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बाजार के उतार

बाजार के उतार
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: November 20, 2022 11:19 IST

बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच निवेशकों को रास आ रहा म्यूचुअल फंड, लगातार 15वें महीने बढ़ा निवेश

एसोसिएशन आफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल बाजार के उतार 2022 में इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश 15890 करोड़ रुपये रहा था। इक्विटी योजनाओं में मार्च 2021 से लगातार शुद्ध निवेश बना हुआ है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बनी अनिश्चितता और ज्यागा महंगाई के चलते इक्विटी म्यूचुअल फंड लगातार 15वें महीने निवेशकों के लिए आकर्षक बने हुए हैं। यही कारण है कि मई में इक्विटी म्यूचुअल फंड में 18,259 करोड़ रुपये का निवेश मिला है। इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) की रही है। एसोसिएशन आफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2022 में इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश 15,890 करोड़ रुपये रहा था। इक्विटी योजनाओं में मार्च 2021 से लगातार शुद्ध निवेश बना हुआ है। यह निवेशकों के बीच सकारात्मक भावना को दर्शाता है।

इससे पहले जुलाई 2020 से फरवरी 2021 के दौरान लगातार आठ महीने तक शुद्ध निकासी रही थी। इस दौरान इक्विटी योजनाओं से 46,791 करोड़ रुपये निकाले गए थे। डाटा के अनुसार, मई में फ्लैक्सी कैप फंड समेत सभी प्रकार की इक्विटी आधारित योजनाओं में सबसे ज्यादा 2,939 करोड़ रुपये का निवेश मिला है। इसके अलावा लार्ज कैप, लार्ज एंड मिड कैप फंड और सेक्टोरल फंड में 2,200 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।

AMFI के चीफ एक्‍जीक्‍यूटिव एन. एस. वेंकटेश ने कहा कि म्‍यूचुअल फंड के खुदरा निवेशक ने SIP का चयन किया और अपनी दीर्घावधि के निवेश के लिए इक्विटी और हाइब्रिड एसेट क्‍लास के विकल्‍पों को चुना। इक्विटी एसेट क्‍लास में खुदरा निवेशकों का विश्‍वास इस वास्‍तविकता को प्रदर्शित करता है कि भारत के विकास की गाथा जारी है और अन्‍य प्रमुख अर्थव्‍यवस्‍थाओं के मुकाबले यह कहीं ज्‍यादा ठोस और अवसर देने वाला है। बढ़ती महंगाई और ब्‍याज दरों और चुनौतीपूर्ण मैक्रो-इकोनॉमिक परिस्थितियों के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत के जीडीपी की ग्रोथ का अनुमान 7.2 प्रतिशत किया है। घरेलू संस्‍थागत निवेशकों का भारतीय इक्विटी में निवेश बेहतरीन रहा है, भले ही विदेशी संस्‍थागत निवेशकों ने बिकवाली की हो।

मोतीलाल ओसवाल एएमसी के मुख्य कारोबारी अधिकारी अखिल चतुर्वेदी का कहना है कि एसआइपी में लगातार निवेश से बिक्री को सकारात्मक समर्थन मिल रहा है। बाजारों में अस्थिरता के बीच खुदरा निवेशक इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं। सभी श्रेणियों में नया निवेश मिल रहा है।

मार्निगस्टार इंडिया की सीनियर एनालिस्ट कविता कृष्णन का कहना है कि अस्थिरता के बावजूद उभरते बाजारों में भारतीय इक्विटी मार्केट निवेशकों के बीच आकर्षक विकल्प बना हुआ है।

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दरअसल छोटे निवेशकों या ट्रेडरों को बाजार में टिके रहने के लिए अपनी नजर मध्यम से लंबी अवधि पर टिका कर धैर्य के साथ टिक रहने चाहिए, तभी उन्हें सफलता मिल सकती है

शेयर बाजार का तूफान तब तक शांत नहीं हो सकता जब तक इससे होने वाले नुकसान का पूरा अनुमान बाजार को न मिल जाए।

भुवन भास्कर

माना जाता है कि शेयर बाजार मध्यम से लंबी अवधि में अर्थव्यवस्था की सेहत का बैरोमीटर होते हैं। लेकिन छोटी अवधि में शेयर बाजार का व्यवहार अक्सर भ्रम पैदा कर देता है। शुक्रवार को भारतीय बाजारों के सूचकांक 2-2 प्रतिशत गिरे। कहा गया कि अमेरिकी फेड इस हफ्ते अपनी पॉलिसी समीक्षा में 75 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर सकता है, और इसलिए दुनिया भर के शेयर बाजार नर्वस हैं।

दुनिया भर में गिरावट आई है, तो भारत में भी बिकवाली का जोर बढ़ गया है। कमाल की बात यह है कि अभी फेड की पॉलिसी के नतीजे आने में 24-48 घंटे शेष हैं, लेकिन शुक्रवार की निराशा एकाएक सोमवार को बाजार से गायब दिख रही है। बाजार की शुरुआत गिरावट के साथ होने के कुछ ही देर बाद फिर खरीदारों का जोश वापस आ गया है। सोमवार 19 सितंबर को सेंसेक्स 300.44 अंक की तेजी के साथ 59,141.23 के लेवल पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 91.40 अंक की तेजी के साथ 17,622.25 पर बंद हुआ। इन सबमें छोटा निवेशक या ट्रेडर हतप्रभ है कि किया क्या जाए।

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छोटे निवेशक क्या करें?

दरअसल छोटे निवेशकों या ट्रेडरों को बाजार में टिके रहने के लिए अपनी नजर मध्यम से लंबी अवधि पर टिका कर धैर्य के साथ टिक रहने चाहिए, तभी उन्हें सफलता मिल सकती है। ऐसे में बाजार में निवेशकों को क्या रुख अपनाना चाहिए, इस सवाल का जवाब भारतीय और विश्व अर्थव्यवस्था की परिस्थितियों के विश्लेषण से मिल सकता है।

वीकेंड के दौरान रेटिंग एजेंसी फिच ने एक बार फिर इस बात की पुष्टि की है कि अमेरिका और यूरोप मंदी के मुहाने पर खड़े हैं। फिच के मुताबिक यूरोजोन और ब्रिटेन इस साल के आखिर तक मंदी में चले जाएंगे, जबकि अमेरिका अगले साल मध्य तक मंदी में आ जाएगा। हालांकि अमेरिका की संभावित मंदी को ‘हल्की’ श्रेणी में बताया गया है। फिच ने 2022 के दौरान दुनिया की आर्थिक वृद्धि की संभावित दर को जून में घोषित 2.9% से आधा प्रतिशत कम कर 2.4% कर दिया है। वहीं 2023 में यह वृद्धि दर पहले जताई गई संभावना से 1% कम होकर अब 1.7% रहने की संभावना है।

कोरोना काल के दौरान ठप पड़ गई आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए आम जनता और उद्योगों को जो लाखों करोड़ डॉलर की मदद दुनिया भर में दी गई, उसका असर अब बढ़ती महंगाई के रूप में दिखने लगा है। इस महंगाई पर लगाम लगाने के लिए दुनिया भर के देशों ने जिस तरह ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू की है, उससे अब धीरे-धीरे ग्रोथ पर ब्रेक लगने लगी है।

ग्रोथ पर ब्रेक का मतलब है मांग धीमी होना और जब मांग कमजोर पड़ती है तो स्वाभाविक तौर पर कमोडिटी की कीमतें नीचे आने लगती हैं। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। मांग कमजोर पड़ने और कीमतें नीचे आने से कंपनियों की प्रॉफिटैबिलिटी कम होने लगती है और उन्हें अपनी विस्तार योजनाओं पर रोक लगानी पड़ती है।

मुनाफा मार्जिन कम होने से आय प्रति शेयर (EPS) कम होती है और क्योंकि मांग कम होती है और भविष्य की संभावना धूमिल होने लगती है तो बाजार कंपनियों को कीमत और आय प्रति शेयर का कम अनुपात (PE) देने को तैयार होता है। जाहिर है कि इससे बिकवाली पैदा होती है। ऐसे में बाजार भले ही फिलहाल किसी दिन तेजी और किसी दिन मंदी दिखाए, लेकिन यह समझना आवश्यक है कि मध्यम से लंबी अवधि में अर्थव्यवस्था का रुझान क्या है। उस लिहाज से शेयर बाजार के लिए अगले साल भर बहुत उम्मीदपरक नहीं लगते।

फिलहाल कच्चे तेल की कीमतें जून की शुरुआत में दिखी उच्चतम कीमतों से प्रति बैरल 30 डॉलर नीचे आ चुकी हैं। वैश्विक बाजार का सबसे बड़े संकेतक फ्रेट रेट होते हैं यानी समुद्री जहाज से होने वाले माल परिवहन का भाड़ा। इन्हें दर्शाने वाले दुनिया के सबसे लोकप्रिय ड्रुरी वर्ल्ड कंटेनर इंडेक्स में पिछले हफ्ते 8% गिरावट दर्ज हुई जो लगातार 29वें हफ्ते की गिरावट है। अप्रैल 2021 के बाद पहली बार यह इंडेक्स 40 फुट कंटेनर के लिए 5000 डॉलर से नीचे गया है।

फिच में मुख्य अर्थशास्त्री ब्रायन कुल्टन ने कहा, “पिछले कुछ महीनों में हमने यूरोप में गैस संकट, ब्याज दरों में तेज बढ़त और चीन में गहराते रियल एस्टेट संकट के रूप में वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक परफेक्ट तूफान बनते हुए देखा है।” यह तूफान शेयर बाजार में तब तक डिस्काउंट नहीं हो सकता जब तक इससे होने वाले नुकसान का पूरा अनुमान बाजार को न मिल जाए।

रॉयटर्स के सीनियर मार्केट एनालिस्ट जॉन केम्प ने मौजूदा परिस्थितियों पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि अमेरिका में हालांकि अभी जॉब मार्केट मजबूत स्थिति में है और आर्थिक गतिविधियां भी ऊंचे स्तर पर हैं, लेकिन वित्तीय बाजारों में-जैसा कि वहां के वायदा बाजार संकेत कर रहे हैं- अगले छह महीनों में आर्थिक चक्र में एक जबर्दस्त गिरावट, या मंदी के संकेत साफ उभर रहे हैं।

इन सब बातों को सुनने और समझने के बाद भारतीय शेयर बाजार के निवेशकों को दो बातें खास ध्यान में रखनी चाहिए। पहली, अमेरिकी बाजार या दुनिया के दूसरे सभी बाजार भारतीय बाजारों के लिए एक संकेत का काम करेंगे, लेकिन आखिर में भारतीय शेयर बाजार अपनी किस्मत के मालिक खुद होंगे। इसलिए क्योंकि भारत पूरी दुनिया के मंदी जाने के बावजूद लगभग 5-7% के दायरे में आर्थिक बाजार के उतार वृद्धि बरकरार रखेगा। फिर भी, यह मान लेना कि भारतीय शेयर बाजार अमेरिकी बाजारों से एकदम अलग चलेंगे, यह ठीक नहीं होगा।

दूसरी बात और महत्वपूर्ण है। बाजार हमेशा समय से आगे चलते हैं। तो जिस समय विश्व बाजार इस बात के लिए आश्वस्त होंगे कि अब मंदी का दौर बीत गया है, तब तक भारतीय शेयर बाजार लगभग अपने पुराने शीर्ष के पास पहुंच चुके होंगे। इसलिए बाजार में किनारे बैठ कर सही वक्त का इंतजार करने की जगह फंडामेंटल मजबूती वाली कंपनियों में छोटी मात्रा में लंबे समय के लिए लगातार निवेश करते रहना सही है। यही शेयर बाजार में सफलता का मूलमंत्र भी है।

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घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं होने की वजह से स्थानीय बाजार की दिशा वैश्विक रुख, कच्चे तेल के दाम और मुद्रा के उतार-चढ़ाव से तय होगी।

Alok Kumar

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: November 20, 2022 11:19 IST

शेयर बाजार- India TV Hindi

Photo:PTI शेयर बाजार

Share Maret next week: भारतीय शेयर बाजार में अगले हफ्ते बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। दरअसल, अगले हफ्ते मंथली एक्सपायरी के चलते बाजार में अस्थिरता की आशंका है। हालांकि, इन सब के बीच निवेशकों के लिए एक अच्छी खबर भी मिलेगी। बाजार में तमाम उठा-पटक के बीच बड़ी गिरावट देखने को ​नहीं मिलेगी। बाजार ऊपर की ओर ही जाएगा। यानी बाजार में तेजी बनी रहेगी। स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौर ने कहा कि इस बात की काफी संभावना है कि बाजार अभी ऊपर की ओर जाए। हालांकि, व्यापक रूप से बाजार में मुनाफावसूली देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि वैश्विक मोर्चे की बात की जाए तो एफओएमसी की बैठक के ब्योरे से कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। साथ ही संस्थागत निवेशकों का प्रवाह महत्वपूर्ण होगा। पिछले कुछ सत्रों से इसमें कमी आई है।

विदेशी निवेशकों के रुख पर भी निर्भर करेगा बाजार की चाल

स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह वैश्विक रुख और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के प्रवाह से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताते हुए कहा कि इस सप्ताह घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा बाजार के उतार आंकड़ा नहीं आना है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मासिक डेरिवेटिव अनुबंधों (मंथली एक्सपायरी) के निपटान की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि इस सप्ताह फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक का ब्योरा जारी होगा, जिससे बाजार को आगे के लिए संकेतक मिलेंगे।

घरेलू स्तर पर कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं

रेलिगेयर ब्रोकिंग लि.के उपाध्यक्ष शोध अजित मिश्रा ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं होने की वजह से स्थानीय बाजार की दिशा वैश्विक रुख, कच्चे तेल के दाम और मुद्रा के उतार-चढ़ाव से तय होगी। इसके अलावा नवंबर माह के डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान की बाजार के उतार वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 131.56 अंक या 0.21 प्रतिशत के नुकसान में रहा। वहीं निफ्टी में 42.05 अंक या 0.22 प्रतिशत की गिरावट आई। वैश्विक बाजारों में भी कुछ कमजोरी का रुख देखने को मिला। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर किसी बड़े घटनाक्रम के अभाव में बाजार वैश्विक संकेतकों से ही दिशा लेगा।

इस सप्ताह स्टॉक मार्केट में रहेगा उतार-चढ़ाव का दौर! जानें एक्सपर्ट्स की राय

स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह वैश्विक रुख और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के प्रवाह से तय होगी। एक्सपर्ट्स ने कहा कि इस सप्ताह घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा आंकड़ा नहीं आना है।

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स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह वैश्विक रुख और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के प्रवाह से तय होगी। एक्सपर्ट्स ने यह राय जताते हुए कहा कि इस सप्ताह घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा आंकड़ा नहीं आना है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मंथली डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के निपटान की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि इस सप्ताह फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक का ब्योरा जारी होगा, जिससे बाजार को आगे के लिए संकेतक मिलेंगे। रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के उपाध्यक्ष शोध अजित मिश्रा ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं होने की वजह से स्थानीय बाजार की दिशा वैश्विक रुख, कच्चे तेल के दाम और मुद्रा के उतार-चढ़ाव से तय होगी। इसके अलावा नवंबर माह के डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

800 रुपये के करीब बाजार के उतार हो सकती है इस कंपनी की लिस्टिंग

बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 131.56 अंक या 0.21 प्रतिशत के नुकसान में रहा। वहीं निफ्टी में 42.05 अंक या 0.22 प्रतिशत की गिरावट आई। वैश्विक बाजारों में भी कुछ कमजोरी का रुख बाजार के उतार देखने को मिला। स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौर ने कहा, ''संकेतकों के अभाव में बाजार ने सीमित दायरे में कारोबार किया। डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान के बीच अब बाजार को दिशा के लिए संकेतकों का इंतजार रहेगा। इस बात की काफी संभावना है कि बाजार अभी ऊपर की ओर जाए। हालांकि, व्यापक रूप से बाजार में मुनाफावसूली देखने को मिल रही है।''

उन्होंने कहा कि वैश्विक मोर्चे की बात की जाए तो एफओएमसी की बैठक के ब्योरे से कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। साथ ही संस्थागत निवेशकों का प्रवाह महत्वपूर्ण होगा। पिछले कुछ सत्रों से इसमें कमी आई है। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर किसी बड़े घटनाक्रम के अभाव में बाजार वैश्विक संकेतकों से ही दिशा लेगा।

लिस्टिंग से पहले 100 रुपये का ‘फायदा’, जीएमपी देख निवेशक गदगद

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