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क्या आप स्केलिंग से बच सकते हैं?

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    शीतल पेय, पैक फलों के जूस, अधिक चीनी युक्त भोजन और अम्लीय जूस का सीमित मात्रा में ही सेवन करें। कैंडी और चॉकलेट ज्यादा मात्रा में नहीं खाएं।

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एथलीट फुट के बारे में सब कुछ

एथलीट फुट

Athletes Foot

एथलीट फुट, जिसे टीनिया पेडिस भी कहा जाता है, फंगल संक्रमण का एक रूप है। आपके पैर की उंगलियों के बीच में फंगल त्वचा संक्रमण शुरू होता है। यदि आप दिन के अधिकांश समय बहुत टाइट-फिटिंग जूते पहनते हैं तो फंगल संक्रमण दिखाई देगा। एथलीट फुट अन्य फंगल त्वचा संक्रमणों के समान है, लेकिन अगर ठीक से और समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह बार-बार आ सकता है।

एथलीट फुट के बारे में

एथलीट फुट एक छूत की बीमारी है जो उसी तरह के फंगस से होती है जो जॉक खुजली और दाद का कारण बनती है। यदि आप लंबे समय तक नम मोजे या जूतों में रहते हैं तो आपको फंगल त्वचा संक्रमण होने की अधिक संभावना है।

एथलीट फुट फंगस गर्म, आर्द्र जलवायु परिस्थितियों में बढ़ता है। आप मैट, बेड लिनेन, गलीचे और जूते साझा करके भी एथलीट फुट रोग को अनुबंधित या प्रसारित कर सकते हैं।

आप एथलीट फुट या टिनिया पेडिस को एक्जिमा या रूखी त्वचा समझ सकते हैं क्योंकि यह एक पपड़ीदार लाल चकत्ते का कारण बनता है जिसमें खुजली होती है। यदि आपको मधुमेह है और आपको एथलीट फुट रोग हो गया है तो आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। यदि आपको मधुमेह है, तो द्वितीयक जीवाणु संक्रमण की भी संभावना है।

लक्षण

एथलीट फुट के लक्षणों में शामिल हैं:

  • दाने: आप अपने पैर की उंगलियों के बीच लाल, पपड़ीदार, खुजलीदार चकत्ते देखेंगे।
  • फफोले: आप अपने पैर की उंगलियों के बीच या अपने तलवों पर छाले पा सकते हैं।
  • सूखापन और स्केलिंग: यदि आप एथलीट फुट से पीड़ित हैं तो आप तलवों और अपने तलवों के किनारों पर सूखापन और स्केलिंग का अनुभव कर सकते हैं।
  • अल्सर: एथलीट फुट दर्दनाक अल्सर या घावों का कारण बन सकता है। घाव मवाद से भरे हो सकते हैं।

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एथलीट फुट के कारण

आपको निम्नलिखित मामलों में एथलीट फुट के अनुबंध का उच्च जोखिम है:

  • यदि आप नियमित रूप से टाइट-फिटिंग और नम जूते और मोजे पहनते हैं।
  • यदि आप एथलीट फुट से संक्रमित किसी व्यक्ति के साथ अपने जूते, मोजे, कपड़े, बिस्तर के लिनेन और तौलिये साझा करते हैं
  • यदि आप गर्म और आर्द्र जलवायु परिस्थितियों में रहते हैं
  • यदि आप सार्वजनिक स्थानों पर नंगे पैर चलते हैं

प्राकृतिक उपचार और इलाज

आपका डॉक्टर काउंटर पर एंटी-फंगल स्प्रे, मलहम, क्रीम या पाउडर लिख कर एथलीट फुट का इलाज करेगा। यदि आपका संक्रमण स्प्रे और मलहम से ठीक नहीं होता है, तो आपका डॉक्टर एंटी-फंगल गोलियां लिख सकता है।

निर्धारित दवाओं के अलावा, कई जीवनशैली और घरेलू उपचार हैं जो आपके एथलीट फुट का इलाज कर सकते हैं।

  • आपको अपने पैरों को जितना हो सके सूखा रखना चाहिए।
  • आप घर पर नंगे पांव रहें और प्रभावित क्षेत्र को ताजी हवा दें।
  • नहाने के बाद आपको अपने पैरों को, खासकर पंजों के बीच में साफ करना चाहिए।
  • आपको खुले पैर के जूते पहनने चाहिए ताकि एथलीट का पैर न फैले।
  • आपको रबर और विनाइल जैसी सिंथेटिक सामग्री से बने जूते पहनने से बचना चाहिए।
  • आपको अपने मोज़े नियमित रूप से बदलने चाहिए। यदि आपके पैरों में अधिक पसीना आता है, तो आपको दिन में दो बार भी अपने मोज़े बदलने चाहिए।

सावधानियां

आपको अपने मोज़े और जूते किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए।

एथलीट फुट जैसी बीमारी से संक्रमित क्षेत्र को खरोंच कर अपने शरीर के किसी अन्य अंग को नहीं छूना चाहिए। इससे आपके शरीर के अन्य हिस्सों में संक्रमण हो सकता है।

आपका फंगल संक्रमण हाथों या तौलिये से आपकी कमर तक फैल सकता है। संक्रमित क्षेत्र और अपने शरीर के अंगों को पोंछने के लिए आपको अलग-अलग तौलिये का उपयोग करना चाहिए।

आपको सार्वजनिक स्थानों पर नंगे पैर जाने से बचना चाहिए। इससे संक्रमण के अनुबंध और संचरण की संभावना बढ़ जाती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

यदि एथलीट फुट का इलाज न किया जाए तो क्या होगा?

एथलीट फुट कोई बहुत गंभीर या जानलेवा बीमारी नहीं है। लेकिन अगर आप इसका इलाज नहीं करते हैं तो यह जिद्दी हो सकता है। इसे ठीक होने में कई सप्ताह लग सकते हैं और यह दोबारा हो सकता है। यदि आप प्रभावित क्षेत्र को छूने या खरोंचने के बाद उन्हें छूते हैं तो यह आपके हाथों और कमर में भी फैल सकता है।

क्या हैंड सैनिटाइज़र एथलीट फुट को मारता है?

आप एथलीट फुट का इलाज एंटी-फंगल क्रीम और स्प्रे से कर सकते हैं। लेकिन आप प्रभावित क्षेत्र को साफ करने के लिए हैंड सैनिटाइज़र का भी उपयोग कर सकते हैं क्योंकि हैंड सैनिटाइज़र में आइसोप्रोपिल अल्कोहल होता है, जो फंगस, बैक्टीरिया और वायरस पर प्रभावी होता है। लेकिन एथलीट फुट पर किसी भी हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने से पहले आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

क्या मुझे एथलीट फुट के साथ बिस्तर पर मोज़े पहनना चाहिए?

नहीं, आपको एथलीट फुट के साथ बिस्तर पर मोज़े नहीं पहनने चाहिए। जब आप घर पर हों, तो आपको प्रभावित क्षेत्र को सूखा और खुला छोड़ देना चाहिए। आपको क्षेत्र को ताजी हवा प्राप्त करने देना चाहिए।

एथलीट फुट से छुटकारा पाने में कितना समय लगता है?

आपका एथलीट फुट आमतौर पर दो सप्ताह में चला जाता है। यद्यपि आपको तब तक दवा जारी रखनी चाहिए जब तक कि आपके डॉक्टर ने निर्धारित किया हो क्योंकि यदि आप उपचार की उपेक्षा करते हैं तो संक्रमण फिर से हो सकता है।

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होली की मस्ती के बीच इस तरह रखें अपनी सेहत का भी ख्याल !

रंगों के खूबसूरत त्योहार होली की तैयारियां जोरों-शोरों से शुरू हो गई हैं। इको-फ्रेंडली (पर्यावरण-अनुकूल) जश्न के इस माहौल में क्या आप सुरक्षित और सेहतमंद होली की तैयारी में जुटे हैं? अगर हां, तो बहुत बढ़िया! होली का मजा तब दुगना हो जाता क्या आप स्केलिंग से बच सकते हैं? है जब आपको किसी हानिकारक केमिकल से जुड़ी या स्वास्थ्य संबंधी चिंता नहीं सताती। जी हां, होली के जश्न के साथ कुछ स्वास्थ क्या आप स्केलिंग से बच सकते हैं? संबंधी जोखिम भी जुड़े हो सकते हैं। लेकिन सावधानी और बचाव के तरीकों से आप पूरे मन से इस त्योहार का आनंद उठा सकते हैं। हेल्थियंस की वरिष्ठ लाइफस्टाइल मैनेजमेंट कन्सल्टेंट डॉ. स्नेहल सिंह ने होली के जश्न से जुड़े कुछ स्वास्थ्य संबंधी जोखिम और उनसे बचने के सुरक्षात्मक तरीके बताए हैं।

स्वास्थ्य से जुड़े संभावित जोखिम में सबसे पहले है एलर्जी :

होली के रंग अक्सर केमिकल से बनाए जाते हैं और इनसे कुछ लोगों को ऐलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं। एलर्जी से त्वचा, आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है। इनसे संवेदनशील लोगों में सर्दी, खांसी और सांस की तकलीफें भी हो सकती हैं। इनसे दमा और अन्य जटिल समस्याएं गंभीर रूप ले सकती हैं। होली के नैचुरल रंग बनाएं घर पर, देखें यह वीडियो।

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* त्वचा की समस्याएं : होली के रंगों में संभावित हानिकारक केमिकल्स से त्वचा की समस्याएं होने से स्वास्थ्य को बहुत बड़ा खतरा होता है। इनसे खुजली, लालिमा, सूखापन, स्केलिंग, जलन का एहसास और फुंसियां हो सकती हैं। होली के रंगों का प्रभाव बालों पर भी पड़ सकता है। कई लोगों को होली के बाद बालों का झड़ना, सिर की त्वचा पर खुजली, गंजापन, बालों का बेजान और रूखा होने जैसी समस्याओं का सामान करना पड़ता है।

* आंखों की समस्याएं: होली के जश्न के बाद लोगों में पाई जाने वाली आम समस्याएं आंखों से जुड़ी होती हैं, जिनमें जलन, खुजली, आंखों में अधिक पानी आना, रोशनी के प्रति अधिक संवेदनशीलता, आंखों में दर्द या लाल होने के लक्षण शामिल होते हैं।

* पाचन संबंधी समस्याएं: होली के उल्लास में रंग लगे हाथों से पकवान खाने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। रंग म्यूकस मेम्ब्रेन (श्लेष्म झिल्ली) में जलन पैदा कर सकते हैं, जिस कारण आपको मिचली, उल्टी या पेट की तकलीफ हो सकती है, साथ ही इंफेक्शन होने की संभावना भी बनी रहती है।

* केमिकल का उपयोग: होली के रंगों में इस्तेमाल होने वाले कुछ रसायनों से आपके स्वास्थ्य के आधार क्या आप स्केलिंग से बच सकते हैं? पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। इससे पक्षाघात (पैरालिसिस), गुर्दे की खराबी और त्वचा के कैंसर जैसी समस्याएं जुड़ी क्या आप स्केलिंग से बच सकते हैं? हैं इसलिए सावधान रहें।

आजकल हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए पर्यावरण के अनुकूल (इको-फ्रेंडली) रंग बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं, लेकिन इन पर भी कोई नियमन नहीं है, इसलिए आपको भ्रामक लेबल से सावधान रहने की जरूरत है। नकली ऑर्गेनिक या झूठा दावा करने वाले उत्पादों से सावधान रहें, सुरक्षित रंगों को पहचानने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं।

* रंगों से यदि केमिकल या पेट्रोल की गंध आए तो उन्हें न खरीदें। यदि रंग पानी में घुलता नहीं है तो उनमें केमिकल हो सकता है, बेहतर होगा उन्हें न खरीदें।

* ऑर्गेनिक रंगों में चमकदार कण नहीं होते हैं और वे गहरे रंगों (डार्क शेड) में उपलब्ध नहीं होते हैं। इसलिए सिल्वर, गहरा पर्पल या काला रंग न खरीदें, हो सकता है कि वे प्राकृतिक रंग न हों।

* बेसन में हल्दी मिलाएं और चमकदार पीला रंग पाएं। आप पानी में गेंदे के फूलों के पत्तों को उबालकर पीले रंग का पानी बना सकते हैं। लाल रंग बनाने के लिए गुड़हल के फूलों के सूखे पत्तों के पाउडर को आटे के साथ मिला लें। बीटरूट के टुकड़े काटकर या अनार के दाने पानी में मिलाकर मनमोहक गुलाबी रंग का पानी बना सकते हैं। पानी में केसर भिगोकर या अच्छी क्वालिटी की प्राकृतिक हिना या मेहंदी मिलाकर नारंगी रंग का पानी बना सकते हैं।

सुरक्षित होली के लिए इन सलाह पर अमल करें :

होली में रंगों से खेलने से पहले मॉइचराइजिंग लोशन, जैतून (ऑलिव) या नारियल का तेल त्वचा पर लगा लें। इससे आपकी त्वचा सुरक्षित भी रहती है और बाद में रंग छुड़ाना भी आसान हो जाता है। आप एक वॉटरप्रूफ सनस्क्रीन लोशन का भी प्रयोग कर सकते हैं। यदि आप कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं तो होली खेलने से पहले उन्हें निकालकर कर रख दें।

* होली के रंगों से आपके बाल और सिर की त्वचा खराब हो सकती है, इसलिए रंगों से खेलने से पहले आप सिर और बालों में तेल लगा सकते हैं या कैप (टोपी) पहनकर उन्हें सुरक्षित रख सकते हैं। केवल जैविक (ऑर्गेनिक) तरीके से बनाए रंगों का ही प्रयोग करें, सबसे अच्छे हैं प्राकृतिक सामग्रियों से बने रंग। होली में बालों को डैमेज़ से बचाने के लिए 5 हेयरकेयर टिप्स

* होली मनाने के बाद अपने आपको साधारण पानी और साबुन से साफ करें। कठोर साबुन, डिटर्जेंट या अन्य केमिकल का उपयोग करने से बचें, इनसे भी त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है। चेहरे की चमक क्या आप स्केलिंग से बच सकते हैं? दोबारा पाने के लिए शहद के साथ नींबू का रस मिलाकर प्रयोग करें या बेसन, हल्दी और दही का एक प्राकृतिक फेस पैक बनाकर लगाएं। 5 स्किनकेयर टिप्स होली में जो करेंगी आपकी त्वचा को हेल्दी रखने में मदद।

* आंखों में रंग चले गए हों तो उन्हें ठंडे पानी से धो लें। चमकदार, स्वस्थ बालों को दोबारा पाने के लिए सिर पर अंडे की जर्दी या दही मलकर धो सकते हैं।

दांतों को बीमारियों से बचाने के 6 टिप्स

क्या आप हद से ज्यादा पैक किया हुआ फ्रूट जूस या कार्बोनेटेड ड्रिंक या शीतल पेय पीते हैं?

Written by Agencies | Published : April 24, 2017 6:47 PM IST

जिस तरह अपने बालया स्किन का ख्याल रखना चाहिए उसी तरह दांतों की भी देखभाल करनी चाहिए इससे आप दांतो को कई तरह से बीमारियों से बचा सकते हैं। दांतों की बीमारियां काफी तकलीफदेह होती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए और खट्टे व अम्लीय तरल पदार्थो का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए। साथ ही हर छह महीने पर किसी अच्छे डॉक्टर से दांतों की सफाई करवानी चाहिए। साउथएक्स डेंटल क्लीनिक (नई दिल्ली) के दंत चिकित्सक और सीनियर इम्प्लांटोलॉजिस्ट उन्नति गुप्ता ने दांतों को साफ और बीमारियों से सुरक्षित रखने के संबंध में ये सुझाव दिए हैं :

    फ्लॉस या इंटरडेंटल ब्रश का इस्तेमाल करें। हल्के हाथों से दिन में एक बार दांतों के ऊपर और नीचे के हिस्से की सफाई करें। रात में फ्लॉस का इस्तेमाल करना ज्यादा उपयुक्त होता है। आप नीम के दातुन से भी दांत साफ कर सकते हैं।

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    फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें, यह दांतों पर इनेमल की परत बरकरार रख कैविटी को हटाता है।

    शीतल पेय, पैक फलों के जूस, अधिक चीनी युक्त भोजन और अम्लीय जूस का सीमित मात्रा में ही सेवन करें। कैंडी और चॉकलेट ज्यादा मात्रा में नहीं खाएं।

    दंत चिकित्सक की सलाह से हर छह महीने या साल में एक बार दांतों की सफाई (स्केलिंग) जरूर कराएं। इससे मसूड़े स्वस्थ और मजबूत रहेंगे। दांतों में अगर कैविटी बन रहा है तो तुरंत पता चल जाएगा और अन्य प्रकार की बीमारियों से भी दांत सुरक्षित रहेंगे।

    दांतों का प्रत्यारोपण कराने वालों को नियमित रूप क्या आप स्केलिंग से बच सकते हैं? से हर साल सफाई कराने के लिए दंत चिकित्सक के पास जाना चाहिए।

    कृत्रिम दांतों (डेंचर्ज) को साफ करने के लिए टूथपेस्ट का इस्तेमाल नहीं करें। नल के बहते पानी के नीचे सौम्य साबुन से इसे साफ करें। नियमित रूप से डेंचर्स की सफाई करें।

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