नए विदेशी मुद्रा व्यापारियों के लिए युक्तियाँ

निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष

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एसआईपीः अनिश्चितता को मात देने की तगड़ी रणनीति

रिलायंस ब्रांड्स लिमिटेड ने ग्लोबल फूड चेन ‘प्रेट ए मोंजेएर’ से हाथ मिलाया

ट्रिब्यूनल की शक्तियां -Powers of Tribunal

अत्याचार अथवा कुप्रबंधन के मामलों में ट्रिब्यूनल की व्यापक शक्तियाँ हैं। इससे संबंधित आवेदन प्राप्त होने पर ट्रिब्यूनल यथोचित आदेश दे सकती है, यदि उसकी राय में :

क) कंपनी के कारोबार का संचालन ऐसे तरीके से किया जा रहा हो जो लोकहित अथवा कंपनी के हितों के प्रतिकूल हो अथवा जिससे किसी सदस्य अथवा सदस्यों के प्रति अत्याचार होता हो: तथा

ख) अिधनियम की धारा 242 (1) के अनुसार, कंपनी के समापन से पीडित सदस्य अथवा सदस्यों को अनुचित हानि पहुँचती हो जबकि अन्यथा तथ्यों को ध्यान रखते हुए इस आधार पर कंपनी का समापन कर दिया जाना उचित होता कि कंपनी का समापन न्याय संगत एवं साम्पिक' है।

अधिनियम की धारा 242 (2) में अभिव्यक्ततः उन व्यापक विवेकीय शक्तियों का उल्लेख किया गया है, जिनका प्रयोग ट्रिब्यूनल इस प्रकार के आवेदन-पत्र का निपटारा करने के लिए कर सकता है। ट्रिब्यूनल के आदेश में निम्नलिखित के लिए व्यवस्था की जा सकती है:

ट्रिब्यूनल की शक्तियां -Powers of Tribunal

अत्याचार अथवा कुप्रबंधन के मामलों में ट्रिब्यूनल की व्यापक शक्तियाँ हैं। इससे संबंधित आवेदन प्राप्त होने पर ट्रिब्यूनल यथोचित निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष आदेश दे सकती है, यदि उसकी राय में :

क) कंपनी के कारोबार का संचालन ऐसे तरीके से किया जा रहा हो जो लोकहित अथवा कंपनी के हितों के प्रतिकूल हो अथवा जिससे किसी सदस्य अथवा सदस्यों के प्रति अत्याचार होता हो: तथा

ख) अिधनियम की धारा 242 (1) के अनुसार, कंपनी के समापन से पीडित सदस्य अथवा सदस्यों को अनुचित हानि पहुँचती हो जबकि अन्यथा तथ्यों को ध्यान रखते हुए इस आधार पर कंपनी का समापन कर दिया जाना उचित होता कि कंपनी का समापन न्याय संगत एवं साम्पिक' है।

अधिनियम की धारा 242 (2) में अभिव्यक्ततः उन व्यापक विवेकीय शक्तियों का निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष उल्लेख किया गया है, जिनका प्रयोग ट्रिब्यूनल इस प्रकार के आवेदन-पत्र का निपटारा करने के लिए कर सकता है। ट्रिब्यूनल के आदेश में निम्नलिखित के लिए व्यवस्था की जा सकती है:

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बैंकों में लावारिस पड़े 40 हजार करोड़ को लेकर सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस छोटा अखबार। सुप्रीम कोर्ट ने मृत निवेशकों, जमाकर्ताओं और खाताधारकों के 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लावारिस राशि सही कानूनी वारिसों को उपलब्ध कराने के लिए तंत्र विकसित करने के बारे में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने पत्रकार सुचेता दलाल की याचिका पर केंद्र सरकार, आरबीआई और अन्य से यह कहते हुए जवाब मांगा कि यह मुद्दा महत्वपूर्ण है। दायर याचिका में आरबीआई द्वारा शासित एक केंद्रीकृत डाटा वेबसाइट की आवश्यकता से निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष संबंधित मुद्दों को भी उठाया गया है। जिससे मृत बैंक खाताधारकों के मूल विवरण उपलब्ध हों और कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा निष्क्रिय खातों के धन का दावा करने की प्रक्रिया को आसान बनाया जाए। याचिका में यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है कि कानूनी वारिसों निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष या नामित व्यक्तियों द्वारा जमा राशि का दावा न करने की स्थिति में धन को जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष (डीईएएफ), निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष और वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष में स्थ

खाटूश्याम मंदिर कमेटी को लेकर स्थानिय विधायक नाराज, कहा सीएम से करूंगा शिकायत

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खाटूश्याम मंदिर कमेटी को लेकर स्थानिय विधायक नाराज, कहा सीएम से करूंगा शिकायत छोटा अखबार। ख्यातनाम खाटूश्याम मंदिर पर हुए हादसे के बाद मंदिर कमेटी को लेकर हुई राजनीति और समाजवाद से सरकार में हलचल मचा हुआ है। स्थानिय मीडिया सूत्रों के अनुसार मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास और राजेंद्र गुढा के श्याम मंदिर कमेटी का समर्थन किया तो विधायक चौधरी वीरेंद्र सिंह ने प्रेस वार्ता कर उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। चौधरी ने कहा कि हादसे की जांच हो रही है, इसके बाद मंदिर कमेटी निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष को क्लीन चिट कैसे दी जा रही है। उन्होंने कहा कि वह इसकी शिकायत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत करेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रेस वार्ता में विधायक चौधरी ने खाटूश्याम मंदिर को सरकार के अधीन करने का भी मुद्दा उठाया और कहा कि देशभर से मंदिर में श्रद्धालु आते हैं और दान भी खूब करते हैं। इसके बाद भी मंदिर कमेटी उनकी सुरक्षा की व्यवस्था नहीं कर पा रही है। ऐसे में मंदिर को देव स्थान विभाग के अधीन कर देना चाहिए। विधायक ने कहा कि, खाचरियावास और गुढ़ा मंत्री हैं, उनके शब्द कानून होते हैं। इस तरह के बयान देने से पहले उन्हें सोचना चाहिए था। हाद

मकान किराये पर दिया तो लगेगा टैक्स

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मकान किराये पर दिया तो लगेगा टैक्स छोटा अखबार। 18 जुलाई से प्रभावी होने वाले नए जीएसटी नियमों के अनुसार, ऐसे किरायेदार जो जीएसटी के तहत पंजीकृत है उन्हें आवासीय संपत्ति को किराए पर देने के लिए 18 प्रतिशत माल और सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान करना आवश्यक होगा। नियम के लागू होने के बाद निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष जो भी किराया भुगतान किया जाएगा, उस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू होगा। यह टैक्स केवल जीएसटी के तहत पंजीकृत किरायेदारों के लिए है। इससे पहले जीएसटी केवल वाणिज्यिक संपत्तियां जैसे कि कार्यालय या खुदरा स्थान का किराया या पट्टे पर दिए गए जमीन के किराएं पर लगता था। पिछले जीएसटी कानूनो में कॉरपोरेट घरानों या व्यक्तियों द्वारा आवासीय संपत्तियों के किराए या पट्टे पर कोई जीएसटी नहीं था। नए नियमों के अनुसार, जीएसटी-पंजीकृत किरायेदार रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) के तहत कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे। वहीं किरायेदार कटौती के रूप में इनपुट टैक्स क्रेडिट के तहत भुगतान किए गए जीएसटी का आयकर रिटर्न में दावा कर सकता है। आपको बतादें कि किराए पर टैक्स तभी लागू होगा जब किरायेदार जीएसटी के तहत पंजीकृत हो और जीएसटी रिट

इरेडा ने बड़े संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करने निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष के लिए एक वैकल्पिक निवेश कोष की बनाई योजना

इरेडा ने बड़े संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करने के लिए एक वैकल्पिक निवेश कोष की बनाई योजना


IREDA plans alternative investment fund to attract large investors

New Delhi- भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (इरेडा) की 35वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम), नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत सार्वजनिक उपक्रम, इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित की गई। निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष एजीएम में वित्तीय वर्ष 2021-22 के वार्षिक लेखों को अंगीकार किया गया।

शेयरधारकों को संबोधित करते हुए, श्री प्रदीप कुमार दास, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सीएमडी), इरेडा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि, "कोविड-19 की दूसरी और तीसरी लहरों के बावजूद, इरेडा ने कर से पहले का ऐतिहासिक सर्वकालिक उच्च वार्षिक लाभ (पीबीटी) दर्ज किया है। वित्त वर्ष 2021-22 में 833.84 करोड़ रुपये और कर पश्चात लाभ (पीएटी) 633.53 करोड़ रुपये, जिससे वित्त वर्ष 2020-21 में क्रमशः 46.41% और 82.88% की भारी वृद्धि दर्ज की गई।

Mutual Funds: अनिश्चितता के माहौल में भी म्यूचुअल फंड पर भरोसा कायम

Mutual Funds: अनिश्चितता के माहौल में भी म्यूचुअल फंड पर भरोसा कायम

ऐसे समय में जब वैश्विक गहमा-गहमी और कमजोर निवेश रुझान घरेलू शेयर बाजार को नीचे की तरफ ले जा रहे हैं, म्यूचुअल फंड यानी साझा कोष छोटे निवेशकों की पहली पसंद के रूप में उभरा है। एक मजबूत निवेश पोर्टफोलियो बनाने के लिए बड़ी संख्या में रिटेल निवेशक सिस्टमेटिक निवेश प्लान (एसआईपी) और सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं।

इस वर्ष 31 मार्च तक पिछले 10 वर्षों में भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) करीब पांच गुना बढ़कर 23.80 लाख करोड़ रुपए हो गई है। एसोसिएशन ऑफ म्यूच्युअल फंड (एंफी) का अंदाजा है कि जुलाई 2019 में अंत में एयूएम 24.53 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया होगा। ग्रोथ ट्रेंड भी म्यूचुअल फंड फोलियो में नेट वृद्वि दर्शाते हैं,जो एक नि￝ाित अवधि में स्थिर विकास का संकेतक है। इसका मतलब यह है कि लंबी अवधि में म्यूच्युअल फंड में निवेश से जोरदार रिटर्न मिलने की संभावना देखने वाले निवेशकों की संख्या बढ़ रही है।

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