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क्रिप्टोकरेंसी क्या है

क्रिप्टोकरेंसी क्या है

Binance-FTX Deal : Bitcoin सहित सभी क्रिप्टोकरेंसी में आई 16% तक की गिरावट, क्या है मुद्दा?

Binance FTX Deal : बिटकॉइन, इथेरियम, पॉलीगोन सहित ज्यादातर क्रिप्टोकरेंसीज में भारी बिकवाली के चलते पिछले 24 घंटों के दौरान 16 फीसदी तक गिरावट देखने को मिली है

बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज एफटीएक्स (crypto exchange FTX) के फाइनेंशियल क्राइसिस में फंसने के बाद क्रिप्टो में गिरावट देखने को मिल रही है

Cryptocurrencies : बिटकॉइन, इथेरियम, पॉलीगोन सहित ज्यादातर क्रिप्टोकरेंसीज में भारी बिकवाली के चलते पिछले 24 घंटों के दौरान 16 फीसदी तक गिरावट देखने को मिली है। एक बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज एफटीएक्स (crypto exchange FTX) के फाइनेंशियल क्राइसिस में फंसने के बाद क्रिप्टो में गिरावट देखने को मिल रही है। वहीं, बाइनेंस – एफटीएक्स डील रद्द होने से संकट और भी बढ़ गया है।

क्या है मुद्दा?

खबरों के मुताबिक, हाल में बाइनेंस के सीईओ चैंगपेंग झाओ और एफटीएक्स के फाउंडर-सीईओ सैम बैंकमैन-फ्रायड ने सौदे का ऐलान किया। इसके अलावा बैंकमैन फ्रायड ने यह भी ऐलान किया कि बाइनेंस एफटीएक्स के अमेरिका से बाहर के कारोबार को खरीदेगी, लेकिन यह सौदे कितने में है, इसका खुलासा नहीं हुआ। इस ऐलान के बाद एफटीएक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की नेटिव टोकन (FTT) के भाव 24 घंटे में 76.4 क्रिप्टोकरेंसी क्या है फीसदी टूट गए।

CryptoCurrency: आखिर क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, क्यों है क्रिप्टो करेंसी से अलग?

क्रिप्टो प्रोजेक्ट में एक रोडमैप होता है. जिस प्रोजेक्ट में स्पष्ट रूप से परिभाषित रोडमैप नहीं होता है, उसके पास कोई कार्य योजना नहीं होती है और उसे प्राप्त करने के लिए कोई लक्ष्य नहीं होता है. रोडमैप से यह पता चलता है कि क्या प्रोजेक्ट ने अपने पिछले उद्देश्यों को पूरा किया है.

क्रिप्टो प्रोजेक्ट में एक रोडमैप होता है. जिस प्रोजेक्ट में स्पष्ट रूप से परिभाषित रोडमैप नहीं होता है, उसके पास कोई कार्य योजना नहीं होती है और उसे प्राप्त करने के लिए कोई लक्ष्य नहीं होता है. रोडमैप से यह पता चलता है कि क्या प्रोजेक्ट ने अपने पिछले उद्देश्यों को पूरा किया है.

'ब्लॉकचेन' टेक्नोलॉजी से किसी चीज को डिजिटल कर के उसका रिकॉर्ड मेंटेन किया जा सकता है. क्रिप्टोकरेंसी भी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर ही चलती है. मगर, 'ब्लॉकचेन' एक लीगल, सेफ और पूरे नेटवर्क से जुड़ी सर्विस मानी जाती है. भारत की डिजिटल करेंसी 'रूपी' भी इसी पर चलेगी.

  • News18Hindi
  • Last Updated : August 20, 2022, 13:17 IST

हाइलाइट्स

'ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी' एक डिजिटल बहीखाते जैसी सुविधा है यानी ये एक डिजिटल लेजर है.
भारत सरकार अपनी डिजिटल करेंसी जारी करेगी, ये करेंसी 'ब्लॉकचेन' पर आधारित होगी.
'ब्लॉकचेन' को डिस्‍ट्रीब्‍यूटेड लेजर टेक्‍नोलॉजी (DLT) भी कहते हैं, इसकी हैकिंग नहीं हो सकती.

नई दिल्‍ली. देश में डिजिटल करेंसी के तौर पर इस्तेमाल हो रही ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के बीच ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ टर्म भी आपने सुना ही होगा. आखिर ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ क्‍या है, और यह ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के साथ क्‍यों जोड़कर देखी जा रही है, क्या ये दोनों एक हैं? ऐसे तमाम सवाल आपके मन भी उठे होंगे. आज आप इसके बारे में जान जाएंगे. ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के बढ़ते ट्रेंड ने लोगों को इस तरह की चीजों को जानने या इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया है. आपको बता दें कि, ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ एक डिजिटल बहीखाते जैसी सुविधा है.

यह एक ऐसा प्लेटफार्म है, जहां ना सिर्फ डिजिटल करेंसी, बल्कि किसी और चीज को भी डिजिटल कर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. यानी ब्लॉकचेन एक डिजिटल लेजर है. ‘ब्लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी’ पर जो भी ट्रांजेक्शन होता है, वो चेन में जुड़े हर कंप्यूटर पर दिखाई देता है. इसका मतलब है कि ब्लॉकचेन में कहीं भी कोई ट्रांजैक्शन होता है, तो उसका रिकॉर्ड पूरे नेटवर्क पर दर्ज हो जाएगा. इसलिए इसे डिस्‍ट्रीब्‍यूटेड लेजर टेक्‍नोलॉजी (DLT) भी कहा जा सकता है.

‘ब्लॉकचेन’ को माना जाता है सुरक्षित

‘ब्लॉकचेन’ के बारे में एक अच्छी बात यह भी कि यह सिक्‍योर और डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी मानी जाती है. जिसकी हैकिंग मुमकिन नहीं है, और इसे बदलना, हटाना या नष्ट करना भी नामुमकिन है. वहीं, इसे बिटकॉइन के प्‍लेटफॉर्म से भी ज्‍यादा भरोसेमंद टेक्नोलॉजी को बताया जा रहा है.

यही वजह है कि भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 के दरम्यान डिजिटल करेंसी का ऐलान किया. इंडियन डिजिटल करेंसी Rupee को आरबीआई जारी करेगी. यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी. वैसे क्रिप्टोकरेंसी भी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलती है. मगर, चूंकि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी किसी भी डिजिटल इंफॉर्मेशन को डिस्ट्रीब्यूट करने की मंजूरी देती है, तो हर कोई इसका इस्तेमाल कर पाएगा.

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क्रिप्टो करेंसी की कब हुई थी शुरुआत, क्या हैं इसके फायदे और नुकसान, समझिए पूरा हिसाब

इन दिनों जिस क्रिप्टो करेंसी का जलवा है, ये डिजिटल करेंसी है. इसे आप छू नहीं सकते, लेकिन हां अमीर जरूर हो सकते हैं. आमतौर पर इसका इस्तेमाल किसी सामान की खरीदारी या कोई सर्विस खरीदने के लिए किया जा सकता है.

क्रिप्टो करेंसी की कब हुई थी शुरुआत, क्या हैं इसके फायदे और नुकसान, समझिए पूरा हिसाब

TV9 Hindi | Edited By: रोहित ओझा

Updated on: Dec 23, 2020 | 9:13 AM

डिजिटल होती दुनिया में हर चीज वर्चुअल होती जी रही है. डिजिटल पेंमेट की सुविधा ने लोगों की लाइफ को काफी आसान बना दिया है. डिजिटल होते इस वर्ल्ड में क्रिप्टो करेंसी का क्रेज बढ़ गया है. दुनिया के हर एक देश की अपनी मुद्रा है. जैसे-भारत में रुपया, अमेरिका में डॉलर और ब्रिटेन में पाउंड. लेकिन इन दिनों जिस क्रिप्टो करेंसी का जलवा है, ये डिजिटल करेंसी है. इसे आप छू नहीं सकते, लेकिन हां अमीर जरूर हो सकते हैं. आइए अब समझ लेते हैं इस क्रिप्टो करेंसी का पूरा हिसाब.

कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनी क्रिप्टो करेंसी एक इंडिपेंडेंट मुद्रा है. यह करेंसी किसी भी एक अथॉरिटी के काबू में भी नहीं होती. जैसे रुपया, डॉलर, यूरो या अन्य मुद्राओं का संचालन देश की सरकारें करती हैं, लेकिन क्रिप्टो करेंसी का संचलान कोई भी अथॉरिटी नहीं करती. यह एक डिजिटल करेंसी होती है. इसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है. आमतौर पर इसका प्रयोग किसी सामान की खरीदारी या कोई सर्विस खरीदने के लिए किया जा सकता है.

जापान के एक इंजीनियर ने की थी शुरुआत

सबसे पहले साल 2009 में क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत हुई थी, जो बिटकॉइन थी. जापान के इंजीनियर सतोषी नाकमोतो ने इसे बनाया था. शुरुआत में इसे कोई खास सफलता नहीं मिली, लेकिन धीरे-धीरे इसकी कीमत आसमान छूने लगी और ये पूरी दुनिया में छा गया.

क्रिप्टो करेंसी के क्या हैं फायदे और नुकसान

क्रिप्टो करेंसी के कई फायदे हैं और इसके नुकसान भी हैं. पहला फायदा ये है कि डिजिटल करेंसी होने के कारण धोखाधड़ी की गुंजाइश ना के बराबर है. दूसरा ये कि इसकी कोई नियामक संस्था नहीं है. इसलिए नोटबंदी या करेंसी के अवमूल्यन जैसी स्थितियों असर इसपर नहीं पड़ता. क्रिप्टोकरेंसी में मुनाफा अधिक होता है और ऑनलाइन खरीदारी से लेन-देन आसान होता है. इसका सबसे बड़ा नुकसान है कि वर्चुअल करेंसी में भारी उतार-चढ़ाव आपके माथे पर पसीना ला देगा.

एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच साल में बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी एक ही दिन में बिना किसी चेतावनी के 40 से 50 प्रतिशत गिर गई थी. इसका सबसे बड़ा नुकसान ये होता है कि वर्चुअल करेंसी होने के कारण इसमें सौदा जोखिम भरा होता है. इस करेंसी का इस्तेमाल ड्रग्स सप्लाई और हथियारों की अवैध खरीद-फरोख्त जैसे अवैध कामों के लिए किया जा सकता है. , इसका एक और नुकसान यह है कि यदि कोई ट्रांजेक्शन आपसे गलती से हो गया तो आप उसे वापस नहीं मंगा सकते हैं.

क्रिप्टो करेंसी से क्या भारत में होता है लेनदेन

भारत में क्रिप्टो करेंसी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था और वर्चुअल करेंसी के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में लेन देन की इजाजत दी थी. साल 2018 में इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भारतीय रिजर्व बैंक के सर्कुलर पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. बिटकॉइन के अलावा भी रेड कॉइन, सिया कॉइन, सिस्कोइन, वॉइस कॉइन और मोनरो कॉइन जैसी अन्य क्रिप्टो करेंसी बाजार में उपलब्ध हैं.

मैं क्रिप्टोकरेंसी निवेशक हूं, मुझे क्या मिला: क्रिप्टोकरेंसी से कमाई पर देना होगा 30% टैक्स, इसी साल अपनी डिजिटल करेंसी लॉन्च करेगा RBI

अप्रैल से शुरू होने जा रहे नए फाइनेंशियल ईयर में आपको शॉपिंग करने के लिए पर्स में कागज के नोट रखकर बाजार जाने की जरूरत नहीं होगी। सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 में अपनी डिजिटल करेंसी, यानी डिजिटल रुपया लॉन्च करने की घोषणा कर दी है। वहीं अब क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर टैक्स लगेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को अपने बजट भाषण में इसकी जानकारी दी।

वित्त मंत्री ने साफ किया कि RBI की ओर से जारी होने वाले डिजिटल रुपए को ही डिजिटल करेंसी माना जाएगा। अन्य जो भी बिटकॉइन और इथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी है उसे एसेट माना जाएगा और इससे होने वाली कमाई पर 30% का टैक्स देना होगा। इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी से ट्रांजैक्शन पर 1% का TDS देना होगा।

सरकारी डिजिटल करेंसी से इकोनॉमी को मिलेगा बड़ा बूस्ट
वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की पूरी तैयारी कर ली है। यह डिजिटल करेंसी भी दुनिया भर में चल रही बिटकॉइन और अन्य तरह की क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही ब्लॉकचेन और अन्य दूसरी क्रिप्टो तकनीकों पर आधारित होगी। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी आने के बाद करेंसी मैनेजमेंट सिस्टम बेहद आसान व सस्ता हो जाएगा। इससे देश की इकोनॉमी को बड़ा बूस्ट मिलने की संभावना है। साथ ही इकोनॉमी के डिजिटाइजेशन को भी तेजी मिलेगी।

आइए जानते हैं कि यह डिजिटल रुपया करेंसी नोट से कितना अलग होगा? क्या इसमें भी बिटकॉइन की तरह निवेश किया जा सकेगा? बैंकों की क्या भूमिका रह जाएगी? हम जो डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं, उनसे यह डिजिटल रुपया किस तरह अलग होगा?

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी CBDC क्रिप्टोकरेंसी क्या है क्या है?
यह कैश का इलेक्ट्रॉनिक रूप है। जैसे आप कैश का लेन-देन करते हैं, वैसे ही आप डिजिटल करेंसी का लेन-देन भी कर सकेंगे। CBDC कुछ हद तक क्रिप्टोकरेंसी (बिटकॉइन या ईथर जैसी) जैसे काम करती है। इससे ट्रांजैक्शन बिना किसी मध्यस्थ या बैंक के हो जाता है। रिजर्व बैंक से डिजिटल करेंसी आपको मिलेगी और आप जिसे पेमेंट या ट्रांसफर करेंगे, उसके पास पहुंच जाएगी। न तो किसी वॉलेट में जाएगी और न ही बैंक अकाउंट में। बिल्कुल कैश की तरह काम करेगी, पर होगी डिजिटल।

यह डिजिटल रुपया, डिजिटल पेमेंट से कैसे अलग है?

  • बहुत अलग है। आपको लग रहा होगा कि डिजिटल ट्रांजैक्शन तो बैंक ट्रांसफर, डिजिटल वॉलेट्स या कार्ड पेमेंट्स से हो ही रहे हैं, तब डिजिटल करेंसी अलग कैसे हो गई?
  • यह समझना बेहद जरूरी है कि ज्यादातर डिजिटल पेमेंट्स चेक की तरह काम करते हैं। आप बैंक को निर्देश देते हैं। वह आपके अकाउंट में जमा राशि से ‘वास्तविक’ रुपए का पेमेंट या ट्रांजैक्शन करता है। हर डिजिटल ट्रांजैक्शन में कई संस्थाएं, लोग शामिल होते हैं, जो इस प्रोसेस को पूरा करते हैं।
  • उदाहरण के लिए अगर आपने क्रेडिट कार्ड से कोई पेमेंट किया तो क्या तत्काल सामने वाले को मिल गया? नहीं। डिजिटल पेमेंट सामने वाले के अकाउंट में पहुंचने के लिए एक मिनट से 48 घंटे तक ले लेता है। यानी, पेमेंट तत्काल नहीं होता, उसकी एक प्रक्रिया है।
  • जब आप डिजिटल करेंसी या डिजिटल रुपया की बात करते हैं तो आपने भुगतान किया और सामने वाले को मिल गया। यही इसकी खूबी है। अभी हो रहे डिजिटल ट्रांजैक्शन किसी बैंक के खाते में जमा रुपए का ट्रांसफर है। पर CBDC तो करेंसी नोट्स की जगह लेने वाले हैं।

यह डिजिटल रुपया बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग होगा?

  • डिजिटल करेंसी का कंसेप्ट नया नहीं है। यह बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से आया है, जो 2009 में लॉन्च हो गई थी। इसके बाद ईथर, डॉगेकॉइन से लेकर पचासों क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च हो चुकी हैं। पिछले कुछ वर्षों में यह एक नए असेट क्लास के रूप में विकसित हुई है, जिसमें लोग इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं।
  • प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी प्राइवेट लोग या कंपनियां जारी करती हैं। इससे इसकी मॉनिटरिंग नहीं होती। गुमनाम रहकर भी लोग ट्रांजैक्शन कर रहे हैं, जिससे आतंकी घटनाओं व गैरकानूनी गतिविधियों में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल हो रहा है। इन्हें किसी भी केंद्रीय बैंक का सपोर्ट नहीं है। यह करेंसी लिमिटेड है, इस वजह से सप्लाई और डिमांड के अनुसार इसकी कीमत घटती-बढ़ती है। एक बिटकॉइन की वैल्यू में ही 50% तक की गिरावट दर्ज हुई है।
  • पर जब आप प्रस्तावित डिजिटल रुपया की बात करते हैं तो इसे दुनियाभर में केंद्रीय बैंक, यानी हमारे यहां रिजर्व बैंक लॉन्च कर रहा है। न तो क्वांटिटी की सीमा है और न ही फाइनेंशियल और मौद्रिक स्थिरता का मुद्दा। एक रुपए का सिक्का और डिजिटल रुपया समान ताकत रखता है। पर डिजिटल रुपए की मॉनिटरिंग हो सकेगी और किसके पास कितने पैसे हैं, यह रिजर्व बैंक को पता होगा।
  • हालांकि, भारत के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज में से एक वजीरएक्स में AVP-मार्केटिंग परीन लाठिया कहते हैं कि रिजर्व बैंक के डिजिटल करेंसी लॉन्च करने से बिटकॉइन या क्रिप्टोकरेंसी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्रिप्टोकरेंसी एक तरह का असेट बन चुकी है, जिसका दुनियाभर में ट्रेड होता रहेगा। भारत इसमें पीछे नहीं रह सकता।

क्या अब तक किसी देश ने डिजिटल करेंसी लॉन्च की है?

  • हां। छह साल की रिसर्च के बाद पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने अप्रैल 2020 में दो पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए। लॉटरी सिस्टम से ई-युआन बांटे गए। जून 2021 तक 2.4 करोड़ लोगों और कंपनियों ने e-CNY यानी डिजिटल युआन के वॉलेट बना लिए थे।
  • चीन में 3450 करोड़ डिजिटल युआन (40 हजार करोड़ रुपए) का लेन-देन यूटिलिटी बिल्स, रेस्टोरेंट व ट्रांसपोर्ट में हो चुका है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट कहती है कि 2025 तक डिजिटल युआन की चीनी इकोनॉमी में हिस्सेदारी 9% तक हो जाएगी। अगर सफल रहा तो चीन पूरी दुनिया में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी लॉन्च करने वाला पहला देश बन जाएगा।
  • जनवरी 2021 में बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स ने बताया कि दुनियाभर के 86% केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी पर काम कर रहे हैं। बहामास जैसे छोटे देश ने तो हाल ही में CBDC के तौर पर सैंड डॉलर लॉन्च भी कर दिया है।
  • कनाडा, जापान, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, UK और यूनाइटेड स्टेट्स के साथ-साथ यूरोपीय यूनियन भी बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के साथ मिलकर डिजिटल करेंसी पर काम कर रहे हैं। इससे डिजिटल करेंसी से लेन-देन जल्द ही हकीकत बनने वाला है।

दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों की डिजिटल करेंसी में रुचि क्यों बढ़ी है?

डिजिटल करेंसी से ये 4 बड़े फायदे हैं-

1. एफिशियंसीः यह कम खर्चीली है। ट्रांजैक्शन भी तेजी से हो सकते हैं। इसके मुकाबले करेंसी नोट्स का प्रिटिंग खर्च, लेन-देन की लागत भी अधिक है।
2. फाइनेंशियल इनक्लूजनः डिजिटल करेंसी के लिए किसी व्यक्ति को बैंक खाते की जरूरत नहीं है। यह ऑफलाइन भी हो सकता है।
3. भ्रष्टाचार पर रोकः डिजिटल करेंसी पर सरकार की नजर रहेगी। डिजिटल रुपए की ट्रैकिंग हो सकेगी, जो कैश के साथ संभव नहीं है।
4. मॉनेटरी पॉलिसीः रिजर्व बैंक के हाथ में होगा कि डिजिटल रुपया कितना और कब जारी करना है। मार्केट में रुपए की अधिकता या कमी को मैनेज किया जा सकेगा।

भारत में रिजर्व बैंक ने डिजिटल करेंसी पर क्या काम किया है?

क्या है Private Cryptocurrency जो बैन होगी, क्या बिटकॉइन इसमें शामिल है?

जीकैश, मोनेरो, डैश प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के कुछ उदाहरण है.

क्या है Private Cryptocurrency जो बैन होगी, क्या बिटकॉइन इसमें शामिल है?

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर सरकार द्वारा बिल लाने की घोषणा के बाद हाय तौबा मच गई है. अब जब भारतीयों के हजार-करोड़ों रुपए क्रिप्टो के बाजार में लगे हो तो हाय तौबा मची रहेगी. इसका असर ये हुआ कि एक तो मार्केट धड़ाम से गिर गया दूसरी तरफ पैनिक सेलिंग को बढ़ावा मिला. लेकिन सरकार द्वारा बिल की घोषणा पर नजर डालें तो वहां प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने की बात हो रही है.

अब ये प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी क्या है और ये बिटकॉइन, ईथीरियम या डॉजकॉइन भी प्राइवेट क्रिप्टो हैं.

क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी एक वर्चुअल करेंसी है, इसके साथ कुछ वैल्यू भी जुड़ी होती है. ये एक ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करती है. ये किसी बैंक ना मिलने की बजाय कंप्यूटर्स द्वारा माइन होती है. हालांकि इनके ट्रांजैक्शन को ट्रैक किया जा सकता क्रिप्टोकरेंसी क्या है है, लेकिन सीमित जानकारियों के साथ.

अब भारत समेत दुनिया के कई देश में ना तो इसको लेकर कोई कानून है ना ही इसे सरकार मान्यता देती है. इसलिए भारत सरकार अब इस पर एक बिल लेकर आएगी ताकि कुछ कानून बनाएं जा सके.

क्रिप्टोकरेंसी के ट्रांजेक्शन को ट्रैक करना काफी जटिल है और सरकार का मानना है कि इसका बड़े स्तर पर दुरुपयोग हो सकता है. या तो इसको हवाला फंडिंग या टेरर फंडिंग के उपयोग में लाया जा सकता है. इसलिए इसको या तो बैन करने की जरूरत है या फिर रेग्युलेट करने की.

प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी क्या होती है?

प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी प्राइवेट ब्लॉकचेन के सहारे ट्रांजेक्ट होती है. इसको ट्रेस करना लगभग नामुमकिन हो जाता है. आमतौर पर इसकी परिभाषा भी यही है. जीकैश, मोनेरो, डैश प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के कुछ उदाहरण है. वहीं बिटकॉइन, डॉजकॉइन, ईथीरियम ये सब पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी हैं जिनके ट्रांजेक्शन को ट्रेस किया जा सकता है.

पेंच ये है कि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी की कोई फिक्स परिभाषा तय नहीं हो पाई है. भारत सरकार प्राइवेट क्रिप्टो को किस तरह से परिभाषित करेगी ये बिल पेश पेश होने के बाद ही साफ हो पाएगा.

अब ऐसा हो सकता है कि सरकार उन सभी क्रिप्टोकरेंसी को प्राइवेट माने जो सरकार द्वारा जारी नहीं की गई है. या ऐसा भी हो सकता है कि जिन क्रिप्टोकरेंसी के ट्राजेक्शन की पहचान ना की जा सकती हो उनको सरकार प्राइवेट माने.

अब चूंकी सरकार अपनी एक डीजिटल करेंसी ला रही है इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि हर तरह की क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा दिया जाएगा लेकिन कुछ अपवाद के साथ.

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