बेस्ट ब्रोकर

टेक्निकल इंडीकेटर्स के शब्द

टेक्निकल इंडीकेटर्स के शब्द
Technical analysis

Technical analysis

फोरेक्स टेक्निकल इंडीकेटर्स

टेक्निकल इंडीकेटर्स के टेक्निकल इंडीकेटर्स अविभाज्य भाग रहे हैं. वे भविष्य में बाजार आंदोलनों की भविष्यवाणी और बाजार में उन्मुख किया जा करने के लिए एक व्यापारी की मदद करने के लिए लक्ष्य. इंडीकेटर्स जो व्यापारियों द्वारा बाजार की भविष्यवाणी के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं की एक बहुत बड़ी रेंज है. कुछ लोग एक संकेतक जो अतीत में काम करने के लिए साबित कर दिया है पसंद करते हैं; दूसरों के सफलता तक.

दिए गए इंडीकेटर्स की रणनीति एक दिग्गज व्यापारी विधेयक विलियम्स द्वारा सुझाव दिया द्वारा अस्तित्व में आया. बाजार के मनोविज्ञान में एक अच्छी समझ होने के कारण वह जो इस बीच बाजार का विश्लेषण और अराजकता का तर्कहीन तर्क के लिए एक तर्कसंगत दृष्टिकोण के उपयोग पर आधारित है व्यापार के अपने ही विधि विकसित की है.

फोरेक्स ओस्किल्लातोर्स | फोरेक्स टेक्निकल एनालिसिस

ओस्किल्लातोर का नाम लैटिन शब्द oscillo जिसका अर्थ है "मैं स्विंग" से व्युत्पन्न. तकनीकी विश्लेषण में ओस्किल्लातोर मूल्य आंदोलनों गणितीय अभिव्यक्ति समय से अधिक है की गति के. द्वारा उनके प्रपत्र ओस्किल्लातोर संकेतक उन्नत कर रहे हैं.
ओस्किल्लातोर का उपयोग करने की बुनियादी अवधारणाओं और शर्तों के बाजार के हैं. बाजार कीमत इसकी ऊपरी सीमा के निकट है जब माना जाता है, और इसके आगे सुधार की उम्मीद नहीं है. जोन कि दिए गए पल उसके आगे मंदी की संभावना नहीं है इस तरह एक कम कीमत के द्वारा, की विशेषता है. . यद्यपि विश्लेषण और सभी का सबसे अच्छा ओस्किल्लातोर का उपयोग बाजार की निरंतर राज्य में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, प्रवृत्ति उत्क्रमण के समय भी उनकी मदद के द्वारा निर्धारित किया जा सकता.
एक प्रवृत्ति उत्क्रमण की पहचान करने के लिए अभिसरण की अवधारणाओं और कीमत आंदोलनों की दिशा के साथ वक्र ओस्किल्लातोर के फर्क को समझना आवश्यक है.

How to use technical analysis | तकनीकी विश्लेषण का उपयोग कैसे करें

एक technical analyst के पास technical analysis करने के कई तरीके होते हैं । जैसे की moving average ,support and resistant level ,candlesticks, chart pattern ,volume और इंडिकेटर इत्यादि इन सब तरीकों से एक एनालिस्ट चाट की मूवमेंट और मार्केट का ट्रेंड आसानी से समझने की कोशिश करता है।

जब भी कोई ट्रेडर शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करता है तो वह शेयर टेक्निकल इंडीकेटर्स के शब्द प्राइस के आधार पर शेयर खरीदता है और कम समय में ज्यादा प्रॉफिट कमाना चाहता है। लेकिन शार्ट टर्म में शेयर की प्राइस बहुत तेजी से चेंज होती है तो निवेशक को कैसे पता रहेगा कि किस प्राइस पर शेयर खरीदना है और किस प्राइस पर शेयर बेचना है इस समस्या को सुलझाने के लिए टेक्निकल एनालिसिस का यूज किया जाता है।

Basic assumptions of technical analysis

किसी कंपनी के मौजूदा शेयर प्राइस में उस कंपनी की फंडामेंटल फैक्टर्स ग्रोथ इनकम सभी इंक्लूड होता है टेक्निकल इंडीकेटर्स के शब्द उसको अलग से चेक करने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि जो अभी शेयर का मौजूदा प्राइज है उसमें यह सारी बातें इंक्लूड है।

यहां पर हर शेयर की प्राइस एक ट्रेंड में बढ़ती या घटती रहती है यह माना जाता है कि शेयर प्राइस जिस ट्रेन में अभी चल टेक्निकल इंडीकेटर्स के शब्द रहा है फ्यूचर में भी वैसे ही चलने की संभावना ज्यादा होती है ट्रेंड तीन टाइप के टेक्निकल इंडीकेटर्स के शब्द होते हैं शॉर्ट टर्म मीडियम टर्म और लांग टर्म।

प्राइस ट्रेंड 3 तरीके से ट्रेंड करती है

up trand में शेयर की price 1 पैटर्न में बढ़ती रहती है और down trand में शेयर की price एक पैटर्न में गिरती रहती है और sideways trand में share की प्राइस 1 फिक्स इंटरवल में ट्रेंड करती है।

History repeats itself

शेयर मार्केट में हमेशा हिस्ट्री रिपीट होती है पास्ट में किसी वजह से यदि कोई प्राइज में चेंज आया था तो भविष्य में भी उसी वजह से उस शेयर की प्राइस में चेंज आएगा। शेयर मार्किट में प्राइस हमेशा इन्वेस्टर के इमोशंस पर चलती है।

टेक्निकल एनालिसिस की शुरुआत 1755 में जापान के एक चावल व्यापारी Homma munehisa ने की थी।

1755 में Homma munehisa की book The fountain of gold पब्लिक हुई थी जिससे कि टेक्निकल एनालिसिस की शुरुआत हुई उन्होंने बताया कि राइस की प्राइस कैसे राइस के वॉल्यूम और मौसम पर निर्भर करती है इसको समझ कर आप फ्यूचर मैं राइस की प्राइस को समझ सकते हैं

Dow theory

Technical analysis

Technical analysis

आज हम किस मॉडर्न technical analysis की theory को जानते हैं और यूज़ करते हैं वो बेस्ड है dow theory पर।

इस थ्योरी को वॉल स्ट्रीट Dow Jones Industrial Average (DJIA) के फाउंडर Charles Henry Dow द्वारा लिखी 255 Wall Street Journal Editorial Article पर आधारित है। और इस article को William Peter Hamilton, Robert Rhea and E. George Schaefer ने रीऑर्गेनाइज करके पब्लिश किया और आज इस थ्योरी को टेक्निकल एनालिसिस मैं बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

Swing Trading क्या है?

Swing Trading कुछ ही दिन की लिए की गई होल्डिंग होती है.जैसे15 से 20 दिन के लिए. किसी स्टॉक को होल्ड करके रखना और प्रॉफ़िट होने पर बेच देना Swing Trading कहलाता है. Swing Trading एक सबसे लोकप्रिय strategy है. जिसमें simple Moving Average का इस्तेमाल 10 या फिर 20 दिनों के टेक्निकल इंडीकेटर्स के शब्द वैल्यू डेटा को समझने के लिए किया जाता है.साधारण भाषा में समझें तो Swing Trading डिलीवरी ट्रेडिंग का एक छोटा भाग है, जो कुछ ही टाइम पीरियड के लिए होल्ड किया जाता है.टेक्निकल इंडीकेटर्स के शब्द डे ट्रेडिंग और ज्यादा समय के बीच की ट्रेडिंग में Swing Trading की अपनी दुनिया है. स्विंग ट्रेड्स कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक कहीं भी ट्रेडिंग कर सकते है. Swing Trading करने वाले कई दिनों के चार्ट पैटर्न की तलाश में रहते हैं, जिससे की वो कम समय में अधिक प्रॉफिट कमा सकें. देखा जाए तो डे ट्रेडिंग से Swing Trading काफी बेहतर है.

Swing Trader कौन हैं?

Swing Trader एक ऐसे ट्रेडर हैं,जो कई दिन या फिर कई हफ्तों के अंदर ट्रेड करते हैं. और वो अक्सर चार घंटे या फिर एक दिन के चार्ट पर काम करते हैं. और इस ही पर एनालिसिस करते हैं.आपको बता दे की एक Swing Trader ज़्यादा टाइम के लिए बहुत कम ट्रेड करते हैं.साधारण भाषा में कहें तो Swing Trader कम समय और limit प्रॉफिट कमाने की कोशिश करते हैं.

Swing Trading करने के कईं फायदे खासकर नए ट्रेडर्स के लिए है. Swing Trading का मतलब मार्किट में ऊप्पर निचे होने के बाद भी आपको स्टॉक या फिर इंडेक्स की सही डायरेक्शन का पता लगवाने में मदद करना होता है.जब एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन कुछ ही मिनटो या कुछ घंटो तक ही रखता है, तो वहीं एक Swing Trader अपनी पोजीशन 24 घंटे से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड करके रख सकता है. और ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी बहुत कम हो जाती है. और प्रॉफिट होने की सम्भावना भी काफी ज्यादा होती है. जिसकी वजह से अधिकतर लोग डे ट्रेडिंग की बजाय Swing Trading करना पसंद करते हैं. Swing Trading टेक्निकल इंडीकेटर्स पर डिपेंड होती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का ज्यादतर काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना होता है. और मार्किट में उतार-चढ़ाव होने के बावजूद आपको शेयर्स या इंडेक्स की सही दिशा दिखाना होता है.

Swing Trading से जुड़े कुछ आवश्यक नियम

Swing Trading में अक्सर उपयोग किए जाने वाले शब्दों में Entry Point, Exit Point, & Stoploss शामिल हैं. जिस जगह पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की मदद से Buy करते है,उसे एंट्री प्‍वाइंट कहते है.सदैव अपना ट्रेडिंग प्लान तैयार रखें. बिज़नेस की कैपेसिटी को ज्यादा करने के लिए ट्रेडिंग को एक बिज़नेस की तरह समझे.नई टेक्नोलॉजी का पूरा फायदा उठाएं. कंजर्वेटिव इन्वेस्ट स्ट्रेटेजी का पालन करें.एक स्टूडेंट की तरह ही स्टॉक बाजार को सीखें और समझें. ट्रेडिंग करते हुए रिस्क पर ज़रूर ध्यान दे.एक सही ट्रेडिंग कार्य प्रणाली चुने.

कभी भी स्टॉप लॉस को इगनोर न करें. जब भी आप अपनी पोजीशन को निकालना चाहते हैं तो उससे पहले मार्किट की डायरेक्शन ज़रूर देख लें.अगर अपने स्विंग ट्रेड ली है तो बिच बिच में उसके चार्ट की एनालिसिस ज़रूर करें. स्विंग ट्रेड करते वक़्त अपने इमोशंस को काबू में ज़रूर रखें

निष्कर्ष

स्विंग ट्रेडर्स कईं तरह की Strategies का इस्तेमाल करते हैं यह Strategies आपको एक मजबूत नींव रखने में हेल्प करेंगी।

अगर आप नई-नई Strategies या फिर Technical and Fundamental सीखना चाहते हैं. तो हमें CONTACT 9897563039 करें हम आपको बेसिक से लेकर पूरा टेक्निकल फंडामेंटल और डेटा एनालिसिस करना सीखाते हैं.

एयर इंडिया का निजीकरण करे सरकार: लुफ्तांसा

एयर इंडिया का निजीकरण करे सरकार: लुफ्तांसा

वैश्विक एयरलाइन लुफ्तांसा का मानना है कि एयर इंडिया का निजीकरण होना चाहिए और सरकार के दखल से इस एयरलाइन के कारोबार में किसी तरह की मदद नहीं मिलने वाली।

लुफ्थांसा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कार्सटन स्पोर का मानना है कि टेक्निकल इंडीकेटर्स के शब्द एयर इंडिया को खड़ा करने की कोशिशों में पहले ही काफी समय बर्बाद हो चुका है। भारत में कई बार सरकार के अधिक दखल से हमेशा मदद नहीं मिलती है, क्योंकि एयरलाइन कारोबार में जल्द फैसले लेने पड़ते हैं।

जर्मनी की एयरलाइन लुफ्थांसा के निजीकरण का अनुभव बताते हुए स्पोर ने कहा कि 1992 में इसका आंशिक निजीकरण किया गया और पांच साल बाद पूर्ण निजीकरण। स्पोर ने यहां के दौरे पर आए भारतीय पत्रकारों को बताया, हमारे शेयरों को शेयर बाजारों के जरिए बाजार में डाला गया। हमारी कंपनी में कोई शेयरधारिता नहीं है। कर्मचारी संघ भी हमारे शेयरधारक हैं।

स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स

स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्‍वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्‍वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्‍वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्‍वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्‍वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.

स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे

रेटिंग: 4.44
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 255
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *