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कुल लिक्विडिटी

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Graphic by Ramandeep Kaur, ThePrint team

इक्विटास स्‍मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड के वित्‍त वर्ष’21 की पहली तिमाही का वित्‍तीय प्रदर्शन

एनआईएम = औसत आय अर्जक परिसंपत्तियों के प्रतिशत रूप में शुद्ध ब्‍याजीय आय | + लागत-आय अनुपात की गणना परिचालन व्‍यय और शुद्ध परिचालन लागत (शुद्ध परिचालन लागत, शुद्ध ब्‍याजीय आय और अन्‍य आय का योग है) को विभाजित करके की जाती है ^आरओए वर्ष/अवधि का शुद्ध अनुपात/औसत परिसंपत्ति का अनुपात | आरओई # अवधि के शुद्ध लाभ / शेयरधारकों की औसत इक्विटी का अनुपात है

  1. बैलेंस शीट:
  • 30 जून, 2020 को एडवांस ^ 27% वर्ष-दर-वर्ष की वृद्धि के साथ 15,573 करोड़ रु. रहा
  • माइक्रो फाइनेंस Q1FY20 के 3,124 करोड़ रु. से 16% वर्ष-दर-वर्ष बढ़कर Q1FY21 में 3,कुल लिक्विडिटी 618 करोड़ हो गया
  • स्‍मॉल बिजनेस लोन (एचएफ सहित) Q1FY20 के 4,926 करोड़ रु. से 32 प्रतिशत वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि के साथ Q1FY21 में 6,484 करोड़ रु. हो गया
  • व्‍हीकल फाइनेंस Q1FY20 में 3,027 करोड़ रु. से 25 प्रतिशत की वर्ष-दर-वर्ष की वृद्धि के साथ Q1FY21 में 3,776 करोड़ रु. हो गया
  • एमएसई फाइनेंस Q1FY20 के 280 करोड़ रु. से 154 प्रतिशत की वर्ष-दर-वर्ष की वृद्धि के साथ Q1FY21 कुल लिक्विडिटी में 712 करोड़ रु. हो गया
  • कॉर्पोरेट लोन Q1FY20 में 555 करोड़ रु. से 39 प्रतिशत की वर्ष-दर-वर्ष की वृद्धि के साथ Q1FY21 में 772 करोड़ रु. हो गया

बांडों में एफपीआई की हिस्सेदारी

आक्रामक मौद्रिक नीति के कड़ाई से पालन के कारण अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में यील्ड बढ़ा है. यद्यपि मौद्रिक नीति को लेकर घरेलू स्तर पर भी सख्ती बरती गई है लेकिन भारत की तुलना में इन देशों ने अर्थव्यवस्था कुल लिक्विडिटी को पटरी पर लाने के लिए और भी ज्यादा कड़े उपाय किए है. इससे यील्ड प्रसार या बॉन्ड पर मिलने वाले लाभ का अंतर (यील्ड डिफरेंशियल) कम हो गया है.

उदाहरण के तौर पर, 10 साल के भारतीय बॉन्ड यील्ड और 10 साल के यूएस बॉन्ड यील्ड के बीच का अंतर दिसंबर 2021 में 4.94 फीसदी था. अक्टूबर 2022 में यह घटकर 3.47 फीसदी रह गया. यूएस फेडरल रिजर्व ने 2 नवंबर को लगातार चौथी बार ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की और यह संकेत दिया कि अभी आगे भी इसमें वृद्धि हो सकती है. निश्चित तौर पर आने वाले महीनों में यील्ड डिफरेंशियल पर इसका असर पड़ेगा.

बांड यील्ड में उतार-चढ़ाव

महामारी के दौरान आरबीआई ने अपने बॉन्ड की खरीद के जरिये लिक्विडिटी बढ़ाई थी. अक्टूबर, 2021 से उसने अपना बॉन्ड बाइइंग प्रोग्राम बंद कर रखा है. और वैरिएबल रेट रिवर्स रेपो (वीआरआरआर) ऑक्शन के जरिये लिक्विडिटी को घटा रहा है.

मई 2022 से आरबीआई बढ़ती मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए नीतिगत दरें बढ़ा रहा है, केंद्रीय बैंक की तरफ से उठाए जाने वाले कदम सीधे तौर पर अल्पकालिक ब्याज दरों को प्रभावित करते हैं. उदाहरण के तौर पर एक साल के सरकारी बॉन्ड पर यील्ड मई की शुरुआत में 5.1 फीसदी से बढ़कर अक्टूबर के अंत तक 7 फीसदी पर पहुंच गया. इसके विपरीत, लंबी अवधि के बॉन्ड यील्ड में अपेक्षाकृत मामूली वृद्धि ही दिखाई दी जो मई कुल लिक्विडिटी की शुरुआत में 7.1 फीसदी की तुलना में अक्टूबर अंत तक 7.4 से 7.5 प्रतिशत तक ही पहुंचा.

रेट में बढ़ोतरी के कारण कारोबारियों की तरफ से मांग घटी है. आरबीआई की तरफ से दरों में बढ़ोतरी पर और अधिक स्पष्टता आने तक निजी और विदेशी बैंक, प्राइमरी डीलर और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक फिलहाल इंतजार करने के मूड में नजर आ रहे हैं.

बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी की कमी का भी असर

हाल के महीनों में बांड की मांग प्रभावित करने वाला एक अन्य फैक्टर बैंकिंग प्रणाली में लिक्विडिटी कुल लिक्विडिटी की कमी भी रहा है. बैंक क्रेडिट में निरंतर वृद्धि, त्योहारी सीजन के दौरान बढ़ी मांग, टैक्स आउटफ्लो, रुपये की गिरावट रोकने के लिए हाजिर बाजार में आरबीआई के दखल से बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी की कमी आई है. बैंक रातोंरात इंटरबैंक कॉल मनी मार्केट के जरिये फंड जुटाते रहे हैं. फंड की मांग बढ़ने से औसत कॉल रेट में भी खासी वृद्धि हुई है. बैंक फंड जुटाने के लिए जमा प्रमाणपत्र और सावधि जमा जैसे अन्य स्रोतों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.

बैंकों के वृद्धिशील क्रेडिट और डिपॉजिट रेशियो या नए उधार के लिए जुटाए जाने वाले नए डिपॉजिट का अनुपात, 21 अक्टूबर तक बढ़कर 135 प्रतिशत हो गया है. यह दर्शाता है कि बैंक क्रेडिट मांग को पूरा करने के लिए अपने बॉन्ड पोर्टफोलियो में कमी ला रहे हैं. बैंकों के बॉन्ड होल्डिंग बेचने से बॉन्ड यील्ड बढ़ने की संभावना है. इसी तरह, वृद्धिशील निवेश जमा अनुपात में गिरावट दिख रही है, जिससे पता चलता है कि बॉन्ड निवेश के मामले में बैंक धीमी गति से चल रहे हैं.

एसेट ईटीएफ पैसिव फंड के संबंध में मिरे करता है कुल लिक्विडिटी सेबी के दिशानिर्देशों का अनुपालन

एसेट ईटीएफ

वैश्विक मानक दिशानिर्देशों का ध्यान रखते हुए लिक्विडिटी, ट्रैकिंग त्रुटियों और अन्य प्रमुख ईटीएफ संकेतकों का प्रबंधन करने के लिए मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) प्रा.लि. ने वर्ष २०१८ में देश में अपनी सहयोगी कंपनी मिरे एसेट कैपिटल मार्केट (इंडिया) प्रा.लि के साथ एक मार्केट-मेकिंग सिस्टम बनाया था. कंपनी कुल लिक्विडिटी के पास अब कुल मिलाकर तीन मार्केट मैकर्स हैं, जिनमें मिरे एसेट कैपिटल मार्केट (इंडिया) प्रा. लि. शामिल है, जो एक्सचेंज पर सक्रिय रूप से ईटीएफ की निगरानी करता है.

अपने इनोवेटिव ईटीएफ उत्पादों के लिए प्रसिद्ध, मिरे एसेट ने मिरे एसेट निफ्टी 100 ईएसजी सेक्टर लीडर्स ईटीएफ लॉन्च किया है, जो देश में पहला ईएसजी थीमैटिक ईटीएफ है और मिरे एसेट निफ्टी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग ईटीएफ भी लॉन्च किया है.

निवेशक को क्या पता होना चाहिए?

मार्केट मेकर की क्या भूमिका है?

मार्केट मेकर एक्सचेंज का व्यक्तिगत भागीदार या सदस्य फर्म होता है जो अपने खाते के लिए सिक्योरिटीज को खरीदता और बेचता है. मार्केट मैकर बाजार को तरलता और गहराई प्रदान करते हैं जबकि वें बिड-आस्क स्प्रेड में अंतर से लाभ कमाते हैं.

ट्रैकिंग त्रुटि और ट्रैकिंग अंतर क्या है और इसका मेरे निवेश पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

1. ट्रैकिंग त्रुटि और ट्रैकिंग अंतर यह मापने का तरीका है कि ईटीएफ अपने अंतर्निहित सूचकांकों को कितनी अच्छी तरह ट्रैक करते हैं.

2. ट्रैकिंग अंतर यह मापता है कि किसी इंडेक्स उत्पाद का रिटर्न उसके अंतर्निहित इंडेक्स से किस हद तक भिन्न है और ट्रैकिंग त्रुटि इंगित करती है कि फंड के औसत ट्रैकिंग अंतर को बनाने वाले व्यक्तिगत डेटा बिंदुओं में कितनी परिवर्तनशीलता मौजूद है.

3. इस प्रकार कम ट्रैकिंग अंतर और कम ट्रैकिंग त्रुटि का मतलब है कि ईटीएफ अपने बेंचमार्क को अच्छी तरह से ट्रैक करता है.

आईएनएवी क्या है और इसे देखें?

1. आईएनएवी का मतलब सांकेतिक नेट असेट वेल्यू है. आईएनएवी अपने अंतर्निहित घटकों के बाजार मूल्यों के आधार पर ईटीएफ का इंट्राडे सांकेतिक मूल्य प्रदान करता है. मूल्य स्टॉक एक्सचेंज पर प्रदर्शित होता है जिस पर ईटीएफ सूचीबद्ध होता है.

2. यह ईटीएफ के मूल्य के लगभग रियल टाइम को प्रस्तुत करता है इसलिए,आईएनएवी निवेशकों को एक्सचेंज पर महत्वपूर्ण प्रीमियम और डिस्काउंट ट्रेडिंग से बचने में मदद कर सकता है.

मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के ईटीएफ सेल्स हेड उमेश कुमार डेला ने कहा, ''जबकि ईटीएफ और पेसिव इंडस्ट्री को अभी भी आगे बढऩे के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है, हाल ही में जारी किया गया सेबी परिपत्र सही दिशा में बहुत स्वागत योग्य कदम है और इससे देश में ईटीएफ के सामने आने वाली कुछ चुनौतियों को कम करने की उम्मीद है. मेरा मानना है कि यह निवेशकों के बीच ईटीएफ के प्रति विशेष रूप से खुदरा खंड के लिए अहम मोड़ साबित हो सकता है. ईटीएफ के बारे में उत्पाद निर्माता से सही निवेशक शिक्षा और जागरूकता अभियान के चलते संभावित रूप से निवेशकों के लिए उनके रिटर्न और जोखिम प्रोफाइल के अनुकूल वांछित जोखिम लेने के अवसरों की अधिकता की पेशकश करने की उम्मीद है.

अब छोटे निवेशकों की पहुंच में होगा IRCTC का शेयर, हुआ स्टॉक स्प्लिट

अब छोटे निवेशकों की पहुंच में होगा IRCTC का शेयर, हुआ स्टॉक स्प्लिट

भारतीय रेलवे की कैटरिंग शाखा IRCTC ने छोटे निवेशकों तक अपनी पहुंच बनाने और मौजूदा शेयरधारकों के आधार को और बड़ा करने के लिए अपने स्टॉक को 1:5 के अनुपात में विभाजित करने की घोषणा की है। फिलहाल स्टॉक स्प्लिट पर निर्णय रेल मंत्रालय की मंजूरी के अधीन है और यहां से हरी झंडी मिलने के बाद इसे लाने में और तीन महीने का समय लग सकता है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

यह कंपनी के मौजूदा शेयरधारकों को उनके शेयरों के कुल कीमत को कम किए बिना ज्यादा शेयर जारी करने का एक तरीका है। इससे शेयरों की कुल कीमत तो उतनी ही रहती है, लेकिन प्रति शेयर दाम कम हो जाते हैं और शेयरों की संख्या बढ़ जाती है। ज्यादातर कंपनियां इस तरह का स्प्लिट मार्केट में लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए करती हैं। इनमें सबसे आम स्प्लिट 2:1 या 3:1 का है।

सरकार और देश

लोगों को कष्ट हुए, कुछ की मौत हो गई, कुछ को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा. गृहणियों ने जो पैसे इकट्ठा किए थे, चाहे वो गिफ्ट के रूप में मिले या घर खर्च के बचाया था, वो भी जमा कराने पड़े. इससे उन्हें निजी तौर पर नुक़सान ज़रूर हुआ लेकिन देश को फायदा हुआ. ये छिपे पैसा देश की अर्थव्यवस्था में आया.

कमी रही नोटबंदी को लागू करने में. बड़े लोगों ने कर्मियों और मजदूरों को नोट बदलने में लगा दिया. कुछ बैंक कर्मियों ने सरकार और देश को भी धोखा दिया. रातों-रात बैंक खोलकर प्रभावी लोगों के पैसे बदले गए. इन प्रभावी लोगों में उद्यमी, नेता शामिल थे. सरकार ने नोटबंदी के दौरान पुराने नोटों के लेन-देन में कुछ छूट भी दी थी.

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मुद्रास्फीति पर अंकुश

जैसे कि पेट्रोल पंप, दवा दुकानें आदि पर पर पुराने नोट लिए कुल लिक्विडिटी जा रहे थे. यहां भी गलत तरीके से नोट बदले गए. लेकिन ये कहना कि नोटबंदी सामूहिक लूट कुल लिक्विडिटी थी, तो वो गलत है. लूट वो होती है, जब एक व्यक्ति उसे लेकर अपनी जेब में डाल लें और उसे खा जाए और उसका पता भी न लगने दे.

नोटबंदी में लोगों ने बैंकों में पैसा जमा कराया और ये पैसा रिजर्व बैंक के पास गया. इसका एक बड़ा फायदा यह हुआ कि मुद्रास्फीति की जो दर है, उस पर अंकुश लगा. जो लोग बेवजह खर्च करते थे, उनकी इन आदतों में कमी आई. सोने और हीरे की मांग घटी. मैं समझता हूं कि पिछले एक साल में इसके बहुत सारे फायदे हुए हैं.

नोटबंदी को आम जनता से कितनी रेटिंग मिली?

चेक से भुगतान

यह योजना 60 प्रतिशत सफल रही है और आने वाले समय में दो तीन साल बाद इसके फायदे साफ नजर आने लगेंगे. ये बहुत ही अच्छा और समझबूझ वाला फैसला था. हां, इससे छोटे और बड़े दोनों प्रकार के रोजगारों को नुकसान हुआ. जैसे रियल स्टेट को नुकासन हुआ. उसमें 60 और 40 प्रतिशत का कालाधन चलता था.

कहीं-कहीं 60 प्रतिशत कालाधन और 40 प्रतिशत चेक से भुगतान होते थे. उसपर लगाम लगा. छोटे कारोबार पर नोटबंदी का बहुत असर नहीं हुआ. उन्हें जीएसटी का ज्यादा नुकसान हुआ है. कम पढ़े लिखे लोगों को जीएसटी फाइल करने में परेशानी हो रही है. लेकिन मैं समझता हूं कि नोटबंदी से नुक़सान ठेकेदारों को ज्यादा हुआ.

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