प्रवृत्ति संकेतक

Road safety in Jaunpur : चार लेन बने राजमार्ग फिर भी रांग साइड ड्राइविंग रोकने का नहीं हो सका इंतजाम
राजमार्गों पर रांग साइड वाहनों के प्रवेश करने से रोकने की किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं है। बीच-बीच में डिवाइडर बनाए जरूर गए हैं लेकिन प्रमुख कट पर किसी की तैनाती व संकेतक न होने की वजह से वाहन चालक जल्दबाजी के चक्कर में ट्रैक बदल देते हैं।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: वाराणसी-लखनऊ राजमार्ग से आते-जाते 12 जुलाई 2021 की घटना की याद उस समय ताजा हो जाती है जब कोई वाहन रांग साइड से गुजरते हुए सामने आ जाता है। ऐसे ही रांग साइड डाइविंग के चलते सिकरारा क्षेत्र के बाकी गांव के एक परिवार के पांच लोगों की राजमार्ग के त्रिलोचन बाजार के असबरनपुर के पास मौत हो गई थी।
ब्रेजा कार से चंदौली से खुशी पूर्वक दुल्हन की विदाई कराकर लौट रहे परिवार के लोगों की कार ट्रक से ऐसी टकराई कि मौके पर ही दूल्हे के चाचा समेत सभी पांचों ने दम तोड़ दिया। घर सूचना पहुंचते ही हंसी-खुशी का माहौल गम में बदल गया। यह घटना लोगों को आज भी सालती है। इसी तरह आठ फरवरी 2022 को जलालपुर के ही लहंगपुर में रांग साइड डाइविंग के चलते ट्रक की टक्कर से पिकअप सवार सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी।
यह सभी सरायख्वाजा क्षेत्र के जलालपुर निवासी वृद्ध महिला के निधन के बाद शव का अंतिम संस्कार कर वाराणसी से लौट रहे थे। पिकअप में 17 लोग सवार थे। यह हादसे आज भी पीड़ित परिवारों को दर्द दे रही हैं। यह घटनाएं तो महज बानगी हैं। रांग साइड से आने-जाने की वजह से दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। बावजूद इसके इसके रोकथाम को राजमार्ग पर किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं हो सकी है। इसी तरह रेस्ट एरिया व डायवर्जन का भी पूरी तरह अभाव है। जो हादसों को बढ़ावा दे रहा है।
स्टाफ की कमी, बड़ी चुनौती
राजमार्गों पर रांग साइड वाहनों के प्रवेश करने से रोकने की किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं है। बीच-बीच में डिवाइडर बनाए जरूर गए हैं, लेकिन प्रमुख कट पर किसी की तैनाती व संकेतक न होने की वजह से वाहन चालक अधिक दूर से घूमने व जल्दबाजी के चक्कर में ट्रैक बदल देते हैं।
ऐसे में विपरीत दिशा से आने वाले वाहनों की आमने-सामने प्रवृत्ति संकेतक टक्कर हो जाती है। ऐसी लापरवाही ट्रक, ट्रैक्टर व अन्य भारी वाहन ही नहीं करते, बल्कि कार व दोपहिया वाहन चालकों में भी प्रवृत्ति संकेतक यह प्रवृत्ति आम है।
एंट्री व एग्जिट प्वाइंट से नदारद हैं साइनेज
राजमार्गों पर एंट्री व एग्जिट प्वाइंट से साइनेज भी नदारद हैं। लखनऊ-वाराणसी राजमार्ग के कलीचाबाद के कुल्हनामऊ के समीप रूट डायवर्जन कर शहर में प्रवेश के लिए इंट्री प्वाइंट बनाया तो गया है, लेकिन यहां किसी प्रकार के संकेतक की व्यवस्था नहीं है।
इसी राजमार्ग के नौपेड़वा का मई मोड़ संपर्क मार्ग बदलापुर व शाहगंज को जोड़ता है। यहां अधिक भीड़ भी रहती है, लेकिन कोई संकेतक नहीं है। इस मार्ग पर कई विद्यालय भी हैं, लेकिन संकेतक की बेहतर व्यवस्था न होने की वजह से यह स्थान एक्सिडेंट प्वाइंट में तब्दील हो गया है।
न तो पेट्रोलिंग और न ही पेयजल की व्यवस्थावाराणसी-लखनऊ राजमार्ग प्रमुख राजमार्गों में एक है। क्षेत्र में पड़ने वाले 85 किमी इस राजमार्ग पर दूर-दूर तक न तो कहीं पेयजल की व्यवस्था है और न ही पेट्रोलिंग होती है। मार्ग पर पुलिस व ट्रैफिक जवानों की मौजूदगी न होने की वजह से किसी भी विपरीत परिस्थिति में वाहन चालकों को किसी प्रकार की मदद नहीं मिल पाती।
रेस्ट एरिया के बारे में नहीं है कोई जानकारीवाराणसी-लखनऊ राजमार्ग पर वाहनों के रेस्ट एरिया का अभाव है। जलालपुर के पास रेहटी में राजमार्ग एक स्थान पर रेस्ट एरिया के लिए जगह बना है, लेकिन वहां न तो कोई संकेतक है न बोर्ड। ऐसे में मुसाफिरों को इसकी जानकारी नहीं हो पाती है।
बे-रोकटोक जगह-जगह खड़े होते हैं ट्रक
राजमार्ग पर जगह-जगह ट्रकों के खड़े होने से दुर्घटनाएं तेजी से हो रही हैं। राजमार्ग निर्माण के साथ ही ढाबों की संख्या भी बढ़ी है। ऐसे में ट्रक समेत अन्य भारी वाहन चालक यहां खाना खाने को रुकते हैं। अधिकांश ट्रकों पर रिफ्लेक्टर न लगे होने की वजह वाहन आपस में टकरा जाते हैं। कोहरे के दौरान स्थिति और चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
पेट्रोल पंपों पर लगी मशीनों से नहीं मिलती हवापेट्रोल पंपों पर जन सुविधा के लिहाज से हवा मुफ्त देने की व्यवस्था है। संचालकों की ओर से कोरमपूर्ति करने के लिए मशीन तो लगवा दी गई है, लेकिन अक्सर यह खराब रहती है। जागरण टीम ने हकीकत जानने के लिए नईगंज स्थित भारत पेट्रोलियम पर पहुंची। यहां बताया गया कि मशीन खराब है। इसके बाद जहांगीराबाद स्थित इंडियन आयल पर बताया गया कि हवा भरने के लिए कोई कर्मी ही नहीं है।
राजमार्ग पर जगह-जगह ट्रकों का ठहराव पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है
राजमार्ग पर जगह-जगह ट्रकों का ठहराव पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। पेट्रोल पंपों पर भी ग्राहकों को मुफ्त हवा देने की व्यवस्था है। यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए संकेतक लगवाने को भी संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिया जाएगा।
Decline In Sperm Count Globally: भारत समेत दुनिया भर में पुरुषों में शुक्राणओं की संख्या में भारी गिरावट: अध्ययन
अनुसंधानकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने भारत समेत दुनिया के कई देशों में पिछले कुछ वर्षों में शुक्राणुओं की संख्या (स्पर्म काउंट) में अच्छी-खासी गिरावट पायी है.
नई दिल्ली: अनुसंधानकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने भारत समेत दुनिया के कई देशों में पिछले कुछ वर्षों में शुक्राणुओं की संख्या (स्पर्म काउंट) (Sperm Count) में अच्छी-खासी गिरावट पायी है. अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि शुक्राणुओं की संख्या न केवल मानव प्रजनन बल्कि पुरुषों के स्वास्थ्य (Men's Health) का भी संकेतक है और इसके कम स्तर का संबंध पुरानी बीमारी, अंड ग्रंथि के कैंसर और घटती उम्र के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है. उन्होंने बताया कि यह गिरावट आधुनिक पर्यावरण और जीवनशैली से जुड़े वैश्विक संकट को दर्शाता है, जिसके व्यापक असर मानव प्रजाति के अस्तित्व पर है.
पत्रिका ‘ह्यूमैन रिप्रोडक्शन अपडेट’ में मंगलवार को प्रकाशित अध्ययन में 53 देशों के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें सात वर्षों (2011-2018) के आंकड़ों का अतिरिक्त संग्रह भी शामिल है तथा इसमें उन क्षेत्रों में पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या पर ध्यान केंद्रित किया गया है जिनकी पहले कभी समीक्षा नहीं की गयी जैसे कि दक्षिण अमेरिका, एशिया और अफ्रीका. यह भी पढ़ें: Pregnancy Problem: प्रेगनेंसी समस्या सिर्फ महिलाओं को ही नहीं, तीन IVF चक्रों में से एक के पीछे पुरुष बांझपन भी है कारण
आंकड़ों से पता चलता है कि इन क्षेत्रों में रहने वाले पुरुषों में कुल शुक्राणुओं की संख्या (टीएससी) तथा शुक्राणु एकाग्रता में गिरावट देखी गयी है जो पहले उत्तर अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में देखी गयी थी.
इजराइल के यरुशलम में हिब्रू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेगई लेविन ने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘भारत इस वृहद प्रवृत्ति का हिस्सा है. भारत में अच्छे आंकड़ें प्रवृत्ति संकेतक उपलब्ध होने के कारण हम अधिक निश्चितता के साथ कह सकते हैं कि शुक्राणुओं की संख्या में भारी गिरावट आयी है लेकिन दुनियाभर में ऐसा देखा गया है.’’
तिरुपति में प्रदूषण का स्तर अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर, पिछले दो दिनों से हवा की गुणवत्ता खराब
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। तिरुपति में टहलने के लिए अपने घरों से बाहर निकलने वाले नागरिकों को संभावित स्वास्थ्य खतरों से सावधान रहना चाहिए क्योंकि मंदिर शहर प्रदूषण के स्तर में वृद्धि की प्रवृत्ति दर्ज कर रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के बुलेटिन के अनुसार, औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) पिछले 24 घंटों में 231 रहा, जो गुरुवार को शाम 4 बजे समाप्त हुआ, जिसमें प्रमुख प्रदूषक PM 2.5 था।
पीएम 2.5 का दैनिक औसत स्तर मानक स्तर से ऊपर रहा, अधिकतम 336 और न्यूनतम 90 दर्ज किया गया, जबकि प्रवृत्ति संकेतक औसत 235 पर रहा। 16 नवंबर को एक्यूआई 263 पर थोड़ा अधिक रहा। पिछले दो दिनों में, मंदिर शहर ने राष्ट्रीय राजधानी के समान प्रदूषण स्तर देखा है। गौरतलब है कि दिल्ली में हर साल सर्दियों में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
इस तरह का उच्च एक्यूआई तिरुपति में एक असामान्य घटना है, क्योंकि शहर में कभी भी दीवाली की रात में भी प्रदूषण का इतना स्तर दर्ज नहीं किया गया है। इस साल दिवाली की रात एक्यूआई 100 से नीचे दर्ज किया गया था। एसवी यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर टी दामोदरम ने कहा, "प्रदूषण के स्तर में वृद्धि स्मॉग, वाहनों के प्रदूषण और पराग सामग्री के परिवेशी वायु में मिश्रित होने के कारण हो सकती है, जो आमतौर पर साल के इस समय के दौरान होता है।"
तिरुपति में धुंध को विनाशकारी करार देते हुए, प्रोफेसर ने याद किया कि कैसे 1930 में मीयूज वैली कोहरे और 1930 में लंदन के ग्रेट स्मॉग ने 1952 में कई लोगों की जान ले ली थी।
एपी वेदरमैन के नाम से लोकप्रिय साई प्रणीत ने बताया कि प्रदूषण के स्तर में असामान्य वृद्धि के लिए प्रवृत्ति संकेतक समुद्र में कम दबाव प्रणाली बनने के कारण भारत के उत्तरी हिस्सों से प्रचलित शुष्क हवाओं को दक्षिण की ओर धकेलने को जिम्मेदार प्रवृत्ति संकेतक ठहराया जा सकता है। धूल और प्रदूषक कणों में जमा हो रहा है और हवा में रह रहा है।
मौसम ब्लॉगर ने कहा, "तिरुपति में बारिश शुरू होते ही प्रदूषण के स्तर में गिरावट आने की उम्मीद है, जो अगले सप्ताह होने की संभावना है।" एसवीआर रुइया अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ सुब्बा राव ने लोगों को अपनी बाहरी गतिविधियों को सीमित करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों और बच्चों को एलर्जी और अस्थमा, तपेदिक (टीबी), क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और सांस लेने की समस्या जैसी बीमारियों से खुद को प्रदूषण से बचाने के लिए मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।
इस बीच, विजाग ने 210 का एक्यूआई दर्ज किया, इसके बाद राजामहेंद्रवरम (157), अनंतपुर (155), और अमरावती (142) ने 17 नवंबर को शाम 4 बजे समाप्त हुए 24 घंटों में दर्ज किया। इन शहरों में एक्यूआई मूल्य खराब और मध्यम श्रेणी में था। .
वायु प्रदूषण के लिए एक संकेतक, पीएम किसी भी अन्य प्रदूषक की तुलना में अधिक लोगों को प्रभावित करता है। इसमें हवा में निलंबित कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थों के ठोस और तरल कणों का एक जटिल मिश्रण होता है। 10 माइक्रोन या उससे कम (≤ PM10) के व्यास वाले कण फेफड़ों के अंदर गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन 2.5 माइक्रोन (PM 2.5) से कम व्यास वाले कण और भी अधिक हानिकारक हो सकते हैं। PM2.5 फेफड़े की बाधा को पार कर सकता है और रक्त प्रणाली में प्रवेश कर सकता है। कणों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से हृदय और श्वसन संबंधी बीमारियों के विकास का खतरा बढ़ जाता है
WEST BENGAL DENGUE--डेंगू का डंक पड़ रहा कोविड पीडि़त मरीजों पर भारी
BENGAL DENGUE-कोलकाता। कोरोना पीडि़त मरीजों पर डेंगू का डंक प्रवृत्ति संकेतक भारी पड़ रहा है। एक साथ डेंगू और कोविड-19 संक्रमण के कुछ मामले सामने आने के बाद महानगर के डॉक्टरों ने यह चेतावनी दी। उनके मुताबिक अलग-अलग वायरस के कारण कोविड और डेंगू के कुछ समान लक्षण होते हैं। अगर कोविड हल्का है तो दोहरा झटका अपने आप में चिंताजनक नहीं लेकिन अगर कोविड का गंभीर केस है तो फिर मरीज की हालत तेजी से बिगड़ सकती है। पहले खून के थक्के बनने की प्रवृत्ति होती है जबकि बाद वाले में रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है।
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कोविड और डेंगू दोनों से पीडि़त प्रवृत्ति संकेतक मरीज
बेलियाघाटा आईडी अस्पताल के क्रिटिकल केयर वार्ड में कोविड और डेंगू दोनों से पीडि़त एक मरीज के मामले में यह सामने आया। 75 प्रवृत्ति संकेतक वर्षीय महिला का एक अन्य सरकारी अस्पताल में डेंगू का इलाज चल रहा था जहां से उसे कोविड-पॉजिटिव परीक्षण के लिए यहां रेफर किया गया। उसे गहन देखभाल में रखा गया है। डॉक्टरों ने कहा कि उसकी हालत गंभीर थी, क्योंकि उसे हाई बीपी समेत इपोथायरायडिज्म और स्ट्रोक आदि की समस्या थी। आईडी अस्पताल के नोडल कोविड अधिकारी सीनियर चेस्ट फिजिशीयन डॉ. कौशिक चौधरी ने कहा कि इस बार कोविड प्रवृत्ति संकेतक और डेंगू दोनों रोगियों के कम से कम तीन और मामले सामने आए हैं। वे दोनों से ठीक हो गए और हमने उन्हें घर भेज दिया। लेकिन फिर बाद में पता चला कि मरीज की स्थिति थोड़ी गंभीर है।
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खांसी, सांस की तकलीफ के साथ बुखार तो खतरा
इसलिए अगर किसी को खांसी और सांस की तकलीफ के साथ बुखार है तो उसे कोविड, डेंगू की पुष्टि के लिए टेस्ट कराना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि दक्षिण कोलकाता के एक 60 वर्षीय मरीज का डेंगू और मलेरिया दोनों के लिए परीक्षण किया गया था। जब उसे सांस लेने में तकलीफ हुई तो जांच करने पर वह कोविड पॉजिटिव पाया गया।
-------डेंगू में बुखार के तीसरे-पांचवें दिन के बीच लक्षण गंभीर
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डेंगू में बुखार के तीसरे पांचवें दिनों के बीच लक्षण गंभीर हो रहे हैं जिससे अक्सर चिकित्सा और अस्पताल में भर्ती होने में देरी होती है। स्वास्थय विशेषज्ञों का यह कहना है। उन्होंने बताया कि कोलकाता में डेंगू से होने वाली अधिकांश मौतें गंभीर लक्षणों की पहचान करने में देरी के कारण हुई। मौजूदा मामलों के दौरान अस्पताल में भर्ती होने के 12-24 घंटों के भीतर डेंगू से होने वाली मौतों की एक बड़ी संख्या सामने आई है।
-----तेज बुखार, पेटदर्द, दस्त गंभीर बीमारी के संकेत
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लगातार तेज बुखार, पेटदर्द, भूख न लगना, गंभीर सुस्ती, दस्त, रक्तस्राव जैसे लक्षण गंभीर बीमारी के संकेतक हो सकते हैं। ऐसे में रोगी को तत्काल अस्पताल में भर्ती प्रवृत्ति संकेतक होना चाहिए। ये संकेट प्लेटलेट ड्रॉप के हो सकते हैं। लेकिन मरीज व इनके रिश्तेदार अक्सर इनकी पहचान करने में विफल हो रहे हैं। मरीजों को डाक्टरों के पास रेफर कर दिया जाता है। एएमआरआई अस्पताल में संक्रामक रोग सलाहकार सयान चक्रवर्ती ने यह बात कही। आरएन टैगोर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डिएक साइंसेज के वैज्ञानिक सौरेन पांजा ने कहा कि बुखार के तीसरे दिन से ही लक्षण अक्सर गंभीर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक गलत धारणा है कि चूंकि डेंगू की कोई विशिष्ट दवा नहीं इसलिए रोगी के गंभीर होने तक अस्पताल में भर्ती होना अनावश्यक है।उन्होंने कहा कि पेट दर्द और गंभीर कमजोरी जैसे लक्षणों को गंभीरता से लिया जाना चाहिएं।
डाक टैग की गईं: प्रवृत्ति संकेतक में Olymp Trade
आरएसआई, जिसे सापेक्ष शक्ति संकेतक के रूप में भी जाना जाता है, एक तकनीकी विश्लेषण उपकरण है Olymp Trade. यह ऑसिलेटर्स के अंतर्गत आता है। मूविंग एवरेज के विपरीत जो ट्रेंड दिखाने के लिए मूल्य डेटा को सरल बनाता है; आरएसआई' .