पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं

पिछले कुछ महीनों में निवेशकों की रुचि पैसिव फंड की तरफ ज्यादा बढ़ी है. AMFI के हाल ही में आए आंकड़ों में इसके संकेत मिलते हैं. पैसिव फंड में मैनेजर की सक्रिय भूमिका नहीं होती है, इसलिए मैनेजमेंट फीस कम होने के चलते कम लागत होती है. एक्सपर्ट का कहना है कि एक्टिव फंड का टार्गेट मार्केट इंडेक्स से बेहतर रिटर्न प्राप्त करना होता है. वहीं, पैसिव फंड में निवेशक मार्केट इंडेक्स के हिसाब से रिटर्न की उम्मीद करते हैं. यही वजह है कि पैसिव फंड में एक्टिव म्यूचुअल फंड की तुलना में रिसर्च खर्च अधिक होता है, हालांकि एक्टिव की तुलना में कम लागत होती है. एक्टिव फंड में पैसिव की तुलना में ज्यादा जोखिम होता है. जिसमें पैसों के ज्यादा नुकसान होने की उम्मीद रहती है.
Active vs Passive Fund : कम लागत में लेना चाहते हैं ज्यादा मुनाफा, तो इस फंड में करें निवेश
TV9 Bharatvarsh | Edited By: Neeraj Patel
Updated on: Nov 11, 2022 | 1:29 PM
Investment Tips : अगर आप शेयर बाजार (Share Market) में निवेश करते हैं और इन डायरेक्ट रूप से निवेश करना चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) इसका सबसे अच्छा तरीका है. इसमें आपका पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं रहता है जिसके कारण रिस्क भी कम रहता है. अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं तो रिटर्न मल्टी फोल्ड होगा. म्यूचुअल फंड मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं. पहला एक्टिव फंड और दूसरा पैसिव म्यूचुअल फंड. दोनों फंड में क्या अंतर है और निवेशकों को क्या करना चाहिए. इसके बारे में यहां पर आपको पूरी जानकारी दे जा रही है.
क्या हैं Index Funds और कैसे कर सकते हैं निवेश, जानिए इससे जुड़ी खास बातें
Index Funds: ज्यादा जोखिम के बिना हाई रिटर्न का फायदा उठाने के लिए इंडेक्स फंड एक अच्छा ऑप्शन हो सकते हैं. इंडेक्स फंड ऐसे म्यूचुअल फंड हैं, जहां किसी विशेष इंडेक्स के स्टॉक्स में ही निवेश किया जाता है.
Index Funds: म्यूचुअल फंड की ही एक पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं मशहूर कैटेगोरी है इंडेक्स फंड जिसमें कम जोखिम में हाई रिटर्न का फायदा उठाया जा सकता है. इंडेक्स फंड का पोर्टफोलियो फॉलो किए जाने वाले इंडेक्स की तरह ही होता है. इंडेक्स फंड में SIP भी किया जा सकता है, इंडेक्स फंड में निवेश करने के लिए आप फंड ऑफ हाउस की आधिकारिक वेबसाइट या किसी ऐप का उपयोग कर सकते हैं. इंडेक्स फंड कम लागत में किया जा सकने वाला इनवेस्टमेंट माना जाता है. यहां निवेशक कम लागत में आसानी से शेयरों में निवेश कर सकते हैं. इन्हें पैसिव फंड भी कहा जाता है. ये फंड उसी सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं जिस इंडेक्स को ये ट्रैक करते हैं. इंडेक्स शेयर बाजार के प्रदर्शन को ट्रैक करने वाला वेटेज एवरेज कंपोजिट स्कोर होता है. इसका कैलकुलेशन करने के लिए कुछ चुनिंदा ऐसे शेयरों की कीमतों को लेकर किया जाता है जो बाजार के रिप्रेजेन्टेटिव होते हैं. जैसे कि BSE का सेंसेक्स और NSE का NIFTY.
इंडेक्स फंड में होती है मॉडरेट रिस्क
इंडेक्स फंड, एक्टिवली मैनेज्ड फंड की तुलना में कम रिस्की होते हैं यानि कि मध्यम जोखिम पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं निवेश हैं. जहां सक्रिय फंडों में मार्केट से बेहतर परफॉर्म करने की होड़ में ज्यादा रिस्क ली जाती है, वहीं इसके विपरीत इंडेक्स फंड का रिटर्न इसके अंडरलाइंग इंडेक्स से जुड़ा होता है. इसे ट्रैक किया जाता है.
एक्सचेंज फंड पर इंडेक्स फंड का कारोबार नहीं होता है इसलिए नियमित फंड की तुलना में इंडेक्स फंड की लिक्विडिटी कम है. साथ ही साथ इंडेक्स फंड का एक्सपेंस रेश्यो कम होता है. इससे इसकी लागत भी कम होती है.
Active vs Passive mutual funds: कहां होगी दमदार इनकम, समझिए रिस्क-रिटर्न का कैलकुलेशन
Mutual fund risk and return: फंड मैनेजर म्यूचुअल फंड स्कीम में आपके पैसे को एक्टिव या पैसिव दो तरीके से मैनेज करता है.
Active vs Passive mutual funds: अगर आप सीधे शेयर बाजार में निवेश से जुड़े जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं, तो म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश बेहतर ऑप्शन है. म्यूचुअल फंड्स (पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं mutual fund) में निवेश की अच्छी बात यह है कि इसमें एक डेडिकेटेड फंड मैनेजर निवेशक के पैसे को मैनेज करता है. इसमें फंड मैनजर यह तय करता है कि निवेशक के पैसे को किस एसेट क्लास (इक्विटी, गोल्ड, डेट, रीयल्टी) में कितना लगाना है. फंड मैनेजर म्यूचुअल फंड स्कीम (mutual fund scheme) में आपके पैसे को एक्टिव या पैसिव दो तरीके से मैनेज करता है. अब यहां यह समझना जरूरी है कि एक्टिव फंड्स और पैसिव फंड्स की इन दो कैटेगरी में क्या फर्क है और निवेशक के लिए कहां ज्यादा रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है. साथ ही इनमें रिस्क फैक्टर क्या होते हैं.
Active vs Passive funds: क्या है इनमें अंतर
वेल्थ मैनेजमेंट कंपनी Fintoo के सीईओ मनीष पी. हिंगर का कहना है कि एक्टिव फंड्स ऐसे फंड्स होते हैं, जहां फंड मैनेजर फंड को एक्टिवली मैनेज करता है. इन फंड्स में फंड मैनेजर पोर्टफोलियो में खरीदने, बेचने या रीबैलेंसिंग पर तत्काल फैसले कर बाजार से बेहतर रिटर्न हासिल करने की कोशिश करता है. इसका मतलब कि एक्टिव रूप में मैनेज होने वाले फंड्स में फंड मैनेजर का रोल काफी ज्यादा होता है. वहीं, जब हम पैसिव फंड्स (passive funds) की बात करते हैं, तो इनमें फंड मैनेजर का ज्यादा रोल नहीं रहता है. वह सिर्फ एक इंडेक्स को दर्शाता है और कोई एक्टिव फैसले नहीं लेता है.
इसे ऐसे समझते हैं; इक्विटी फंड्स, डेट फंड्स, हाइब्रिड फंड्स एक्टिव रूप से मैनेज होने वाले फंड हैं. जैसेकि इक्विटी फंड में फंड मैनेजर तय करेगा कि किस स्टॉक को कब पोर्टफोलियो में शामिल करना है, कब निकालना या कितने शेयर खरीदने हैं. वहीं, पैसिव फंड्स की बात करें तो इसे एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) या इंडेक्स फंड्स से समझ सकते हैं. ईटीएफ में फंड की परफॉर्मेंस इंडेक्स में होने वाले मूवमेंट के आधार ऊपर-नीचे होती है. इसमें फंड मैनेजर के पास कोई चेंज करने का अधिकार नहीं होता है.
Active vs Passive funds: कहां ज्यादा रिस्क और ज्यादा रिटर्न
मनीष पी. हिंगर का कहना है कि एक्टिव फंड्स (active funds) का एक्सपेंश रेश्यो ज्यादा होता है. इनमें रिटर्न भी ज्यादा मिलने की उम्मीद रहती है. वहीं, एक्टिव फंड्स में रिस्क भी हाई रहता है. एक्टिव फंड्स चूंकि फंड मैनेजर की ओर से एक्टिव तरीके से मैनेज होते हैं, इसलिए इनमें बेंचमार्क इंडेक्स से ज्यादा मिलने की संभावना रहती है. दूसरी ओर, पैसिव फंड्स का एक्सपेंश रेश्यो काफी कम रहता है. इसलिए इनमें जोखिम और रिटर्न भी एक्टिव फंड्स के मुकाबले कम रहता है.
मनीष हिंगर कहते हैं, निवेशक एक्विट फंड्स में पैसा लगाए या पैसिव फंड्स में, यह उसके जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है. अगर निवेशक में ज्यादा रिस्क लेने की क्षमता है, तो वह एक्टिव फंड्स को चुन सकता है. इनमें उसे हमेशा बेंचमार्क इंडेक्स से ज्यादा रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है. वहीं, जो निवेशक कर रिस्क में बेहतर रिटर्न चाहते हैं, उनके लिए पैसिव फंड्स बेहतर ऑप्शन हैं.
Mutual Fund Investment: जानते हैं पैसिव म्यूचुअल फंड को, जानें क्यों इसमें निवेश है फायदे का सौदा
पैसिव म्यूचुअल फंड लंबी अवधि के निवेशकों का पसंदीदा
- बदलते जमाने में निवेश के तरीके भी बदल रहे हैं
- इसी तरह निवेशकों के प्रीफरेंसेज भी बदल रहे हैं
- तभी तो, इस समय पैसिव फंड लंबी अवधि के निवेशकों द्वारा पसंदीदा निवेश उत्पाद के रूप में तेजी से उभर रहे हैं
- यह बाजारों में बार-बार कारोबार करने की परेशानी के बिना बाजार आधारित फायदा देता है
- क्या है पैसिव म्यूचुअल फंड?
जैसा कि नाम से ही साफ है कि ये फंड निवेश में पैसिव (निष्क्रिय) रणनीति अपनाते हैं। यानी ये सिर्फ इंडेक्स में निवेश करते हैं। इनका पोर्टफोलियो इंडेक्स के घटकों को ठीक उसी अनुपात में दिखाता है जिसमें ये इंडेक्स में होते हैं। इस तरह की इंवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी के पीछे आइडिया यह है कि सैद्धांतिक रूप से लंबी अवधि तक प्रदर्शन के मामले में बाजार को लगातार पीछे छोड़ पाना संभव नहीं है। इसलिए इंडेक्स में निवेश कर सुकून से बैठ जाने में समझदारी है। बाजार में व्यापक बढ़त इंडेक्स में दिखाई देती है। कम शब्दों में कहें तो शेयर बाजार से पैसा कमाने के पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं लिए यह निष्क्रिय रणनीति है। - कहां से हुई इसकी शुरूआत?
पैसिव फंड के सबसे पहले शुरू करने का जिक्र अमेरिका से शुरू होता है। अमेरिका का पैसिव फंड अनुभव भारत के नजरिए से बहुत मूल्यवान है। वेंगार्ड एसेट मैनेजमेंट फर्म ने सन 1976 में पहला पैसिव फंड लॉन्च किया था। पैसिव फंड श्रेणी को निवेशक द्वारा अच्छी तरह से स्वीकार किया गया और वर्तमान में अमेरिकी म्यूचुअल फंड उद्योग एयूएम (एसेट अंडर मैनेजमेंट) में इसका हिस्सा 50 फीसदी से अधिक होने का अनुमान है। अमेरिका में पैसिव फंडों के उत्साहजनक प्रदर्शन को देखते हुए, विश्वास है कि भारत भी पैसिव निवेश की उल्लेखनीय यात्रा का अनुभव करेगा। - पैसिव म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर शुल्क कितना लगता है?
लंबी अवधि के निवेशकों के लिए लागत मायने पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं रखती है। स्टॉक चयन के लिए कोई सक्रिय फंड प्रबंधन टीम शामिल नहीं है और इसलिए स्पष्ट लागत बहुत कम है। पैसिव फंड बेंचमार्क के रूप में उपयोग किए जाने वाले इंडेक्स का अनुसरण करते हैं। विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंड उत्पादों में पैसिव फंड का एक्सपेंस रेशियो सबसे कम है। - निवेशकों को पता चलता है कि कहां निवेश हो रहा है और इसमें जोखिम क्या है?
पैसिव म्यूचुअल फंड में इंवेस्टमेंट मैनेजर काफी पारदर्शिता रखते हैं। चूंकि यह एक मानक वाला उत्पाद है। यह हमेशा स्पष्ट होता है कि पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं कौन सी संपत्ति इंडेक्स फंड में है। जहां तक जोखिम की बात है तो पैसिव फंड केवल बाजार से जुड़े जोखिम उठाते हैं। जबकि, एक्टिव रूप से प्रबंधित फंड भी फंड मैनेजर के स्टॉक चयन कॉल पर होने वाली लागत के अधीन होते हैं। - भारत में पैसिव फंड की क्या है स्थिति
भारत में पैसिव प्रोडक्ट्स ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है। मई '2021 के अंत तक भारत में पैसिव फंडों का कुल एयूएम कुल म्यूचुअल फंड एयूएम का 10 फीसदी हो गया है। साथ ही पैसिव फंड AUM मई 2021 के अंत तक 13 गुना (पिछले 5 वर्षों में) बढ़कर 3.24 लाख करोड़ रुपये हो गया है। मई 2021 के अंत तक की अवधि के दौरान कुल म्यूचुअल फंड उद्योग लगभग 3 गुना बढ़कर 33.05 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
क्यों इंडेक्स फंडों में बढ़ रही है निवेशकों की दिलचस्पी?
पैसिव या इंडेक्स आधारित निवेश को बेहतर ढंग से समझने के लिए पहले यह जानना होगा कि इंडेक्स क्या है. इंडेक्स प्रतिभूतियों का बास्केट है जिसे कॉन्सेप्ट, एसेट क्लास या स्ट्रैटेजी दर्शाने के लिए डिजाइन किया जाता है. इसे स्पष्ट नियमों के साथ तैयार किया जाता है. इसमें पहले से ही तय कर लिया जाता है कि समीक्षा के दौरान किन शेयरों को इंडेक्स में शामिल किया जाएगा और किन्हें बाहर.
समय-समय पर होने वाली समीक्षा को रीबैलेंसिंग कहा जाता है. बाजार की बदलती स्थितियों के दौरान इंडेक्स के प्रासंगिक बने रहने के लिए यह महत्वपूर्ण है.
पारदर्शी तरीका सुनिश्चित करता है कि शेयरों के चुनाव में कोई भेदभाव नहीं है. इससे पता चलता है कि इंडेक्स उसी रणनीति का पालन करेगा जिसके लिए उसे बनाया गया है.