारूस में हैं. क्रेमलिन का मानना है कि दस साल के सुधारों और बड़े पैमाने पर धन खर्च करने से रूसी सेना अब एक उम्रदराज, खराब-संसाधनों वाले बल से दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में शामिल हो गई है.
इसके अलावा, रूस का मानना है कि अमेरिका और नाटो यूक्रेन पर खुले संघर्ष का जोखिम नहीं उठाएंगे. इसलिए, इस तरह से अपनी सैन्य ताकत को जारी रखते हुए, पुतिन पश्चिमी नेताओं से उम्मीद कर रहे हैं कि वो कीव में अधिकारियों पर रूस की शर्तों पर पूर्वी यूक्रेन में संकट का राजनीतिक समाधान पेश करने के लिए दबाव डालेंगे.
तुरुप का पत्ता
चीन कार्ड, पुतिन के लिए सबसे शक्तिशाली साबित हो सकता है. जबकि रूस और चीन पिछले कुछ सालों से अपनी नजदीकियां बढ़ रहे हैं. ओलंपिक की शुरुआत में पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक शिखर सम्मेलन ने पश्चिमी देशों में खतरे का संकेत दिया.
कुछ अमेरिकी और यूरोपीय अधिकारियों ने तो यहां तक कह दिया कि यह ‘विश्व व्यवस्था के पुनर्गठन के बराबर’ हो सकता है. सबसे पहले, दोनों नेताओं ने 117 अरब अमेरिकी डॉलर के रूसी तेल और गैस को चीन भेजने के लिए एक दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किए. अगर आक्रमण होता है तो यह समझौता मॉस्को को रूस से यूरोप तक नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन को रोकने के अमेरिकी खतरों से संभावित नतीजों को कम करने में मदद करेगा.
दूसरे संयुक्त बयान ने पश्चिम के खिलाफ रूसी रणनीतियों के लिए चीन के राजनीतिक समर्थन को औपचारिक रूप दिया गया था. इसमे सबसे अहम था कि पहली बार चीन ने नाटो के विस्तार के लिए रूस के विरोध का समर्थन किया.
सप्ताहांत में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में अपने भाषण के दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इस बात की पुष्टि की और पूर्वी यूक्रेन के रूसी समर्थक क्षेत्रों के राजनीतिक समाधान पर रूस के समर्थन वाले मिन्स्क समझौते का समर्थन किया.
हालांकि रूस को यूक्रेन पर किसी भी संभावित आक्रमण में चीनी सैन्य की जरूरत नहीं है लेकिन बीजिंग का राजनीतिक और आर्थिक समर्थन पुतिन के लिए उत्साहजनक है.
बदले में, बीजिंग को मॉस्को से बड़ा फायदा होगा. जिसमें उसने सबसे पहले नाटो के खिलाफ रूस का समर्थन करने के लिए सहमत होकर ताइवान पर मॉस्को का फिर से समर्थन हासिल कर लिया है. चीन ताइवान पर अपना क्षेत्र होने का दावा करता है. वास्तव में, चीन यूक्रेन के प्रति रूस के दृष्टिकोण को एक मॉडल के रूप में पेश करके ताइवान को हथियाने के लिए दबाव डाल सकता है या द्वीप पर एकमुश्त आक्रमण कर सकता है.
दूसरा, चीन अब अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच नए एयूकेयूएस सुरक्षा समझौते के खिलाफ अपने संतुलनकारी खेल में रूस पर भरोसा कर सकता है.
तीसरा, शी देश की सत्ता में और मजबूत होने के लिए पुतिन के साथ अपने सौहार्दपूर्ण संबंधों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस साल के अंत में, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अपनी 20वीं पार्टी कांग्रेस आयोजित करेगी – जो शी के नेतृत्व के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण होगा. पुतिन को चीन में एक मजबूत नेता के रूप में देखा जाता है, इसलिए शी के लिए सत्ता में एक और कार्यकाल हासिल करने के प्रयास के दौरान उनका समर्थन होना अहम हो सकता है.
अभी के लिए, समय पुतिन के पक्ष में है – यह एक बड़ा रणनीतिक कारक है जो पश्चिम के पास नहीं है. वहीं, रूस, चीन और पश्चिम के बीच दुश्मनी जितनी गहरी होगी बीजिंग और मॉस्को में उतनी ही नजदीकी बढ़ने की संभावना है.
जानिए, क्या है गोपाल कांडा की 'बिना शर्त समर्थन' वाली रणनीति
गोपाल कांडा की छवि अभी तक एक आपराधी की है. ऐसे में कांडा भी ये बात समझते हैं कि अगर वह उस पार्टी के साथ जुड़े, जिसकी सरकार केंद्र में भी है, तभी उनका बेड़ा पार हो सकता है. हालांकि, उमा भारती को ये नागवार गुजरा है.
होम -> सियासत
हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Election Result 2019) में उस समय एक नया मोड़ आ गया, जब गोपाल कांडा ने बिना किसी शर्त के भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की. वे हरियाणा के सभी नौ निर्दलीय विधायकों के भी समर्थन का भरोसा भाजपा को दिला रहे हैं. इस घोषणा के बाद हरियाणा में सरकार बनाने की भाजपा की कोशिश को तो ताकत मिली, लेकिन उमा भारती को ये बात नागवार गुजरी है. गोपाल कांडा को भाजपा की भावी सरकार में शामिल किए जाने के खिलाफ उन्होंने अपनी सख्त प्रतिक्रिया भी दी. उन्होंने ट्विटर पर एक-दो नहीं, बल्कि 8 ट्वीट किए. जिनमें पहले तो उन्होंने महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए भाजपा को बधाई दी, लेकिन उसके बाद अपनी नाराजगी भी जाहिर कर दी. वैसे जब से कांडा ने भाजपा को समर्थन का फैसला किया था, तब से तमाम सवाल उठ रहे हैं. सबसे अहम सवाल तो यही उठ रहा है कि आखिर बिना शर्त कांडा ने भाजपा को समर्थन रणनीति समर्थन क्यों दिया?
2009 में कांडा ने बहुमत से दूर खड़ी कांग्रेस को भी सरकार बनाने के लिए इसी तरह समर्थन दिया था, लेकिन बदले में कांडा को मंत्रीपद से नवाजा गया. और उसके बाद जो हुआ, वह सब कांडा के अपराधों का लंबा चौड़ा इतिहास है. दस साल बाद कांडा फिर हरियाणा की राजनीति में 'किंगमेकर' बनने का दावा कर रहे हैं. वह भी बिना शर्त. लेकिन क्या कांग्रेस की तरह बीजेपी रिस्क उठाने की स्थिति में है.
पहले जानिए उमा भारती ने क्या कहा
उमा भारती ने एक के बाद एक 8 ट्वीट किए. शुरुआती 2-3 ट्वीट तो भाजपा को महाराष्ट्र और हरियाणा में बधाई देने वाले हैं. लेकिन चौथे ट्वीट से उमा भारती ने अपनी नाराजगी व्यक्त करना शुरू कर दिया. उन्होंने लिखा- 'मुझे जानकारी मिली है कि गोपाल कांडा नाम के एक निर्दलीय विधायक का समर्थन भी हमें मिल सकता है. अगर गोपाल कांडा वही व्यक्ति है जिसकी वजह से एक लड़की ने आत्महत्या की थी तथा उसकी माँ ने भी न्याय नहीं मिलने पर आत्महत्या कर ली थी, मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है, तथा यह व्यक्ति ज़मानत पर बाहर है. गोपाल कांडा बेक़सूर है या अपराधी, यह तो क़ानून साक्ष्यों के आधार पर तय करेगा, किंतु उसका चुनाव जीतना उसे अपराधों से बरी नहीं करता. मैं भाजपा से अनुरोध करूँगी कि हम अपने नैतिक अधिष्ठान को न भूलें. हमारे पास तो नरेंद्र मोदी जी जैसी शक्ति मौजूद है, एवं देश क्या पूरे दुनिया की जनता मोदी जी के साथ है तथा मोदी जी ने सतोगुणी ऊर्जा के आधार पर राष्ट्रवाद की शक्ति खड़ी की है. हरियाणा में हमारी सरकार ज़रूर बने, लेकिन यह तय करिए कि जैसे भाजपा के कार्यकर्ता साफ़-सुथरे ज़िंदगी के होते हैं, हमारे साथ वैसे ही लोग हों.'
गोपाल कांडा ने भाजपा को बिना शर्त समर्थन देने के पीछे एक बड़ी शर्त छुपाई है.
कांडा का अतीत करता है खतरनाक इशारे
गोपाल गोयल कांडा ने अपना कारोबारी सफर ज्यूपिटर म्यूजिक होम नाम की एक रेडियो रिपेयरिंग की दुकान से किया. फिर जूते की दुकान शुरू की. जूते का धंधा चल पड़ा और इस धंधे को चलाते-चलाते ही कांडा ने कई राजनीतिक रसूख वाले लोगों से संबंध बना लिए. उनकी जिंदगी को बदलने में एक आईएएस अधिकारी का बड़ा योगदान है, जो उन दिनों सिरसा में नियुक्त हुआ था. बताया जाता है कि सिर्फ उसकी 'सेवा' कर-कर के ही कांडा ने दौलत कमाने का रास्ता अपना लिया. उसी अफसर की मदद से गुड़गांव में जमीनें खरीदने-बेचने की दलाली का काम किया और देखते ही देखते करोड़ों की दौलत जुटा ली. इसके बाद 2007 में एक एयरलाइन शुरू की, लेकिन महज दो साल में ही वह कंपनी भी बैठ गई.
फिर आया 2009, जिसमें कांडा निर्दलीय चुनाव लड़ा और कांग्रेस को समर्थन देकर गृह मंत्री बन बैठे. इस चुनाव में जीतने के लिए कांडा ने लोगों की मदद करना, बाहुबल जुटाना और रॉबिनहुड की इमेज बनाने का काम किया. मदद तो सिर्फ दिखावा था, इसके पीछे का खेल तो अपनी राजनीति चमकाना था. जैसे आईएएस की सेवा कर-कर के गुड़गाव का सिकंदर बने, वैसे ही लोगों को भरमाकर उनके वोटों के हकदार भी बन गए. कांग्रेस को समर्थन देने के बाद कांडा ने दबंगई भी खूब की, लेकिन हुड्डा चाहकर भी कुछ कर नहीं पाए, क्योंकि सरकार गिरने का खतरा था. कांडा जैसे दागी चरित्र वालों का पहले तो जीत जाना ही इस डेमोक्रेसी का दुर्भाग्य है और फिर ऐसे लोगों को भाजपा जैसी पार्टी में शामिल करना और भी शर्म की बात है, जो पार्टी खुद ही भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ती है.
भाजपा में शामिल होने के पीछे की छुपी शर्त
गोपाल कांडा की छवि अभी तक एक आपराधी की है. उन्हें पाक-साफ नहीं करार दिया गया है. ऐसे में कांडा भी ये बात समझते हैं कि अगर वह उस पार्टी के साथ जुड़ें, जिसकी सरकार केंद्र में भी है, तभी उनका बेड़ा पार हो सकता है. भाजपा में शामिल होने के बाद कांडा सिर्फ अकेले नहीं होंगे जो खुद को बेगुनाह कहेंगे, बल्कि पूरी भाजपा उन्हें बेगुनाह कहेगी. अब जब सब बेगुनाह कहेंगे तो पूरी कायनात को उन्हें बेगुनाह साबित करने में लगना ही पड़ेगा, वरना सवाल यही उठेंगे कि भाजपा ने एक गुनहगार को सत्ता के लिए खुद से जोड़ दिया. अभी तो सिर्फ सोशल मीडिया, मीडिया के अलावा उमा भारती ने इस पर सवाल उठाए हैं, आने वाले वक्त में सवालों की झड़ियां लग जाएंगी.
कांडा के कांडों की लिस्ट लंबी है.
एक शख्स होता है, जिस पर एक-दो मुकदमे चल रहे होते हैं, लेकिन गोपाल कांड़ा ने तो मुकदमों को मेडल समझकर सजाया है. ये रही पूरी लिस्ट-
- आईपीसी की धारा 42 के तहत धोखाधड़ी के 6 केस हैं, जिनमें प्रॉपर्टी की डिलीवरी से जुड़े मामले भी हैं.
- आईपीसी की धारा 468 के तहत 2 चार्ज हैं धोखाधड़ी करन के लिए फर्जी कागज बनाने के.
- आईपीसी की धारा 306 के तहत 2 चार्ज हैं आत्महत्या के लिए उकसाने का. आपको बता दें कि कांडा की वजह से ही गीतिका शर्मा ने आत्महत्या की थी और न्याय ना मिलने पर उसकी मां ने भी मौत को गले लगा लिया था.
- आईपीसी की धारा 409 के तहत पब्लिक सर्वेंट द्वारा भरोसा तोड़ने के अपराध से जुड़ा भी एक चार्ज कांडा पर लगा है.
- आईपीसी की धारा 506 के तहत धमकाने के अपराध को लेकर भी कांडा पर एक चार्ज लगा है.
- आईपीसी की धारा 201 के तहत सबूत गायब करने या गलत जानकारी मुहैया कराने का भी एक मामला कांडा के खिलाफ दर्ज है.
- आईपीसी की धारा 466 के तहत एक चार्ज कोर्ट या पब्लिक रजिस्टर के रिकॉर्ड के फर्जीवाड़े से भी जुड़ा हुआ है.
- आईपीसी की धारा 467 के तहत एक चार्ज कीमती सिक्योरिटी और वसीयत का फर्जीवाड़ा करने से भी जुड़ा हुआ है.
- आईपीसी की धारा 471 के तहत कांडा पर फर्जी दस्तावेजों को असली बताकर इस्तेमाल करने का भी मुकदमा चल रहा है.
- आईपीसी की धारा 120बी के तहत एक मुकदमा आपराधिक षड़यंत्र के लिए सजा से भी जुड़ा हुआ है.
- आईपीसी की धारा 469 के तहत एक चार्ज जाली दस्तावेज बनाकर किसी की इज्जत को क्षति पहुंचाने को लेकर भी कांडा के खिलाफ दर्ज है.
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TCI पांच साल की रणनीति में बेनिन भर में संस्थागत है यूनिवर्सल रेफरल दृष्टिकोण
कब The Challenge Initiative ( TCI ) 2018 में बेनिन में काम करना शुरू किया, यूनिवर्सल रेफरल दृष्टिकोण – TCI फ्रेंकोफोन पश्चिम अफ्रीका में हस्ताक्षर उच्च प्रभाव सबसे अच्छा अभ्यास है कि परिवार नियोजन परामर्श और सेवा तेज के लिए कोई चूक अवसर सुनिश्चित करता है-परिवार नियोजन के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की पांच साल की रणनीतिक योजना (2014-2018) का हिस्सा नहीं था । यूनिवर्सल रेफरल अपनी क्षमता में अद्वितीय है कि वे सलाह देने के लिए प्रदाताओं की क्षमता का निर्माण करके गर्भनिरोधक परामर्श और सेवाओं समर्थन रणनीति के साथ प्रजनन आयु की महिलाओं की एक व्यापक आबादी तक पहुंच सकते हैं, फिर प्रजनन आयु की हर महिला को संदर्भित या एक विधि प्रदान करते हैं जो एक सुविधा में प्रवेश करती है - चाहे वे जो सेवाएं चाहते हैं।
TCI बेनिन को समर्थन की पेशकश की मदद करने के लिए २०१८ में १२.४% से २०२३ में २१.८% के लिए गुणवत्ता, सस्ती परिवार नियोजन सेवाओं की एक पूरी श्रृंखला के लिए उपयोग सुनिश्चित करने के द्वारा आधुनिक गर्भनिरोधक व्यापकता दर को बढ़ाने के अपने लक्ष्य तक पहुंचने । वकालत के माध्यम से, TCI प्रमुख सरकारी हितधारकों को जहां भी बुलाया-रणनीति बैठकों, त्रैमासिक डेटा समीक्षा बैठकों, या क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय संमेलनों में-और उनसे आग्रह किया कि परिवार नियोजन (2019-2023) के लिए नई राष्ट्रीय पांच साल की रणनीति में सार्वभौमिक रेफरल दृष्टिकोण को शामिल समर्थन रणनीति करें । देश की पांच साल की रणनीतिक योजना कार्यशाला के दौरान, ह्यूग्स Gnahoui, TCI देश कार्यक्रम प्रबंधक, सार्वभौमिक रेफरल दृष्टिकोण और एक उच्च प्रभाव सबसे अच्छा अभ्यास के रूप में अपने सबूत आधार प्रस्तुत किया ।
इसके अनुसार TCI अप्रैल 2019 से फरवरी 2020 तक परियोजना प्रबंधन सूचना प्रणाली डेटा TCI -Abomey Calavi और UCOZ में समर्थित सुविधाओं, नए परिवार नियोजन ग्राहकों के ६९% सार्वभौमिक रेफरल के माध्यम से भर्ती किया गया, दूसरे से 20% TCI उच्च प्रभाव दृष्टिकोण कहा जाता है विशेष परिवार नियोजन दिवस, और अन्य स्रोतों से 11%। सार्वभौमिक रेफरल दृष्टिकोण के लिए धन्यवाद, उस अवधि के दौरान लगभग 300,000 महिलाओं को परिवार नियोजन पर सलाह दी गई थी।
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य विभाग के परिवार नियोजन और किशोर एवं युवा स्वास्थ्य सेवाओं के प्रमुख और स्वास्थ्य मंत्रालय के भीतर प्रजनन स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षक डॉ गैस्टन अहौनू सार्वभौमिक रेफरल के लिए एक अथक चैंपियन बन गए हैं । बाद TCI उन्हें इस दृष्टिकोण पर प्रशिक्षित किया गया, उन्होंने अप्रैल २०१९ में प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण और Abomey-Calavi में प्रदाताओं के प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान की । डॉ अहूनू ने भी उत्सुकता से काम किया TCI राष्ट्रीय 2019-2023 परिवार नियोजन रणनीतिक योजना में शामिल दृष्टिकोण प्राप्त करने के लिए।
डॉ अहौनू ने कहा, यूनिवर्सल रेफरल वास्तव में एक समग्र दृष्टिकोण है जो योजनाबद्ध तरीके से परिवार नियोजन के मामले में ग्राहक की जरूरतों को पहचानता है, जिससे अपूरित जरूरतों को कम किया जा सके ।
क्योंकि डॉ Ahounou समर्थन की और TCI है लगातार वकालत के प्रयासों, स्वास्थ्य मंत्रालय अंततः अपनी पांच साल की रणनीति (2019-2023) में एक उच्च प्रभाव दृष्टिकोण के रूप में सार्वभौमिक रेफरल संस्थागत बेनिन भर में पहुंचा जाएगा । बेनिन की स्वास्थ्य प्रणाली को बनाने वाले 12 विभागों में सभी वार्षिक स्वास्थ्य कार्ययोजनाओं में अब सार्वभौमिक रेफरल शामिल होने की उम्मीद है, जिसका अर्थ है कि इसे २०१९ से २०२३ तक हर साल कम से ५० अतिरिक्त स्वास्थ्य सुविधाओं में तैनात किया जा रहा है । अकेले 2019 में, 349 प्रदाताओं को सार्वभौमिक रेफरल पर प्रशिक्षित किया गया था। सार्वभौमिक रेफरल का व्यवस्थित समावेश दृष्टिकोण के पैमाने और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है, और अंततः बेनिन की महिलाओं के लिए।