शेयर मार्केट में ब्रोकर क्या है

स्टॉक ब्रोकर क्या है और शेयर ब्रोकर के प्रकार (Stock Broker in Hindi)
Stock Broker Kya Hai In Hindi: अगर आप शेयर मार्केट के बारे में सीखना चाहते हैं तो इससे जुड़े छोटे – छोटे टर्म के बारे में जानकारी प्राप्त करें, इनके बारे में जानकारी होना आपके वित्तीय बुद्धि को मजबूत बनाती है. शेयर बाजार से जुडी एक ऐसी ही टर्म है जो कि बहुत महत्वपूर्ण है वह है स्टॉक ब्रोकर. जिसके बारे में हम आपको आज के लेख में जानकारी देंगे.
आज के इस लेख में आपको जानने को मिलेगा कि Stock Broker क्या है, स्टॉक ब्रोकर कितने प्रकार के होते हैं, स्टॉक ब्रोकर कैसे काम करता है और स्टॉक ब्रोकर कैसे बनें.
शेयर मार्केट में स्टॉक ब्रोकर का रोल सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है क्योंकि निवेशक सीधे तौर पर शेयर बाजार में निवेश नहीं कर सकता है. ब्रोकर के द्वारा ही निवेशक शेयर बाजार में शेयर को खरीद और बेच सकता है. शेयर खरीदने और बेचने के लिए ब्रोकर कुछ प्रतिशत चार्ज अपने ग्राहकों से करते हैं जिससे उनकी कमाई होती है.
अगर आप स्टॉक ब्रोकर बनना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ें, इसमें हमने आपको स्टॉक ब्रोकर के बारे में बहुत उपयोगी जानकारी प्रदान करवाई है. तो चलिए आपका अधिक समय न लेते हुए शुरू करते हैं इस लेख को और जानते हैं Share Broker क्या है शेयर मार्केट में ब्रोकर क्या है हिंदी में.
Stock Market: शेयर बाजार में सब ब्रोकर बन कर भी आप खूब कर सकते हैं कमाई, यह करना होगा
इन दिनों शेयर बाजार (Stock Exchange) में जबरदस्त तेजी दिख रही है। बीएसई (BSE) का सेंसेक्स (Sensex) फिर से 60,000 के आसपास घूम रहा है। ऐसे में आम लोगों की शेयर बाजार (Share Bazar) में दिलचस्पी बढ़ गई है। आपको बता है कि भारत में जितनी आबादी है, उसके मुकाबले यहां शेयर बाजार में रिटेल पार्टिसिपेशन (Retail Participation) बहुत कम है। हालांकि, बढ़ते डिजिटाइजेशन (Digitization) और जागरूकता के साथ भारत में शेयर बाजारों में रिटेल पार्टिसिपेशन तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन अब भी पूरी क्षमता का दोहन नहीं हो सका है। इससे लोगों को सब-ब्रोकर (Sub-broker) के पेशे को अपनाने के पर्याप्त अवसर मिलेंगे।
Stock Market: शेयर बाजार में सब ब्रोकर बन कर भी आप खूब कर सकते हैं कमाई, यह करना होगा
कितना पढ़ा लिखा होना चाहिए
आपकी न्यूनतम योग्यता 10+2 या हायर सेकंडरी सर्टिफिकेट होनी चाहिए। हालांकि, कुछ ब्रोकर आपको अपने सब-ब्रोकर के रूप में नियुक्त करने से पहले कम से कम स्नातक की डिग्री पसंद कर सकते हैं। साथ ही वित्तीय बाजारों के बारे में आपको ज्ञान होना चाहिए। कई परीक्षाएं हैं जो आप एक अच्छा ब्रोकर बनने के लिए योग्यता साबित करने के लिए दे सकते हैं। कुछ प्रसिद्ध परीक्षाएं हैं, एनसीएफएम ((NSE certification in Financial Markets),), बीसीएसएम (BSE certification on securities markets), एनआईएसएम कोर्सेस, आदि।
क्या क्या दस्तावेज चाहिए
जब आप और आपके ब्रोकर की योग्यता मिल जाती हैं तो आपको कुछ दस्तावेज जुटाना होगा। इनमें पैन कार्ड, आधार कार्ड और एजुकेशन प्रूफ (जैसे कुछ ब्रोकर 10+2 की शैक्षिक योग्यता को अनिवार्य करते हैं) जैसे कुछ आईडी और दस्तावेज देने होंगे। इसके अलावा, आपके निवास और आपके कार्यालय के पते का प्रमाण तस्वीरों के साथ और सीए के रेफरेंस लेटर की आवश्यकता होगी। जांच लें कि क्या इसके अलावा भी कुछ आवश्यक है।
बुद्धिमानी से ब्रोकरेज फर्म चुनें
आपको कभी भी ऐसा कुछ नहीं बेचना चाहिए, जिसे कोई खरीदने को राजी न हो। इस वजह से ब्रोकरेज फर्मों के बारे में गहन रिसर्च करें। निवेशक किसे पसंद कर रहे हैं, जानने की कोशिश करें। आपके ब्रोकर के पास अच्छी ब्रांड इक्विटी और रिकॉल वैल्यू होनी चाहिए। यह नए ग्राहक हासिल करने में मददगार होगा। आम तौर पर, ग्राहक उन फर्मों को प्राथमिकता देते हैं जिनके पास फ्लैट फीस स्ट्रक्चर, वैल्यू-एडेड सर्विसेस होती हैं, और स्पॉट-ऑन सिफारिशों भी देती हैं।
आवश्यकताओं को जांच लें
सब-ब्रोकर बनने की कुछ शर्तें होती हैं जिन्हें आपको पूरा करना होगा। एक सब-ब्रोकर या मास्टर फ्रैंचाइज़ी मालिक के रूप में आपको लगभग 200 वर्ग फुट के ऑफिस स्पेस की आवश्यकता होगी। यह स्पेस आमतौर पर ब्रोकरेज फर्म पर निर्भर करता है, जिसके साथ आप जा रहे हैं। आपको लगभग एक से दो लाख या उससे अधिक रुपए का रिफंडेबल शुल्क भी जमा करना होगा। अंत में अपने ब्रोकर की कमीशन स्ट्रक्चर जांच लें। हालांकि, वर्तमान परिस्थितियों के साथ और वर्क-फ्रॉम-होम विकल्प के साथ, व्यावसायिक स्पेस की आवश्यकता वैकल्पिक हो सकती है।
बुनियादी जानकारी दें
शुरुआत में चुने गए ब्रोकिंग फर्म (Broking Firm) से कॉलबैक का अनुरोध करें। फोन पर ही आपके बारे में, पढ़ाई-लिखाई (Education) के बारे में तथा पहले के कामकाज (Profession) के बारे में जानकारी ली जाएगी। इसके साथ ही कुछ बुनियदी सवाल (Basic Questions) भी पूछे जाएंगे। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि आप और आपका ब्रोकर दोनों एक-सा सोच रहे हैं।
रजिस्ट्रेशन फी और अकाउंट एक्टिवेशन
अंत में, आपको रजिस्ट्रेशन फी जमा करनी होगी। भुगतान करने के बाद आपको अपने खाते का बिजनेस टैग प्राप्त होगा। आपके ब्रोकर के आधार पर, आप और आपके कर्मचारी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, कस्टमर सपोर्ट और मार्केटिंग मैकेनिज्म पर ट्रेनिंग और जानकारी प्राप्त करेंगे। इसके बाद आप अपना काम शुरू कर सकते हैं। जब काम शुरू हो जाएगा तो जाहिर है कि भी कमाई भी शुरू हो जाएगी।
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शेयर मार्केट में ब्रोकर क्या है? ब्रोकरेज चार्जेस की गणना किस प्रकार की जाती है?
शेयर मार्केट में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयर की खरीद बेच होती है जिसके लिए हमारे पास डीमैट अकाउंट तथा ट्रेडिंग अकाउंट का होना आवश्यक है परंतु हमें पता होना चाहिए कि हम सीधे तौर पर शेयर मार्केट (Share Market) में शेयर की खरीद बेच नहीं कर सकते हैं इसके लिए हमें एक माध्यम की आवश्यकता होती है जिसे ब्रोकर (Broker) कहा जाता है। ब्रोकर द्वारा हमें इंटरनेट पर एक ब्रोकिंग प्लेटफार्म प्रदान किया जाता है जिसकी मदद से हम शेयर संबंधित लेन देन कर पाते हैं।
ब्रोकर क्या है? | Broker in Hindi
ब्रोकर(Broker) एक वित्तीय माध्यम बिचौलिया अथवा एजेंट होता है जिसके माध्यम से हम शेयर मार्केट में शेयर को खरीद बेच कर पाते हैं। ब्रोकर हमें विभिन्न वित्तीय साधनों जैसे Stocks Futures तथा derivative की खरीद बेच में मदद करता है।
शेयर मार्केट में मुख्यतः दो प्रकार के ब्रोकर होते हैं
- Full Time ब्रोकर – वे ब्रोकर जो शेयर की खरीद बेच के माध्यम के साथ-साथ अन्य सुविधाओं जैसे मार्केट रिपोर्ट्स शेयर के संबंध में सलाह, शेयर के बारे में रिसर्च आदि उपलब्ध कराते हैं वह Full Time ब्रोकर कहलाते हैं
- Discount ब्रोकर – वे ब्रोकर जो कम ब्रोकिंग चार्जेस के साथ शेयरों की खरीद बेच में मदद करते हैं वे डिस्काउंट ब्रोकर कहलाते हैं ये अन्य कोई सुविधा नहीं प्रदान करते हैं
ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं?
वे शुल्क जो ब्रोकर द्वारा अपनी सुविधाओं के एवज में लिया जाता है उसे ब्रोकिंग चार्जेस कहते हैं सभी ब्रोकरो के चार्ज एक से नहीं होते हैं यह इस पर भी निर्भर करते हैं कि किस प्रकार के ट्रांजैक्शन हमारे द्वारा किए जाते हैं यह शुल्क ब्रोकर द्वारा समय समय पर घटाया या बढ़ाया भी जा सकता है।
भारत में किस प्रकार के ब्रोकर प्लान उपलब्ध हैं?
भारत में ब्रोकर द्वारा बता दो प्रकार के प्लान प्रदान किए जाते हैं
- Monthly Unlimited trading plan इसके अंतर्गत निवेशकों अथवा शेयरधारकों को एक निश्चित मासिक राशि शुल्क के रूप में ब्रोकर(Broker) को प्रदान की जाती है इसके तहत वे एक माह में असीमित stocks तथा securities की खरीद बेच कर सकते हैं।
- Flat per trade brokerage इसके अंतर्गत निवेशकों अथवा शेयरधारकों को प्रति सौदा के हिसाब से ब्रोकर को शुल्क चुकाना पड़ता है।
ट्रेडिंग हेतु ब्रोकरेज चार्ज की गणना किस प्रकार की जाती है?
ब्रोकर(Broker) शुल्क या ब्रोकरेज की गणना शेयर की खरीद बेच पर कुल कीमत के आधार पर एक निश्चित प्रतिशत के रूप में तय की जाती है यह मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है
- Intraday Trading जब किसी व्यक्ति द्वारा शेयर की खरीद तथा बेच एक ही दिन में की जाती है उस स्थिति में व्यक्ति द्वारा किए गए सौदे पर Intraday Trading शुल्क चुकाया जाता है।
जैसे किसी व्यक्ति द्वारा शेयर को खरीद कर उसी दिन ट्रेडिंग सेशन की समाप्ति के पूर्व शेयर को बेच दिया जाता है एसएसबी में ब्रोकर(Broker) शुल्क की गणना इंट्राडे ट्रेडिंग के अंतर्गत की जाती है इस स्थिति के लिए बेचे गाए और खरीदे गाए शेयर की संख्या समान होना आवश्यक है। इस प्रकार के सौदे पर ब्रोकर द्वारा लगाया गया intraday Trading शुल्क 0.01% से 0.05% के मध्य खरीद बेच किए गए शेयर की संख्या पर आधारित होता है। Intraday ब्रोकिंग शुल्क की गणना के लिए शेयर की बाजार कीमत को शेयर की संख्या तथा इंट्राडे शुल्क प्रतिशत के साथ गुणा कर की जाती है
- Delivery Charges जब किसी व्यक्ति द्वारा शेयर मार्केट (Share Market) में शेयर की खरीद बेच 1 दिन में नहीं की जाती है तब उस स्थिति में ब्रोकिंग चार्जेस की गणना डिलीवरी शुल्क के अंतर्गत की जाती है।
इस स्थिति में डिलीवरी चार्ज 0.2% तथा 0.75 % के मध्य होता है जो कि सौदे में किए गए शेयर की संख्या पर निर्भर करता है।
इस प्रकार से डिलीवरी चार्ज की गणना के लिए डिलीवरी चार्ज प्रतिशत को खरीद बेच में प्रयुक्त शेयर की संख्या से गुणा किया जाता है।
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग शेयर मार्केट में ब्रोकर क्या है शुल्क के अलावा अन्य कौन-कौन से शुल्क होते हैं?
- Transaction Charges शेयर मार्केट(Share Market) में शेयर की खरीद बेच के दौरान स्टॉक एक्सचेंज द्वारा शुल्क लिया जाता है जिसे ट्रांजैक्शन चार्जेस कहा जाता है यह ट्रांजैक्शन चार्ज मुख्य रूप से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एनएसई तथा मुंबई स्टॉक एक्सचेंज बीएसई द्वारा लिए जाते हैं।
- Security Transaction charges यह शुल्क सौदे (trade) में उपयुक्त securities की कीमत के आधार पर लगाया जाता है।
- Commodity transaction charges यह शुल्क स्टॉक एक्सचेंज में commodity derivative के सौदे (trade) पर लगाया जाता है।
- Stamp duty (स्टांप शुल्क) यह शुल्क राज्य सरकार द्वारा securities इसकी trading पर लगाया जाता है।
- GST (goods and service tax)वस्तु एवम सेवा कर यह शुल्क केंद्र सरकार द्वारा ट्रांजैक्शन चार्जेस तथा ब्रोकिंग शुल्क पर लगाया जाता है। वर्तमान में यह 18% है।
- SEBI turnover charges यह शुल्क बाजार नियामक संस्था सेबी द्वारा सभी प्रकार के वित्तीय लेन देन जैसे stocks तथा सभी securities (debt को छोड़कर आदि पर लगाया जाता है।
- DP( Depository Participants)
जब हम किसी शेयर की खरीद बेच एक ही trading session के दौरान नहीं करते हैं। उस स्थिति में यह शुल्क depository participants द्वारा लिया जाता है। Intraday Trading के दौरान यह शुल्क देय नहीं होता है। यह शुल्क शेयर की संख्या पर निर्भर ना होकर एक निश्चित राशि के रूप में लिया जाता है।
शेयर मार्केट में ब्रोकर से जुड़े कुछ सवाल जवाब
शेयर मार्केट(Share Market) में कितने प्रकार के ब्रोकर होते हैं?
शेयर मार्केट में कितने दो प्रकार के ब्रोकर होते हैं-
Full Time ब्रोकर तथा Discount ब्रोकर
What Is Stock Broker|Stock Broker कोन होता है?
नमस्कार दोस्तों,आज की आर्टिकल में हम बात करने वाले है What Is Stock Broker In Hindi के बारे में.और जानेंगे,Stock Broker kon hota hai और Stock Broker ka kam kya hota hai तो चलिए आज का आर्टिकल शुरू करते है.
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जब बात आति है शेयर मार्केट की,तो उस में Stock Broker का रोल काफी Important होता है.
Stock Broker,जो है वो Stock Exachange और Investor के बीच की कड़ी होता है.इसलिए बिना Stock Broker के कंपनियों के शेयर को ख़रीदा और बेचा नहीं जा सकता.
Table of Contents
What Is Stock Broker ?
आसान भाषा में कहूं तो Stock Broker एक तरीके का Agent होता है,जो Investor से Shares के ऑर्डर को लेता है,और उनके Behalf पर share के ऑर्डर को Stock Exchange में देता है.
और इस service के बदले Stock Broker उनसे(investors) कुछ फीस charge करता है,जिसे ब्रोकरेज कहते है.
इसलिए मैंने उपर कहा था कि,Stock Broker,जो है वो Stock exachange और Investor के बीच की कड़ी(लिंक) होती है.
Stock Broker Kaise Kam Karata Hai ?
Stock Broker kya hota hai? ये तो अब आप समझ चुके होंगे.अब बात करते है Stock broker kaise kam karata hai इस के बारे में.
Share market में Invest करने के लिए एक Agent की जरूरत पड़ती है, जिसे हम Stock broker कहते हैं.और उस ब्रोकर की हेल्प से अगर आपको शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना है,तो उन से अपको अपना Trading और Demat अकांउट ओपन करवाना होगा.
अब ये Trading और Demat अकाउंट क्या है? इनके बारे में थोड़ा जान लेते है.
Trading Account
Trading account kya hota hai ?
ये (Trading account) एक ऐसा अकाउंट है,जिस के हेल्प से Share market में buy और sale करने का ऑर्डर स्टॉक एक्सचेंज में भेजा जाता है.
जैसे की,मान लो Mr.A🙋को Axis bank का share खरीदना है,तो उन्हें सबसे पहिले अपने ब्रोकर की हेल्प से shares का ऑर्डर लगाना होगा.तब जाके Mr.A🙋 शेयर खरीद पायेंगे.
ऑर्डर लगाना मतलब अपने ब्रोकर को जानकारी देना तब जाके ऑर्डर लगता है जैसे की,
- Axis bank के कितने share buy करने है ?
- Shares की डिलीवरी करना चाहते हो क्या ?
- या Intra-day ट्रेडिंग करना चाहते हो etc..
ये सब Information ब्रोकर को देने के बाद आपका ऑर्डर स्टॉक एक्सचेंज में भेजा जाता है.और उस के बाद आप असानी से शेयर को buy कर सकते हो.
Demat Account
Demat account kya hota hai ?
Trading account से जो शेयर आप Buy करते हो,वो सारे शेयर डीमैट अकाउंट में जामा होते है.और आप जब चाहें तब इन shares को मार्केट में बेच सकते हो.
Types Of Stock Brokers
आज के टाइम भारत में तो सिर्फ दो टाइप के स्टॉक ब्रोकर है,
- Full Service Stock Broker
- Discount Stock Broker
Full Service Stock Broker.
इस टाइप के Stock broker जो है वो ज्यादा से ज्यादा सर्विस provide कराते है अपने customer को,इसलिए इन्हे Full Service Stock Broker कहा जाता है.
ज्यादा से ज्यादा सर्विस provide कराने से मेरा मतलब ये है की,ये शेयर को buy और sale करने के साथ साथ और भी कई सारे सर्विस प्रोवाइड कराते है.जैसे की, Stock advisory service,Margin money service, Portfolio management Service,Intraday tips etc.
Discount Stock Broker
Full Service Stock Broker के मुकाबले याहा काफी कम सर्विस provide की जाती है.लेकिन जो भी सर्विसेस ये देते है वो बेस्ट ही देते है.
लेकिन आज के टाइम Discount Stock Broker भी Full Service Stock Broker को काफी अच्छा competition दे रहा है.
Top 10 Stock Brokers
No. | Brocker Name | Type |
1 | Angel Broking | Full Service Broker |
2 | Zerodha | Discount Broker |
3 | Upstock | Discount Broker |
4 | ICIC Direct | Full Service Broker |
5 | HDFC securities | Full Service Broker |
6 | 5Paisa | Discount Broker |
7 | Motilal Oswal | Full Service Broker |
8 | Kotak securities | Full Service Broker |
9 | Share khan | Full Service Broker |
10 | Grow | Discount Broker |
वैसे तो मार्केट में और भी कई सारे ब्रोकर है,लेकिन इन 10 ब्रोकर की service बाकी ब्रोकर के मुकाबले काफी अच्छी है.
आखिरी शब्द
दोस्तों में उम्मीद करता हु,की आपको आज का हमारा आर्टिकल Stock Broker Kya Hota Hai? पसंद आया होगा.
अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तो के साथ शेयर करे.हमारा आज का आर्टिकल आपको कैसा लगा हमे नीचे कमेंट करके या फिर ईमेल करके जरूर बताए.
ऐसे ही नए नए इनफॉर्मेशन रीड करने के लिए उस लाल वाले बेल 🔔 आइकॉन को प्रेस करो,ताकी कोई भी न्यू आर्टिकल की नोटिफिकेशन सबसे पहिले आपको मिले.
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मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं. इस साल अब तक 3 ब्रोकर डिफॉल्टर हुए हैं.
ब्रोकिंग उद्योग के सूत्रों का कहना है कि ये डिफॉल्ट ज्यादातर ब्रोकरों द्वारा क्लाइंट सिक्योरिटीज और फंड के दुरुपयोग का परिणाम है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इस तरह की प्रथाओं पर रोक लगाने शेयर मार्केट में ब्रोकर क्या है के लिए और कड़े मानदंडों की शुरुआत की है. जिसके बाद ये ब्रोकर उसकी अनुपालन नहीं कर सके और डिफॉल्टर हो गए.
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने वाले हैं तो ब्रोकर चुनने से पहले इन बातों का ध्यान रखें.
1. अपने मार्जिन पर ट्रेड करें
सबसे पहले, जिस बात का निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए वो क्लाइंट मार्जिन के अलगाव और आवंटन से जुड़ा है. रेगुलेटर द्वारा यह एक बड़ा कदम है जो 2 मई से प्रभावी होगा.
वर्तमान में ग्राहकों की व्यक्तिगत सीमा तय करना ब्रोकर के हाथ में है. ब्रोकर देखता है कि पिछले सप्ताह तीन ग्राहकों ने लेन-देन नहीं किया है, तो वह सात ग्राहकों के बीच अपनी 10 लाख रुपये की सीमा निर्धारित कर सकता है. इसे ऐसे समझें, ब्रोकर ग्राहकों के एक समूह से संबंधित धन का उपयोग दूसरों के लेन-देन के लिए कर सकता है.
बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI के नए नियम इस तरह के मामलों पर नजर रखेगी. 2 मई से ब्रोकरों को CCIL की बेवसाइट पर एक फाइल अपलोड करनी होगी. जिसमें प्रत्येक ग्राहक को दी जाने वाली सीमा का ब्रेक-अप देना होगा. इस जानकारी के आधार पर CCIL यह सुनिश्चित करेगा कि कोई ग्राहक अपनी व्यक्तिगत सीमा से अधिक पोजीशन न लें.
Zerodha के COO वेणु माधव कहते हैं, "इन मानदंडों की शुरूआत का मतलब यह होगा कि कोई ग्राहक दूसरे ग्राहकों की सीमा का उपयोग करके उसके द्वारा जमा किए गए मार्जिन से अधिक की पोजीशन नहीं ले सकेगा."
2. फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा
अब फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा पेश की गई है. ब्रोकरों को न्यूनतम नेट वर्थ के अलावा फ्लोटिंग नेट वर्थ भी मेंटेन करना होगा. मान लीजिए की एक ब्रोकर का एवरेज कैश बैलेंस 10,000 करोड़ रुपये है, उसे अब 1,000 करोड़ रुपये का नेट वर्थ बनाए रखना होगा. ब्रोकरों को फरवरी 2023 तक इस मानदंड का पालन करना होगा.
3. भुगतान में देरी से सावधान रहें
ब्रोकर के साथ खाता खोलने से पहले ऑनलाइन रिव्यू जरूर पढ़ें. एक्सचेंजों की वेबसाइटों पर ब्रोकर के खिलाफ शिकायतों की जांच करें. यदि आपको भुगतान में देरी, धन के गलत प्रबंधन, या अनधिकृत ट्रेडों से संबंधित शिकायतें मिलती हैं, तो उस ब्रोकर से बचें. हाई लीवरेज के वादे के साथ ग्राहकों को लुभाने की कोशिश करने वाले किसी भी ब्रोकर से बचना चाहिए.
4. ब्रोकिंग चार्जेज का ध्यान रखें
अकसर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स्ड ही रखते हैं. हालांकि, ये कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. ऐसे में इस बारे में बात कर लेना भी जरूरी है.
5. अन्य सेवाओं की जानकारी
कुछ ब्रोकरेज हाउस सिर्फ इक्विटी ब्रोकिंग की सेवा ही नहीं प्रदान करतें, बल्कि कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आप तक पहुंचाते हैं. ऐसे में जान लें कि यह सेवाएं क्या हैं और आपके लिए इनकी क्या उपयोगिता है. इसके बाद ही ब्रोकर का चयन करें.