आरओआई क्या है?

रियायतें, परमिट या प्राधिकरण द्वारा दिए गए विवरण
सूचना का अधिकार
सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाने, सरकार के कार्य में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना और वास्तविक अर्थों में हमारे लोकतंत्र को लोगों के लिए कामयाब बनाना है। यह स्पष्ट हें कि एक जानकार नागरिक प्रशासन के साधनों पर आवश्यक सतर्कता बनाए रखने के लिए बेहतर सक्षम है और सरकार को अधिक जवाबदेह बनाता है। यह कानून नागरिकों को सरकार की गतिविधियों के बारे में जानकारी देने के लिए एक बड़ा कदम है।
एनआईसी ने सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में अक्टूबर 2005 में अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार नागरिकों को जानकारी पहुंचाने एवं सक्रिय खुलासों को प्रकाशित करने के लिए जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) और अपीलीय प्राधिकारी (एए) नामित किया है।
धारा 4 (1) (बी) के तहत दस्तावेज: - एनआईसी (मुख्यालय)
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इसके संगठन, कार्य और कर्तव्यों का विवरण
RTI Full Form in Hindi
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RTI की फुल फॉर्म “Right to Information” होती है. और RTI फुल फॉर्म को हिंदी में “सूचना का अधिकार” कहते है. यह भारत की संसद का एक अधिनियम(Act) है, जो नागरिकों के लिए सूचना के अधिकार के usual शासन को स्थापित करने के लिए Indian parliament द्वारा 15 जून 2005 को पारित किया गया था और 12 अक्टूबर 2005 को प्रभावी रूप से लागू हुआ।
RTI से क्या लाभ है ?
अगर बात करे RTI के लाभ की तो जब ये लागू हुआ उस वक़्त से लोगों को इससे काफी लाभ हुआ है, आपकी जानकारी के लिए बताना चाहेंगे की इससे आम जनता के हितों की बहुत रक्षा हुई है. दोस्तों यहाँ पर हम RTI से होने वाले कुछ विशेष फायदे के बारे में बताया है जो निम्न है −
RTI का उपयोग करके कोई भी व्यक्ति Corruption की शिकायत कर सकता है।
RTI का उपयोग करके कोई भी व्यक्ति नागरिको की मूलभूत जरूरतें जैसे सड़क, बिजली, और पानी के लिए आने वाले बजट के उपयोग से सम्बंधित जानकारी आसानी के साथ प्राप्त कर सकता हैं और संगठन से पूरा Report ले सकते हैं, की किस काम के लिए कितना Budget पास हुआ और उसमे से कितना उपयोग में लाया गया है बीच में किसी तरह का भ्रष्टाचार तो नहीं किया गया, ये सब जानकारी आप RTI के तहत प्राप्त कर सकते है।
RTI के उपयोग से आप सरकारी संसथान से किसी भी तरह के तथ्य की जानकारी मांग सकते हैं. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दे इस कानून का उपयोग आप किसी भी Government institute की राय जानने के लिए नहीं कर सकते हैं।
RTI कैसे आवेदन करें?
RTI Act की धरा 6 के अनुसार कोई भी नागरिक इसके लिए आवेदन कर सकता है, अगर आप RTI एप्लीकेशन डालना चाहते है तो इसके लिए आपको उस विधाग के public information officer के नाम से एक साधारण सी application लिखनी पड़ेगी है, और इस application के जरिए आप अपने सवाल पूछ सकते है, आपको पता ही होगा इसके लिए सरकार ने कोई भी फॉर्म नही बनाया है, आप जैसे किसी को application लिखते हो वैसे ही एस साधारण सी एप्लीकेशन लिख कर सवाल जवाब कर सकते हो. दोस्तों RTI एप्लीकेशन आप किसी भी भारतीय भाषा जैसे हिंदी, इंग्लिश, उर्दू, पंजाबी या किसी भी स्थानीय भाषा में दे सकते हैं, आप आपने Application letter की Photo कॉपी करवा ले और जन सुचना अधिकारी से इसकी Receiving जरुर ले ले।
दोस्तों अगर कोई Officer आपको सूचना देने से मना करता है या किसी आरओआई क्या है? भी तरह के तथ्य को छुपाने की कोशिश करता है तो उसके लिए आप अपील कर सकते है, आपकी जानकारी के लिए बता दे ऐसा करने पर सम्न्धित Officer पर प्रतिदिन के अनुसार 250 रूपये के अनुसार 25000 रूपये तक जुरमाना लगाया जा सकता है।
RTI: आपसे नहीं पूछा जा सकता सूचना मांगने का कारण, पहचान बताना भी जरूरी नहीं, आवेदन करने से पहले जान लें ये जरूरी बातें
TV9 Bharatvarsh | Edited By: निलेश कुमार
Updated on: Aug 11, 2021 | 3:27 PM
Right to Information: आरटीआई यानी राइट टू इन्फॉर्मेशन यानी सूचना का अधिकार. लोकतंत्र को मजबूत करने, शासन में पारदर्शिता लाने, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने समेत कई अहम उद्देश्यों के लिए संसद ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 लागू किया. इसके बारे में अमूमन लोग यही मानते आए हैं कि किसी भी विषय में सरकार या सरकार से संबद्ध मंत्रालय, विभागों या अन्य सरकारी मशीनरीज से सूचना मांगे जाने के लिए एक निर्धारित फॉरमैट में आवेदन करना पड़ता है. लेकिन ऐसा करना आवश्यक नहीं है. आप सादे कागज पर आवेदन लिखकर भी सूचना मांग सकते हैं.
पहचान गुप्त रखकर और बिना कारण बताए मांग सकते हैं सूचना
आयोग ने कहा कि आरटीआई अधिनियम, 2005 केंद्रीय कानून है और इसकी धारा 6 (2) आवेदक को अपनी पहचान छुपाने और बिना कोई कारण बताए जानकारी मांगने की अनुमति देती है. आयोग ने कहा, “कोई भी प्राधिकरण किसी आरटीआई आवेदक को किसी विशेष प्रारूप में आरटीआई आवेदन दाखिल करने और सूचना मांगने के लिए कारण का खुलासा करने और अपनी पहचान बताने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है. आरटीआई आवेदक को केवल उतनी ही जानकारी साझा करनी होगी, जो उसके पते पर अपेक्षित जानकारी की आपूर्ति करने के लिए पर्याप्त हो.”
आयोग ने कानून के प्रावधान का हवाला देते हुए कहा, “सूचना के लिए आग्रह करने वाले आवेदक के लिए जरूरी नहीं है कि वह सूचना मांगने का कोई कारण बताए या कोई अन्य व्यक्तिगत विवरण दे, उसे सिर्फ वह जानकारी देनी है जो उससे संपर्क करने के लिए जरूरी हो.”
आयोग ने कहा कि हरियाणा सरकार ने 2021 में अधिसूचित नियमों में आज तक कहीं भी यह अनिवार्य नहीं किया है कि आरटीआई के तहत जानकारी के लिए ‘व्यक्ति को फॉर्म ‘ए’ प्रोफार्मा का उपयोग करना होगा और अपना पहचान पत्र जमा करना होगा और अन्य विवरण देना होगा जैसा और फॉर्म ए में उल्लिखित है.”
वकील की शिकायत पर आयोग ने किया स्पष्ट
जगाधरी के एक वकील ने मई में हरियाणा राज्य सूचना आयोग के समक्ष एक शिकायत दर्ज कराई थी. इसमें कहा गया था कि एक जन सूचना अधिकारी ने दो अलग-अलग आधारों पर सूचना देने से इनकार कर दिया. अधिकारी का कहना था कि अपीलकर्ता को मॉडल फॉर्म ‘ए’ में नए सिरे से जानकारी मांगनी होगी और अपना आधार कार्ड, पासपोर्ट, मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड, या सरकार द्वारा जारी कोई पहचान पत्र जमा कराना होगा, जैसा हरियाणा सूचना का अधिकार (संशोधन) नियम, 2021 में दिए गए मॉडल फॉर्म ‘ए’ में बताया गया है.
आयोग ने शिकायतकर्ता की शिकायत को अपील में बदलने के आग्रह को स्वीकार करते हुए कहा, “यह पूरी तरह से आरटीआई आवेदक की इच्छा पर है कि वह फॉर्म ए का उपयोग आरओआई क्या है? करता है या नहीं और पहचान पत्र देता है या नहीं.”
आरटीआई अधिनियम - 2005
10. 1 सूचना का अधिकार अधिनियम , 2005 (आरटीआई) को भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिनांक 15.06.2005 आरओआई क्या है? को अनुमति दी गई थी और दिनांक 21.06.2005 को इसे अधिसूचित किया गया था। अधिनियम की कुछ धाराएं अर्थात धारा 4(10), 5(1) और (2), 12, 13, 15, 16, 24, 27 और 28 जो रिकार्ड/सूचना के रख-रखाव और कम्प्यूटरीकरण के लिए लोक प्राधिकारियों के दायित्वों , लोक सूचना अधिकारी नामोद्दिष्ट करना , केन्द्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोग के गठन , कुछ संगठनों को इसमें शामिल न करने आदि से संबंधित है , तत्काल प्रभाव से आरओआई क्या है? लागू हो गईं। सूचना का अधिकार अधिनियम के शेष प्रावधान इसके अधिनियमन के 120वें दिन अर्थात 12 अक्तूबर , 2005 से लागू हुए।
10.2 आरटीआई अधिनियम के अनुपालन में इस विभाग ने सीपीआईओ व अपीलीय प्राधिकारी नामोद्दिष्ट किए हैं। विभाग के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन सार्वजनिक क्षेत्र के संबंधित उपक्रमों को आरटीआई अधिनियम का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निदेश दिए गए हैं। अधिनियम के अनुपालन में विभाग द्वारा उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण कदम निम्नलिखित हैं:-
गुजरात सूचना आयोग ने 10 व्यक्तियों को किया ब्लैक लिस्ट, आरटीआई डालने पर लगाया 'अजीवन प्रतिबंध',जानिए क्या है मामला?
गुजरात सूचना आयोग ने एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए अधिकारियों को बार-बार आरटीआई (सूचना का अधिकार) दर्ज कर ‘परेशान’ करने के आरोप में नौ लोगों को ब्लैक आरओआई क्या है? लिस्ट में डाल दिया है, और आदेश दिया है कि उनके आवेदनों का आगे से जवाब नहीं दिया जाना चाहिए।
पिछले दो वर्षों में सूचना आयुक्तों के आदेशों का विश्लेषण करने वाले एक एनजीओ ने दावा किया कि गुजरात में यह पहली बार है जब लोगों को "जानकारी मांगने से जीवन भर के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है"। आयोग ने कहा कि ये नौ व्यक्ति "आरटीआई अधिनियम का बार-बार उपयोग कर रहे थे", "आरटीआई आवेदन दाखिल करके अधिकारियों को परेशान कर रहे थे", "दुर्भावनापूर्ण इरादों" के साथ प्रश्न दर्ज कर रहे थे।