नए विदेशी मुद्रा व्यापारियों के लिए युक्तियाँ

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश
गाजियाबाद ब्यूरो
Updated Sun, 30 Oct 2022 01:36 AM IST

Editors Take: RBI ने रुपए में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के सेटलमेंट को दी मंजूरी; जरूर देखिए अनिल सिंघवी का ये वीडियो

RBI ने रुपए में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के सेटलमेंट को दी मंजूरी. RBI का ये फैसला रुपए के लिए कितना अहम? लॉन्ग टर्म के लिए क्या होंगे फायदें? शॉर्ट टर्म के लिए क्या आ सकती है दिक्कतें? जरूर देखिए अनिल सिंघवी का ये वीडियो.

वक्त की जरूरत है रुपये में व्यापार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में अन्य के मुकाबले मजबूत और स्थिर होगी भारतीय मुद्रा

रुपये को वैश्विक मान्यता दिलाने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में वृद्धि करनी होगी जिसके लिए भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाना होगा। रुपये में निवेश एवं व्यापार को बढ़ाने से रुपये के मूल्य में भी वृद्धि होगी जो वैश्विक व्यापार में भारत की भागीदारी के नए आयाम स्थापित करेगी।

[डा. सुरजीत सिंह]। हाल में जारी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विश्व की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है। डालर के निरंतर मजबूत होने से महत्वपूर्ण मुद्राएं कमजोर पड़ने लगी हैं। विभिन्न देशों के विदेशी मुद्रा भंडार घटने लगे हैं, जिसके चलते वैश्विक वृद्धि दर घट रही है। आर्थिक परिदृश्य बदलने से वैश्विक भू-राजनीति भी बदल रही है। भारत सरकार ने इस पर गंभीरता से विचार करना प्रारंभ किया है कि इन बदलते वैश्विक हालात के लिए जिम्मेदार अमेरिकी डालर पर निर्भरता को कैसे कम किया जाए?

विश्व की जनसंख्या आठ अरब के आंकड़े को पार कर गई। फाइल फोटो

इस संदर्भ में आरबीआइ ने एक नई शुरुआत करते हुए यह घोषणा की कि निर्यातक एवं आयातक रुपये में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश भी व्यापार कर सकेंगे। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना एवं डालर में होने वाली व्यापार निर्भरता को कम करना है। रुपये में होने वाले पारस्परिक लेनदेन के लिए आरबीआइ ने एक प्रणाली विकसित की है। इससे निर्यात और आयात की कीमत और चालान सभी कुछ रुपये में ही होगा।

विश्व की बदलती आर्थिक परिस्थितियों में बहुत से देश न चाहते हुए भी अपना व्यापार डालर में करने को मजबूर हैं। भारत 86 प्रतिशत व्यापार डालर में करता है। भारत के आयात, निर्यात से ज्यादा होने के कारण अधिक डालर की आवश्यकता होती है। अप्रैल से सितंबर 2022 के दौरान भारत का कुल निर्यात 229.05 अरब डालर एवं आयात 378.53 अरब डालर का हुआ। रुपये-डालर की विनिमय दर को बनाए रखने के लिए आरबीआइ 50 अरब डालर से अधिक व्यय कर चुका है। भारत की तरह दुनिया का भी अधिकांश व्यापार डालर में ही होता है। विश्व के सभी देश डालर के सापेक्ष अपनी-अपनी विनिमय दर को स्थिर करने के प्रयासों में लगे हुए हैं। बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने ब्याज की दर को बढ़ा दिया है, जिससे विश्व के धन का प्रवाह अमेरिका की तरफ होने लगा है। इससे डालर और मजबूत होता जा रहा है।

इन परिस्थितियों में डालर के दबदबे को कम करने के लिए भारत सरकार ने सही समय पर सही पहल की है। रुपये में व्यापार करने का फैसला ऐसे समय में आया है, जब दुनिया के अधिकतर देश न सिर्फ मुद्रा भंडार में कमी का सामना कर रहे हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय निपटान में कठिनाइयों से भी जूझ रहे हैं। इन विपरीत परिस्थितियों में भारत की यह व्यवस्था विनिमय दर में होने वाले उतार-चढ़ाव के जोखिमों से भी सुरक्षा प्रदान करेगी। यह उन भारतीय निर्यातकों की समस्या को कम करेगी, जिनका भुगतान युद्ध के कारण अटका हुआ है। यह रूस और ईरान जैसे देश के साथ हमारे व्यापारिक संबंधों को बेहतर बनाने में मददगार होगी, जिन पर अमेरिकी प्रतिबंध है। रुपये में व्यापार से विश्व भर में न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश इसकी स्वीकृति बढ़ेगी, बल्कि विश्व में भारत का अर्थिक स्तर भी बढ़ेगा।

विदेश मंत्रालय के सार्थक प्रयासों का ही नतीजा है कि अनेक देशों विशेष रूप से श्रीलंका, मालदीव, विभिन्न दक्षिण पूर्व एशियाई देश, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों ने भी रुपये में व्यापार करने में अपनी सहमति व्यक्त की है। भारत के साथ रुपये में व्यापार करने के लिए रूस सहर्ष तैयार है। रुपये-रूबल में व्यापार के बाद रुपया-रियाल एवं रुपया-टका में व्यापार की दिशा में कार्य प्रारंभ हो चुका है। यदि इन सभी देशों को किया जाने वाला भुगतान रुपये में होगा तो इसका सीधा लाभ भारतीय अर्थव्यवस्था को होगा। श्रीलंका की आर्थिक स्थिति ठीक न होने से वह भी भारत के अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश साथ रुपये में व्यापार करने के लिए तैयार है। स्पष्ट है कि आने वाले समय में रुपया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित करेगा।

कुछ अर्थशास्त्रियों का मत है कि यह व्यवस्था उन देशों में ही सफल हो पाएगी, जहां आयात और निर्यात लगभग बराबर है। वे यह भी प्रश्न करते हैं कि यह व्यवस्था उन देशों में कैसे लागू होगी, जिन देशों के पास बैलेंस शेष रह जाएगा। भारत सरकार इसके लिए कई क्षेत्रीय समूहों जैसे ब्रिक्स के साथ एक रिजर्व मुद्रा की व्यवस्था बना सकती है, जिससे जुड़े हुए देश पारस्परिक रूप से आपसी मुद्राओं में व्यापार कर सकते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस व्यवस्था के सफल होते ही विश्व का आर्थिक खेल ही बदल जाएगा।

इस प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य किसी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के महत्व को कम करना नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय रुपये को बेहतर बनाने की एक शुरुआत करना है। यह समय की मांग भी है कि भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार एक-दूसरे के लिए अधिक खुले विकल्प रखें एवं विभिन्न प्रकार के वित्तीय साधनों के संबंध में रुपये को अधिक उदार बनाएं। इसके लिए आवश्यक है कि रुपये के संदर्भ में एक मजबूत विदेशी मुद्रा बाजार बनाया जाए। बैंकिंग क्षेत्र की सुदृढ़ता के लिए आवश्यकतानुसार सुधार निरंतर जारी रहने चाहिए।

पिछली सदी के नौवें दशक में जब भारत एक बंद अर्थव्यवस्था थी, विदेशी मुद्रा दुर्लभ थी और डालर ‘भगवान’ था। बदलते समय के साथ रूस एवं चीन ने हमारे समक्ष उदाहरण पेश किया कि डालर के बिना भी अर्थव्यवस्था को चलाया जा सकता है। यह उम्मीद की जानी चाहिए कि भारतीय रुपया अंतरराष्ट्रीय बाजार में अन्य मुद्राओं के मुकाबले मजबूत और स्थिर बनेगा। रुपये को वैश्विक मान्यता दिलाने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश में भी वृद्धि करनी होगी, जिसके लिए भारत को एक मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाना होगा। रुपये में निवेश एवं व्यापार को बढ़ाने से रुपये के मूल्य में भी वृद्धि होगी, जो वैश्विक व्यापार में भारत की भागीदारी के नए आयाम स्थापित करेगी।

भारत से विदेशी शेयरों में निवेश करने के लिए 3 आसान तरीके

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वैश्वीकरण और क्रॉस बॉर्डर निवेश के उद्घाटन ने कंपनियों को किसी भी अर्थव्यवस्था में निवेश करने के लिए प्रावधानों की अनुमति दी है। एक भारतीय निवेशक के रूप में , आपके पास विदेशी शेयरों में खरीदने और अपने पोर्टफोलियो को विकसित करने और विदेशी बाजारों से उच्च रिटर्न प्राप्त करने के लिए स्मार्ट निवेश का उपयोग करने का विकल्प भी है। हालांकि , चलो पहले पता है कि विदेशी स्टॉक क्या हैं , के साथ शुरू करने के लिए।

विदेशी स्टॉक क्या हैं?

विदेशी कंपनियों के स्टॉक – या भारत से बाहर आधारित हैं – विदेशी स्टॉक के रूप में जाना जाता है। ये विशाल कंपनियां जो गैर – घरेलू हैं , घरेलू ब्लू – चिप कंपनियों के समान एक महान निवेश विकल्प के लिए बनाती हैं। जब कोई विदेशी शेयरों में निवेश करने का विकल्प चुनता है , तो वे अपने पोर्टफोलियो में जोखिम को संतुलित कर सकते हैं और विदेशी बाजारों में उपलब्ध आकर्षक अवसरों का लाभ उठा सकते हैं। यहां तीन तरीके हैं जो भारत में निवेशक विदेशी शेयरों में निवेश कर सकते हैं।

विदेशी टाई अप के साथ भारतीय फंड हाउस

विदेशी शेयरों में निवेश करने के लिए सबसे आसान तरीकों में से एक भारतीय निधि घरों के माध्यम से है। यह निवेशकों को विदेशी शेयरों तक पहुंचने की अनुमति देता है , जब विदेशी मुद्राओं में निवेश करने की बात आती है तो अनुमति मांगने या जोखिम लेने की परेशानी के बिना। इन अवसरों की पेशकश करने वाले भारतीय निधि घरों को खोजने के लिए , कोई “ इमर्जिंग मार्केट ” या “ यूरोप फोकस ” जैसे नामों की तलाश कर सकता है। इन नामों से पता अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश चलता है कि इन म्यूचुअल फंड ने स्थानीय बाजार के माध्यम से विदेशी स्टॉक में निवेश किया है। भारत में खरीदे गए म्यूचुअल फंड के एनएवी को देखकर इन शेयरों का आंदोलन आसानी से किया जा सकता है।

विदेशी शेयर व्यापार के लिए एक और विकल्प फंड ( एफओएफ ) म्यूचुअल फंड के फंड पर विचार करना है। ये म्यूचुअल फंड अंतरराष्ट्रीय स्टॉक में इकाइयां खरीदते हैं। न केवल आप अंतरराष्ट्रीय बाजारों में देखे गए आर्थिक परिवर्तनों पर नज़र रख सकते हैं , बल्कि आपको भारतीय शेयर बाजार में अस्थिर प्रदर्शन के लिए भी तकिया मिल सकती है। इसलिए , फंड निवेश के फंड के माध्यम से विदेशी स्टॉक में निवेश करें जो इसके खिलाफ हेज की पेशकश करके सेन्सेक्स गिरने में आपकी मदद कर सकता है। वैश्विक कंपनियों के एक धसान ने बड़े मार्जिन से असाधारण रूप से साथियों से बेहतर प्रदर्शन किया है। उनकी सफलता में डाइविंग आसानी से एफओएफ के माध्यम से किया जा सकता है।

प्रत्यक्ष निवेश

विदेशी शेयर व्यापार के लिए थोड़ा और सीधा मार्ग है कि काफी अधिक निवेश की आवश्यकता है सीधे अंतरराष्ट्रीय धन में निवेश करने के लिए है। भारतीय रिजर्व बैंक ( भारतीय रिजर्व बैंक ) के अनुसार , भारतीय निवासियों के पास प्रति वर्ष प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 250,000 डॉलर की ऊपरी टोपी निवेश करने का विकल्प होता है , बिना किसी अनुमति के। यह भारतीय रिजर्व बैंक की लिबरलाइज्ड प्रेषण योजना ( एलआरएस ) का हिस्सा है।

यद्यपि किसी भी वर्ष में निवेश किए गए धन की कुल राशि पर वार्षिक टोपी होती है , अंतरराष्ट्रीय निधि के भीतर ही कोई सीमा नहीं होती है। आप आसानी से एक अंतरराष्ट्रीय दलाल के साथ एक ट्रेडिंग खाता खोल सकते हैं। आप संयुक्त राज्य अमेरिका से एक अंतरराष्ट्रीय दलाल के साथ एक खाता खोलने के लिए एक विदेशी मेलिंग पते ( अमेरिका में कम से कम ) की आवश्यकता नहीं है।

एक्सचेंजट्रेडेड फंड

विदेशी शेयर ट्रेडिंग के लिए तीसरा विकल्प एक्सचेंज – ट्रेडेड फंडों में निवेश करना है। औसत ईटीएफ की कीमतें पूरे दिन उतार – चढ़ाव करती हैं। यह पूरे दिन खरीदा और बेचा जाता है। यह म्यूचुअल फंड से अलग है – जो बाजार बंद होने के बाद प्रति दिन एक बार बेचे जाते हैं या खरीदे जाते हैं। आप अंतरराष्ट्रीय सूचकांक पर उपलब्ध एक्सचेंज – ट्रेडेड फंड खरीद सकते हैं जो अंतरराष्ट्रीय शेयरों की टोकरी में अपेक्षित जोखिम देता है। इन फंडों तक पहुंचने के लिए आपको विदेशी बाजारों में संपर्क करने की आवश्यकता नहीं है। भारतीय दलाल भी एक स्थानीय बाजार से सीधे निवेश विकल्प के रूप में एक्सचेंज – ट्रेडेड फंड प्रदान करते हैं।

यह सुनिश्चित करना याद रखें कि जिस ईटीएफ में आप निवेश करना चुनते हैं वह भारत के सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड के साथ पंजीकृत है। ईटीएफ में निवेश करके एक अपने प्रशिक्षण जोखिम को कम कर देता है , क्योंकि इन फंडों को बड़ी हद तक – बस एक सूचकांक के आंदोलन को दोहराना। इसके अतिरिक्त , ईटीएफ का व्यय अनुपात म्यूचुअल फंड की तुलना में काफी कम है। ईटीएफ में निवेश करने के लिए आपको एक भारतीय कंपनी या अंतरराष्ट्रीय कंपनी के साथ ब्रोकरेज खाते की आवश्यकता होगी। हालांकि , आपको इन फंडों तक पहुंच प्राप्त करने की आवश्यकता है।

अब जब आप विदेशी शेयर व्यापार तक पहुंचने के तीन अलग – अलग तरीकों से अवगत हैं , तो ऐसा करने के जोखिमों को संबोधित करना महत्वपूर्ण है। Foremostly, वहाँ मुद्रा विनिमय का खतरा है। भले ही आप अपने विदेशी शेयरों से लाभ कमाते हैं , रुपए की दर गिरने से आपकी विनिमय दर प्रभावित हो सकती है और आपके नुकसान का खतरा बढ़ सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय ट्रेडिंग खाते भी भारतीय दलालों के साथ व्यापार की तुलना में खोलने के लिए बहुत अधिक महंगे हैं। औसत भारतीय दलाल की तुलना में मार्जिन मनी आवश्यकता वर्तमान में काफी अधिक है। इसके अतिरिक्त , ब्रोकरेज शुल्क स्वयं अधिक हैं। अमेरिका में यह व्यापार प्रति 0.75% से 0.9% है। इन जोखिमों से सावधान रहने से आपको विदेशी शेयरों में स्मार्ट निवेश विकल्प बनाने में मदद मिल सकती है।

अंतरराष्ट्रीय फंडों में निवेश कर पोर्टफोलियो में ला सकते हैं विविधता

निवेश सलाहकारों का कहना है कि पोर्टफोलियों में विविधता लाने के लिए निवेशकों को दूसरे देशों के म्यूचुअल फंडों में निवेश करना चाहिए.

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पोर्टफोलियो में भौगोलिक रूप से विविधता लाना समझदारी है. भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहने पर ये विदेशी फंड आपको अच्छा रिटर्न दे सकते हैं.

ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी, इंटरनेट की कई वैश्विक कंपनियां अमेरिका और यूरोप से आती हैं. इंटरनेशनल फंडों में निवेश आपको इस तरह की दिग्गज कंपनियों में निवेश का अवसर देता है. इसमें अमेजन, एपल, वीजा, एल्फाबेट, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट और मास्टरकार्ड जैसे नाम शामिल हैं.

प्रश्न: भारतीय निवेशकों के लिए कौन-कौन से इंटरनेशनल फंड मौजूद हैं?
उत्तर: भारतीय निवेशकों के लिए कई प्रकार के इंटरनेशनल फंड बाजार में मौजूद हैं. इस श्रेणी के फंड मुल्क आधारित, क्षेत्र आधारित अथवा थीम आधारित हो सकते हैं, जो क्रमश: किसी मुल्क (अमेरिका, ब्राजील आदि), निश्चित क्षेत्र (यूरोपीय संघ) या विषय (टेक्नोलॉजी आदि) में निवेश करते हैं.

बतौर भारतीय निवेशक आप इन फंडों में भारतीय रुपये में निवेश कर सकते हैं. आप फंड का चयन करने के बाद भुगतान चेक से रुपये में कर सकते हैं. इन फंडों में ऑनलाइन निवेश भी किया जा सकता है.

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प्रश्न: इंटरनेशनल फंड कैसे निवेश करते हैं?अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश
उत्तर: भारतीय निवेशकों को इंटरनेशनल निवेश ऑफर करने वाले फंड दो तरीकों से विदेशी बाजार में निवेश करते हैं. पहला, वे सीधा विदेशी बाजार के शेयरों में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश निवेश कर सकते हैं. दूसरा, वे किसी विदेशी फंड में निवेश कर सकते हैं. इसे फीडर रूट कहा जाता है.

प्रश्न: इंटरनेशनल फंड्स में निवेश करने के क्या-क्या जोखिम हैं?
उत्तर: शेयरों में निवेश के जोखिम के साथ-साथ इंटरनेशनल फंडों के साथ करेंसी के उतार-चढ़ाव का जोखिम भी जुड़ा हुआ है. यह जोखिम विदेशी बाजार में घरेलू करेंसी की वैल्यू घटने या बढ़ने का कारण पैदा हो सकता है. घरेलू निवेशक रुपये में निवेश करते हैं, मगर फंड्स को विदेशी मुद्रा में निवेश करना पड़ता है.

इस वजह से निवेशकों को इन फंडों के प्रति अधिक सचेत रहने की जरूरत होती है. उनकी नेट एसेट वैल्यू (NAV) काफी हद तक प्रभावित हो सकती है. उदाहरण के लिए यदि डॉलर की तुलना रुपये में कमजोरी आती है, तो अमेरिकी फंडों में निवेश करने वालों को लाभ होगा. इसका उलटा भी हो सकता है.

प्रश्न: इंटरनेशनल फंडों पर टैक्स के नियम क्या हैं?
उत्तर: इंटरनेशनल फंडों पर टैक्स के नियम डेट म्यूचुअल फंड्स की तरह हैं. तीन साल की अवधि तक बनाए रखने पर निवेशकों को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होता है. यह कर कमाए गए मुनाफे पर अपने टैक्स स्लैब के आधार पर दिया जाता है.

तीन साल से अधिक की अवधि तक बनाए रखने पर निवेशकों को कमाए गए मुनाफे पर 20 फीसदी का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश है. इस पर इंडेक्सेशन का लाभ भी दिया जाता है.

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अंतरराष्ट्रीय बाजार में निवेश का झांसा देकर 4.50 लाख ठगे

Ghaziabad Bureau

गाजियाबाद ब्यूरो
Updated Sun, 30 Oct 2022 01:36 AM IST

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अंतरराष्ट्रीय बाजार में निवेश का झांसा देकर 4.50 लाख ठगे
इंदिरापुरम। अंतरर्राष्ट्रीय बाजार में निवेश पर 40 प्रतिशत मुनाफे का झांसा देकर इंदिरापुरम निवासी राकेश कुमार से 4.50 लाख की ठगी का मामला सामने आया है।
राकेश कुमार ने बताया कि वह म्यूचल फंड के डिस्ट्रीब्यूटर हैं। उन्होंने बेंगलूरू स्थित गल्फ ऑटो ट्रेडिंग व एफएक्स ट्रेडिंग नाम के दो सॉफ्टवेयर की मदद से अंतरर्राष्ट्रीय बाजार में 4.50 लाख रुपये का निवेश किया था। पहले माह में उन्हें 30 से 40 प्रतिशत के मुनाफे का झांसा दिया गया। कंपनी के पदाधिकारी ने निवेश में नुकसान होने पर पूरी रकम लौटाने का आश्वासन दिया। इस बीच उन्हें सॉफ्टवेयर से निवेश अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश में लगातार लाभ का डाटा दिखाया गया जिसको देखने के बाद उन्होंने रुपये निवेश कर दिए। आरोप है कि एक सप्ताह में ही निवेश के सभी पैसे डूब गए। इसके बाद पदाधिकारी ने अपना पल्ला झाड़ते हुए रकम लौटाने से इनकार कर दिया। कंपनी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भी इस बारे में कोई बात नहीं की। इंदिरापुरम थाना प्रभारी देवपाल सिंह पुंडीर का कहना है कि मामले की रिपोर्ट दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।


इंदिरापुरम। अंतरर्राष्ट्रीय बाजार में निवेश पर 40 प्रतिशत मुनाफे का झांसा देकर इंदिरापुरम निवासी राकेश कुमार से 4.50 लाख की ठगी का मामला सामने आया है।
राकेश कुमार ने बताया कि वह म्यूचल फंड के डिस्ट्रीब्यूटर हैं। उन्होंने बेंगलूरू स्थित गल्फ ऑटो ट्रेडिंग व एफएक्स ट्रेडिंग नाम के दो सॉफ्टवेयर की मदद से अंतरर्राष्ट्रीय बाजार में 4.50 लाख रुपये का निवेश किया था। पहले माह में उन्हें 30 से 40 प्रतिशत के मुनाफे का झांसा दिया गया। कंपनी के पदाधिकारी ने निवेश में नुकसान होने पर पूरी रकम लौटाने का आश्वासन दिया। इस बीच उन्हें सॉफ्टवेयर से निवेश में लगातार लाभ का डाटा दिखाया गया जिसको देखने के बाद उन्होंने रुपये निवेश कर दिए। आरोप है कि एक सप्ताह में ही निवेश के सभी पैसे डूब गए। इसके बाद पदाधिकारी ने अपना पल्ला झाड़ते हुए रकम लौटाने से इनकार कर दिया। कंपनी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भी इस बारे में कोई बात नहीं की। इंदिरापुरम थाना प्रभारी देवपाल सिंह पुंडीर का कहना है कि मामले की रिपोर्ट दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।

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