विदेशी मुद्रा तकनीकी संकेतक

केयर रेटिंग्स के मुताबिक मई 2021 में कुल बाजार उधारी 1.1 लाख करोड़ रुपये थी, जो अप्रैल, 2021 की तुलना में 6.545 करोड़ रुपये ज्यादा है।
डॉलर के मुकाबले तेजी से चढ़ा रुपया
कोविड-19 की दूसरी लहर सुस्त पडऩे और इक्विटी बाजार में प्रवाह के साथ अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपया तेजी से मजबूत हो रहा है। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) 10 साल के बॉन्ड प्रतिफल की दरों को नियंत्रित रखने की कवायद कर रहा है और उसने शुक्रवार को एक बार फिर 10 साल के बॉन्ड की नीलामी की।
डॉलर के मुकाबले रुपया 72.45 पर बंद हुआ, जो पहले के 72.60 रुपये प्रति डॉलर की बंदी की तुलना में अधिक है। इंट्रा डे कारोबार में रुपया दो महीने के उच्च स्तर 72.32 डॉलर पर पहुंच गया।
रुपये की मजबूती तुलनात्मक रूप से तेज है। 20 मई को यह 73.11 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। यह भी अनुमान लगाया जा रहा था कि डॉलर के मुकाबले रुपया 75 तक जा सकता है, जिसे देखते हुए आयातक कंपनियां करीब 73 रुपये पर डॉलर एकत्र कर रही थीं।
लेकिन रुपये की मजबूती ने तमाम लोगों को चकित कर दिया है। इलाके में महामारी की लहर कम हो रही है। रुपया इस क्षेत्र की अन्य मुद्राओं के मुताबिक ही चल रहा है और यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत हो रहा है। फिलीपींस का पेसो एशिया में सबसे तेज, डॉलर के मुकाबले 0.4 प्रतिशत मजबूत हुआ है, जबकि रुपया 0.21 प्रतिशत मजबूत हुआ है।
भारत के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए इसके क्या फायदे हैं
TV9 Bharatvarsh | Edited By: शशांक शेखर
Updated on: Dec 06, 2021 | 9:30 PM
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को कहा कि भारत के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है. उन्होंने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि 19 नवंबर, 2021 की स्थिति के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 640.4 अरब डॉलर है.
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 19 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 2.713 अरब डॉलर घटकर 637.687 अरब डॉलर रह गया. रिजर्व बैंक के आंकड़े के अनुसार इससे 19 नवंबर को समाप्त पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 28.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 640.401 अरब डॉलर हो गया था. तीन सितंबर, 2021 को समाप्त सप्ताह में मुद्रा भंडार 642.453 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था.
रुपए को मिलती है मजबूती
रिजर्व बैंक के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी अहम होता है. आरबीआई जब मॉनिटरी पॉलिसी तय करता है तो उसके लिए यह काफी अहम फैक्टर होता है कि उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार कितना है. जब आरबीआई के खजाने में डॉलर भरा होता है तो करेंसी को मजबूती मिलती है.
जैसा कि हम जानते हैं भारत बड़े पैमाने पर आयात करता है. जब भी हम विदेशी से कोई सामान खरीदते हैं तो ट्रांजैक्शन डॉलर में होते हैं. ऐसे में इंपोर्ट को मदद के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का होना जरूरी है. अगर विदेश से आने वाले निवेश में अचानक कभी कमी आती है तो उस समय इसकी महत्ता और ज्यादा बढ़ जाती है.
FDI में तेजी के मिलते हैं संकेत
अगर विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी आ रही है तो इसका मतलब होता है कि देश में बड़े पैमाने पर FDI आ रहा है. अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी निवेश बहुत अहम है. अगर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में पैसा डाल रहे हैं तो दुनिया को यह संकेत जाता है कि इंडियन इकोनॉमी पर उनका भरोसा बढ़ रहा है.
चौधरी ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि पिछले सात वित्तीय वर्षों में पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क के जरिये 16.7 लाख करोड़ रुपए का राजस्व एकत्रित हुआ. उधर, वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि इस साल सितंबर तक देश में एटीएम की कुल संख्या 2.13 लाख से अधिक थी और इनमें से 47 फीसदी ग्रामीण एवं छोटे शहरों में हैं.
पेट्रोल-डीजल का रेट समान बनाए रखने का विचार नहीं
केंद्र सरकार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को एक समान बनाए रखने के लिए कोई योजना उसके पास विचाराधीन नहीं है. राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने यह जानकारी दी. यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार पूरे देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को एक समान बनाए रखने के लिए कोई योजना बना रही है, इसके जवाब में तेली ने कहा, ‘‘ऐसी कोई योजना सरकार के विचाराधीन नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा तकनीकी संकेतक भाड़ा दर, वैट और स्थानीय उगाही आदि जैसे अनेक घटकों के कारण पेट्रोल और डीजल के मूल्य अलग-अलग बाजारों में अलग-अलग होते हैं.
पेट्रोल, डीजल और गैस को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाए जाने संबंधी एक सवाल के जवाब में तेली ने कहा कि CGST अधिनियम की धारा 9(2) के अनुसार पेट्रोलियम उत्पादों को GST में शामिल करने के लिए GST परिषद की सिफारिश अपेक्षित होगी. उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक विदेशी मुद्रा तकनीकी संकेतक GST परिषद ने तेल और गैस को GST में शामिल करने की सिफारिश नहीं की है.’’
FDI में तेजी के मिलते हैं संकेत
अगर विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी आ रही है तो इसका मतलब होता है कि देश में बड़े पैमाने पर FDI आ रहा है. अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी निवेश बहुत अहम है. अगर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में पैसा डाल रहे हैं तो दुनिया को यह संकेत जाता है कि इंडियन इकोनॉमी पर उनका भरोसा बढ़ रहा है.
चौधरी ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि पिछले सात वित्तीय वर्षों में पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क के जरिये 16.7 लाख करोड़ रुपए का राजस्व एकत्रित हुआ. उधर, वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि इस साल सितंबर तक देश में एटीएम की कुल संख्या 2.13 लाख से अधिक थी और इनमें से 47 फीसदी ग्रामीण एवं छोटे शहरों में हैं.
पेट्रोल-डीजल का रेट समान बनाए रखने का विचार नहीं
केंद्र सरकार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को एक समान बनाए रखने के लिए कोई योजना उसके पास विचाराधीन नहीं है. राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने यह जानकारी दी. यह पूछे विदेशी मुद्रा तकनीकी संकेतक जाने पर कि क्या सरकार पूरे देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को एक समान विदेशी मुद्रा तकनीकी संकेतक बनाए रखने के लिए कोई योजना बना रही है, इसके जवाब में तेली ने कहा, विदेशी मुद्रा तकनीकी संकेतक ‘‘ऐसी कोई योजना सरकार के विचाराधीन नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि भाड़ा दर, वैट और स्थानीय उगाही आदि जैसे अनेक घटकों के कारण पेट्रोल और डीजल के मूल्य अलग-अलग बाजारों में अलग-अलग होते हैं.
पेट्रोल, डीजल और गैस को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाए जाने संबंधी एक सवाल के जवाब में तेली ने कहा कि CGST अधिनियम की धारा 9(2) के अनुसार पेट्रोलियम उत्पादों को GST में शामिल करने के लिए GST परिषद की सिफारिश अपेक्षित होगी. उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक GST परिषद ने तेल और गैस को GST में शामिल करने की सिफारिश नहीं की है.’’
Share Market next week: बाजार में उतार-चढ़ाव रहेगा लेकिन निवेशकों के लिए एक अच्छी खबर भी, जानिए क्या
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: November 20, 2022 11:19 IST
Photo:PTI शेयर बाजार
Share Maret next week: भारतीय शेयर बाजार में अगले हफ्ते बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। दरअसल, अगले हफ्ते मंथली एक्सपायरी के चलते बाजार में अस्थिरता की आशंका है। हालांकि, इन सब के बीच निवेशकों के लिए एक अच्छी खबर भी मिलेगी। बाजार में तमाम उठा-पटक के बीच बड़ी गिरावट देखने को नहीं मिलेगी। बाजार ऊपर की ओर ही जाएगा। यानी बाजार में तेजी बनी रहेगी। स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौर ने कहा कि इस बात की काफी संभावना है कि बाजार अभी ऊपर की ओर जाए। हालांकि, व्यापक रूप से बाजार में मुनाफावसूली देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि वैश्विक मोर्चे की बात की जाए तो एफओएमसी की बैठक के ब्योरे से कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। साथ ही संस्थागत निवेशकों का प्रवाह महत्वपूर्ण होगा। पिछले कुछ सत्रों से इसमें कमी आई है।
क्या है एक्सपर्ट्स की राय
- रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के उपाध्यक्ष शोध अजित मिश्रा ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ी घटना नहीं होने की वजह से स्थानीय बाजार की दिशा ग्लोबल ट्रेंड, कच्चे तेल के दाम और मुद्रा के उतार-चढ़ाव से तय होगी.
- इसके अलावा नवंबर माह के डेरिवेटिव एक्सपायरी की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. वैश्विक बाजारों में भी कुछ कमजोरी का रुख देखने को मिला.
- स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौर ने कहा, ‘‘संकेतकों के अभाव में बाजार ने सीमित दायरे में कारोबार किया. डेरिवेटिव एक्सपायरी के बीच अब बाजार को दिशा के लिए संकेतकों का इंतजार रहेगा. इस बात की काफी संभावना है कि बाजार अभी ऊपर की ओर जाए. हालांकि, व्यापक रूप से बाजार में मुनाफावसूली देखने को मिल रही है.’’
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