शुरुआती लोगों के लिए निवेश के तरीके

ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है?

ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है?
यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है.

ऑप्शन ट्रेडिंग

डेरिवेटिव ट्रेडिंग की मूल धारणा, खासकर ऑप्शंस की जानकारी। ऑप्शंस ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? के भाव तय करने के प्रचलित मॉडल और ऑप्शन ट्रेडिंग में सफलता की रणनीतियां जो विशेष रूप से निफ्टी ऑप्शंस पर आजमाकर देखी गई हैं। यहां के लगभग 30 लेखों से ऑप्शंस ट्रेडिंग को समझा जा सकता है।

अच्छा लाभ मिला निफ्टी ऑप्शंस में

जून महीने के डेरिवेटिव सौदों में निफ्टी ऑप्शन का शुक्रवार से गुरुवार तक का पहला चक्र कल पूरा हो गया। इस दौरान निफ्टी 4.68% बढ़ा है। 29 मई को निफ्टी 9580.30 पर बंद हुआ था, जबकि कल 4 जून को उसका बंद स्तर 10,029.10 का रहा है। आइए, देखते हैं कि हमने शुक्रवार के भावों के आधार पर निफ्टी ऑप्शंस में ट्रेडिंग के जो चार तरीके अपनाए थे, उनका अंततः क्या हश्र हुआ है। बटरफ्लाई स्प्रेड: बटरफ्लाईऔर और भी

जुगत प्रीमियम कमाने या मुनाफे की

ऑप्शन राइटर बाज़ार के बेहद मंजे हुए खिलाड़ी होते हैं। वे ऐसे ही स्ट्राइक मूल्य के ऑप्शन बेचने की जुगत में लगे रहते हैं जिनमें उनको मिला हुआ प्रीमियम हाथ से निकल जाने की गुंजाइश ही न रहे। वे बहुत ज्यादा लालच नहीं करते, लेकिन ज्यादा से ज्यादा ऑप्शन बेचकर अपनी प्रीमियम आय बढ़ाने में लगे रहते हैं। दूसरी तरफ ऑप्शन खरीदनेवाले हैं, जिनमें से अधिकांश रिटेल ट्रेडर हैं और ज्यादा लालच में फंसकर अपना प्रीमियम गंवातेऔर और भी

चंचलता का सूचकांक है बड़े काम का

हमने ऑप्शन के भावों को समझने के दौरान पाया कि इसे निर्धारित करने में वोलैटिलिटी, विशेष रूप से इम्प्लायड वोलैटिलिटी बहुत अहम भूमिका निभाती है। इसी तरह की वोलैटिलिटी को एनएसई का एक सूचकांक हर दिन पेश करता है। वो है India VIX जो निवेशकों में छाई धारणा को दिखाता है कि एक्सपायरी तक निफ्टी कितना ऊपर या नीचे हो सकता है। यह असल में ऑप्शंस के प्रीमियम की इम्प्लायड वोलैटिलिटी की माप है। साथ ही इससेऔर और भी

सीख-समझ लें ऑप्शंस ट्रेडिंग यहां से

हमने ऑप्शन ट्रेडिंग की इस अध्ययन श्रृंखला में शुरू में जाना कि आईटीएम, एटीएम व ओटीएम ऑप्शन का क्या मतलब है, कॉल व पुट ऑप्शन क्या होते हैं, उन्हें खरीदने और बेचने में लाभ का फॉर्मूला क्या है, ऑप्शन राइटर या बेचने वाला ही ज्यादातर क्यों कमाता है, उसे कितना बड़ा मार्जिन देना पड़ता है, आज के ऑप्शन राइटर और कल के बदला फाइनेंसर में क्या समानता है, आदि-इत्यादि। सब कुछ उदाहरण के साथ समझते गए। फिरऔर और भी

उन्हीं रणनीतियों की एक और परीक्षा

ट्रेडिंग बुद्ध में स्टॉक्स ट्रेडिंग का सिलसिला 8 जून को अनलॉक-1 के पहले दिन के साथ दोबारा शुरू हो जाएगा। इस बीच आज से शुक्रवार, 5 जून तक हम ऑप्शन ट्रेडिंग को सीखने, समझने और आजमाने का क्रम जारी रखेंगे। एक बार हम फिर उन्हीं तीन रणनीतियों को बाजार में अपनाते हैं जिनसे हमने पहली बार में ही हफ्ते भर में 77.91 प्रतिशत का सांकेतिक रिटर्न कमाया था। साथ ही एक नया सौदा भी करेंगे। बटरफ्लाई स्प्रेड:और और भी

तीनों की तीनों ही रणनीतियां सफल!

मई के डेरिवेटिव सौदों की एक्सपायरी कल महीने के अंतिम गुरुवार को पूरी हो गई। नतीजा आ चुका है यह देखने का कि हफ्ते भर पहले 21 मई को निफ्टी ऑप्शन में ट्रेडिंग की जो तीन रणनीतियां हमने अपनाई थीं, वे कितनी कामयाब रहीं, उन्होंने कितना कमाया या गंवाया है और उनका रिटर्न कितना रहा है? इसी के आधार पर हम समझ पाएंगे कि इन्हें अपनाने में क्या-क्या दूसरी सावधानियां बरती जानी चाहिए थीं। 21 मई 2020और और भी

जान तो लिया, अब देखें आजमा कर

कोई भी ज्ञान या विद्या तभी तक सार्थक है, जब तक वह व्यवहार की सेवा कर सके। हमने अब तक की 26 कड़ियों में डेरिवेटिव ट्रेडिंग, खासकर ऑप्शन ट्रेडिंग को जानने-समझने की जो कोशिश की, अब उसे व्यवहार के धरातल पर कसने का वक्त आ गया है। अगर वह किसी हद तक रिटेल ट्रेडर के लिए कम से कम रिस्क में ठीकठाक मुनाफा कमाने का माध्यम बन सके, तभी उसे अपनाया जाना चाहिए। ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? अन्यथा, उसे शेयर बाज़ारऔर और भी

डेरिवेटिव्स में भी चले डिमांड-सप्लाई

डेरिवेटिव ट्रेडर बहुत उस्ताद किस्म के प्राणी होते हैं। वे सबसे कम समय में कम से कम रिस्क उठाते हुए ज्यादा से ज्यादा संभव रिटर्न कमाने की जुगत में लगे रहते हैं। वे इसका हवाई ख्वाब नहीं देखते, बल्कि ठोस, समझदार, दमदार कोशिश करते हैं। हालांकि बाज़ार में ज़ीरो रिस्क जैसी कोई चीज़ नहीं होती। और, ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? रिस्क ऐसी तितली नहीं जिसे आप मुठ्ठी में बंदकर रख लें। यहां रिस्क कभी भी बैलून की तरह विस्फोटक हद तकऔर और भी

जितना उतार-चढ़ाव, उतना ही फायदा

कल हमने ऑप्शन ट्रेडिंग रणनीति के अंतर्गत कवर्ड कॉल, प्रोटेक्टिव पुट, बुल स्प्रेड और बियर स्प्रेड की चर्चा की। आज हम बटरफ्लाई स्प्रेड, स्ट्रैडल और स्ट्रैंगल रणनीति को समझने की कोशिश करेंगे। ये तीनों ही डेल्टा न्यूट्रल रणनीतियां हैं। इनमें हम स्टॉक की तेजी या मंदी को नहीं, बल्कि उसकी वोलैटिलिटी को आधार बना कर ट्रेडिंग रणनीति तैयार करते हैं। हम जान चुके हैं कि वोलैटिलिटी ज्यादा हो तो ऑप्शन के भाव चढ़ जाते हैं और तबऔर और भी

रणनीति कम लागत, सीमित लाभ की

जिस तरह शेयरों के निवेश में पोर्टफोलियो बनाकर रखना होता है ताकि एक का नुकसान दूसरे के फायदे से बराबर होता रहे और हम अपना नुकसान कम से कम रखते हुए ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकें, उसी तरह ऑप्शन ट्रेडिंग में भी न्यूनतम नुकसान और अधिकतम मुनाफे की रणनीति बनानी पड़ती है। हम पहले ही देख चुके हैं कि ऑप्शन का भाव बाज़ार में वाजिब है या गलत, इसे परखने का कोई पक्का फॉर्मूला या लिटमसऔर और भी

निवेश – तथास्तु

अपना शेयर बाज़ार 11 महीने में ही फिर नए ऐतिहासिक शिखर पर पहुंच गया। सेंसेक्स 17 जून से 25 नवंबर 2022 तक के करीब पांच महीनों में नीचे से ऊपर तक 22.64% और निफ्टी 22.07% बढ़ा है। इस दौरान अगर किसी ने निफ्टी ईटीएफ में निवेश किया होता तो यकीकन उसे इसके आसपास रिटर्न मिल गया होता। लेकिन क्या आपके पोर्टफोलियो में शामिल शेयर भी इस दौरान इतने बढ़े हैं? यह आदर्श स्थिति दुनिया का कोई भी […]

पेड सेवा

क्या आप जानते हैं?

जर्मन मूल की ग्लोबल ई-पेमेंट कंपनी वायरकार्ड ने बैंकिंग और इसके नजदीकी धंधों में अपने हाथ-पैर पूरी दुनिया में फैला रखे थे। फिर भी उसका कद ऐसा नहीं है कि इसी 25 जून को उसके दिवाला बोल देने से दुनिया के वित्तीय ढांचे पर 2008 जैसा खतरा मंडराने लगे। अलबत्ता, जिस तरह इस मामले में …

अपनों से अपनी बात

भारतीय अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और आगे भी बढ़ेगी। लेकिन कहा जा रहा है कि इसका लाभ आम आदमी को पूरा नहीं मिलता। अमीर-गरीब की खाईं बढ़ रही है। बाज़ार को आंख मूंदकर गालियां दी जा रही हैं। लेकिन बाज़ार सचेत लोगों के लिए आय और दौलत के सृजन ही नहीं, वितरण का काम भी …

5 मिनट में जानिये कमोडिटी मार्केट में कैसे करें ऑप्शन ट्रेडिंग

ऑप्शन ट्रेडिंग है क्या? क्या हैं इसके फायदें? कौन कर सकता है ऑप्शन ट्रेडिंग? क्या हैं इसकी जरूरी शर्तें? इन सवालों के सभी जबाव 5 मिनट में .

5 मिनट में जानिये कमोडिटी मार्केट में कैसे करें ऑप्शन ट्रेडिंग

इसे ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? एक उदाहरण से समझा जा सकता है. वायदा कारोबार में आप 30 हजार के भाव पर गोल्ड की एक लॉट खरीदते हैं. लेकिन सोने का भाव 1000 रुपये टूट जाता है और 29 हजार तक आ जाता है तो एक लॉट पर आपको एक लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं, ऑप्शन ट्रेडिंग में अगर आपने कॉल ऑप्शन खरीदा है तो 50 रुपये प्रति दस ग्राम प्रीमियम चुकाकर यह नुकसान घटकर सिर्फ 5000 रुपये रह जाता है.

फ्यूचर ट्रेडिंग से कैसे अलग है ऑप्शन ट्रेडिंग
फ्यूचर बाज़ार में हेजिंग का टूल नहीं है यानी इसमें सौदे को ओपन (खुला) छोड़ते हैं या फिर स्टॉपलॉस लगाते हैं . अगर स्टॉपलॉस लगाने पर उस स्तर पर सौदा खुद ही कट जाता है लेकिन नुकसान जरूर होता है. स्टॉपलॉस न लगाया तो नुकसान ज्यादा होता है. जबकि पुट ऑप्शन में खरीदे हुए सौदे को हेज कर सकते हैं. इसी तरह बिके हुए सौदे को कॉल ऑप्शन के जरिये नुकसान की सीमा को बांध सकते हैं.

क्या है कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन
कॉल ऑप्शन तब इस्तेमाल होता है जब आपको लगता है कि किसी कमोडिटी में आप तेजी पर दांव लगाते हैं. काल ऑप्शन में आपको प्रीमियम भरना होता वहीं आपका अधिकतम नुकसान होता है. दूसरी ओर पुट ऑप्शन का इस्तेमाल तब होता है जब आपको लगता है कि बाज़ार में आगे मंदी के आसार है.

कमोडिटी फ्यूचर्स मार्केट में ऑप्शंस कैसे चलेगा?
एंजेल कमोडिटी के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता का कहना है कि जो ऑप्शंस एक्सपायरी पर आउट ऑफ द मनी रह जाएंगे वे लॉस में कटेंगे. जिन ऑप्शन होल्डर्स के ऑप्शंस इन द मनी रहेंगे उनको अपनी पोजिशन प्रॉफिट में काटने या फिर उनको फ्यूचर्स पोजिशन में कनवर्ट करने की सहूलियत होगी.

सेबी ने यूरोपियन स्टाइल के ऑप्शंस लॉन्च को मंजूरी दी है
इक्विटी मार्केट के उलट कमोडिटी मार्केट में ऑप्शंस एक्सपायरी पर फ्यूचर्स प्राइस पर सेटल होंगे और ऑप्शन होल्डर को अपनी पोजिशन फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स में कनवर्ट करने का ऑप्शन होगा. इक्विटी मार्केट में एक्सपायरी पर ऑप्शन का सेटलमेंट स्टॉक या इंडेक्स के कैश यानी स्पॉट मार्केट रेट पर होता है. इक्विटी मार्केट में सेबी कैश मार्केट को रेगुलेट करता है जबकि एग्री कमोडिटी में सेबी कैश नहीं सिर्फ फ्यूचर्स को रेगुलेट करता है. यहां का कैश वाला कमोडिटी मार्केट राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है.

ट्रेडिंग अकाउंट होना है जरूरी
कमोडिटी मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने के लिए सबसे पहले आपके पास ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है. अगर आपका पहले से फ्यूचर बाजार में खाता है तो अपने ब्रोकर को ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सहमति पत्र देना होगा. इस अकाउंट के जरिये ही आप कमोडिटी एक्सचेंज में फ्यूचर या ऑप्शन में किसी सौदे की ख़रीद या बिक्री कर सकते हैं. अगर आप नया खाता खुलवा रहे हैं तो फ्यूचर की तरह ऑप्शन में कारोबार के लिए अलग से फार्म भरना पड़ेगा.

यह ट्रेडिंग खुलवाते समय जिस ब्रोकर के यहां ट्रेडिंग अकाउंट खोल रहे है वह मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) और नेशनल डेरेवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईक्स) का सदस्य जरूर हो. साथ ही बाज़ार में इस ब्रोकर की ठीक-ठीक पहचान हो. इसके लिए आप इन दोनों एक्सचेंज की बेवसाइट पर जाकर इन ब्रोकर्स के बारे जानकारी जुटा सकते हैं.

ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए ये हैं जरूरी कागजात
ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए आपके पास पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ और बैंक खाता होना जरूरी है. जब आप किसी ब्रोकर के यहां ट्रेडिंग अकाउंट ओपन कराते हैं तो यह ब्रोकर आपको एक अकउंट की आईडी मुहैया कराता. इस आईडी के जरिये आप खुद भी ट्रेड कर सकते हैं. इसके लिए आपके मोबाइल, पीसी, टेबलेट में इंटरनेट की सुविधा होनी जरूरी है. इस अकाउंट के जरिये ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? ब्रोकर को निश्चित शुल्क चुकाना होता है. अगर आप खुद से सौदे नहीं करना चाहते तो आप अपने ब्रोकर को फोन के जरिये सौदे की खरीद या बिक्री कर सकते हैं.

ऑप्शन ट्रेडिंग ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? के 5 बड़े फायदे

1-वायदा के मुकाबले कम रिस्क, रिटर्न ज्यादा

2- प्रीमियम पर टैक्स लगेगा इसलिए वायदा के मुकाबले टैक्स कम

3-हेजिंग का टूल होने से निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी

4-कमोडिटी में छोटे निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी, कमोडिटी बाज़ार को बूस्टर मिलेगा

इंडेक्स ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है और यह कैसे काम करता है?

इंडिकेटर अगर काम करता है तो क्यों 95% लोग ट्रेडिंग में नुकसान करते है ? - By Trading Chanakya (नवंबर 2022)

इंडेक्स ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है और यह कैसे काम करता है?

सूचकांक विकल्प स्टॉक इंडेक्स जैसे एस एंड पी 500 या डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल औसत पर आधारित वित्तीय डेरिवेटिव हैं। सूचकांक विकल्प निवेशक को निर्धारित समय अवधि के लिए अंतर्निहित शेयर सूचकांक को खरीदने या बेचने का अधिकार देते हैं। चूंकि सूचकांक ऑप्शन सूचकांक में स्टॉक की एक बड़ी टोकरी पर आधारित होता है, इसलिए निवेशक आसानी से उनके पोर्टफोलियो को व्यापार करके विविधता प्राप्त कर सकते हैं। इंडेक्स ऑप्शंस का इस्तेमाल करते समय नकद निपटारा किया जाता है, जो एक स्टॉक पर विकल्प के विपरीत होता है, जहां का प्रयोग करते समय अंतर्निहित स्टॉक को स्थानांतरित किया जाता है।

इंडेक्स ऑप्शन्स को अपने व्यायाम के लिए अमेरिकी की बजाय यूरोपीय स्टाइल के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यूरोपीय स्टाइल विकल्पों का समापन पर उपयोग किया जा सकता है, जबकि अमेरिकी विकल्पों का समापन होने तक किसी भी समय उपयोग किया जा सकता है। इंडेक्स ऑप्शंस लचीला डेरिवेटिव हैं और इसका इस्तेमाल विभिन्न शेयरों वाले शेयर पोर्टफोलियो को हेजिंग के लिए या सूचकांक की भविष्य की दिशा में अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है।

निवेशक सूचकांक विकल्पों के साथ कई रणनीतियों का उपयोग कर सकते हैं सबसे आसान रणनीतियां कॉल खरीदने या सूचकांक को शामिल ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? करना शामिल हैं। सूचकांक के स्तर पर एक शर्त बनाने के लिए, एक निवेशक एक कॉल विकल्प सीधे खरीदता है। सूचकांक पर विपरीत शर्त को कम करने के लिए, एक निवेशक पुट विकल्प खरीदता है संबंधित रणनीतियों में बैल कॉल स्प्रेड फैलता है और स्प्रेड फैलता है। बैल कॉल फैल में कम हड़ताल मूल्य पर एक कॉल विकल्प खरीदने, और फिर एक उच्च मूल्य पर कॉल ऑप्शन की बिक्री शामिल है। भालू को फैलाया सटीक विपरीत है। पैसे से बाहर एक विकल्प बेचकर, निवेशक स्थिति के लिए विकल्प प्रीमियम पर कम खर्च करता है। ये रणनीतियों निवेशकों को एक सीमित लाभ का एहसास करने की अनुमति देते हैं यदि सूचकांक ऊपर या नीचे जाता है लेकिन बेचा विकल्प के कारण कम पूंजी का जोखिम।

निवेशक बीमा के एक रूप के रूप में अपने पोर्टफोलियो को हेज करने के लिए विकल्प डाल सकते हैं अलग-अलग शेयरों का एक पोर्टफोलियो स्टॉक एक्सचेंज से काफी सहसंबंध रखता है, जिसका मतलब यह है कि शेयर की कीमतों में गिरावट आई है, तो बड़े सूचकांक में गिरावट आई है। प्रत्येक व्यक्तिगत स्टॉक के लिए पट ऑप्शन खरीदने के बजाय, जो महत्वपूर्ण लेनदेन लागतों और प्रीमियम की आवश्यकता होती है, निवेशक स्टॉक इंडेक्स पर पॉट ऑप्शंस खरीद सकते हैं। यह पोर्टफोलियो नुकसान को सीमित कर सकता है, क्योंकि शेयर विकल्प स्थिति लाभ मूल्य यदि शेयर सूचकांक में गिरावट आती है। निवेशक अभी भी पोर्टफोलियो के लिए ऊपर की ओर मुनाफे की क्षमता को बरकरार रखता है, हालांकि संभावित विकल्पों की वजह से प्रीमियम की कीमत कम हो जाती है और पॉट विकल्प के लिए लागत कम हो जाती है।

इंडेक्स ऑप्शंस के लिए एक और लोकप्रिय रणनीति कवर कॉल को बेच रही है। निवेशक शेयर सूचकांक के लिए अंतर्निहित अनुबंध खरीद सकते हैं, और फिर आय उत्पन्न करने के लिए ठेके के खिलाफ कॉल विकल्प बेच सकते हैं। अंतर्निहित सूचकांक के तटस्थ या मंदी की दृष्टि से एक निवेशक के लिए, कॉल विकल्प बेचकर लाभ का अनुमान लगाया जा सकता है यदि सूचकांक बग़ल में गिर जाता है या नीचे जाता है।यदि सूचकांक जारी रहता है, तो निवेशक को इंडेक्स मालिक होने से लाभ होता है लेकिन बेचा कॉल से खोए गए प्रीमियम पर पैसा खो देता है। यह एक और अधिक उन्नत रणनीति है, क्योंकि निवेशक को बेचा विकल्प और अंतर्निहित अनुबंध के बीच की स्थिति डेल्टा को समझने की जरूरत है ताकि पूरी तरह से जोखिम की मात्रा का पता लगाया जा सके।

कैसे आकृति का काम करता है काम करता है: जोखिम और पुरस्कार | इन्वेस्टोपैडिया

कैसे आकृति का काम करता है काम करता है: जोखिम और पुरस्कार | इन्वेस्टोपैडिया

स्टार्टअप मोतिफ निवेश एक तरह से निवेशकों को पोर्टफोलियो बनाने, वास्तविक-शब्द रुझानों और एक अनूठे निवेश के अनुभव के लिए अनुकूलन के संयोजन के तरीके में बदलाव कर रहा है।

मेरे पास एक छोटा सा व्यवसाय है (एलएलसी), जो मैं अंशकालिक काम करता हूं। मैं एक कंपनी के लिए भी पूर्ण समय काम करता हूं और मुझे 401 (के) योजना में नामांकित किया गया है। क्या मैं अभी भी अपने अंशकालिक एलएलसी की आय से व्यक्तिगत 401 (के) में योगदान करने के योग्य हूं?

मेरे पास एक छोटा सा व्यवसाय है (एलएलसी), जो मैं अंशकालिक काम करता हूं। मैं एक कंपनी के लिए भी पूर्ण समय काम करता हूं और मुझे 401 (के) योजना में नामांकित किया गया है। क्या मैं अभी भी अपने अंशकालिक एलएलसी की आय से व्यक्तिगत 401 (के) में योगदान करने के योग्य हूं?

जब तक आपके पास कंपनी में कोई स्वामित्व न हो, जिसके लिए आप पूर्णकालिक काम करते हैं और आपके पास कंपनी के साथ एकमात्र संबंध कर्मचारी के रूप में है, तो आप अपने सीमित दायित्व के लिए एक स्वतंत्र 401 (के) कंपनी (एलएलसी) और कंपनी से मिलने वाली आय से योजना को फंड करें।

बोलिंगर बैंड्स ऑप्शन ट्रेडिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले हैं?

बोलिंगर बैंड्स ऑप्शन ट्रेडिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले हैं?

बोलिंजर बैंड का उपयोग अस्थिरता के परिवर्तनों और सही समय पर विकल्पों के विकल्प की पहचान करने के लिए; इन रणनीतियों का उपयोग करते हुए बुल या भालू बाजार में लाभ

Stock Market: स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर कैसे लगता है इनकम टैक्स, जानिए क्या हैं इससे जुड़े नियम

अगर आप स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि इससे होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? कैसे बनती है.

Stock Market: स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर कैसे लगता है इनकम टैक्स, जानिए क्या हैं इससे जुड़े नियम

यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है.

Stock Market: हम सभी जानते हैं कि सैलरी, रेंटल इनकम और बिजनेस से होने वाली कमाई पर हमें टैक्स देना होता है. इसके अलावा, आप शेयरों की बिक्री या खरीद से भी मोटी कमाई कर सकते हैं. ऐसे में यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है. कई गृहिणी और रिटायर्ड लोग स्टॉक मार्केट में निवेश के ज़रिए मुनाफा कमाते हैं लेकिन ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? उन्हें यह नहीं पता होता कि इस मुनाफे पर टैक्स कैसे लगाया जाता है. इक्विटी शेयरों की बिक्री से होने वाली इनकम या लॉस ‘कैपिटल गेन्स’ के तहत कवर होता है.

कैपिटल गेन ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? टैक्स दो तरह के होते हैं- शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म. यह वर्गीकरण शेयरों की होल्डिंग पीरियड के अनुसार किया जाता है. होल्डिंग पीरियड का मतलब है- निवेश की तारीख से बिक्री या ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है? ट्रांसफर की तारीख. आइए जानते हैं कि यह क्या है.

LIC New Endowment Plan: एलआईसी के इस प्लान में रोज बचाएं सिर्फ 71 रुपये, मैच्‍योरिटी पर मिलेंगे 48.75 लाख रुपये

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG)

अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने से 12 महीने के बाद बेचने पर मुनाफा होता है तो इस पर LTCG के तहत टैक्स देना पड़ता है. 2018 के बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को फिर से शुरू किया गया था. इससे पहले इक्विटी शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड ( Equity Mutual funds) की यूनिटों की बिक्री से होने वाले मुनाफे पर टैक्स नहीं लगता था. इनकम टैक्स रूल्स (Income tax Rules) के सेक्शन 10 (38) के तहत इस पर टैक्स से छूट मिली हुई थी.

2018 के बजट में शामिल किए गए प्रावधान में कहा गया कि अगर एक साल के बाद बेचे गए शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिटों की बिक्री पर एक लाख रुपये से ज्यादा का कैपिटेल गेन हुआ है तो इस पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा.

शॉर्ट टर्म कैपिटेल गेन्स टैक्स (STCG)

अगर आप शेयर मार्केट में लिस्टेड किसी शेयर को खरीदने के 12 महीनों के अंदर बेचते हैं, तो इस पर आपको 15 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. भले ही आप इनकम टैक्स देनदारी के 10 फीसदी के स्लैब में आते हों या 20 या 30 फीसदी के स्लैब के तहत, आपने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन किया है तो इस पर 15 फीसदी का ही टैक्स लगेगा.

अगर आपकी टैक्सेबल इनकम ढाई लाख रुपये से कम है तो शेयर बेचने से हासिल लाभ को इससे एडजस्ट किया जाएगा और फिर टैक्स कैलकुलेट होगा. इस पर 15 फीसदी टैक्स के साथ 4 फीसदी सेस लगेगा.

सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (STT)

स्टॉक एक्सचेंज में बेचे और खरीदे जाने वाले शेयरों पर सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स यानी STT लगता है. जब भी शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री होती है, इस पर यह टैक्स देना पड़ता है. शेयरों की बिक्री पर सेलर को 0.025 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. यह टैक्स शेयरों के बिक्री मूल्य पर देना पड़ता है. डिलीवरी बेस्ड शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स की बिक्री पर 0.001 फीसदी की दर से टैक्स लगता है.

इंट्रा-डे, फ्यूचर-ऑप्शन ट्रेडिंग पर टैक्स

अगर आप इंट्रा-डे ट्रेडिंग या फ्यूचर-ऑप्शन के ज़रिए ट्रेडिंग करते हैं तो इस पर होने वाली कमाई पर भी टैक्स देनदारी बनती है. इंट्रा-डे ट्रेडिंग से होने वाली कमाई को स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहते हैं. इसके अलावा, फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई को नॉन-स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहा जाता है. इनसे होने वाली कमाई पर आपको टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है. इसका मतलब है कि स्लैब के अनुसार, 2.5 लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्स नहीं लगेगा. इसके ऊपर की कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा.

रेटिंग: 4.37
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 672
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *