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पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है

Mutual Fund: म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस में कौन सा है अच्छा? समझिए पूरा गणित

Mutual Fund: पैसे से पैसा कमाने के लिए बेहतरीन विकल्पों में एक अच्छा विकल्प म्यूचुअल फंड का भी होता है. इसमें सीधे शेयर बाजार में निवेश का जोखिम भी नहीं रहता है और फायदा भी मोटा होता है.

By: ABP Live | Updated at : 08 May 2022 11:34 AM (IST)

Mutual Fund: महंगाई दर (Inflation) को मात देने के लिए शेयर बाजार (Share Market) में निवेश अच्छे विकल्पों में से एक है. लेकिन अगर आप इक्विटी में सीधे निवेश (Investment) का जोखिम नहीं उठा सकते हैं, तो आप म्यूचुअल फंड या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस का विकल्प चुन सकते हैं.

यहां निवेश से सीधे इक्विटी में निवेश करने का जोखिम भी नहीं होता है और फायदा भी मोटा होता है. आइए आपको बताते हैं कि म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस में से क्या बेहतर होता है.

जो लोग शेयर मार्केट में खुद ट्रेडिंग (Treading) नहीं करना चाहते हैं, वह म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के जरिये सिस्टमैटिक तरीके या एकमुश्त मार्केट में निवेश कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड में कई सारे निवेशक अपना वित्तीय लक्ष्य हासिल करने के लिए किसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी की स्कीम में निवेश करते हैं. म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए आप किसी वित्तीय सलाहकार की मदद ले सकते हैं या फिर खुद से भी फंड खरीद सकते हैं.

50 लाख रुपये का निवेश जरूरी

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पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस या कहें पीएमएस एक व्यक्तिगत निवेश पोर्टफोलियो होता है, इससमें बड़े निवेशक निवेश करते हैं. यहां व्यक्ति के लक्ष्य के हिसाब से निवेश पोर्टफोलियो तैयार किया जाता है. जबकि म्युचुअल फंड में पहले से तय कंपनियों में निवेस किया जाता है.

यहां निवेश करने के लिए आपके पास कम से कम 50 लाख रुपये होने चाहिए. इसमें प्रोफेशनल मनी मैनेजर आपके लक्ष्य के हिसाब से पोर्टफोलियो बनाते हैं. आपको बता दें कि पीएमएस में निवेश करने के लिए बैंक अकाउंट और डीमैट खाता खुलवाना जरूरी होता है.

3 तरह के पीएमएस

डिस्क्रीशनरी, नॉन-डिस्क्रीशनरी, एडवाइजरी कुल मिलाकर तीन तरह की पीएमएस होती है. पीएमएस फंड को मैनेज करने के लिए आपको अपने फंड मैनेजर को पावर ऑफ अटार्नी देना होगा. इसमें आपके फंड मैनेजर को निश्चित रकम के अलावा रिटर्न पर आधारित कमीशन भी मिलता है. पीएमएस उन निवेशकों के लिए अच्छा है, जिनके पास निवेश के लिए रकम तो हो, लेकिन उन्हें मैनेज करने के लिए समय कम है.

मोटे रिटर्न पर ही फायदा

विशेषज्ञों का मानना है कि एक निवेशक को लंबी अवधि में म्यूचुअल फंड की तुलना में पीएमएस से 2 से 2.5 फीसदी अधिक रिटर्न की उम्मीद करनी चाहिए. ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है पंकज मठपाल की माने तो म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर एक निवेशक से योजना के व्यय अनुपात में 0.5 फीसदी से लगभग 2.5 फीसदी तक चार्ज वसूलते हैं. पीएमएस के मामले में, लेनदेन मूल्य का करीब 2 से 2.5 फीसदी चार्ज लिया जाता है, जो स्टॉक की खरीद और बिक्री यानि निवेशक के मुनाफे या घाटे के बावजूद दोनों पर लागू होता है.

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Published at : 08 May 2022 11:34 AM (IST) Tags: Money Investment shares Mutual fund market portfolio हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

Sebi की चेतावनी, फर्जी पोर्टफोलियो मैनेजमेंट स्कीम में किया निवेश तो डूब जाएगा पैसा

Sebi Alert: कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एक बयान में कहा कि ये इकाइयां परचे छपवाकर और सोशल मीडिया के के माध्यम से हाई रिटर्न के वादे के साथ जनता को लुभा रही हैं.

सेबी ने ‘पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस देने का दावा करने वाली इकाइयों को लेकर निवेशकों को आगाह किया. (File Photo)

Sebi Alert: सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Sebi) ने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस उपलब्ध कराने का दावा करने वाली इकाइयों के गलत तरीके से पैसा जुटाने को लेकर निवेशकों को सतर्क रहने को कहा है. सेबी ने एक बयान में कहा कि ये इकाइयां परचे छपवाकर और सोशल मीडिया के के माध्यम से हाई रिटर्न के वादे के साथ जनता को लुभा रही हैं. यह देखा गया है कि ऐसी योजनाओं में, इकाइयां निश्चित रिटर्न का वादा कर छोटी-छोटी राशि जुटा रही हैं.

सेबी को जानकारी मिली थी कि कुछ इकाइयां ‘पोर्टफोलियो’ मैनेजमेंट सर्विस देने का का दावा कर लोगों से पैसा जुटा रही हैं. उसके बाद यह परामर्श जारी किया गया है.

केवल रजिस्टर्ड संस्था से लें लेनदेन का सुझाव

इनमें से कुछ इकाइयों के नाम सेबी-पंजीकृत मध्यस्थों के जैसे हैं. वे उस नाम के माध्यम से जनता को गुमराह करती हैं कि उन्होंने रेगुलेटर के पास रजिस्ट्रेशन करा रखा है. इसको देखते हुए सेबी ने निवेशकों को इस तरह की इकाइयों से सावधान रहने को कहा है. साथ ही उन्हें केवल रेगुलेटर के पास रजिस्टर्ड इकाइयों के साथ ही लेन-देन का सुझाव पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है दिया है.

फिक्स्ड रिटर्न के चक्कर में न फंसे

Sebi ने यह भी कहा कि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट समेत सेबी रजिस्टर्ड इंटरमीडियरिज निवेश पर फिक्स्ड रिटर्न का वादा नहीं कर सकते. फिक्स्ड रिटर्न का दावा करने वाली योजनाएं पोंजी योजनाएं की तरह चलती हैं. इस प्रकार की योजनाओं में पैसा सिक्योरिटीज मार्केट में नहीं लगाया जाता. सेबी ने निवेशकों से निवेश करने से पहले संबंधित इकाई की पूरी जांच-पड़ताल करने की सलाह दी है.

इसके अलावा, एक पोर्टफोलियो मैनेजर ग्राहक से 50 लाख रुपये से कम के फंड या प्रतिभूतियों को स्वीकार नहीं कर सकता है और मानदंडों के अनुसार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी गारंटीकृत या सुनिश्चित रिटर्न का वादा नहीं कर सकता है.

Income Tax : क्‍या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट पर लगने वाली फीस टैक्‍स फ्री है, एक्‍सपर्ट से समझें क्‍या इस पर ले सकते हैं क्‍लेम?

निवेश पर मिलने वाले रिटर्न पर दो तरह से कैपिटल गेन टैक्‍स लगता है.

ज्‍यादातर निवेशक अपने पोर्टफोलियो के प्रबंधन के लिए मैनेजर्स की मदद लेते हैं और इसके एवज में उन्‍हें शुल्‍क का भुगतान करना पड़ता है. सवाल ये उठता है कि जब निवेशक अपने पैसे पर कमाए लाभ पर कैपिटल गेन टैक्‍स देता है तो क्‍या उसे पोर्टफोलियो मैनेजर को दी गई फीस पर टैक्‍स छूट का लाभ मिलना चाहिए.

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 02, 2022, 15:09 IST

हाइलाइट्स

आमदनी पर टैक्‍स सभी तरह के खर्चों को काटने के बाद लगाया जाता है.
फिलहाल इनकम टैक्‍स अपीलीय न्‍यायाधिकरण भी कोई फैसला नहीं दे सका है.
पोर्टफोलियो मैनेजर्स करीब 4.5 लाख करोड़ की संपत्ति का प्रबंधन करते हैं.

नई दिल्‍ली. हर निवेशक की यह चाह होती है कि उसके लगाए पैसे पर तगड़ा रिटर्न मिले और इसके लिए एक्‍सपर्ट की सलाह लेना सबसे कॉमन चीज है. लिहाजा निवेशक को पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज का सहारा लेना पड़ता है, जिसके बाद हर निवेश विकल्‍प पर एक्‍सपर्ट का ओपिनियन मिल जाता है.

यहां तक तो बात सामान्‍य लगती है, लेकिन असर मुद्दा तब उठता है जबकि निवेशक को अपने पैसों पर कमाए रिटर्न पर आयकर विभाग को कैपिटल गेन के रूप में टैक्‍स देना पड़ता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या इस टैक्‍स का भुगतान करने वाला निवेशक अपने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के लिए दे रहे शुल्‍क पर टैक्‍स छूट का दावा कर सकता है. यानी इस राशि को अपनी टैक्‍स देनदारी में शामिल कर सकता है.

क्‍या कहता है आयकर कानून
टैक्‍स मामलों के जानकार बलवंत जैन का कहना है कि आयकर की धारा 48 के तहत कैपिटल गेन के रूप में हुई आमदनी पर टैक्‍स सभी तरह के खर्चों को काटने के बाद लगाया जाता है. यह शेयर ट्रांसफर के पूरी तरह और विशेष रूप से जुड़े सभी खर्चों को शामिल करता है. पोर्टफोलियो मैनेजर को भी दी गई फीस के संबंधन में यह कहा जा सकता है कि इनका शेयरों के ट्रांसफर में निकट संबंध है

हालांकि, टैक्‍स अथॉरिटी का कहना है कि यह फीस शेयर ट्रांसफर से पूरी तरह अथवा विशेष रूप से कतई नहीं जुड़ी है. लिहाजा निवेशक इस पर टैक्‍स छूट का दावा नहीं कर सकते हैं. फिलहाल इनकम टैक्‍स अपीलीय न्‍यायाधिकरण भी इस मसले पर कोई फैसला नहीं दे सका है.

अभी तक क्‍या रहें हैं ट्रिब्‍यूनल के फैसले
इनकम टैक्‍स अपीलीय न्‍यायाधिकरण की पुणे पीठ ने एक फैसले में कहा था कि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट फीस को भी कर शेयर ट्रांसफर खर्च का हिस्‍सा माना जाना चाहिए और इस पर निवेशक टैक्‍स छूट का दावा कर सकता है. हालांकि, मुंबई ट्रिब्‍यूनल ने पुणे पीठ के फैसले को सही नहीं बताया और कहा कि पोर्टफोलियो मैनेजर को दी गई फीस पर टैक्‍स छूट का दावा नहीं किया जा सकता है.

इसके बाद कोलकाता टिब्‍यूनल ने जॉय ब्‍यूटी केयर प्राइवेट लिमिटेड के मामले में अपना फैसला पुणे पीठ के पक्ष में दिया. कोलकाता ट्रिब्‍यनल ने कहा कि निवेशक पोर्टफोलियो फीस पर टैक्‍स छूट का दावा कर सकता है. बैंगलोर ट्रिब्‍यूनल ने एक फैसले में कहा कि इस फीस पर टैक्‍स कटौती को लेकर आयकर कानून में कभी सवाल नहीं उठाया गया है.

कितनी राशि का प्रबंधन करते हैं पोर्टफोलियो मैनेजर
पोर्टफोलियो मैनेजर्स की ओर से सेबी को दी गई जानकारी के अनुसार, अभी देश में रजिस्‍टर्ड पोर्टफोलियो मैनेजर्स के पास करीब 4.5 लाख करोड़ की संपत्ति है, जिसका वे प्रबंधन करते हैं. अगर सरकार इस फीस पर टैक्‍स छूट के दावे को स्‍वीकार करती है तो निवेशकों के लिए यह बड़ा कदम होगा. मामले में बाम्‍बे हाईकोर्ट को भी फैसला देना है, जिससे उम्‍मीद लगाई जा रही कि निवेशकों को कुछ स्‍पष्‍ट डिसीजन मिल सकता है.

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पोर्टफोलियो में विविधता क्यों जरूरी है? फायदे और नुकसान जानें

पोर्टफोलियो में विविधता क्यों जरूरी है? फायदे और नुकसान जानें

विविधता पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का एक महत्वपूर्ण पहलू है। अलग-अलग एसेट्स में निवेश करने से निवेशकों का जोखिम कम होता है। इसके साथ ही यह बाजार के उतार-चढ़ाव से भी निवेशकों को बचाता है। यह मुनाफा बनाने की रणनीति में भी मददगार साबित हो सकता है।

सभी पैसों को एक ही बस्ते में नहीं रखना चाहिए: यह बात विविधता को बहुत अच्छी तरह बताती है। पोर्टफोलियो में विविधता या एसेट एलोकेशन से आप अलग-अलग एसेट वर्ग में निवेश करते हैं। अगर किसी एक वर्ग में गिरावट आती है, तो दूसरा एसेट आपको नुकसान से बचाता है।

एसेट एलोकेशन कैसे करें?
बेहतर जोखिम प्रबंधन के लिए पोर्टफोलियो में विविधता लाना जरूरी है। विभिन्न एसेट क्लास में निवेश करके आप पोर्टफोलियो में विविधता ला सकते हैं।

एसेट कैटेगरी में निवेश के विकल्प नीचे दिए गए हैं
1) इक्विटी
इक्विटी आमतौर पर अन्य एसेट वर्गों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं। यह एसेट वर्ग सरल और समझने में आसान होता है। यह उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जिन्हें निवेश में एक बड़ा दायरा चाहिए।

इक्विटी हर प्रकार के निवेशक को विकल्प देती है। इक्विटी में निवेशक अपने पोर्टफोलियो को लार्ज, मिड और स्मॉल-कैप शेयर्स के अनुसार विविधता दे सकते हैं। एग्रेसिव एप्रोच रखने वाले निवेशक विदेशी शेयर्स को भी अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर सकते हैं। ऐसे ETFs भी हैं जो कम लागत पर स्थिर लॉन्ग टर्म रिटर्न देते हैं।

बाजार के उतार-चढ़ाव से बचने के लिए निवेशकों को अलग-अलग शेयर्स वाले पोर्टफोलियो में ही निवेश करना चाहिए। इसके लिए आपको कंपनी की हर अपडेट पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए। एक सेबी पंजीकृत निवेश सलाहकार (जैसे तेजी मंदी ऐप) ऐसे निवेशकों की मदद करता है, जो निवेश की दुनिया में नए हैं या जिनके पास बाजार को ट्रैक करने का समय नहीं है।

ये सलाहकार सेबी द्वारा विनियमित होते हैं और इनके पास पोर्टफोलियो के हर शेयर पर बारीकी से नजर रखने वाली अनुभवी टीम होती है।

2) फिक्स्ड इंकम कैटेगरी
बॉन्डस में निवेश निश्चित आय प्रदान करता है और वे आमतौर पर पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है उतार-चढ़ाव से दूर होते हैं। आय के स्थिर स्रोत की तलाश करने वाले लोगों के लिए ये कैटेगरी सबसे सुरक्षित और कारगर होती है। यह जरूर है कि यह आमतौर पर लंबी अवधि में धन बनाने में मददगार साबित नहीं होते हैं।

निवेशकों के पास बैंक फिक्स्ड डिपोजिट, सरकारी बॉन्ड और नॉन-कंवर्टेबल डिबेंचर (NCD) जैसे विकल्प होते हैं। NCD जोखिम भरा है, लेकिन अन्य निश्चित आय वाले एसेट की तुलना में अधिक रिटर्न देता है।

3) सोना
सोने में निवेश करने के तरीके में बदलाव आया है। पहले भौतिक रूप से इसमें निवेशक किया जाता था, पर अब नए रूपों जैसे गोल्ड म्यूचुअल फंड और ETF के माध्यम से भी सोने में निवेश किया जाता है।

सोना अन्य एसेट वर्गों के विपरीत काम करता है। जब अन्य एसेट वर्गों में मंदी आ रही होती है, तो सोने का मूल्य बढ़ रहा होता है। इसलिए सोना अस्थिरता और मुद्रास्फीति के खिलाफ एक प्रभावी बचाव बन सकता है। इसके बावजूद सोना लंबी अवधि में ज्यदा रिटर्न देने में ज्यादा मददगार साबित नहीं होता।

4) रियल एस्टेट
सभी एसेट वर्गों में से रियल एस्टेट सबसे ज्यादा अचल संपत्ति में आती है। इसलिए रियल एस्टेट में निवेश जरूरत के आधार पर होना चाहिए।

अचल संपत्ति में निवेश करने से हमेशा बचना चाहिए। चूंकि अचल संपत्ति में आपका निवेश एक लंबे समय तक अटका रह सकता है। इसमें आपके फंड आपकी जरूरत के वक्त मुश्किल से ही काम आते हैं क्योंकि इन्हें तुरंत बेच पाना मुश्किल होता है।

रियल एस्टेट में भी आप अलग-अलग क्षेत्रों या आवासीय या वाणिज्यिक जैसे विभिन्न प्रकार की संपत्तियों में पूंजी को विभाजित कर सकते हैं। रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (REIT), और बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (InvITs) रियल एस्टेट की नई कैटेगरी हैं, जो निवेशकों को लुभा रही हैं।

5)म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड के जरिए निवेशक एक फंड में निवेश करते हैं। इस फंड को पेशेवर फंड मैनेजर नियंत्रित करता है। म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए इक्विटी में निवेश करने का सबसे आसान तरीका है।

जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार निवेशक इक्विटी फंड या डेट (debt) फंड में निवेश कर सकता है। हाइब्रिड फंड के जरिए वह दोनों फंड का फायदा एकसाथ उठा सकते हैं। इसके अलावा निवेशक सेक्टोरल फंड, मल्टी-कैप फंड या कमोडिटी फंड में भी निवेश कर सकते हैं।

पारंपरिक म्यूचुअल फंड के अलावा निवेशक नए उभरते इक्विटी ट्रेडेड फंड (ETF) और इंडेक्स फंड में भी निवेश कर सकते हैं।

म्यूचुअल फंड के कुछ नुकसान भी हैं। इसमें वास्तविक होल्डिंग्स, कमीशन, उच्च निकास भार और उच्च व्यय अनुपात पर नियंत्रण की कमी शामिल है। निवेशकों को निवेश करने से पहले म्यूचुअल फंड से जुड़ी लागतों के बारे में जान लेना चाहिए।

6) बिटकॉइन, एथेरियम (Ethereum) और अन्य क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी एक ट्रेंडिंग एसेट वर्ग है जिसमें निवेशक निवेश कर सकते हैं। क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने के लिए कई एक्सचेंज और प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं।

बता दें कि एसेट कैटेगरी जोखिम भरी और नियामक अनिश्चितता से प्रभावित होने वाली होती हैं। यह ज्यादातर लोगों के लिए जटिल भी होती हैं।

निवेशक को इस अस्थिर और फायदेमंद एसेट वर्ग में अपने जोखिम को ध्यान में रखते हुए ही निवेश करना चाहिए। आपको उतना ही निवेश करना चाहिए, जिसे खोने के लिए आप तैयार हों, इसे ही रिस्क कैपेसिटी भी कहते हैं।

पोर्टफोलियो में विविधता के क्या लाभ हैं?
एक अच्छा पोर्टफोलियो वही है जिसमें जोखिम विभिन्न एसेट्स वर्ग में बंटा हुआ हो। यानी एक ही कैटेगरी पर सारा निवेश करने से आपका जोखिम बढ़ जाता है। बाजार में गिरावट के दौरान विविधता भरा पोर्टफोलियो आपको ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचने देता।

यह मन की शांति देता है क्योंकि एक ही जगह आपका पूरा पैसा लगा नहीं होता है, तो जोखिम कम हो जाता है। विभिन्न वर्गों में निवेश करने से निवेशकों को विभिन्न क्षेत्रों में विकास के अवसर भी प्राप्त होते हैं।

पोर्टफोलियो में विविधता के क्या नुकसान हैं?
सबसे पहले एक निवेशक को यह समझने की जरूरत है कि निवेश के अच्छे अवसर बहुत कम होते हैं। पोर्टफोलियो में जितनी विविधता होती है, उनमें गलती की गुंजाइश भी उतनी ही बढ़ जाती है। विविधता लाने की कोशिश करते समय गलत निवेश को चुनने का जोखिम होता है। नतीजतन आपके पोर्टफोलियो की क्वॉलिटी कम हो जाती है और आपको कम या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है कोई रिटर्न नहीं मिलता है।

हर एसेट्स वर्ग का काम करने का अपना तरीका होता है। बहुत ज्यादा विविधता लाने के चक्कर में हो सकता है कि आप बिना किसी एसेट वर्ग को समझे उसमें निवेश कर दें। इससे जटिलताओं को बढ़ावा मिलता ही है इसके साथ ही यह आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है।

विविधता कर में भी बढ़ोतरी कर सकती है क्योंकि हर वर्ग में कर लागू करने तरीका अलग होता है। टैक्स प्लानिंग एक बहुत ही जटिल विषय है और बहुत कम निवेशकों को इसकी जानकारी होती है। इसलिए विविधता लाने के चक्कर में कई बार निवेशक को बहुत अधिक कर देना पड़ता है तो कई बार उसे टैक्स प्लानर की बहुत अधिक फीस भी देनी पड़ सकती है।

बेहतर होगा कि आप कुछ ही एसेट्स क्लास में निवेश करें। निवेशकों को यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि पिछला प्रदर्शन भविष्य के बेहतर प्रदर्शन की गारंटी नहीं देता है। इसलिए आप उन्हीं एसेट्स में निवेश करें, जिनकी आपको जानकारी है। या फिर आप किसी भरोसेमंद सलाहकार के साथ जुड़कर निवेश कर सकते हैं।

तेजी मंदी 15 शेयर्स का एक विविध पोर्टफोलियो देता है। शेयर बाजार में निवेश करने के इच्छुक लोगों के लिए यह पोर्टफोलियो निवेश की शुरुआत करने का बहुत अच्छा जरिया है। इससे निवेशक शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों तरह के स्टॉक्स का लाभ उठा सकते हैं।

पोर्टफोलियो प्रबंधन क्या है?

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? ये आपके पोर्टफोलियो के लिए निवेशों का सही मिश्रण चुनने की प्रकिया है। ये पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के मुख्य तत्व है. – विविधिकरण, एसेट आवंटन और रिबैलेंसिंग विविधिकरण क्या है? अपने पोर्टफोलियो के लिए अलग-अलग प्रकार के निवेश चुनने को विविधिकरण कहते हैं। इस तरह से आप, किसी एक निवेश में गिरावट से होने वाले घाटे से बच सकते हैं, क्योंकि संभावना है कि आपके किसी दूसरे निवेश में बढ़ोतरी हो जाए। एसेट आवंटन क्या है? एसेट आवंटन का मतलब है कि आप किस निवेश में कितनी पूँजी लगाते हैं। ये कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे आपकी रिस्क झेलने की क्षमता और आपके जीवन लक्ष्य रिबैलेंसिंग क्या है? समय के साथ, आपके निवेश का मूल्य बढ़ या घट सकता है। अपने तय लक्ष्यों को पाने के लिए निवेशों को खरीदने या बेचने की प्रकिया को रिबैलेंसिग कहते हैं। और जानना चाहते हैं? इसमें हम आपकी मदद कर सकते हैं। पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के बारे में और जानने के लिए स्मार्ट मनी से जुड़े रहें।

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