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देश की कुल जनसंख्या 1951 में 361 मिलियन से बढ़कर 2001 में 1027 मिलियन हो गई, जबकि इसी अवधि में शहरी आबादी 62 मिलियन से बढ़कर 285 मिलियन हो गई। महानगरीय शहरों की संख्या 1991 में 23 से बढ़कर 2001 में 35 हो गई। इस प्रकार यह जाहिर होता है कि बड़े शहरों की ओर एक स्पष्ट बदलाव आया, शायद यह लघु और मझौले नगरों में रोजगार के अवसरों की कमी और खराब शहरी अवसंरचनात्‍मक आधार के कारण हुआ। केंद्र द्वारा प्रायोजित लघु और मझौले नगरों के एकीकृत विकास (आईडीएसएमटी) की योजना वर्ष 1979-80 में प्रारंभ की गई और इसे समय-समय पर संशोधन और आशोधन के साथ 2004-2005 तक जारी रखा गया और दिसंबर 2005 में इसे यूआईडीएसएसएमटी योजना में शामिल किया गया। छोटे शहरी केंद्रों के विकास में निवेश से बड़े शहरों में प्रवास कम करने में मदद मिलेगी और साथ ही आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में भी मदद मिलेगी।

आईडीएसएमटी के उद्देश्य :

मसदर तुर्कमेन बाजार में प्रवेश करता है

Masdar

मसदर ने तुर्कमेनिस्तान में अपनी पहली सौर परियोजना की घोषणा की। कंपनी एक संयुक्त विकास समझौते (जेडीए) पर हस्ताक्षर करती है। इसके अलावा, हस्ताक्षर तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति सेरदार बर्डीमुक्खमेदोव की उपस्थिति में हुए।

इसके अलावा, सौदा मसदर के प्रबंध निदेशक मोहम्मद जमील अल रामही और तुर्कमेनिस्तान के मंत्रियों के मंत्रिमंडल के उपाध्यक्ष चारीमूरत पुरचेकोव के बीच है। यह अबू धाबी में यूएई-तुर्कमेनिस्तान बिजनेस फोरम में आयोजित एक समारोह में हुआ। Turkmenenergo तुर्कमेनिस्तान में बिजली के उत्पादन, परिवहन और वितरण का प्रभारी प्राधिकरण है।

एक साझेदारी समझौता

यह समझौता मसदर और तुर्कमेन सरकार के बीच अक्टूबर 2021 से हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन पर आधारित है। इसका उद्देश्य तुर्कमेनिस्तान में सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं का विकास और निवेश करना था। तुर्कमेनिस्तान के मंत्रिपरिषद बाजार का राज्य और विकास के उपाध्यक्ष चारीमूरत पुरचेकोव कहते हैं:

“आज हमने संयुक्त अरब अमीरात की प्रसिद्ध कंपनी मसदर के साथ 100 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना के लिए एक संयुक्त विकास समझौते पर हस्ताक्षर किए। हम आशा करते हैं कि यह दस्तावेज़ तुर्कमेनिस्तान के विद्युत ऊर्जा उद्योग के विकास में एक नए चरण की शुरुआत को चिह्नित करता है। सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण, जिसमें इस कंपनी ने एक महान और समृद्ध अनुभव संचित किया है। हम मसदर को हमारे साथ इस तरह के एक महत्वपूर्ण समझौते में प्रवेश करने के लिए धन्यवाद देते हैं और दीर्घकालिक सहयोग की बाजार का राज्य और विकास आशा करते हैं।”

तुर्कमेनिस्तान अपने ऊर्जा बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करने और हाइड्रोकार्बन पर अपनी निर्भरता कम करने की मांग कर रहा है। दरअसल, मध्य एशियाई देश के पास दुनिया के सबसे बड़े गैस भंडारों में से एक है। हालाँकि, इसके कई प्राकृतिक लाभ हैं जैसे प्रचुर मात्रा में वार्षिक धूप ।

ग्रामीण विकास

Rural Development

ग्रामीण विकास का अर्थ लोगों का आर्थिक सुधार और बड़ा समाजिक बदलाव दोनों ही है। ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में लोगों का बढ़ी हुई भागीदारी, योजनाओं का विकेन्द्रीकरण, भूमि सुधारों को बेहतर तरीके से लागू करना और ऋण की आसान उपलब्धि करवाकर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का लक्ष्य होता है।

प्रारंभ में, विकास के लिए मुख्य जोर कृषि, उद्योग, संचार, शिक्षा, स्वास्थ्य और संबंधित क्षेत्रों पर दिया गया था। बाद में यह समझने पर कि त्वरित विकास केवल तभी संभव है जब सरकारी प्रयासों के साथ साथ पर्याप्त रूप से जमीनी स्तर पर लोगों की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष भागीदारी हो, सोच बदल गई।

ग्रामीण विकास विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में निम्नलिखित बड़े कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं:

बाजार का राज्य और विकास

Horticulture Division

विज़न
पोषण, पारिस्थितिकी और आजीविका सुरक्षा में सुधार के लिए राष्ट्रीय परिवेश में बागवानी के सर्वांगीण एवं त्वरित विकास का दायित्व बागवानी संभाग को सौंपा गया है।

मिशन
बागवानी में प्रौद्योगिकी आधारित विकास

लक्ष्य
बागवानी में राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान और विकास कार्यक्रम का नियोजन, सहयोग और निगरानी के साथ इस क्षेत्र में ज्ञान रिपोजटिरी की तरह कार्य करना।

संगठनात्मक ढांचा
बागवानी संभाग बाजार का राज्य और विकास का मुख्यालय कृषि अनुसंधान भवन-।।, पूसा कैम्पस, नई दिल्ली में स्थित है। इस संभाग में दो कमोडिटी/सबजेक्ट विशिष्ट तकनीकी विभाग (बागवानी । और ।। के अलावा) और प्रशासन विंग, संस्थान प्रशासन-V विभाग है। उपमहानिदेशक (बागवानी) के नेतृत्व में कार्यरत इस संभाग में दो सहायक महानिदेशक, दो प्रधान वैज्ञानिक और एक उपसचिव (बागवानी) भी शामिल हैं। भा.कृ.अनु.प. का बागवानी संभाग 10 केन्द्रीय संस्थानों, 6 निदेशालयों, 7 राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्रों, 13 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं और 6 नेटवर्क प्रायोजनाओं/प्रसार कार्यक्रमों के जरिये भारत में बागवानी अनुसंधान पर कार्य कर रहा है।

पुरानी पेंशन योजना पर राज्यों को झटका, NPS की राशि नहीं होगी ट्रांसफर

पुरानी पेंशन योजना पर राज्यों को झटका, NPS की राशि नहीं होगी ट्रांसफर

TV9 Bharatvarsh | Edited By: Neeraj Patel

Updated on: Nov 25, 2022 | 9:23 AM

Old Pension Scheme : पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने पुरानी पेंशन योजना पर लिए गए नए फैसले से राज्यों को बड़ा झटका लगा है. पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) का कहना है कि नेशनल पेंशन सिस्टम (National Pension Scheme) के तहत की गई बचत के पैसे को राज्यों के लिए ट्रांसफर करना संभव नहीं है. राजस्थान और पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार से एनपीएस के तहत कर्मचारियों के जमा पैसों की मांग कर कहा था कि वह पुरानी पेंशन व्यवस्था शुरू करेंगे और उन्हें एनपीएस के तहत जमा कर्मचारियों का पैसा लौटाया जाए.

पुरानी पेंशन को बहाल करने का वादा कर रहे राजनीतिक दल

पंजाब के मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों के फंड को राज्य सरकार को ट्रांसफर करने के लिए राज्य के चीफ सेक्रेटरी से कानूनी राय लेने को कहा है. राज्य के मंत्रिमंडल ने पुरानी पेंशन को लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और इसे नोटिफाई भी कर दिया गया है. लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि इसे कब लागू किया जाएगा. चुनावी राज्यों में राजनीतिक दल चुनाव प्रचार में पुरानी पेंशन को बहाल करने का वादा कर रहे हैं. राजस्थान ने एनपीएस फंड की मांग की है और इस मामले में पीएफआरडीए से संपर्क साधा है.

दरअसल, राजस्थान और पंजाब सरकार ने बीते दिनों पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की बात कहते कर्मचारियों की एनपीएस के तहत जमा राशि की मांग की थी. राज्यों ने कहा था कि पुरानी पेंशन प्रणाली पर स्विच करने के बाद राज्य कर्मचारियों को पेंशन प्रदान करेगा. लेकिन, अब पैसे ट्रांसफर नहीं होने से मामला और भी पेचीदा हो गया है. बता दें कि बीते सप्ताह केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी राज्यों को इनकार करते हुए कहा था कि वह पैसा कर्मचारियों का है.

पुरानी और नई पेंशन योजना में ये है बेसिक अंतर

पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारी के रिटायर होने पर वेतन की आधी राशि उसे पेंशन के रूप में मिलती है. क्योंकि पेंशन राशि को बेसिक सैलरी और महंगाई दर के अनुसार तय किया जाता है. जबकि, नई पेंशन योजना एनपीएस के तहत पेंशन राशि कुल जमा राशि और निवेश पर आए रिटर्न पर तय होती है. इसमें मूल वेतन और DA का 10 फीसदी कर्मचारियों को मिलता है और इतना ही योगदान राज्य सरकार भी देती है. नई पेंशन योजना एनपीएस शेयर बाजार पर केंद्रित है और इसका भुगतान बाजार के अनुसार होता है, जबकि पुरानी पेंशन व्यवस्था के तहत भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता था.

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