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क्या जमा के बिना पदोन्नति हो सकती है?

क्या जमा के बिना पदोन्नति हो सकती है?

MP NEWS- कोरोना योद्धाओं को कार्यवाहक पद का प्रमोशन दिया जाए: कर्मचारी संघ

जबलपुर। मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि शासन के द्वारा कर्मचारियों को उनकी सेवाअवधि के अनुसार पदनाम देने की घोषणा की गई थी, वह भी आज दिनांक तक ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। संघ ने स्वास्थ्य विभाग में पुलिस विभाग की तरह पदोन्नति करने की मांग की है।

संघ ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को विगत 15 वर्षों से पदोन्नति का लाभ नहीं मिला है। शासन द्वारा समय समय पर समयमान वेतनमान दिये जाने से उन्हें वेतन तो उच्च् पद का मिल रहा है परंतु उच्च पद का पदनाम एवं कार्य नहीं मिल पा रहा है। शासन को पदोन्नति करने पर उन्हें सिर्फ पदनाम एवं उच्च पद का कार्य ही देना है इसमें शासन को किसी भी प्रकार का वित्तीय भार भी नहीं आयेगा और शासन को कर्मचारियों को कोई भी अतिरिकत् भुगतान भी नहीं करना पडेगा।

पदोन्नति होने पर शासकीय कर्मचारियों में उत्साह एवं मनोबल बढेगा जिससे कार्य की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। विभाग में सैकड़ों की संख्या में बिना पदोन्नति के कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं और यदि पदोन्नति नहीं होती है तो सैकडों और कर्मचारी पदोन्नति से वंचित रहते हुए सेवानिवृत्त हो जायेगें। कर्मचारियों को स्वास्थ्य विभाग में 24 से 25 वर्षों की सेवा करने के पश्चात भी एक भी पदोन्नति नहीं मिल पाई है जिससे कर्मचारियों को मनोबल टूट रहा है और कर्मचारी मानसिक रूप से परेशान हैं। पदोन्न्ति के लिए हर कैडर में सैकड़ों पर रिक्त पड़े हुए हैं परंतु शासन की उदासीनता के कारण कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं हो पा रही है। आज दिनांक तक शासन द्वारा कोरोना समयकाल में किसी भी प्रकार का आर्थिक लाभ नहीं दिया गया है।

संघ के योगेन्द्र दुबे , अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी,नरेन्द्र दुबे, अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, दुर्गेश पाण्डेय, ब्रजेश मिश्रा, मनोज सिंह, परशुराम तिवारी, वीरेन्द्र चंदेल, एस पी बाथरे, नवीन यादव, राजेश चतुर्वेदी,तुषरेंद्र सिंह, नीरज कौरव, जवाहर लोधी तिवारी, सी एन शुक्ला, चुरामन गर्जर, सतीश देशमुख योगेश कपूर, पंकज जायसवाल, वीरेन्द्र पटेल, उमेश मुद्गगल राकेश पटेल , निशांक तिवारी, क्या जमा के बिना पदोन्नति हो सकती है? श्यामनारायण तिवारी, मो;तारिक, नितिन शर्मा, संतोष तिवारी, प्रियांशु शुक्ला, आदि ने माननीय मख्यमंत्री जी से मांग की है कि कोरोना योद्दाओं की भी कार्यवाहक पदोन्नति प्रदान की जाये।

पदोन्नति में एससी और एसटी को आरक्षण देने के फैसले पर दोबारा सुनवाई नहीं: न्यायालय

नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह पदोन्नति में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को आरक्षण की अनुमति देने वाले अपने फैसले पर दोबारा सुनवाई नहीं करेगा क्योंकि राज्यों को यह निर्णय करना है कि वे कैसे इसे लागू करेंगे। विभिन्न राज्यों में पदोन्नति में अनुसूचित जाति और अनुसूचित क्या जमा के बिना पदोन्नति हो सकती है? जनजातियों को आरक्षण देने में कथित तौर पर आ रही दिक्कतों से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बीआर गवई की तीन सदस्यीय पीठ ने राज्य सरकारों के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड को

विभिन्न राज्यों में पदोन्नति में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों को आरक्षण देने में कथित तौर पर आ रही दिक्कतों से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बीआर गवई की तीन सदस्यीय पीठ ने राज्य सरकारों के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड को निर्देश दिया कि वे उन मुद्दे की पहचान करें जो उनके लिए अनूठे हैं और दो सप्ताह के भीतर उन्हें दाखिल करें।

पीठ ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम नागराज या जरनैल सिंह (मामले) दोबारा खोलने नहीं जा रहे हैं क्योंकि इन मामलों पर न्यायालय द्वारा प्रतिपादित व्यवस्था के अनुसार ही निर्णय करने का विचार था।

शीर्ष अदालत ने अपने पूर्व के आदेश को रेखांकित किया जिसमें राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया था कि वे उन मामलों को तय करे जो उनके लिए अनूठे हैं ताकि न्यायालय इनमें आगे बढ़ सके।

न्यायालय ने कहा कि अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल द्वारा तैयार किये गए मुद्दे और दूसरों द्वारा उपलब्ध कराये गए मुद्दे मामले का दायरा बढ़ा रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हम ऐसा करने के इच्छुक नहीं है। ऐसे कई मुद्दे हैं जिनका फैसला नागराज प्रकरण में हो चुका है और उन्हें भी हम लेने नहीं जा रहे हैं। हम बुहत स्पष्ट हैं कि हम मामले को दोबारा खोलने के किसी तर्क या इस तर्क को मंजूरी नहीं देंगे कि इंदिरा साहनी मामले में प्रतिपादित व्यवस्था गलत हैं क्योंकि इन मामलों का दायरा इस अदालत द्वारा तय कानून को लागू करना है।’’

वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा कि इनमें से लगभग सभी मुद्दों पर शीर्ष अदालत के फैसले में व्यवस्था दी जा चुकी है और वह आरक्षण के मामले पर इंदिरा साहनी मामले से लेकर अबतक के मामलों की पृष्ठभूमि देंगे।

वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने तर्क दिया कि राज्य कैसे फैसला करें कि कौन सा समूह पिछड़ा हैं और इसमे पैमाने की उपयुक्तता का मुद्दा खुला है।

उन्होंने कहा, ‘‘अब यह विवादित तथ्यों का सवाल नहीं रहा। कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों ने इस आधार पर इन्हें खारिज कर दिया कि इसमें पिछड़ेपन का आधार नहीं दिखाया गया है। कैसे कोई राज्य यह कैसे स्थापित करेगा कि प्रतिनिधित्व पर्याप्त है और इस संदर्भ में पर्याप्तता का पैमाना होना चाहिए जिसके लिए विस्तृत विमर्श की जरूरत है।’’

उनके तर्क पर पीठ ने कहा, ‘‘ हम यहां पर सरकार को यह सलाह देने के लिए नहीं है कि उन्हें क्या करना चाहिए। यह हमारा काम नहीं है कि सरकार को बताएं कि वह नीति कैसे लागू करे। यह स्पष्ट व्यवस्था दी गयी है कि राज्यों को इसे किस तरह लागू करना है और कैसे पिछड़ेपन तथा प्रतिनिधित्व पर विचार करना है। न्यायिक समीक्षा के अधीन राज्यों को तय करना है कि उन्हें क्या करना है।’’

वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि वह प्रतिनिधित्व के सवाल पर नहीं जाना चाहते क्योंकि इंदिरा साहनी फैसले में स्पष्ट कहा गया है कि यह आनुपातिक प्रतिनिधित्व नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मध्य प्रदेश के मामले में बहुत स्पष्ट है कि आप जनगणना पर भरोसा नहीं कर सकते। यह पहली बार नहीं है जब बड़ी संख्या में मामले आए हैं। प्रत्येक मामले में न्यायालय के समक्ष लिखित दलीलें पेश करने दी जाएं। महाराष्ट्र ने कहा है कि उसने ‘पर्याप्त प्रतिनिधित्व’ पर फैसला करने के लिए समिति गठित की है। यह पहले क्यों नहीं किया गया? जहां तक सिद्धांत की बात है तो नागराज फैसले में इस बताया गया था। ’’

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि भारत के संघ की समस्या है कि उच्च न्यायालयों द्वारा तीन अंतरिम आदेश पारित किए गए हैं जिनमें से दो में कहा गया है कि पदोन्न्ति की जा सकती है जबकि एक उच्च न्यायालय के फैसले में पदोन्नति पर यथास्थिति कायम रखने को कहा गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ भारत सरकार में 1400 पद (सचिवालय स्तर पर) रुके हुए हैं क्योंकि इनपर नियमित तौर पर पदोन्नति नहीं की जा सकती। ये तीनों आदेश नियमित पदोन्नति से जुड़े हुए हैं। सवाल यह है कि क्या नियमिति नियुक्तियों पर पदोन्नति जारी रह सकती है और क्या यह आरक्षित सीटों को प्रभावित करेंगी।’’

वेणुगोपाल ने सरकारी अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की याचिका पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘‘2500 अन्य पद है जों सालों क्या जमा के बिना पदोन्नति हो सकती है? से नियमित पदोन्नति पर यथास्थिति आदेश की वजह से रुके हुए हैं। सरकार इन पदों पर पदोन्नति बिना किसी अधिकार के तदर्थ आधार पर करना चाहती है।’’

महाराष्ट्र और बिहार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने कहा कि शीर्ष अदालत को इसका परीक्षण करना चाहिए कि कैसे मात्रात्मक डाटा तक पहुंचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि बिहार में 60 प्रतिशत पद खाली है।

इस पर पीठ ने कहा कि वह पहले ही पिछडे़पन पर विचार करने के लिए फैसला दे चुकी है और वह आगे नीति नहीं बता सकती।

शीर्ष अदालत ने इसके बाद आदेश दिया, ‘‘इस अदालत द्वारा पूर्व में पारित आदेश के संदर्भ, अटॉर्नी जनरल की ओर से इस मामले में विचार के लिए उठे मुद्दों पर नोट परिचालित किया गया। महाराष्ट्र और त्रिपुरा राज्यों द्वारा पहचान किए गए मुद्दे भी इस अदालत के समक्ष रखे गए। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह और राजीव धवन ने अटॉर्नी जनरल को अलग से दिए गए मुद्दे भी रखे गए। अटॉर्नी ने कहा कि अदालत द्वारा प्रतिपादित व्यवस्था को दोबारा खोलने की कोई जरूरत नहीं है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 16 और 16(4)(ए) की व्याख्या के बारे में कहा गया कि इस अदालत द्वारा दिए गए फैसले से सभी मुद्दे स्पष्ट हो गए हैं जो विचार के लिए उठे। हमारे संज्ञान में लाया गया कि राज्यों के लिए अनूठे मुद्दों को 11 श्रेणियों में समूहबद्ध किया जा सकता है।यह आदेश पहले ही इस अदालत द्वारा पारित किया जा चुका है कि राज्यों को सामने आ रहे मुद्दों की पहचान करनी है और प्रत्येक राज्य उसकी अद्यतन प्रति अटॉर्नी जनरल को दे।’’

पीठ ने राज्य सरकारों के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड को निर्देश दिया कि वे राज्यों के लिए अजीब महसूस हो रहे मुद्दों की पहचान करें और उन्हें इस अदालत के समक्ष आज से दो सप्ताह के भीतर जमा करें।

न्यायालय ने अधिवक्ताओं को फैसले के हवाले से अधिकतम पांच पन्नों में दो सप्ताह के भीतर लिखित नोट जमा करने को कहा और मामले की सुनवाई पांच अक्टूबर तक स्थगित कर दी।

इससे पहले महाराष्ट्र और अन्य राज्यों ने कहा कि अनारक्षित श्रेणी में पदोन्नति की गई है लेकिन एससी और एसटी कर्मचारियों की आरक्षित श्रेणी में पदोन्नति की मंजूदी नहीं दी गई है।

गौरतलब है कि वर्ष 2018 में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सरकारी नौकरियों में एससी और एसटी की पदोन्नति में आरक्षण देने का रास्ता साफ कर दिया था। न्यायालय ने कहा था कि राज्यों को इन समुदायों के पिछड़ा होने वाले ‘‘मात्रात्मक आंकड़े एकत्र’ करने की जरूरत नहीं है। अदालत ने कहा था कि वर्ष 2006 में एम नागराज मामले में दिए फैसले पर पुनर्विचार की भी जरूरत नहीं है।

कर्मचारियों को जल्‍द मिल सकती है गुड न्‍यूज, प्रमोशन पर मंत्री ने कही बड़ी बात


नई दिल्‍ली: केंद्र सरकार (Central Government) जल्‍द ही केंद्रीय कर्मचारियों को प्रमोशन दे सकती है. 1 जुलाई 2022 को 8,000 से अधिक केंद्रीय अधिकारियों को पदोन्‍नति देने के बाद अब एक बार फिर सरकार कई अधिकारियों को पदोन्नति देने की तैयारी में है. केंद्रीय कार्मिक एवं लोक शिकायत राज्‍यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद कहा कि अगले 2 से 3 सप्‍ताह में प्रमोशन की घोषणा कर दी जाएगी.

पीआईबी के एक ट्वीट में बताया गया है कि केंद्रीय मंत्री ने प्रति‍निधिमंडल को बताया कि सरकार पदोन्‍नति को लेकर गंभीर है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में व्‍यक्तिगत रुचि ली है. गौरतलब है कि इससे पहले केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों में प्रशासनिक कार्य करने वाले अधिकारियों का आखिरी बार प्रमोशन 2019 में हुआ था.

उस समय तीनों सेवाओं में 4,000 अधिकारियों को पदोन्‍नति दी गई थी. डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों का बिना पदोन्नति के सेवा से रिटायर हो जाना निराशाजनक है. उन्‍होंने कहा कि अब से सभी भावी पदोन्नतियां सुव्यवस्थित हो जाएंगी, क्‍योंकि 8,089 कर्मचारियों को पदोन्नति देने में सभी कानूनी बाधाओं को सुलझा लिया गया है.

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जल्‍द होगी प्रमोशन
केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा ग्रुप-A के अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय मंत्री डॉक्‍टर जितेंद्र सिंह से मुलाकात कर उनसे प्रमोशन देने की मांग की थी. इस मीटिंग के दौरान केंद्रीय मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि उनकी पदोन्नति के मामलों में भी तेजी लाई जाएगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कई अधिकारियों को पदोन्नती देने की तैयारी सरकार ने कर ली है. केंद्र सरकार अगले दो से तीन सप्ताह में पदोन्नति की घोषणा कर देगी.

8,000 से अधिक कर्मचारी हुए हैं पदोन्‍नत
1 जुलाई 2022 को केंद्र सरकार ने तीन केंद्रीय सचिवालय कैडरों में 8,089 से अधिक कर्मचारियों के क्या जमा के बिना पदोन्नति हो सकती है? प्रमोशन को लेकर निर्देश दिए थे. केंद्रीय सचिवालय सर्विस प्रशासनिक सिविल सेवाओं में से एक है, यहां पर ग्रुप ए और ग्रुप बी पदों पर काम करने वाले कर्मचारी होते हैं. डॉ. जितेंद्र सिंह के आश्‍वासन के बाद अब कर्मचारियों को जल्‍द प्रमोशन होने की आस जगी है.

वास्तु आपके प्रमोशन के अवसरों को कैसे बढ़ा सकता है?

वेतनभोगी कर्मचारी हमेशा 3 चीजों के लिए प्रयास करते हैं- जिस दिन उनका वेतन उनके खातों में जमा हो जाता है, उनके मूल्यांकन से वेतन वृद्धि और पदोन्नति होती है। इनमें से पदोन्नति एक ऐसी चीज है जिसकी तलाश कर्मचारी करते हैं। यह कंपनियों की ओर से कर्मचारियों को उनकी कड़ी मेहनत का इनाम है।

पदोन्नति की संभावना बढ़ाने के लिए एक कर्मचारी कई चीजें कर सकता है और उनमें से अधिकांश पूरे ब्रह्मांड में स्वीकार किए जाते हैं। लेकिन अधिकांश कर्मचारी उन प्रभावी तरीकों की उपेक्षा करते हैं जो उन्हें उस अति-आवश्यक पदोन्नति को प्राप्त करने में मदद करेंगे।

अपने सहयोगियों और काम के साथ कार्यस्थल में सकारात्मक माहौल बनाने से भी आपको अपने कार्यालय में सफलता प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

लक्ष्य निर्धारित करें और अपना काम अच्छे से करें कड़ी मेहनत और समर्पण के बिना, पदोन्नति के समय निश्चित रूप से आपकी अनदेखी की जाएगी। यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करें और उन्हें प्राप्त करने का प्रयास करें। इसके बारे में स्पष्ट मानसिकता रखते हुए अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने योग्य बनाएं।

अपने सलाहकार से कुछ सहायता और फीडबैक प्राप्त करें, वे आपको अपने लक्ष्यों को स्पष्ट तरीके से निर्धारित करने में मदद करेंगे। आप जान सकते हैं कि उच्च प्रबंधन कैसे पदोन्नति देता है।

कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां काम करते हैं, नए कौशल सीखते रहें जो आपको संगठन में अगले स्तर तक ले जाने में मदद करेंगे।

रातों-रात सफलता जैसी कोई चीज नहीं होती। समूह परियोजना का नेतृत्व करके कार्यालय में अपना सफल कैरियर शुरू करें। इससे कार्यस्थल पर बॉस की नजर आप पर पड़ेगी और प्रोजेक्ट सफल होने पर आपको प्रमोशन मिल सकता है।

ये दो अवधारणाएँ, वास्तु और 7 चक्र संतुलन एक कार्यालय में उत्पादकता के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो बदले में, आपकी नौकरी को बढ़ावा देंगे।

जब आपको अपने कार्यस्थल पर एक सीट आवंटित की जाती है तो सुनिश्चित करें कि यह बीम के नीचे नहीं है और आपकी पीठ मुख्य प्रवेश द्वार की ओर नहीं है। यह सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को रोकता है।

कार्यालय आज अपने कर्मचारियों को अपने कार्यक्षेत्र को सजाने की अनुमति देते हैं। आपको दीवारों पर पहाड़ों की पेंटिंग या कला का कोई अच्छा टुकड़ा लगाना चाहिए; इससे आपको बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिल सकती है।

आप जिस दिशा में बैठते हैं वह आपके लिए पदोन्नति का अवसर बना सकता है। यह उसकी अनुकूल दिशाओं पर निर्भर करता है। काम करते समय या बैठकों के दौरान एक विशेष दिशा का सामना करने से एक मूल ऊर्जा पैदा होती है जो बेहतर प्रदर्शन में बदल जाती है। कार्यस्थल पर अपनी अनुकूल दिशा को जानें और अपने प्रमोशन का मौका पाएं।

चक्र किसी व्यक्ति के शरीर में आंतरिक ऊर्जा बिंदु होते हैं जो भलाई और भीतर की ऊर्जा को परिभाषित करते हैं। एक संतुलित चक्र वाला शरीर एक चुंबकीय व्यक्तित्व को प्रकट करता है और एक आभामंडल बनाता है जो सकारात्मकता को आकर्षित करता है। शरीर में चक्रों को संतुलित करने के लिए कई तकनीकें उपलब्ध हैं और वास्तु उनमें से एक है।

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