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कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं

कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं

कमोडिटी एक्सचेंजों को जिंसों में विकल्प कारोबार की अनुमति

बाजार नियामक सेबी ने कमोडिटी डेरिवेटिव्स में बड़े सुधार की दिशा में कदम उठाते हुए स्टॉक एक्सचेंजों को कमोडिटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट में 'ऑप्शन ऑन गुड्स' (जिंसों में विकल्प) शुरू करने की अनुमति दी है। यह 'कमोडिटी फ्यूचर्स पर ऑप्शन' से अलग है। माल पर ऑप्शन के मानक फ्यूचर्स पर ऑप्शन की तुलना में आसान हैं।

मौजूदा समय में कमोडिटी ऑप्शन की अनुमति उस जिंस के फ्यूचर्स के आधार पर हासिल है। इसका मतलब है कि ऑप्शन के निपटान पर, यह फ्यूचर्स में तब्दील हो जाता है या निपटान पर बिक्री नहीं होने की स्थिति में प्रत्येक ऑप्शन कारोबार फ्यूचर्स में समाप्त होता है। सेबी ने एक्सचेंजों को समान जिंसों के साथ गुड्स पर ऑप्शन और फ्यूचर्स पर ऑप्शन की भी अनुमति दी है, हालांकि दोनों के लिए पोजीशन सीमा को एक साथ जोड़ा जाएगा और गुड्स पर ऑप्शन के लिए अनुबंध शर्तें कमोडिटी फ्यूचर्स के समान रहेंगी।

विकल्प कारोबार में सबसे बड़ी बाजार भागीदारी वाले एमसीएक्स के प्रबंध निदेशक पी एस रेड्डी ने कहा, 'जिंस डेरिवेटिव बाजार के विकास की दिशा में यह एक बड़ा सुधार है। इससे एक्सचेंजों को उन उत्पादों की पेशकश के लिए स्वायत्तता मिली है जो हितधारकों के एक बड़े वर्ग की जरूरत पूरी करते हैं और इससे बाजार दक्षता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।'

सेबी ने कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस आदि जैसी जिंसों को शामिल करने के लिए जिंसों पर ऑप्शन के साथ साथ गुडस पर ऑप्शन की अनुमति दी है। एक्सचेंजों को 'ऑप्शन इन गुड्स' (लॉन्ग और शॉर्ट दोनों) में प्रमुख 10 सबसे बड़े कारोबारियों/कारोबारियों के समूह के ओपन इंटरेस्ट जैसे जरूरी खुलासे करने होंगे। सिर्फ वही माल इन ऑप्शन के लिए योग्य होगा, जिस पर एक्सचेंज या तो वायदा अनुबंध पहले कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं से कर रहा हो, या वायदा अनुबंध शुरू करने की तैयारी कर रहा हो।

सबसे बड़े कृषि केंद्रित कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स के बिजनेस हेड कपिल देव ने कहा, 'अब हम गेहूं, मक्का और मसालों में ऑप्शन की संभावना तलाशेंगे और इसके लिए हम वायदा अनुबंध की पेशकश कर रहे हैं। किसान उत्पादक संगठन हेजिंग और/या किसानों के उत्पादों की डिलिवरी के लिए वायदा का इस्तेमाल पहले से ही कर रहे हैं। अब ऑप्शन में ज्यादा जिंसों को शामिल किया जा सकेगा। हालांकि हम उन ऑप्शन अनुबंधों में 'ऑप्शन ऑन गुड्स' शुरू करने की संभावना नहीं तलाश रहे हैं जिनमें हम पहले से ही पेशकश कर रहे हैं।'

मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के सहायक निदेशक किशोर नार्ने ने कहा, 'कमोडिटी एक्सचेंजों को फ्यूचर्स में ऑप्शन शुरू करने के लिए 1,000 करोड़ रुपये का न्यूतम दैनिक औसत कारोबार जरूरी है। इसलिए, बीएसई और एनएसई जैसे एक्सचेंज ऑप्शन शुरू नहीं कर सकते, क्योंकि उनका दैनिक औसत कारोबार इस सीमा से नीचे बना हुआ है। सेबी के सर्कुलर में बीएसई और एनएसई को कारोबारी सीमा कम होने के बावजूद सोने और चांदी जैसी जिंसों में ऑप्शन शुरू करने की अनुमति दी गई है।'

कमोडिटीज़ ट्रेडिंग ऑनलाइन

कमोडिटी व्यापार इक्विटी, बॉन्ड और रियल एस्टेट के पारंपरिक अवसरों से अलग, निवेश के लिए विविध अवसरों को लाता है। ऐतिहासिक डेटा के आधार पर, अपने मौजूदा पोर्टफोलियो में कमोडिटी एक्सपोज़र जोड़ने से जोखिम कम करते हुए आपको रिटर्न बढ़ाने में मदद मिलती है। अन्य परिसंपत्ति वर्गों के साथ वस्तुओं का बहुत कम या नकारात्मक सहसंबंध है।

  • बुलियन, ऊर्जा, कृषि में व्यापार
  • कम मार्जिन पर व्यापार करना
  • पोर्टफोलियो का विविधीकरण
  • निवेश, व्यापार, बचाव और अनुमान लगाना
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानकीकृत कीमतें
  • जोखिम से बचाव

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कमोडिटी के एफ.ए.क्यू

क्या किसी भी समय किसी भी कमोडिटी पर व्यापार / धारण की मात्रा की कोई सीमा है?

हाँ, उस मात्रा की अधिकतम अनुमेय सीमा है जिसे किसी विशेष कमोडिटी में कारोबार या आयोजित किया जा सकता है। यह सीमा संबंधित एक्सचेंजों और रेगुलेटर द्वारा निर्धारित की जाती है और कमोडिटी के अनुसार भिन्न होती है।

मैं कमोडिटी व्यापारों का निपटान कैसे करता हूँ?

कमोडिटी व्यापार प्रक्रिया के दो भाग हैं: ऑर्डर संसाधित करना और मार्क टू मार्केट (एम.टी.एम) निपटान। आप मोतीलाल ओसवाल के डीलिंग डेस्क या किसी अन्य ब्रोकर को फ़ोन पर एक आदेश दे सकते हैं, जिसके साथ आपका खाता है और यह व्यापार शुरू करता है। डीलर एक मूल्य देता है और आपको प्रारंभिक मार्जिन जमा करने के लिए कहता है।

क्या किसी कमोडिटी की कीमत एक दिन में बढ़ सकती है या गिर सकती है?

हां, अचानक और चरम मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए सर्किट सीमाएं (ऊपरी और निचले) या दैनिक मूल्य सीमाएं (डीपीआर) हैं। जब एक सर्किट सीमा हिट होती है, तो व्यापार को पंद्रह मिनट के लिए रोक दिया जाता है।

कमोडिटी व्यापार क्या होता है?

कमोडिटी ट्रेडिंग दुनिया भर में कमोडिटी एक्सचेंजों में वस्तुओं के व्यवहार की प्रक्रिया है। कमोडिटी को 4 प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है: धातुएँ - चाँदी, सोना, प्लेटिनम, और तांबा, ऊर्जा - कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, गैसोलीन, और तेल गरम करना, कृषि - मक्का, फलियाँ, चावल, गेहूँ, आदि और पशुधन और मांस - अंडे , सूअर का मांस, मवेशी, आदि।

भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे शुरू करें?

भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग निम्नलिखित एक्सचेंजों पर की जाती है: मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज (UCX) नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (NMCE) इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (ICEX) ACE डेरिवेटिव्स एंड कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड (ACE) भारत में वस्तुओं का व्यापार करने के लिए, आपको एक भरोसेमंद ब्रोकर चुनने और उनके साथ एक डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलने की आवश्यकता है। ट्रेडिंग शुरू करने के लिए शुरुआती निवेश राशि का चयन करें। सिमुलेशन पर अभ्यास करना शुरू करें और बाजार की समझ, जोखिम की भूख, पूंजी की उपलब्धता आदि के आधार पर एक व्यापारिक रणनीति बनाएं।

कमोडिटी बाज़ार में निवेश कैसे करें?

कमोडिटी बाजार में निवेश करने का सबसे आम तरीका एक वायदा अनुबंध के माध्यम से है, जो बाद के समय में एक निर्धारित मूल्य पर कमोडिटी की एक विशिष्ट मात्रा को खरीदने या बेचने के लिए एक समझौता है।

कमोडिटी विनिमय क्या है?

कमोडिटी बाजार एक संगठित, विनियमित बाजार है जो वस्तुओं और संबंधित कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं निवेश उत्पादों के व्यापार और विनिमय के लिए मंच, नियम, विनियम और प्रक्रिया प्रदान करता है। कई प्रकार के आधुनिक जिंस एक्सचेंज हैं, जिनमें धातु, ईंधन और कृषि जिंस एक्सचेंज शामिल हैं। ट्रेडर्स ट्रेड फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स एक पूर्व निर्धारित तारीख तक एक सहमति पर वस्तुओं को खरीदने या बेचने के लिए सहमत कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं हैं। भारत में छह कमोडिटी एक्सचेंज हैं, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX), नेशनल कमोडिटीज एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX), नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज, इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज, ACE डेरिवेटिव्स एक्सचेंज और यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज।

मैं किस कमोडिटी का व्यापार कर सकता हूँ?

जिन कमोडिटी का व्यापार किया जा सकता है, वे निम्नलिखित 4 श्रेणियों में से किसी एक में हो सकती हैं: • धातु और सामग्री जैसे सोना, चांदी, प्लैटिनम, तांबा, लौह अयस्क, एल्युमिनियम, निकल, जस्ता, टिन, स्टील, सोडा ऐश, दुर्लभ पृथ्वी धातु आदि। • कच्चे तेल, ताप तेल, प्राकृतिक गैस, और गैसोलीन, थर्मल कोयला, वैकल्पिक ऊर्जा जैसी ऊर्जा। • एग्री-कमोडिटी (सोयाबीन, अरंडी के बीज, काली मिर्च, धनिया, हल्दी, चना, उड़द, तोर दाल, कच्चा पाम तेल, मूंगफली का तेल, सरसों के बीज आदि) • तेल सेवाओं, खनन सेवाओं और अन्य जैसी सेवाएं।

कमोडिटी स्पॉट और फ्यूचर्स मार्केट में क्या अंतर है?

कमोडिटी स्पॉट और फ्यूचर्स मार्केट के बीच मुख्य अंतर डिलीवरी की तारीखों और कीमतों में हैं। स्पॉट प्राइस एक स्पॉट कॉन्ट्रैक्ट की वर्तमान कीमत है, जिस पर एक विशेष वस्तु को तत्काल डिलीवरी के लिए निर्दिष्ट स्थान पर खरीदा या बेचा जा सकता है। फ्यूचर्स मार्केट दो पक्षों के बीच एक अनुबंध है, जिसमें एक पक्ष एक निश्चित मूल्य पर एक निश्चित मात्रा में वस्तु या वित्तीय उपकरण खरीदने के लिए सहमत होता है, और सामान की डिलीवरी भविष्य में बाद की तारीख (पूर्व-निर्दिष्ट) पर की जाती है। किसी कमोडिटी की फ्यूचर्स प्राइस का निर्धारण उसके वर्तमान स्पॉट प्राइस, डिलीवरी तक के समय, जोखिम मुक्त ब्याज दर और भविष्य की तारीख में स्टोरेज लागत के संबंध में कमोडिटी की कीमत पर किया जाता है।

कमोडिटी एक्सचेंजों में खत्म होगा एंकर इनवेस्टर का कॉन्सेप्ट

सुगाता घोष 7 राम सहगल मुंबईकमोडिटी मार्केट स्कैम और इसकी मौजूदा जांच से मिल रहे नतीजे कमोडिटी एक्सचेंजों में शेयरहोल्डिंग रूल्स में बड़े बदलाव का.

इसके बाद जुलाई 2009 में नए रूल्स के तहत एंकर इनवेस्टर को एक्सचेंज की इक्विटी कैपिटल में 26 फीसदी तक हिस्सेदारी रखने की अनुमति मिल गई। गाइडलाइंस में यह भी कहा गया कि कोई भी ब्रोकर या एक्सचेंज का मेंबर एक्सचेंज में 1 फीसदी से ज्यादा इक्विटी नहीं रख सकता।
लेकिन हाल के घटनाक्रम के बाद रेगुलेटरी गलियारे में इन नियमों को लेकर दोबारा विचार करने की बात ने जोर पकड़ा है। 26 फीसदी तक के स्टेक से एक शेयरहोल्डर को किसी स्पेशल रिजॉल्यूशन को ब्लॉक करने की ताकत तो मिलती ही है, साथ ही वह ऑर्गेनाइजेशन के मामलों में गैर-वाजिब असर डालने में भी कामयाब रहता है।

एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने कहा, 'इन मुद्दों पर विचार-विमर्श की जरूरत है। हम एक डिस्कशन कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं पेपर लाएंगे।' 2009 की गाइडलाइंस में कहा गया था कि अगर वास्तविक प्रमोटर (एंकर इनवेस्टर सहित) की शेयरहोल्डिंग 15 फीसदी से नीचे जाती है, तो नए शेयरहोल्डर्स सहित शेयरहोल्डर्स में से एक को एफएमसी एंकर इनवेस्टर के तौर पर काम करने और इक्विटी शेयरहोल्डिंग 26 फीसदी की अधिकतम सीमा तक बढ़ाने की अनुमति दे सकता है।

इस विषय की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि कमोडिटी एक्सचेंजों में एंकर इनवेस्टर का कॉन्सेप्ट स्टॉक एक्सचेंजों में लागू किए गए डिम्यूचुआलाइजेशन के सिद्धांत के खिलाफ जाता है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अगुवाई वाली एक कमेटी ने डायवर्सिफाइड ओनरशिप का पक्ष लेते हुए एक्सचेंजों की लिस्टिंग का विरोध किया था, लेकिन एफएमसी के पूर्व चेयरमैन बी सी खटुआ ने एंकर इनवेस्टर का कॉन्सेप्ट जारी रखा था क्योंकि उस समय रेगुलेटर का मानना था कि जालान की सिफारिशें कमोडिटी एक्सचेंजों पर लागू नहीं होतीं। यह पुरानी बहस अब मौजूदा हालात में फिर से तेज हो गई है। प्रस्तावित बदलावों का विरोध करने की स्थिति में बहुत से लोग नहीं हैं। हालांकि, यह सच है कि चुनिंदा इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स ने एक्सचेंजों के कामकाज कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं को चलाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इसकी एक वजह ट्रेड करने में उनकी अक्षमता भी हो सकती है।

न्यूनतम सीमा की एक तिहाई रह गई ACE की नेटवर्थ

[ राम सहगल | मुंबई ]एक दशक पुराने कमोडिटी फ्यूचर्स मार्केट में सबकुछ ठीक नहीं है। देश के चार नेशनल लेवल कमोडिटी एक्सचेंजों में सबसे नए एस डेरिवेटिव्स.

एक दशक पुराने कमोडिटी फ्यूचर्स मार्केट में सबकुछ ठीक नहीं है। देश के चार नेशनल लेवल कमोडिटी एक्सचेंजों में सबसे नए एस डेरिवेटिव्स एंड कमोडिटीज की नेटवर्थ फ्यूचर्स मार्केट के टर्नओवर में गिरावट आने के साथ तेजी से घटी है। इस एक्सचेंज में कोटक महिंद्रा बैंक एंकर इनवेस्टर है।

फिस्कल ईयर 2014 में अनलिस्टेड कमोडिटी एक्सचेंज एस का एक्युमुलेटेड लॉस बढ़कर 74.84 करोड़ रुपये हो गया। एक्सचेंज की एनुअल रिपोर्ट के मुताबिक, उसका एक्युमुलेटेड लॉस पिछले फिस्कल में 59 करोड़ रुपये था। इसके चलते इसका नेटवर्थ-शेयर कैपिटल और फ्री रिजर्व घटकर 29 करोड़ रुपये रह गया जबकि मिनिमम नेटवर्थ लेवल 100 कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं करोड़ रुपये है।

एस का खराब परफॉर्मेंस इस साल भी जारी रहा है। कमोडिटी एक्सचेंजों में इसका एवरेज डेली टर्नओवर सबसे कम रहा। इसकी वजह इंटरनेशनल मार्केट में कमोडिटी की कीमत में चौतरफा गिरावट है। कुछ फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स पर लगे नए टैक्स से भी वॉल्यूम पर प्रेशर बना है। इस कैलेंडर ईयर में अब तक एक्सचेंज का एवरेज डेली टर्नओवर 141 करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले साल से 40 पर्सेंट कम है। इससे यह अफवाह उड़ी कि इसको देश के सबसे बड़े कमोडिटी एक्सचेंज MCX में मिला दिया जाएगा या बंद कर दिया जाएगा। कोटक बैंक ने हाल में देश के सबसे बड़े कमोडिटी एक्सचेंज MCX में 15 पर्सेंट स्टेक लिया है।

बैंक ने दोनों बातों का खंडन किया है। कोटक महिंद्रा ग्रुप के स्पोक्सपर्सन ने संपर्क किए जाने पर कहा, 'हम इस अफवाह का खंडन करते हैं। इसमें (मर्जर या क्लोजर में) कोई सच्चाई नहीं है।'

कमोडिटी फ्यूचर्स मार्केट रेगुलेटर फॉरवर्ड मार्केट कमीशन ने इसी साल एस जैसे एक्सचेंजों को अपना नेटवर्थ बढ़ाने के लिए तीन साल का वक्त दिया था, जो मिनिमम नेटवर्थ के क्राइटेरिया पर खरे नहीं उतर रहे हैं। ये एक्सचेंज जब तक ऐसा नहीं करेंगे, तब तक उनके शेयरहोल्डर्स को प्रॉफिट बांटने पर मनाही रहेगी।

फिस्कल ईयर 2014 में एस के कॉम्पिटिटर और देश के सबसे बड़े कमोडिटी एक्सचेंज MCX की नेटवर्थ 1144.10 करोड़ रुपये, दूसरे सबसे बड़े कमोडिटी एक्सचेंज NCDEX की नेटवर्थ 374.2 करोड़ रुपये और अहमदाबाद की प्लांटेशन क्रॉप्स के एक्सचेंज NMCE की नेटवर्थ 70 करोड़ रुपये थी।

इंटरनेशनल मार्केट में कमोडिटी की कीमत में चौतरफा गिरावट के अलावा पिछले जुलाई से नॉन-फार्म और प्रोसेस्ड फार्म प्रॉडक्ट्स के हर एक लाख रुपये के ट्रांजैक्शन पर 10 रुपये के टैक्स का भी नेगेटिव असर हुआ है। एक्सचेंज के एक ब्रोकर मेंबर ने कहा कि कमोडिटीज में कम वोलैटिलिटी और बढ़े कॉम्पिटिशन के चलते भी एस को नुकसान हुआ है।

इन फैक्टर्स के चलते कमोडिटी फ्यूचर्स मार्केट का ओवरऑल सेंटीमेंट खराब हुआ है। MCX का एवरेज डेली टर्नओवर 45 पर्सेंट घटकर इस साल अब तक 19,610 करोड़ रुपये रह गया है। NMCE का एवरेज डेली टर्नओवर 51 पर्सेंट गिरकर 539 करोड़ रुपये रह गया है। एग्री कमोडिटी एक्सचेंज NCDEX अपवाद रहा जिसका एवरेज डेली टर्नओवर 2.3 पर्सेंट बढ़कर 3,780 करोड़ रुपये हो गया है।

Agri Commodity News English-Hindi

सरकार ने कमोडिटी एक्सचेंजों को विदेशी निवेश संबंधी दिशानिर्देशों के अनुपालन के लिए दूसरी बार छह माह का समय दिया है। एक्सचेंजों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने केपिटल स्ट्रक्चर में बदलाव करके अगले मार्च तक विदेशी निवेश की उच्चतम सीमा के तहत लाएं। किसी कमोडिटी एक्सचेंज में किसी एक विदेशी निवेशक के पास पांच फीसदी से ज्यादा इक्विटी नहीं हो सकती है जबकि कुल विदेशी निवेश 49 फीसदी हो सकता है।औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग ने कहा है कि कमोडिटी एक्सचेंजों के सामने यह आखिरी मौका है। विभाग ने 19 अगस्त, 2008 को यह निर्देश जारी करके कहा था कि कमोडिटी एक्सचेंजों को चाहिए कि कुल विदेशी निवेश 49 फीसदी के स्तर पर लाएं। इसमें पोर्टफोलियो निवेश को 23 फीसदी और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 26 फीसदी के स्तर तक रखा जाना चाहिए। विभाग का यह भी निर्देश था कि कमोडिटी एक्सचेंज में किसी भी विदेशी निवेशक की हिस्सेदारी पांच फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।इस विभाग के प्रेस नोट- 7 में कहा गया था कि इसे निश्चित समय सीमा में लागू कर दिया जाना चाहिए। इसके पहले इस विभाग ने इस मामले में कमोडिटी एक्सचेंजों के लिए 30 जून तक की समय सीमा निर्धारित की थी जिसे बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया गया था। देश का प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स इन निर्देशों के अनुसार केपिटल स्ट्रक्चर में बदलाव कर रहा है। हालांकि अभी भी कई विदेशी निवेशकों के पास इस एक्सचेंज की पांच फीसदी से ज्यादा इक्विटी है। एनसीडीईएक्स में 5 फीसदी के अतिरिक्त इक्विटी बेचने के लिए आईसीई व गोल्डमैन सैक्स ने समझौता किया है। सभी कमोडिटी एक्सचेंजों को यह भी निर्देश जारी किया गया है कि वे विदेशी निवेश के मामलों पर औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग, उपभोक्ता मामलों के विभाग, विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड, फॉरवर्ड मार्केट कमीशन और सेबी को सूचित करें। (बिज़नस भास्कर)

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