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अधिकतम लाभ

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अधिकतम लाभ किसे कहते है | अधिकतम लाभ का अंग्रेजी में मतलब या अर्थ क्या होता है meaning in english

जाने अधिकतम लाभ किसे कहते है | अधिकतम लाभ का अंग्रेजी में मतलब या अर्थ क्या होता है meaning in english or what is meaning maximise in hindi.

अधिकतम लाभ meaning in english = maximise

maximise meaning in hindi = अधिकतम लाभ

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maximise किसे कहते है या maximise की परिभाषा हिंदी में क्या होती है maximise का अर्थ हिन्दी में बताइए maximise का मीनिंग इन हिंदी भाषा में वर्णन कीजिये |

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प्रश्न : maximise का अर्थ हिन्दी में बताइए ?

उत्तर : maximise का हिंदी में अर्थ या मिंग “अधिकतम लाभ” होता है | अर्थात maximise को ही हिंदी में अधिकतम लाभ बोला जाता है |

प्रश्न : अधिकतम लाभ किसे कहते है या इंग्लिश मीनिंग क्या होता है ?

उत्तर : अधिकतम लाभ को इंग्लिश में maximise कहते है अर्थात अधिकतम लाभ का अंग्रेजी में मतलब या अर्थ maximise होता है |

प्रश्न : maximise या अधिकतम लाभ किसकी तरह कार्य करता है ?

उत्तर : maximise या अधिकतम लाभ किसी वाक्य में की तरह कार्य कर सकता है |

शब्द : अधिकतम लाभ के पर्यायवाची या विलोम शब्द अधिकतम लाभ के समनानार्थी शब्द क्या होते है या maximise को और अन्य किन नामों से जाना जाता है |

कृषि क्षेत्र में हितग्राही मूलक योजनाओं का अधिकतम किसानों को मिले लाभ : मुख्यमत्री श्री चौहान

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्राकृतिक कृषि के इच्छुक किसानों के साथ शीघ्र ही संवाद कार्यक्रम होगा। इसमें प्राकृतिक कृषि के विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में 59 हजार किसानों के पंजीयन और 28 हजार से अधिक किसानों को प्राकृतिक कृषि का प्रशिक्षण देने के कार्य को महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कृषि क्षेत्र में नैनो यूरिया, फार्म गेट एक्ट की पहल और कृषि क्षेत्र में उन्नति एप के प्रयोग की भी प्रशंसा की। मुख्यमंत्री श्री अधिकतम लाभ चौहान आज किसान-कल्याण तथा कृषि विकास विभाग की गतिविधियों की समीक्षा कर रहे थे।

कृषि विविधीकरण में मध्यप्रदेश आगे

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कृषि के विविधीकरण के लिए मध्यप्रदेश में दो परियोजनाओं की स्वीकृति एक राष्ट्रीय उपलब्धि है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वर्तमान में आईटीसी द्वारा औषधीय अश्वगंधा और तुलसी के 4500 एकड़ क्षेत्र में उत्पादन के साथ ही ग्रीन एंड ग्रेंस का जैविक सब्जियों और अनाज का 1235 एकड़ में उत्पादन कार्य प्रारंभ हो गया है। चार अन्य परियोजनाओं पर परीक्षण की कार्यवाई चल रही है। इनमें विदिशा जिले में हरी मटर और धनिया, रीवा, सतना, ग्वालियर, देवास, इंदौर, उज्जैन और शाजापुर में आलू उत्पादन, देवास में बाँस उत्पादन और नर्मदापुरम, सीहोर एवं छिंदवाड़ा में संतरा और अमरूद का उत्पादन भी बढ़ाने का प्रयास है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कृषि विविधीकरण में मध्यप्रदेश में किए गए ठोस प्रयास जारी रखे जाएँ। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में 3 साल में सरसों का उत्पादन दोगुना हो गया है। वर्तमान में 12 लाख 33 हजार हेक्टेयर में सरसों का उत्पादन हो रहा है।

मोटे अनाज का महत्व जाने नागरिक, आँगनवाड़ियों में सप्ताह में 1 दिन बाटेंगे मोटा अनाज

मध्यप्रदेश में मिलेट मिशन में प्रयास बढ़ाए गए

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सप्ताह में एक दिन आँगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को और मध्यान्ह भोजन में विद्यार्थियों को मोटे अनाज जैसे कोदो- कुटकी के वितरण से आमजन भी मोटे अनाज के महत्व से परिचित होगा। मोटे अनाज का पोषण की दृष्टि से अधिक महत्व है। बताया गया कि गेहूँ के निर्यात के साथ अन्य उत्पादों के निर्यात के प्रयास भी बढ़ाए जा रहे हैं। प्रदेश में वर्तमान में 116 एफपीओ कार्यरत हैं। कृषि अवसंरचना निधि के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश अग्रणी है। बैंकों ने अब तक 3422 आवेदन सत्यापित कर 1878 करोड़ रूपए की राशि वितरित की है। प्रदेश में यूरिया, डीएपी की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

नैनो तरल यूरिया का ड्रोन से छिड़काव का अभिनव प्रयोग

बैठक में बताया गया कि प्रदेश में तरल अर्थात नैनो यूरिया को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इफको के सहयोग से यह कार्य हो रहा है। प्रदेश के कुछ जिलों में ड्रोन से करीब एक हजार एकड़ कृषि क्षेत्र में नैनो तरल यूरिया के छिड़काव का अभिनव प्रयोग किया गया। करीब 400 किसानों द्वारा इसे अपनाया गया। खरीफ 2022 में अब तक 6 लाख 7 हजार बोतल से अधिक नैनो तरल यूरिया का विक्रय किसानों को किया गया है। रबी 2021-22 में 16 लाख 11 हजार लाख बोतल नैनो तरल यूरिया का विक्रय किसानों को किया गया। इसका प्रचार निरंतर बढ़ रहा है। विक्रेता, समितियों के सदस्य और कृषि विभाग के माध्यम से यह प्रयास किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मध्यप्रदेश में कृषि क्षेत्र में संपन्न कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण मानते हुए इन कार्यों को देश में स्थापित करने के लिए भी प्रयास करने को कहा। मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, अपर अधिकतम लाभ मुख्य सचिव श्री अजीत केसरी, श्री शैलेंद्र सिंह और विभिन्न विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

अभियान में अधिकतम लाभ उठाने के लिए लोग करें भागीदारी : चतुर्वेदी

सीकर। प्रशासन गांवों के संग अभियान के तहत गुरूवार को जिला कलेक्टर अविचल चतुर्वेदी ने श्रीमाधोपुर पंचायत समिति की सिमारला जागीर पंचायत मऌ आयोजित शिविर का सघन निरीक्षण कर निष्पादित कार्यों की जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने अधिकाधिक लोगों को शिविरों से लाभान्वित करने के निर्देश दिए।

शिविर के दौरान उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप अंतिम व्यक्ति तक अभियान का लाभ पहुंचाया जाए। उन्होंने विभिन्न विभागों से जुड़े अधिकारियों को सक्रिय रहकर मुख्यमंत्राी की मंशा के अनुरूप जन कल्याणकारी योजनाओं से पात्रा लोगों को लाभान्वित करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने लोगों से अधिकाधिक संख्या मऌ अधिकतम लाभ शिविरों मऌ भाग लेकर अपने लम्बित कार्य का निस्तारण मौके पर ही कराने को कहा।

इस अवसर पर जिला कलक्टर अविचल चतुर्वेदी ने शिविर मऌ सभी विभागों के काउण्टरों का निरीक्षण कर सम्पादित किए जा रहे कार्यों की समीक्षा कर कहा कि शिविरों मऌ विभागीय योजनाओं की अधिक से अधिक लोगों को जानकारी दी जाकर पात्रा लोगों को मौके पर ही लाभ पहुंचाया जाए। उन्होंने अधिकारियों को शिविरों का व्यापक रूप से प्रचार – प्रसार करने के निर्देश दिए ताकि प्रत्येक विभाग द्वारा किए जाने वाले कार्यो की जानकारी आमजन को मिल सकें।

जिला कलेक्टर अविचल चतुर्वेदी ने उपखंड अधिकारी दिलीप सिंह राठौड़ एवं उनकी समस्त उपखंड प्रशासन की टीम के द्वारा किए जा रहे कार्यों की भरपूर प्रशंसा की एवं आमजन का सहयोग करने के लिए धन्यवाद दिया। प्रशासन गांव के संग अभियान में ग्राम पंचायत सिमारला जागीर में पंचायती राज विभाग द्वारा 101 आवासीय पट्टे, 02 परिवारों को प्रधानमंत्राी आवास योजना का लाभान्वित किया गया।

सामाजिक सुरक्षा योजना में 05 विधवा महिला के परिवारों के 11 बच्चों को पालनहार योजना, 02 विशेष योग्यजन परिवारों को आस्था कार्ड, एक यूडीआईडी कार्ड, एक मुख्यमंत्राी कन्यादान योजना के तहत 41 हजार की राशि स्वीकृत की गई। इस मौके पर अतिरिक्त जिला कलेक्टर नीमकाथाना अनिल महला, शिविर प्रभारी दिलीप सिंह राठौड़, विकास अधिकारी हरी सिंह, तहसीलदार महिपाल सिंह राजावत, नायब तहसीलदार नेहा वर्मा, सरपंच घासी राम हरितवाल, जिला एवं ब्लॉक स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।

विश्व जनसंख्या दिवस: जनसांख्यिकीय लाभांश का अधिकतम लाभ उठाने के लिए स्वास्थ्य में निवेश जरूरी

वैश्विक जनसंख्या मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। भारत की वर्तमान जनसंख्या 137 करोड़ है और हम आबादी के लिहाज से दुनिया में दूसरे नंबर पर है। यूएन वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स 2019 के अनुसार उम्मीद है कि 2027 तक भारत चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। वहीं राजस्थान में 2021 में राजस्थान कुल जनसंख्या 7.92 करोड़ होने का अनुमान है, जिसमें युवा और किशोर आबादी 32 प्रतिशत आंकी गई अधिकतम लाभ है।

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जनसंख्या विशेषज्ञ डॉ. धीरेंद्र कुमार (डीन, आई आई एच एम आर यूनिवर्सिटी) का कहना है कि 1980 के दशक के दौरान भारत में प्रजनन दर और मृत्यु दर में लगातार गिरावट के कारण जनसंख्या की आयु संरचना में सकारात्मक बदलाव आया और इसके परिणामस्वरूप आज हमारे मानव संसाधन में एक बड़ा अनुपात किशोरों एवं युवाओं का है। यह प्रवृत्ति 2030 की शुरुआत तक बनी रहेगी। यह किशोर एवं युवा जनसंख्या एक बड़ी संपदा साबित हो सकती है लेकिन इसे बुनियादी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा हासिल करने के लिए अभी कई तरह की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। डॉ धीरेंद्र आगे कहते हैं कि चौथे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2015-16) के अनुसार, राजस्थान में 35 प्रतिशत से अधिक लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले कर दी जाती है। 2020 की एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) के सर्वेक्षण के मुताबिक राजस्थान में 15-16 साल की उम्र की 12.5 फीसदी लड़कियां जल्दी शादी और बच्चे पैदा करने सहित विभिन्न कारणों से स्कूल छोड़ देती हैं। अभी चल रही कोविड-19 महामारी ने हालात और मुश्किल कर दिए हैं जिसके चलते युवाओं में तुरंत निवेश करने की आवश्यकता और जरूरी हो गई है।

राजस्थान की युवा आबादी के भविष्य में निवेश अति महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां जातिगत समीकरण एवं सामाजिक रीति-रिवाज, विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, रोजगार और सशक्तिकरण की राह में बड़ी बाधा डालते हैं। केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य उदाहरण हैं कि किशोर जनसंख्या को सशक्त और सुरक्षित करने की प्रक्रिया में उनकी शिक्षा और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु निवेश करना कितना महत्वूर्ण है।

पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की सीनियर स्टेट प्रोग्राम मैनेजर दिव्या संथानम कहती हैं कि राजस्थान में जमीनी स्तर की एजेंसियों और सरकार द्वारा बालिका शिक्षा के महत्व को बढ़ावा देने, परिवार नियोजन और यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जानकारी के अधिकतम लाभ प्रसार के लिए काम किया जा रहा है। कोविड महामारी की वजह से गर्भ निरोधक उपायों और सुरक्षित गर्भपात सेवाओं की उपलब्धता मुश्किल हुई है, इससे कम उम्र में गर्भधारण का जोखिम बढ़ा है लेकिन सरकार ने अपने आउटरीच कार्यक्रमों और किशोर अनुकूल स्वास्थ्य केंद्रों के नेटवर्क के जरिए इन समस्याओं के समाधान की इच्छा जाहिर की है।

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विशेषज्ञों में इस बात पर सर्वसम्मति से सहमति है कि जनसंख्या नियंत्रण की दृष्टि से किये गए उपाय कोई ठोस समाधान नहीं हैं बल्कि इससे गर्भ अधिकतम लाभ के दौरान बच्चे का लिंग पता करने की प्रवृत्ति बढ़ने की संभावना है। इससे बाल लिंग अनुपात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है, जिससे केंद्र सरकार के अभियान, जैसे ‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ कार्यक्रम प्रभावित होंगे। चीन ने खुद को जनसंख्या संकट को देखते हुए हाल ही में अपनी कठोर जनसंख्या नीति को रद्द कर दिया है। दूसरी ओर, हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका ने सिर्फ विवाह की उम्र में बढ़ोतरी करके प्रजनन दर को कामयाबी के साथ स्थिर कर दिया है। यह एक ऐसा कदम था जिसे लड़कियों की शिक्षा सुनिश्चित करके और अधिक प्रभावी बनाया गया। जाहिर है कि शिक्षा, आर्थिक और अन्य विकास के अवसरों तक पहुंच में बढ़ोतरी करके, जनसंख्या में वृद्धि पर आसानी से रोक लगाई जा सकती है।

राजस्थान की युवा आबादी के लिए, परिवार नियोजन और गर्भ निरोधकों तक पहुंच सुनिश्चित करना प्राथमिक देखभाल का एक महत्वपूर्ण कारक है, जिसकी पहले बच्चे में देरी, दो बच्चों के बीच अंतर सुनिश्चित करने, मातृ एवं बाल मृत्यु दर को कम करने के साथ ही असुरक्षित गर्भपात को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका है।

सुश्री दिव्या संथानम आगे कहती हैं कि लड़कियां स्कूल जाएं और ज्यादा से ज्यादा वर्ष तक वे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें तो इसके पूरी जनसंख्या, विशेष रूप से युवाओं के स्वास्थ्य और समृद्धि पर महत्वपूर्ण असर देखने को मिल सकते हैं। इससे न केवल कम उम्र में विवाह नहीं होंगे बल्कि इससे शादी और पहले गर्भधारण के बीच के अंतराल को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। हमें मौजूदा गर्भनिरोधक विकल्पों की सीमा और पहुंच में विस्तार करने की आवश्यकता है, साथ ही अधिक लंबे समय तक काम करने वाले प्रतिवर्ती गर्भनिरोधक (LARC) को भी इनमें शामिल करने पर विचार करना चाहिए, जो हमारे युवाओं की बड़ी आबादी को देखते हुए अति महत्वपूर्ण हैं।

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भारत में संभावित जनसंख्या विस्फोट के बारे में प्रचलित तर्कहीन आशंकाओं को दूर करते हुए, द लैंसेट के एक हालिया अध्ययन से संकेत मिलता है कि भारत की कुल प्रजनन दर (प्रत्येक महिला द्वारा उनके जीवन काल में पैदा होने वाले बच्चों की औसत संख्या) जो 2017 में 2.2 है, 2100 तक घटकर 1.29 हो सकती है।

हालांकि, वर्तमान में जिस गति से जनसंख्या बढ़ रही है, वह भी युवाओं के लिए हर स्तर पर जरूरतें पूरी करने में मुश्किलें ही पैदा करेगी और इसीलिए हमें कठोर जनसंख्या नीतियों के माध्यम से जनसंख्या नियंत्रण करने के बजाय जनसंख्या स्थिरीकरण की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है।

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